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राते पर ठुकाई

(Raaste par thukai)

हेलो दोस्तों,
ये मेरी पहली स्टोरी है तो कुछ गलती हो जाये तो इग्नोर कीजियेगा।
मेरी उम्र 20 वर्ष है और मैं कानून की पढ़ाई दिल्ली में रही हूं।मेरा फिगर 38 30 34 है। बचपन से ही मैं बोहोत कामुक लड़की रही हूं।इसीलिए मेरे अब तक 6 लोगों से संबंध बन गए हैं।
ये कहानी है दो साल पहले की जब मैं दिल्ली नई आयी थी और यहां आज़ादी मिलने से मेरे पर निकल आए थे। लेकिन मुझे डर भी लगता था कि ज़्यादा मस्ती करने से तो मैंने एक तरीका निकाला अपनी हवस पूरी करने के लिए। वैसे तो मुझे किसी को पब्लिक में ललचाने में बड़ा मज़ा आता था तो मैंने यही काम ऑनलाइन करने का सोचा और एक वेबसाइट पर एकाउंट बना दिया जिसपे मैं अलग अलग लड़कों और अधेड़ उम्र के मर्दों के साथ बिना चेहरा दिखाय वीडियो चैट करती थी। उनका लंड खड़ा होता देख मेरी भी चूत गिली होती थी। क्या बताऊँ दोस्तों जब मैं उनके चेहरे पे ठरक टपकती हुई देखती थी न तोह मुझे अजीब सी संतुष्टि मिलती थी जैसे मेरे अंदर की औरत के वश में एक ऐसा आदमी है जो कभी मुझसे असल में टकरा जाए तो भी पहचान नहीं पाए कि कल इसी लडक़ी की चूत और बड़े बड़े चुचे देख के अपना लंड हिला रहा था।

ऐसे ही एक दिन मुझे एक आदमी मिला जिसकी उम्र क़रीब 40-45 के लगभग रही होगी।वो शादीशुदा और दो बच्चों का बाप था। लंबा चौड़ा और काले रंग का था। उसकी घनी मूछें मुझे बोहोत भाती थीं।
हम दोनों अक्सर चैट करने लगे। वो मेरी छाती का दीवाना था क्योंकि उसकी मौत के चुचे छोटे थे और उसकी किसी बड़े मम्मे वाली के दबाने की बड़ी इच्छा थी।
एक दिन की बात है जब मैं कॉलेज जा रहे थी मेट्रो से और लेडीज कम्पार्टमेंट में चढ़ी थी। मैं सीट न मिलने के कारण खड़ी थी। मैनें नज़र घुमाई तोह मुझे उसी मर्द जैसा एक व्यक्ति दिखा। मैंने गौर से देखने की कोशिश की लेकिन भीड़ में होने के कारण और ऑनलाइन चैट के समय उसके कमरे की बत्ती हमेशा कम रहने के कारण मुझे कुछ साफ़ पता नहीं चल पाया।

ख़ैर, उस दिन रात को वो ऑनलाइन नहीं आया तो मैंने एक दूसरे लौंडे के साथ सेक्स चैट कर लिया। अगले दिन कॉलेज जाते हुए मैं हमेशा की तरह लेडीज कंपार्टमेंट में चढ़ी। और संयोगवश वो मर्द उस दिन भी मेरे बाजू वाले कंपार्टमेंट में चढ़ा था। उसके बग़ल की सीट उसी वक्त खाली हुई और मैं जाकर बैठ गई। दोस्तों, मुझे देखकर लगा कि यह वही मर्द है जो रोज़ मेरे चुचे और चूत गांड देख के अपना लंड हिलाता है सोचता है काश मैं किसी दिन उसे मिल जाउ। आज ये ठरकी मेरे बाजू में बैठ कर भी मुझे पहचान नहीं पा रहा।यही सब सोचते हुए मेरी चूत गीली हो गई और मैं अपनी अन्तर्वासना के अधीर होती चली गई। जो मुझे धर्म आया हूँ मेरा एक हाथ बैग के नीचे से चूत के ