हिंदी सेक्स स्टोरी

पारिवारिक दोस्त का उपहार-1

Pariwarik dost ka uphar-1

हैल्लो दोस्तों, में आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ.  दोस्तों मेरी दीदी की एक बहुत अच्छी सहेली है, जिन्हें में भी हमेशा दीदी ही बोलता हूँ और वो हमारे पूरे परिवार से बहुत अच्छी तरह से परिचित भी है और वो बहुत मोटी है.  दोस्तों मैंने कभी भी उन्हें अपनी ग़लत नज़र से नहीं देखा, लेकिन उनकी भी एक दीदी है, जिनका नाम गुड़िया है.

उनकी शादी हो चुकी है और वो बहुत सुंदर और आकर्षक है और उनके फिगर का सही आकार 35-30-34 है और में उन्हें उनकी शादी के पहले से ही मन ही मन में पसंद करता था, क्योंकि वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी.  उनका रंग गोरा बाहर की तरफ निकलते झूलते हुए बूब्स नशीली आखें अपनी तरफ आकर्षित करने वाला वो कामुक बदन जिसका में पूरी तरह से दीवाना बन गया था.

दोस्तों यह बात अगस्त की है, तब मुझे पता चला कि उनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी नहीं चल रही थी, क्योंकि उनके पति उन पर हमेशा किसी भी बात को लेकर शक किया करते थे और वो हमेशा उनसे लड़ते थे और वो बहुत परेशान भी चल रही थी और वो रक्षा-बंधन पर अपने घर आने वाली थी और यह सभी बातें मुझे उनके घर से पता चल गयी.  अब मैंने मन ही मन में यह सोच लिया था कि इस बार उन्हें अपनी तरफ से समझाकर उनको दिलासा देकर में उनको अपने ज्यादा पास ला सकता हूँ, हमारे बीच की दूरियां खत्म होते ही उस वजह से मेरा काम बन सकता है और मुझे आगे बढ़ने का मौका मिल जाएगा और यह बात सोचकर में अब उनका अपने घर पर आ जाने का इंतज़ार करने लगा.

फिर दो दिन बाद उनके आ जाने के बाद में रोज़ उनके घर चला जाता था, उनकी अपने घर पर भी अपनी बहन और भाभी से भी ज्यादा नहीं बनती थी, इसलिए वो मुझसे ही अपने मन की सारी बातें किया करती थी और इसलिए वो मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त भी बन गयी थी, हम लोग हमेशा उनके घर की छत पर ही बैठकर बातें किया करते थे और हम दोनों एक दूसरे के साथ अपना बहुत समय बिताने लगे थे.  दोस्तों यह सितंबर की बात है और एक बार छत पर टहलते समय मैंने उनसे पूछा क्या में आपका हाथ पकड़ लूँ? तो उन्होंने कहा कि हाँ ठीक है और उसके बाद हम लोग एक दूसरे का हाथ पकड़कर टहलने लगे और बातें करने लगे.

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तब मैंने महसूस किया कि उसके हाथ बहुत मुलायम थे और वो मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बहुत अच्छा महसूस कर रही थी और फिर रात को 9 बजे में अपने घर पर आ गया, लेकिन में अब तुरंत समझ गया था कि अब लोहा गरम हो चुका है.

अगले दिन मैंने उसके लिए एक छोटा सा उपहार खरीदा और मैंने उसके घर जाकर उससे कहा कि में तुम्हारे साथ घूमने जाना चाहता हूँ.  अब वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर तुरंत तैयार हो गयी और अपने घर पर चेकअप के लिए जाने का बहाना करके वो मेरे साथ आ गयी और मेरी गाड़ी पर भी वो मुझसे बहुत चिपककर बैठी हुई थी.

में जानबूझ कर अपनी गाड़ी को ज़ोर से ब्रेक लगा देता, जिसकी वजह से उसके बूब्स मेरी कमर से दब जाते और में मन ही मन बहुत खुश हो जाता, जो मुझे बहुत अच्छा अहसास दे रहे थे और मेरी उस हरकत का मतलब वो भी ठीक तरह से समझ चुकी थी, इसलिए उसने मुझसे कुछ भी नहीं कहा और फिर कुछ देर चलने के बाद में उसको एक कॅबिन वाले रेस्टोरेंट में ले गया और वहीं पर मैंने उससे अपने मन की वो सच्ची बात कही, जिसको में बहुत दिनों से कहने का मौका देख रहा था और मैंने उससे अपने सच्चे प्यार के बारे में कह दिया और फिर उसी समय उसको वो उपहार भी दे दिया.

अब उसने भी मेरा वो प्यार कबूल कर लिया था, जिसकी वजह से में मन ही मन बहुत खुश था.  में बिल्कुल पागल हो चुका था, लेकिन जब में उसको किस करने के लिए आगे बढ़ने लगा, तब वो मुझे रोकने लगी और वो मुझसे कहने लगी कि यह सब बहुत गलत है, वो ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि उसको मन ही मन ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे वो मेरे साथ यह सब करके अपने पति को धोखा दे रही है.  फिर उस वक़्त मैंने उसको अपनी तरफ से बहुत बार समझाया, लेकिन वो फिर भी नहीं मानी और मैंने अपनी तरफ से हर एक कोशिश करके देख लिया, तब भी वो नहीं मानी और फिर हम दोनों उस रेस्टोरेंट से वापस अपने घर पर आ गये.

