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परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई 4

(Parivar me sabke sath dhuwadhar chudai 4)

जब हम बस की तरफ आये तो हमने देखा कि सुदीप जीजाजी बस में चढ़ रहे है। तो हम बस के पीछे खड़े हो गए। जहाँ लास्ट वाली सीट पर सोना दीदी और अनिल भैया बैठे चाय पी रहे थे। सुदीप जीजाजी उनके पास गए और पूछा चाय पी ली, तो सोना दीदी डरी हुई कि बोली।
सोना दीदी- नही
सुदीप जीजाजी- इतनी डरी हुई क्यो हो? क्या हुआ
अनिल भैया- जीजाजी, एक पंगा हो गया।
सुदीप जीजाजी- क्या हुआ?
सोना दीदी- मैं अनिल का लन्ड चूस रही थी, तभी राजवीर और देव आ गए और उन्होंने हमें देख लिया।
सुदीप जीजाजी( गुस्से में)- तुम लोगों को मैंने कहा था ना कि हरिद्वार पहुँच कर हम एक चारों एक ही रूम में चुदाई करेंगे। पर तुम भाई बहन में आग ही बहुत है, अनिल तुम 15 सालो से इस सोना रण्डी को चोद रहे हो। फिर भी तुम में सब्र नही है।

अनिल भैया- जीजाजी, हमने कुछ नही करना था, वो तो मामाजी ने बस रुकवा दी इसलिए आग भड़क गई, जब से मेरी शादी हुई है, दीदी को चोदने का मौका ही नही मिलता, आपने भी तो अभी तक मेरी पत्नी सपना की नही पटाया। उसे पटा लेते तो फिर चारों मिलकर चुदाई करते
सुदीप जीजाजी- तुमको कहा था ना कि इस बार ऐसा प्लान बनाया है कि सपना खुद आकर कहेगी की मुझे चोदो।
सोना दीदी- वो तो ठीक है, पर अब देव और राजवीर का क्या करें।
सुदीप जीजाजी- वो तुम मुझ पर छोड़ दो, अब तुम दोनों भी बाहर आकर थोड़ा फ्रेश हो जाओ, फिर हमें निकलना भी है।

फिर तीनो बाहर आने लगे, तो मैं और देव वहाँ से निकल गए और साइड में जाकर छुपकर सिगरेट पीने लगें।
सुदीप जीजाजी ने हमे उस साइड जाते देख लिया। अनिल भैया और सोना दीदी वशरूम की तरफ चले गए और सुदीप जीजाजी हमारी वाली साइड आ गए और हमे सिगरेट पीते देखने लगे। हम दोनों को पता ही नही चला कि वो कब आ गए और हमे देख रहे है। एकदम से सुदीप जीजाजी ने आवाज़ लगाई- राजवीर
हमने आवाज़ वाली साइड देखा तो सुदीप जीजाजी को देख कर हमारी फट गई, क्योकि हमारे हाथ मे सिगरेट थी। और हम दोनों सबसे छोटे है, इसलिए हम सबसे डरते है। सबसे ज्यादा डर हमें लता मौसी से लगता था, वो बहुत ही रोबदार औरत है, वो पुलिस में एक बड़ी अधिकारी थी, और अभी भी उनकी पुलिस में बहुत चलती है। लता मौसी की अब कई मंत्रियों के साथ भी अच्छी जान-पहचान थी। लता मौसी से हम क्या बस में जितने भी लोग थे, यहाँ तक कि उनके पति सूरी मौसा भी बहुत डरते थे उनसे।
जीजाजी को देखते ही हमने सिगरेट फैंक दी। जीजाजी हमारी तरफ आते हुए, हमारी तो गाँड़ फटने लगी कि अब क्या होगा, अगर जीजाजी ने लता मौसी को बता दिया तो। जीजाजी हमारे पास आये और हमे धमकाने लगे कि चलो सबको तुम्हारी शिकायत मम्मी (लता मौसी, जो जीजाजी की सास है) से लगाता हूँ। हम जीजाजी के सामने रोने लगे कि प्लीज जीजाजी, लता मौसी को कुछ मत बताओ। और भी किसी को मत बताना नही तो हमे बहुत मार पड़ेगी, पहले तो जीजाजी नही माने, फिर बोले चुप हो जायो। फिर जीजाजी ने अपना फ़ोन निकाल कर किसी को कॉल किया और उसे कहा कि इस तरफ जायो।हम डरने लगे कि किसको बुलाया है जीजाजी ने। तभी सोना दीदी और अनिल भैया वहां आ गए, तो जीजाजी बोले इन दोनों को छुप कर देखने की बहुत आदत है ना, आज मैंने इनको पकड़ा है सिगरेट पीते हुए, ये रहा सबूत, तो सोना दीदी बोली कि चलो सबको बताते है।

