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जयपुर के गुलाबी शहर में मिली गुलाबी चूत

Jaipur ke gulabi sahar me mili gulabi chut

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम सूर्या है और मैं एक जिगोलो हूँ।

मैं दिल्ली में रहता हूँ, ये मेरी पहली कहानी है। अगर कोई गलती हो जाये तो माफ़ करना।

बात चार साल पहले की है तब मेरी उम्र बाईस साल की थी। मेरा रंग गोरा है और मैं बहुत ही हैंडसम हूँ।

मेरे आफ़िस की सभी चूतें मुझे देखते ही गीली हो जाती थीं पर मैं बहुत शर्मीला था, मैंने कभी सेक्स नहीं किया था।

मैं एक एम. अन. सी. में काम करता था, मैं आपको अपना पहला सेक्स अनुभव सुनाने जा रहा हूँ कि कैसे उसके बाद मैं एक जिगोलो बन गया।

एक बार मैं शाम को दफ्तर (आफ़िस) के बाद घर पहुँचा ही था कि मेरे फोन पर एक मैसेज आया उसमें लिखा था कि क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगे? उषा।

मैंने झट से मैसेज देखा और सोचा कि ये कौन मेरी दिवानी है। तुरंत ही मैंने उसे कॉल कर दिया, उधर से एक बहुत ही मासूम सी आवाज आयी।

मैंने कहा- जी, कौन?

ऊषा- जी, मैं उषा बोल रही हूँ।

मैं- आप मुझे कैसे जानती हो?

ऊषा- मेरी एक दोस्त ने मुझे आपका नंबर दिया है पर प्लीज उसका नाम मत पूछना, मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ।

मैं- पर तुम हो कौन? कहाँ रहती हो? मैं तो आपको जानता भी नही।

ऊषा- मैं एक चिकित्स्क हूँ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में, मैं इंडिया गेट के पास पन्डारा रोड पर रहती हूँ।

मैं- और आपकी उम्र क्या है?

ऊषा- मेरी उम्र अट्ठाइस साल की है।

मैं- ठीक है, पर आप तो मुझसे बहुत बड़े हो, मैं आप से दोस्ती कैसे कर सकता हूँ?

ऊषा- पर मैंने आपको एक बार देखा है और बहुत पसन्द करती हूँ, मुझे लगता है दोस्ती और प्यार में सब जायज़ है।

उसकी इस बात ने उसके इरादे ज़ाहिर कर दिये, मैंने सोचा कि किस्मत में सब अपने आप हो रहा है तो मुहँ में आया निवाला खा ही लेता हूँ। मैंने उसकी दोस्ती को हाँ कर दी।

उसके बाद हमारे बीच कॉल और मैसेज का सिलसिला शुरु हो गया।

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वो मुझे रोज़ फोन करती थी और मैसेज पर भी बात होती थी धीरे-धीरे मुझे भी उसकी आदत होने लगी। मैं भी उसकी कॉल का इंतज़ार करता, और एक दिन उसने अपने मन की बात मेरे सामने रख दी, उसने कहा कि वो मुझसे प्यार करती है।

मैंने उससे बोला कि मैं अभी तक तुमसे मिला भी नहीं हूँ, हाँ या ना कैसे कर सकता हूँ, मैंने उसे मिलने का प्लान बनाने को कहा।

इस बीच हम एक-दूसरे से और खुल गये वो भी मुझे वयस्क (एड्ल्ट) जोक भेजा करती और मैं भी और एक दूसरे से सेक्स के बारे में बात करते और उत्तेजित होकर मैं उसकी बातें याद कर के मुठ मार लेता।

अब एक दिन मिलन कि घडी भी आयी, उसका फोन आया कि सप्ताहांत (वीकेन्ड) पर फ़्री हो, मैंने कहा- क्यों? बताओ मैं छुट्टी ले लूँगा।

उसने कहा कि जयपुर चलते है, एक साथ दिल्ली से और तीन दिन वहीं रहेंगे, मैं बहुत खुश हुआ। मैंने कहा- ठीक है।

उसने शरारती अन्दाज में कहा कि वोल्वो के दो टिकट कर रही हूँ और होटल के कितने कमरे बुक करने हैं?

मैंने उससे कहा कि ये तो तुम पर है कि तुम मुझे अपने रूम में रहने दोगी या नहीं? वो हँस दी और उसने एक रूम बुक कर दिया, मैं समझ गया कि मेरे लन्ड का उद्घाटन जयपुर में होने वाला है।

फिर सप्ताहांत पर मुझे उसके साथ इंडिया गेट के पास से बस लेनी थी। मैं तैयार होकर इंडिया गेट के लिये निकल पडा।

मैं उत्सुक था वो कैसी दिखती होगी? मैंने इंडिया गेट पहुँचकर उसे फोन किया उसने मुझे निर्देशित (गाइड) किया और मैं बस के स्थान (लोकेशन) पर पहुँच गया।

