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प्यासी बुआ संग चुदाई की रंगरेलियां-1

(Pyasi Bua Se Chudai Ki Rangreliya-1)

दोस्तो, मेरा नाम रोहित है और मैं चंडीगढ़ का रहने वाला हूँ. यह मेरी पहली कहानी है. इससे पहले मैं सिर्फ़ HotSexStory.xyz से कहानियां पढ़ता था और अपने आपको उत्तेजित करके मुठ मार लिया करता था. फिर मेरी ज़िंदगी में भी अचानक एक ऐसा किस्सा हुआ, जिसके बाद मेरा मन उस घटना पर एक स्टोरी लिखने को हुआ, तो दोस्तो बुआ संग चुदाई की कहानी का मजा लीजिएगा.

मेरी उम्र 22 साल है और मैं अकेला अपने घर से दूर अपने कॉलेज के पास किराए के मकान में रहता हूँ. मेरे किराए के मकान के पास ही 100 मीटर की दूरी पर मेरी बुआ जी का घर है. उनके पति यानि मेरे फूफा जी आर्मी में हैं, इसलिए वे श्रीनगर में जॉब करते हैं. उनके अलावा उनके घर में सिर्फ़ उनकी दो बेटियां हैं.. उनकी बड़ी बेटी का नाम प्रीति है.. और छोटी बेटी का नाम पूजा है. प्रीति किसी दूसरी स्टेट में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने गई है. इस समय उनके घर में मेरी बुआजी और उनकी छोटी बेटी पूजा ही रहती हैं. पूजा 11 वीं क्लास की स्टूडेंट है.

मेरी बुआ की उम्र सिर्फ़ 38 साल है. उनकी फिगर देखने में इतनी कमाल की है कि जो एक बार उन्हें देख ले, तो समझिए उसी वक्त उसका लंड खड़ा हो जाएगा.
यह बात आज से 3 महीने पहले की है जब मेरे कॉलेज में छुट्टियां चल रही थीं. मैं अक्सर शाम को बुआ जी के घर चक्कर मारने जाता था और उसी वक्त उनकी छोटी बेटी पूजा स्कूटी लेकर टयूशन के लिए चली जाती थी.

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मैं अक्सर उनके घर में बुआ के साथ घंटों बैठ कर बातें किया करता था. उनको हंसाने की कोशिश करता रहता था. मेरी बुआ जी की स्माइल इतनी सुंदर है कि जब वो हंसती थीं, तो मेरा मन करता था कि उनके होंठों में अपने होंठों को लगा कर चूसना शुरू कर दूँ. जब भी वो झुक कर घर की सफाई करती थीं, मेरा लंड उनके मम्मों को देख कर खड़ा हो जाता था. फिर मैं कंट्रोल से बाहर होकर बाथरूम में जाकर मुठ मार दिया करता था.

एक दिन की बात है. मैं शाम को बुआ जी के घर पे था. वो घर पे उस दिन अकेली थीं और बेड पे बैठ के टीवी देख रही थीं. मैं भी उनके पास जाके बैठ गया. तभी कुछ देर बाद अपना फोन चलाते हुए मुझे याद आया कि मेरे फोन के व्हाटसअप फोल्डर में काफ़ी सारी फन्नी वीडियोज़ हैं.

मैं एक एक करके बुआ जी को वो वीडियो दिखाने लगा. बुआजी इस समय मेरा फोन अपने हाथ में लेकर से चला रही थीं. वे बारी बारी से आगे की वीडियो प्ले करती जा रही थीं.

इतने में मुझे प्यास लगी तो मैं उनके फ्रिज से पानी की बॉटल लेने चला गया. जब मैं फ्रिज से पानी की बॉटल निकाल के पानी पी रहा था, तब मुझे याद आया कि कुछ दिन पहले दोस्तो ने मुझे व्हाटसएप में अश्लील सेक्स वाली वीडियो भी भेजी थीं, जो उसी फोल्डर में थीं.
मैं एकदम से घबरा गया कि अब क्या होगा. मुझे लगा अगर बुआजी ने वो सब देख लिया तो बहुत डांट पड़ेगी या फिर बुआजी मेरे घर पे बता देंगी.

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मेरी बुआजी के रूम में जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी इसलिए चुपके से जाकर के बुआजी के कमरे के बाहर खड़ा हो गया और चुपके से अन्दर झाँकने लगा.

इस वक्त तक फन्नी वीडियो बंद हो चुकी थीं और अब आगे की वीडियो प्ले हो रही थीं. उस वक्त मैं बुआजी को देख कर के हैरान रह गया कि बुआजी बड़े मज़े से वो वीडियो देख रही थीं और अपने होंठों को अपने दांतों से काट रही थीं.

इतने में बुआजी को पता चल गया कि मैं कमरे के बाहर खड़ा हूँ. बुआजी ने आवाज़ लगाई कि अन्दर आ जा, बाहर क्यों खड़ा रह गया. मैंने धीरे से दरवाजा खोला और अन्दर जाकर बेड पे बैठ गया. इस वक्त मेरे दिमाग़ में एक ही बात चल रही थी कि अब बुआजी क्या कहेंगी.
पर दोस्तो … बुआजी थोड़ी देर बाद मुझे मेरा फोन लौटाती हुई धीरे से हंस कर बोली- लगता है छोकरा अब बड़ा हो गया है.
मैं भी धीरे से मुस्कुरा दिया.

फिर बुआजी ने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने भी मजाक मजाक में कह दिया कि अगर गर्लफ्रेंड होती तो फोन में यह सब नहीं रखता.
इस बात पे बुआजी हल्के से मुस्कुरा दी और मेरे और पास होकर बैठ कर टीवी देखने लगीं.

बुआ जी सेक्स वीडियो देख के उत्तेजित हो चुकी थीं. चूंकि उनकी चुदाई भी बहुत कम होती थी क्योंकि उनके पति साल में बड़ी मुश्किल से एक बार घर आ पाते थे.

जब बुआ ने मुझसे सेक्स क्लिप्स के बाद भी कुछ नहीं कहा तो मेरा मन बुआ जी के उभरे हुए मम्मों को दबाने का करने लगा था.

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थोड़ी देर बातों ही बातों में बुआजी पूरी गर्म हो चुकी थीं और अन्दर ही अन्दर उनका मन सेक्स करने का हो रहा था. उनकी बातों में अब सेक्स ने रुख ले लिया था. वे मुझसे पोर्न को लेकर बात करने लगी थीं उनकी बातों में सन्नी लियोनि की चुदाई की फिल्म की ज्यादा बात हो रही थी. उनका ये रुझान देख कर मेरा मन भी उनसे सेक्स करने को बहुत ज्यादा करने लगा था. पर मैं डर रहा था कि कहीं बुआजी नाराज़ ना हो जाएं.

उस दिन बुआजी पूरे मूड में आ चुकी थीं. उनकी टांगें पसर कर मेरी टांगों से लगने लगी थीं. मैंने बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटा के अपने हाथ को धीरे से उनकी जाँघों पर रख दिया. कुछ देर तक मैंने अपने हाथ को ऐसे ही रखे रखा. बुआजी ने मुझे बिल्कुल भी मना नहीं किया.

फिर मैंने धीरे से हाथ घुमाना शुरू किया तो बुआजी मेरी आँखों में देखते हुए अपने मुँह से मादक सिसकारियों की आवाज़ सी निकालने लगीं. यह मेरे लिए सबसे अधिक ख़ुशी का मौका था, क्योंकि जो मैं करना चाहता था.. वो मैं करने की कोशिश कर रहा था.