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हम डर गए और रोने लगे, और कहा कि प्लीज् किसी को मत बतायो, आप जो कहोगे हम वो करेंगे। फिर वो बोले ठीक है, अभी तो कुछ नही करना, पर जो भी तुम लोगो ने आज बस में देखा अगर वो किसी को बताया तो फिर तुम देखना की हम तुम्हारा क्या हाल करते है।
हमने कहा ठीक है हम किसी को कुछ नही बताएंगे।
इतने में मामाजी ने सबको आवाज़ दी कि आ जायो चले, हमने देखा तो सब वापिस बस में चढ़ रहे थे। हम भी बस में चढ़ गये। देव और मैं डरे हुए थे, और पीछे की सीट पर जाकर बैठ गए। अब अपनी आपनी बातों में लगे हुए थे, बस मैं और देव चुपचाप बैठे थे। फिर सुदीप जीजाजी, सोना दीदी और अनिल भैया हमारे पास आ कर बैठ गये।
सुदीप जीजाजी- राजवीर, फिक्र मत करो। हम किसी से कुछ नही कहेंगे और तुम भी किसी से कुछ मत कहना।
राजवीर- जी जीजाजी, हम किसी को कुछ नही बोलेंगे।
मेरे इतना बोलते ही सोना दीदी ने मुझे अपने गले लगा लिया। मेरा सर दीदी के मोटे मुममे पर दब रहा था, पर मुझे अभी भी डर लग रहा था इसलिये मैंने ऐसा कुछ नही सोचा। फिर सोना दीदी मेरे सर पर हाथ फेरने लगी और मुझे अपने सीने में और दबा लिया, जिस से मेरे सर से सोना दीदी के बूब्स पूरी तरह से दब रहे थे।अब मेरे लन्ड में भी तनाव आना शुरू हो गया।

अब मेरा डर भी निकल गया था। फिर सोना दीदी ने मेरे गाल पर किस किया, और हमारे साथ बैठ गयी। अनिल भैया ने मुझे और देव को 1000 रु. का एक एक नोट दोनो को दिया और कहा। ये रखो, मजे करो।
और चाहिए हो तो और मांग लेना। अब हमारे मन से डर बिल्कुल निकल गया था। हमने उन तीनों को थैंक्स कहा। फिर देव और मैं गाना गाने लगे, जिसमे सभी हमारे साथ देने लगे। फिर ऐसे ही गाने गाते गाते हम चंडीगढ़ पहुंच गए।

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अब जब हम चंडीगढ़ पहुंचे तो दोपहर 3 बज रहे थे, हमने सीधा अनमोल दीदी के घर गए, क्योकि टीना दीदी भी वहीं आ गयी थी। उनके घर पहुंचे तो हमने उन लोगो को बाहर ही बुला लिया। तो अनमोल दीदी, टिंकू जीजाजी, उनकी बेटी और टीना दीदी बाहर ही आ गए और बस में बैठ गए। दोनों बहने अपनी माँ की तरह उनके भी चुचियाँ बहुत बड़ीऔर बहुत टाइट थी, टीना दीदी की शादी को 10 साल हो गए थे, और टीना दीदी तो स्कूल टाइम से ही होस्टल में ही रहती थी, इसलिए उन से मिलना बहुत कम हुआ था, मैं जब मौसी के घर जाता था, तब भी वह होस्टल में होती थी। जब हम उनको लेने पहुंचे तो उसको देखते ही लन्ड पाजामे से बाहर आने लगा।

