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प्यारी सासू माँ मोहिनी का कमर दर्द-5

Pyari Sasu ma Mohini Ka Kamar Dard-5

उसकी एकदम से चीख निकली- आ आआआअहह ह्म्म्म्म मममम्मूऊऊऊऊ ओह आऐईयईईई !

और ज़ोर से उसने अपने पूरे शरीर का भार मेरे लण्ड पर छोड़ दिया…

फिर धीरे धीरे वो मेरे लण्ड पर उचकने लगी…

मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर बैठ कर अपनी चूत को मेरे लण्ड पर पटक रही थी…

उसके दोनों दूध ऊपर नीचे झटके खा रहे थे… और मैं उसकी गाण्ड को एक हाथ से सहलाते हुए एक हाथ से उसकी दूध को मसल रहा था…

पूरे कमरे में फचाक फचक की आवाज़ आ रही थी…और साथ में हम दोनों की सिसकारियों की भी… उूउउम्म्म आआ अहह…उूइई ईईई मर गई…इतना बड़ा लण्ड… तुम कहाँ थे मेरे दामाद जी… अयाया… चोद दो अपनी बीवी की माँ को आज… अपनी बीवी की माँ चोद दो… छोड़ना मत साली को… आअज तो मैं तेरी राण्ड हूँ… जो करना है कर ले… आआअहह… ऊऊऊहह… हमम्ममम…

तभी मैंने उसे एक तरफ़ पटक दिया और उसने अपनी दोनों टांगें हवा में ऊपर उठा दी… और मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रख कर दबा दिया…

और फिर से मेरा लण्ड उसकी चूत की गहराइयों की सैर करने लगा…पूरा कमरा फच फच की आवाज़ों और हम दोनों की सिसकारियों से गूंज रहा था… आअहह… ऊऊओह… मोहिनिई आ जा मेरी राण्ड… छिनाल साली… इतने दिनों से तुझे चोदने की सोच रहा हूँ आज पकड़ में आई है…आअहह…

तभी उसके शरीर में अकड़न आ गई… और वो अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाने लग गई…

मैं समझ गया कि यह झड़ रही है… वो एकाएक झाड़ गई… मगर मेरा लण्ड तो अभी भी पूरे शवाब पर था तो मैं धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था…

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मगर वो बोली- प्लीज़ दामाद जी… रुक जाइए !

तो मैंने कहा- अभी मेरा तो हुआ ही नहीं है…

तो वो बोली- आप चाहो तो गाण्ड में डाल लो या थोड़ी देर इंतज़ार कर लो… अब इस उमर में इतनी मेहनत नहीं होती मुझसे…

तो मैंने कहा- ठीक है…

मैंने अपना लण्ड निकाला बाहर और देखा तो उसकी चूत तो फैल कर भोंसड़ा बन गई थी…

तभी वो बिना कहे उल्टी होकर कुतिया बन गई और अपने दोनों हाथों से उसने अपनी गाण्ड को फैला कर मेरे सामने परोस दी…

हाय…. उसकी गाण्ड के भूरे से छेद ने तो मेरा दिल ले लिया…

फिर मैंने तो पहले उसे अपने होंठो से कस कर पप्पी की… और अपनी जीभ उसकी गाण्ड में डाल दी…

फिर वो और मैं मेहनत करने लगे उसकी गाण्ड को फैलाने में…

वो बोली- तेल लगा लो !

मगर मैंने कहा- जब तक दर्द ना हो तब तक क्या मज़ा आएगा सील तोड़ने में…?

वो बोली- लगता है आज तुम मार ही डालोगे मुझे…

मैंने कहा- अगर ऐसे गाण्ड की सील तोड़ने में औरतें मरती तो आज दुनिया में औरतों की तादाद आधी हो गई होती…

कह कर मैंने अपने मुँह को उसकी गाण्ड पर लगा दिया…और उसे चाटने लगा… उसका भी स्वाद एक अलग ही था…

वो अपने हाथों को अपने चूत और टाँगों के बीच से निकाल कर मेरे लण्ड को पकड़ रही थी…और उसे झटके दे रही थी… मैं उसकी गाण्ड चाट रहा था और अपने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड को जितना हो सके फैला रहा था…

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और उसकी गाण्ड जब मेरी थूक और लार से भर गई तो फिर मैंने पीछे से उसके दोनों दूधों को पकड़ लिया और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद पर टिकाया और एक ज़ोर से झटका लगाया… तो वो लगभग गिर ही पड़ी थी बिस्तर पर…

मगर कैसे भी करके उसने अपने आप को संभाला…

मेरा लण्ड का सुपारा अभी उसकी गाण्ड में घुस तो गया था मगर सेट नहीं हो पाया था तो मैंने उसके दूध छोड़ कर उसकी गाण्ड को फैला दिया जितना हो सका उतना…

और अपने सुपारे को सेट कर दिया उसकी गाण्ड के छेद पर… और वो नीचे से कराह रही थी, हाँफ रही थी…

उसके पूरे शरीर पर पसीने की बूंदें आ गई थी जो मोतियों सी चमक रही थी… और जिसे मैं चाट चाट कर साफ कर रहा था…

तभी मैंने थोड़ा सा और थूका उसकी गाण्ड के छेद पर… जिसे मैं धीरे धीरे रगड़ते हुए उसकी गाण्ड में घुसाने लगा…अब उसे शायद थोड़ा आराम आ रहा था तो वो भी अपनी गाण्ड को पीछे सरकाते हुए मेरा साथ देने लग गई और अपने चूत के नीचे से हाथ निकाल कर उसने मेरी गाण्ड को अपनी ओर दबाने लगी और एक हाथ से वो खुद ही अपने दूध मसलने लग गई…

फिर धीरे-धीरे धकेलते हुए मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में डाल दिया…

उसे थोड़ी परेशानी हो रही थी मगर सहन कर रही थी क्योंकि परेशानी के साथ साथ उसे मज़ा बहुत आ रहा था…

फिर वो अपने हाथों से अपने चूत को मसलने लगी और बोली- हाँ जान, अब शुरू हो जाओ… जितनी बेरहमी करनी हो कर दो आज… आज तो अगर जान भी चली जाए तो गम नहीं…

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मेरे धक्कों की गति बढ़ती गई… बढ़ती गई… और करीब बीस मिनट तक उसकी गाण्ड चोदने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं झरने वाला हूँ तो वो बोली- इस मादरचोद गाण्ड को भी तो स्वाद लेने दो… अंदर ही झड़ जाना जानू…

और 10-15 धक्कों के बाद अचानक से मैं उसके दूध को ज़ोर से मसलने लगा… मेरा सारा शरीर अकड़ने लगा… ऐसा लगा कि मेरे शरीर का सारा खून मेरे लण्ड में जा रहा है और बाहर आने को है…

और आख़िर उसकी गाण्ड में मैंने अपने वीर्य को गिरा दिया जो उसकी गाण्ड में पूरी तरह से भर गया था और बाहर बह रहा था जिसे वो अपने उंगलियों से निकाल निकाल कर चाट रही थी…

अब हम दोनों के चेहरे पर एक संतुष्टि थी…

वो बोली- चलो अब नहाते हैं…

और फिर मैंने उसे अपनी गोदी में उठाया, उसे उठा कर बाथरूम में ले गया जहाँ हम दोनों ने नहाते नहाते एक बार और चूत और लण्ड का खेल खेला। उसकी कहानी आपकी राय मिलने के बाद !

//कहानी समाप्त //