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पापा और भाई की रंडी बनकर चुद गई-1

Papa aur bhai ki randi bankar chud gai-1

हैल्लो दोस्तों, में प्रीति आज आप सभी सेक्सी कहानियाँ पढ़ने वालों के लिए अपनी एक अनोखी कहानी लेकर आई हूँ जिसमें मैंने अपने भाई और अपने पापा के लंड से अपनी चुदाई का खेल खेला और उनके साथ मज़े लिए और अपने मन को वो सुख दिया.

दोस्तों मेरे मम्मी पापा का बहुत साल पहले तलाक हो गया था, जिसकी वजह से हम हमारे घर में बस तीन लोग, में प्रीति, मेरा भाई जिसका नाम मोहन और मेरे पापा ही थे. में बहुत गोरी और मेरे बड़े आकार के सुडोल बूब्स, मटकती गांड जो मेरी इस चढ़ती मस्त जवानी को चार चाँद लगा रहे थे, क्योंकि मैंने अभी अभी अपनी जवानी की उस दहलीज पर अपना पहला कदम रखा था और में हमेशा बड़े गले के बिल्कुल टाईट कपड़े पहनती थी, जिसकी वजह से जो भी मुझे देखता बस देखता ही रह जाता था और ऐसा ही हाल कुछ मेरे भाई का था.

में उसको अपना गोरा सेक्सी बदन दिखाती और वो मेरे पीछे हमेशा लगा रहता और यही हाल मेरे कॉलेज के सभी लड़को का भी था, वो भी मेरे दीवाने थे. दोस्तों मेरे पापा सुबह अपने ऑफिस चले जाते और उसके बाद में दोपहर को जब भी अपने घर पर आती तो हम दोनों भाई बहन ही होते थे. फिर एक दिन हम दोनों घर पर अकेले बैठे हुए फिल्म देख रहे थे, क्योंकि हम दोनों को फिल्म देखने का बहुत शौक था और में अपने कॉलेज से आ चुकी थी.

अब हम दोनों का पूरा ध्यान उस फिल्म में था और हमे बड़े मज़े आ रहे थे. उसका मुझे पता नहीं, लेकिन में खुश थी और तभी अचानक से उसमे एक सेक्सी सीन आ गया जिसमें वो दोनों लड़का लड़की एक दूसरे से चिपककर चूमने चाटने लगे. कुछ देर चूमने के बाद उसने लड़की के कपड़े खोल दिए और वो अपने छोटे कपड़ो मतलब ब्रा पेंटी में आ गई. उसको मेरा भाई अपनी खा जाने वाली नजर से घूरकर देखने लगा.

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अब वो मुझसे कहने लगा यह फिल्म बहुत अच्छी सेक्सी है, लेकिन इसमे पूरा सब साफ नहीं दिखा रहे है, तो मैंने तुरंत उसकी मन की बात को समझकर कि उसके मन में अब क्या चल रहा है? मैंने उससे पूछा कि तुम्हें इसमे और क्या क्या देखना है, वो इतना सब कुछ तो साफ दिखा रहे है? अब वो मुझसे बोला कि प्रीति वही कपड़ो के अंदर छुपे हुए अंग जिसके लिए में क्या यह पूरी दुनिया पागल है, वो तो नहीं दिखाए ना?

तब मैंने उससे पूछा कि कौन से अंग और तुम्हारा कहने का क्या मतलब है, मुझे तुम खुलकर समझाओ? और फिर उसने अपने लंड पर अपना एक हाथ रखकर कहा कि यह वाले अंग. दोस्तों में उसका वो इशारा तुरंत समझकर उसकी तरफ देखकर हंसने लगी, लेकिन तभी उसने अपनी अंडरवियर को उतार दिया और अब वो अपने लंड को मेरे ही सामने धीरे धीरे सहलाने लगा. फिर मैंने उससे पूछा कि तुम यह क्या कर रहे हो? उसने मुझसे कहा कि तुम्हें भी अगर ऐसा करना है तो कर सकती हो, मुझे उसमे किसी भी तरह की कोई भी आपत्ति नहीं होगी और अब मैंने उसकी उस बात को सुनकर अपनी पेंटी को उतार दिया और में भी शुरू हो गयी.