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में बहुत उदास हो गया और घर पर आने के बाद में उसी के बारे में सोचता रहा और उसको अपनी बातों में फंसाने के बारे में नये विचार बनाने लगा.

रात को ना जाने कब मुझे नींद आ गई.  दोस्तों उसके अगले दिन मेरे घर पर कोई भी नहीं था तो मैंने उसको मेरे घर पर बुला लिया और वो भी टेलर के पास अपना सूट डालने जाने का बहाना करके मेरे घर पर चली आई.  तब मैंने उसको दोबारा से किस किया, लेकिन अब वो फिर से मुझे मना करने लगी.

मैंने जबरदस्ती उसको पकड़कर में उसकी सलवार के ऊपर से ही पहले कुछ देर तक उसकी चूत को अपने एक हाथ से सहलाने लगा और जब उसने मेरा विरोध करना कम कर दिया, तब में उसकी चूत को कपड़ो के ऊपर से ही चाटने लगा और फिर मैंने महसूस किया कि अब उसका विरोध बिल्कुल कम हो गया और उसी समय में अपने एक हाथ को उसके बूब्स तक ले जाकर बूब्स को भी धीरे धीरे सहलाने लगा, जिसकी वजह से वो अब अपनी हल्की आवाज के साथ मोन करने लगी, लेकिन उसी समय दरवाजे पर लगी घंटी बज गई.

अब में उसको वैसे ही छोड़कर दरवाजा खोलने चला गया, तब मैंने देखा कि अब मेरी मम्मी वापस आ गयी थी और वो कुछ देर तक मेरी मम्मी से बात करने के बाद वापस अपने घर चली गयी, लेकिन वो मुझे उसके चेहरे से बहुत खुश नजर आ रही थी, में उसकी ख़ुशी का मतलब साफ साफ समझ चुका था.

फिर जब में शाम को उसके घर गया तो मैंने देखा कि वो अपने कमरे में बैठी हुई टी.वी. देख रही थी और उसने उस समय मेक्सी पहनी हुई थी.  अब उसने मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि आज जब तुम मेरी चूत को चाट रहे थे, तब मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.

उसके मुहं से यह बात सुनते ही मैंने उसका इशारा समझकर तुरंत अपना एक हाथ उसकी मेक्सी के अंदर डाल दिया और मैंने उसकी चूत में अपनी दो उँगलियों को डाल दिया और तब मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत गरम, रसभरी थी और उस पर झांटे भी थी, लेकिन उसके पहले एक बच्चा हो जाने की वजह से उसकी चूत बहुत ढीली भी हो चुकी थी, लेकिन थी बड़ी मजेदार जोश से भरी हुई, में कुछ देर तक उसको अपने हाथ से सहलाते अपनी उँगलियों को चूत में डालकर मज़े लेता रहा.

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उसने मुझसे कहा कि अभी नहीं इस समय सभी लोग घर पर है, जब कोई भी नहीं होगा तब करना, में तुम्हें सही मौका देखकर तुम्हें बता दूंगी.  फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है, लेकिन तुम सबसे पहले अपनी झांटे जरुर काट लेना, क्योंकि मुझे चूत पर झाटे बिल्कुल पसंद नहीं है.  फिर उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि में तो हेयर रिमूवर काम में लेती हूँ, लेकिन वो अभी खत्म हो गया है, इसलिए अब तुम ही मुझे वो बाजार से लाकर दे देना.

मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है मेरी रानी में लाकर तुम्हें अभी दे देता हूँ और उसके कुछ देर बाद मैंने उसको एनफ्रेंच हेयर रिमूवर लाकर दे दिया.  अब शाम को मैंने उसको मिलकर उसकी चूत को देखा जिसको उसने अपनी चूत पर लगाकर अपनी चूत को एकदम चमकाकर चिकना कर दिया.

फिर उसके बाद जब हम दोनों दोबारा छत पर गये.  तब शाम के आठ बज चुके थे और इसलिए ऊपर बहुत अंधेरा भी था.  फिर मैंने उसकी सलवार में अपने एक हाथ को डालकर उसकी चूत में अपनी उंगली को भी मैंने डाल दिया और में चूत को सहलाने लगा.  अब उसने मुझसे कहा कि प्लीज़ तुम अपनी उंगली को मेरी चूत के अंदर, बाहर करो, में बहुत तड़प रही हूँ और वो मुझसे इतना कहकर अपना हाथ मेरी पेंट में डालकर मेरे लंड को पकड़कर हिलाने लगी, जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लंड तनकर खड़ा भी हो गया था और कुछ ही देर में वो भी अब पूरी तरह से जोश में आ गयी थी और वो ना जाने क्या क्या बड़बड़ा रही थी और वो मुझसे कहने लगी, आईईईईई उफ्फ्फफ् हाँ और तेज़ स्सीईईईई डाल दो पूरा अंदर तक हाँ आज तुम बुझा दो मेरी इस चूत की प्यास को आह्ह्हह्ह्ह्ह तुम आज मेरे जिस्म की आग को ठंडा कर दो.