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प्यारी सासू माँ मोहिनी का कमर दर्द-3

Pyari Sasu ma Mohini Ka Kamar Dard-3

जिस दिन मेरी बेटी ने मुझे यह बताया था कि आपको लण्ड चुसवाना और चूत चूसना पसंद है मगर उसे नहीं, और आपको यह सुख मेरी बेटी से नहीं मिला, तो उसी दिन मैंने फ़ैसला कर लिया था कि एक ना एक दिन हम दोनों मिल कर यह सुख उठाएँगे। आओ दामाद जी, आज जी भर कर अपने मर्ज़ी की कर लें।

और फिर वो मेरे लण्ड को जड़ से पकड़ कर उसे घूमाते हुए, ऊपर नीचे करते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लग गई। फिर मैंने उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथ फेरना शुरू किए और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी गाण्ड को दबाना-मसलना शुरू कर दिया और मैंने महसूस किया कि उसकी पैंटी चूत की तरफ से गीली हो रही है…

तभी मुझे ऐसा लगा कि मैं ही छुटने वाला हूँ तो मैंने उसे कहा- मोहिनी मेरा निकलने वाला है !

तो वो बोली- निकालने दो दामाद जी ! आज कोई बंधन नहीं है, आप मेरे मुँह में ही निकाल दो, मैं उसे चखना चाहती हूँ !

और साथ ही मैंने उसके मुँह को अपने वीर्य से भर दिया और उसने बड़े चाव से मेरे वीर्य को चाट चाट कर निगल लिया…

उसके और मेरे चेहरे पर एक अजीब तरह की संतुष्टि थी जिसे हम दोनों ही समझ सकते थे…

आआअहह !

फिर वो उठी और बोली- मैं चेहरा धोकर आती हूँ ! साफ तो कर लूँ ना जो तुमने इतना गन्दा कर दिया है…

जब वो चल रही थी तो उसकी ब्रा में क़ैद उसके स्तन ऊपर-नीचे हिल रहे थे और उसकी गाण्ड दाएँ-बाएँ हिल रही थी और मेरा उन्हें देख देख कर ही फिर से लण्ड जोश में आने लगा।

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मैं उठा और वॉश बेसिन के पास उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया अपना लण्ड उसकी गाण्ड में टिका कर…

उसके मुँह से एक आह निकल गई…

फिर मैंने अपने हाथों में पानी लेकर उसके मुँह को धुलवाया और फिर हम दोनों वॉश बेसिन से टिक कर ही एक दूसरे को चूमने लग गये…

मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में भर लिया और उसके मोटे मोटे होंठ जी भर कर चूसे, उसने भी मेरा खूब साथ दिया…

चुम्बन करते करते ही मेरे हाथ उसके स्तनों पर ब्रा के ऊपर ही फ़िर रहा था। मैं कभी अपने हाथ उसकी पीठ पर तो कभी उसकी गाण्ड पर पैंटी के ऊपर से ही फेरता रहा।

करीब 15 मिनट तक हम इसी हालत में एक दूसरे को चूमते-चाटते रहे…

अब मैं फिर से तैयार हो गया था अगले दौर के लिए…

तो मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और अलमारी में से उसके सारे कपड़े लाकर बिस्तर पर फैला दिए। मैंने उसे कहा- मैं तुम्हारी याद में जब मौका मिलता था तो तुम्हारी सलवार या पेटीकोट या साड़ी में मुठ मार लिया करता था… तुम्हारे कपड़ों में से तुम्हारी वो मादक खुश्बू आती थी और मैं पागल ही हो जाता था…मेरी कब से यही तमन्ना थी तुम्हारे कपड़ों पर लिटा कर तुम्हें चोदूँ !

वो बोली- सही में तुम पागल हो मेरे लिए…

वो बोली- तभी मैं सोचती थी कि ये साले मेरी सलवार में, गाउन में साड़ी में ये सफेद सफेद दाग कहाँ से आते हैं… अब चोर पकड़ में आया है, अब तो इसकी सज़ा देनी पड़ेगी तुम्हें…

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कह कर उसने सारे कपड़े फैला दिए और बोली- अब तुम मेरी ब्रा-पैंटी पहनो और मुझे दिखाओ कि तुम कैसे दिखते हो…

उसने इतने प्यार से इतनी प्यारा आग्र्ह किया कि मैं मना नहीं कर पाया और मैंने उसके कपड़ों में से उसकी एक ब्रा और एक पैंटी निकाली और उसने मुझे पहनाई।

..हायईई क्या कहूँ दोस्तो ! वो इतनी खुश हुई !

और हम दोनों फिर से दूसरे दौर के लिए शुरू हो गये। मैंने उसे पेट के बल लिटाया और मैं उसकी पीठ पर अपनी उंगलियाँ फेरने लगा। उसकी पीठ से होती हुई जब मेरी उंगलियाँ उसकी गाण्ड के ऊपर पैंटी की एलास्टिक तक आई जहाँ से उसके कूल्हों की दरार जो पैंटी की अंदर जा रही थी…

तो वो एकदम से तड़प उठी और मैं उसकी ऊपर नीचे उठती हुई गाण्ड को देखते हुए मज़े ले रहा था। फिर मैंने उसकी पीठ पर चूमना शुरू किया… मैं उसकी पीठ पर चूमता हुआ उसकी कमर से होते हुए उसकी गाण्ड को अपने हाथों से दबाते हुए पैंटी के ऊपर से ही चूम रहा था…

फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसकी पैंटी के बगल से उसके कूल्हों में घुसा दिए…और उसकी जाँघों को चूमने लगा।

वो मेरे सामने किसी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी, उसके मुँह से बार बार निकल रहा था- और मत तड़पाओ और चोद दो मुझे मेरे राजा बेटा…

मैंने अपने हाथ निकाले और उसे बिठा कर उसके पीछे से दोनों टाँगे निकाल कर बैठ गया, उसे अपने से टिका लिया और उसकी ब्रा के स्ट्रॅप को नीचे गिरा कर उसके कंधों पर चुम्बन करने लगा।

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मेरा लण्ड पीछे से उसकी गाण्ड के ऊपर से उसकी कमर को छू रहा था।

फिर मैं उसकी नंगी पीठ पर चुम्बन करते हुए अपने हाथ उसकी गर्दन से फिराने लगा और अपने हाथों को गर्दन से होते हुए उसके दूधों के ऊपर फ़िराने लगा। तभी मैंने अपने एक हाथ से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और उसकी ब्रा को निकाल कर उसे चूमने लगा।

तभी उसने अपने हाथ पीछे मेरे शरीर पर फ़िराए और अपना हाथ मेरी पीठ पर लेजाकर मेरी ब्रा भी खोल दी, बोली- तुम तो मर्द हो ! ये तुम पर ज़्यादा देर अच्छे नहीं लगेंगे जान…

मैं उसकी बगलो में चूमता हुआ, चाटता हुआ अपनी उंगलियों से उसके चुचूकों को हल्के-हल्के से दबाने लगा और वो पागल हो उठी, उसने अपनी दोनों टाँगे फैला दी और अपनी पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लग गई।

आगे की कहानी अगले भाग में पढ़ें-