उस दिन हमने एक दूसरे के सामने ही मुठ मारी, लेकिन चुदाई जैसा कोई भी काम नहीं किया. अगले दिन से हम लोग एक दूसरे के सामने पूरी तरह से खुल गये थे और धीरे धीरे हम लोग चुदाई भी करने लगे थे. फिर ऐसे ही एक दिन हम लोग अपनी चुदाई के काम में व्यस्त थे. उस समय में उसके सामने अपने दोनों हाथों पैरों पर बैठकर कुतिया बनी हुई थी और वो मेरे पीछे से मेरी गांड में अपनी जोरदार स्पीड से अपना लंड डालकर अंदर बाहर करके मेरी गांड मार रहा था और में ज़ोर ज़ोर से उसको गलियाँ दे रही थी, वो मुझे बहुत जबरदस्त तरीके से रगड़कर वो मेरी गांड को ठोक रहा था और में उस दर्द की वजह से चिल्ला रही थी और उसको कुत्ते कमीने कह रही थी.

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तभी पीछे से पापा की आवाज़ आ गई वो हमें देखकर पूछने लगे यह सब क्या हो रहा है? उनकी आवाज सुनकर हम दोनों उठकर तुरंत खड़े हो गये क्योंकि दरवाजे पर पापा खड़े हुए थे और अब तक उन्होंने हमें इस हालत में वो काम करते हुए देख लिया था, वो हमारी इस हरकत से बहुत ज्यादा गुस्सा हुए और उन्होंने गुस्से में हम दोनों को घर से बाहर निकल जाने को बोलकर वो अपने रूम में चले गये. अब मोहन ने मुझसे कहा कि अब हमारे पास सिर्फ़ एक ही रास्ता है, जिसकी वजह से हम दोनों बच सकते है, मैंने उससे पूछा कि वो क्या? तब उसने मुझसे कहा कि पापा का वो गुस्सा छोड़ दो और उस बात को भूल जाओ जो उन्होंने हमें अभी कुछ देर पहले गुस्से में कही थी.

फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है में तुम्हारे कहने पर वो सब भुला देती हूँ और अब वो मुझसे बोला कि तुम चलो मेरे साथ, तो में उसके साथ हो गई और फिर हम दोनों नंगे ही पापा के रूम में चले गये. मैंने देखा कि उस समय पापा दारू पी रहे थे और हम दोनों को अपने सामने इस तरह से पूरा नंगा खड़ा देखकर वो कहने लगे क्या तुम्हें बिल्कुल भी शर्म नहीं आती?

मैंने उनसे कहा कि आती तो है पापा, लेकिन इस गरम जोशीली जवानी के आगे किसी का ज़ोर नहीं चलता है और में भी क्या करती, मुझे भी तो जवानी चढ़ी हुई थी. में इसको अपने बस में कब तक रखती? तो पापा बोले कि तुम्हे क्या इतनी जवानी चढ़ी थी कि अब तुम अपने भाई से ही चुदाई करवाने लगी. उसको भी तुमने अपने साथ उस काम में लगा लिया, ऐसा क्या हो गया है तुम्हे, तुम अब बिल्कुल पागल हो चुकी हो.

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अब में और मेरे पापा एक दूसरे से पूरी तरह से खुलकर बातें कर रहे थे, इसलिए मेरे मन से पूरा डर निकल चुका था. फिर मैंने उनसे कहा कि पापा अगर यह मेरा भाई ना होता तो क्या आप फिर भी मेरी इस चुदाई से इतना ही नाराज़ होते जितना अभी हो?

यह कहानी कुल तीन भागो में है, बाकि कहानी अगले भाग में-