टीना दीदी की उम्र 25 साल, कुंवारी, 36d-30-36 अपनी माँ की तरह गौरा रंग, लंबी हाइट। उसने टाइट जीन्स और टाइट शार्ट पिंक स्लीवलेस टॉप पहना था, जिसमे उसकी चुचिया बहुत बड़ी लग रही थी, जब वो सबसे मिली और मुझसे भी मिली गले लग कर, मैं तो बस उसको देखता रह गया, जो उसने मेरे गाल पकड़ कर खींचा, तब होश आया। देव जब उस से मिला तो देव ने टीना दीदी को उठा लिया, जिस से टीना दीदी की चुच्चिया देव के मुह पर और देव के हाथ टीना दीदी की गाँड़ पर थे। अनमोल दीदी 38d बूब्स, वो भी सबसे मिली, वो मुझे भी गले लग कर मिली, उनकी चुचिया मेरे सीने में दब गयी, क्या बड़ी बड़ी टाइट चुचियाँ थी। फिर टिंकू जीजाजी भी सबसे मीले। जब सबसे मिलने के बाद, सबने उन तीनो को बताया कि आज हम चंडीगढ़ ही रुकने वाले है और टिंकू जीजाजी से कहा कि आपने ही हम सबको घूमाना है, तो वो मान गए। फिर सबने होटल जाते जाते डिसाइड किया कि वाटर पार्क चलेंगे सभी।

फिर हम सब होटल गए। वहाँ कमरे ले लिए, जो 3-3 के जोड़े में अटैच थे और सब अपने अपने कमरो में फ्रेश होने चले गए। मैं मम्मी पापा दीदी जीजाजी अपने बेटे के साथ एक कमरे में थे। जब मैं फ्रेश होने वाशरूम में गया तो मुझे बाहर से मम्मी-पापा के लड़ने की आवाज आने लगी, तब दीदी जीजाजी मेरे भांजे के साथ कुछ सामान लेने गए थे नीचे।
मम्मी- आपको शर्म नही आती, आप जहाँ देखो वहीं चुदाई करने लग जाते हो और जो मिले उसी से चुदाई करते हो।
पापा- मुझे तो नई नई चुत मारने में मजा आता है जान, अब तेरी चुत में वो बात नही रही।
मम्मी- तो मेरी चुत की ऐसी हालत भी तो आपने ही कि है, दिन में तीन तीन बार चुत मारोगे तो यही हाल होगा चुत का। फिर गाँड़ मार मार के आपने मेरी गाँड़ की हालत भी ऐसी कर दी। अब तो आप रंडियां भी रोज चोदने लगे हो, बन्द करो ये हरकते।
पापा- क्या करूं जान, लन्ड मानता ही नही।
फिर पापा ने लन्ड निकाल लिया बाहर ओर बोले, जान एक बार चूस तो दे, मन कर रहा है।
मम्मी(गुस्से में)- बस सेक्स की पड़ी रहती है हमेशा, अब बुड्ढे हो गए हो, कुछ तो शर्म किया करो।

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पापा- बूढ़ी होगी तू, मैं तो आज भी जवान लड़कियों की संतुष्टि करवा सकता हूँ। तू हो गयी बूढ़ी तभी तो अब तेरी चुत नही मारता मैं, मेरे लन्ड में दम है, तेरी चुत में नही।
मम्मी( भडकते हुए)- मैं कोई बूढ़ी नही हूँ, जवान लड़के अभी भी मेरे दीवाने है, अब आप सुधर जाओ, वरना मैं भी आपकी तरह जहां मौका मिला चुदवाने लग जाऊंगी।
पापा- जा जिस से मर्जी चुदवा, अपनी बहन हेमा से भी बड़ी रण्डी बन, मुझे कोई फर्क नही पड़ता।
मम्मी- अब देखना आपके सामने ही रोज नए नए लन्ड लुंगी।
पापा- जा ले ले, बन जा रांड।
तभी गेट पर नॉक हुआ, पापा ने गेट खोला तो मामाजी आये थे पूछने की हो गए तैयार, पापा ने बोला 5 मिनट।
फिर मैं भी वाशरूम से बाहर आ गया। 10 मिनट में हम सब तैयार हो कर नीचे बस के पास चले गए। 5 मिनट में सभी बस के में आ गए। क्योकि वाटरपार्क जाना था तो सबने नार्मल कपड़े पजामा या निक्कर टीशर्ट ही पहने थे, लेडीज मम्मी, मौसियां, मामियो ने सूट पहने हुए थे।

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