वो पहले से ही वहाँ थी, मुझे फोन पर निर्देशित करते हुये बाहर आयी और मुझे देख कर इशारा किया, मैंने उसकी तरफ़ देखा तो देखता ही रह गया वो एक बहुत ही खूबसूरत जिस्म की मालकिन थी।

ग़ोरा रंग, लम्बी, फ़िगर 34-30-32 का था, मुझे देख कर वो मुस्कुराई और मैंने उसे गले से लगा लिया और उसके तने हुये चुचे दबा दिये, उसने साड़ी पहन रखी थी जिस्मे वो बहुत गरमागरम लग रही थी।

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फिर हम दोनों बस में बैठ गये और बस जयपुर के लिये चल पडी, रास्ते में हम एक-दूसरे से शरारत करते रहे।

मैं उस के चुचे दबा देता और वो टेन्ट बन चुके मेरे लन्ड को पैन्ट के उपर से सहला देती।

आखिरकार, हम जयपुर पहुँच गये और होटल पहुँच कर अपने कमरे में गये, सुबह के चार बज गये थे।

मैंने अपने कपड़े बद्ले और वो भी वाशरूम से एक नाइटी डाल कर बाहर आयी और उस नाइटी से झांकते उसके जिस्म को देख कर मैं संयम नहीं रख पाया और उसे पकड़ कर उसके गुलाबी लबों को चुम लिया।

उसने भी मेरा पूरा साथ दिया और मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया तो वो बोली कि इतनी भी जल्दी क्या है, अब बताओ मैं तुम्हे कैसी लगी? तुम प्यार करते हो मुझसे?

मैंने कहा कि तुम्हें तो पहली बार देखते ही मैं तुम्हारा दिवाना हो गया हूँ।

वो मेरे साथ बिस्तर पर बैठ गयी और मैंने उसे बाहों में भर के उस के होंठों को चूमना शुरु कर दिया, उसके बाद मेरे हाथ उसके चूचों को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगे और उन्हें दबाने लगे।

वो बहुत उत्तेजित हो गयी, उसकी गर्म साँसे मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थीं।

मैंने उसके जिस्म से नाइटी की रुकावट को दूर कर दिया। उसने ब्रा-पैन्टी नहीं पहन रखी थी।

उसकी चिकनी गुलाबी चूत और उसके बूब्स मेरे सामने थे और मैं उसके मम्मों से खेल रहा था और उसके जिस्म को चूम रहा था और वो मेरे मेरी चड्डी के ऊपर से मेरे तने हुये आठ इन्च के लन्ड को सहला रही थी।

उसने मेरा अन्डरवियर उतार दिया और मेरे लन्ड को अपने मुँह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी, और मैं उसकी गुलाबी चूत को अपने होंठों से चूसने लगा।

मेरा आठ इन्च का लन्ड उसके गले तक जा रहा था, और वो बडे प्यार से उसे चूस रही थी।

पाँच मिनट तक मेरा लन्ड चूसने के बाद उसने कहा- सूर्या, अब बर्दाश्त नहीं होता, मेरी वासना को शान्त कर दो।

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मैंने अपना लन्ड उसकी चूत पर रगडा, वो सीत्कार उठी और कहने लगी- सूर्या, प्लीज घुसा दो मेरी चूत मे, फ़ाड दो इसे। मैंने उसकी चूत पर लन्ड रख के एक धक्का मारा और मेरा दो इन्च लन्ड उसकी चूत में घुस गया।

उसकी चीख़ निकल गयी और उसके होंठों को मैंने अपने होंठों से सील कर दिया और धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाया वो सामान्य (नोर्मल) होने लगी तो मैंने एक धक्का और मारा और मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया।

उसकी एक और चीख़ मेरे होंठों में दब गयी और उसका योनि विच्छेदन हो चुका था। कुछ देर बाद मैं अपना लन्ड आगे-पीछे करने लगा अब उसे भी मज़ा आने लगा।

उसके मुँह से अह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. चोदो मुझे, चोदो मुझे, की आवाज़े आ रही थीं।

पांच मिनट के बाद मैंने मैंने उसे कुतिया बना कर उसकी चूत में अपना लन्ड घुसा दिया और वो भी अपने कुल्हे चला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी।

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद वो झड गयी और मैं भी झड्ने लगा।

उसने कहा- मैं तुम्हारा सोमरस पीना चाहता चाहती हूँ, मेरे मुँह में झडो। मैंने अपना लन्ड उसकी चूत से निकल कर उसके मुँह में घुसा दिया और उसने चूस- चूस के मेरा सारा रस निगल लिया। उसके बाद हम एक-दूसरे से लिपट कर सो गये।

हम जब तक जयपुर में रहे हमने खूब मजे किये और उसके बाद मेरा जिगोलो का सफ़र शुरु हो गया। ऊषा ने अपनी कई सहेलियों से मिलवाया, और हमने समूह (ग्रुप) में सेक्स के मजे लिये।

दोस्तो, आज तक मैंने बहुत लडकियों के साथ सेक्स किया पर वो जयपुर यात्रा आज भी याद है, जो कि सब से हसीन थी।

आपके फ़ीड्बैक का इंतज़ार रहेगा।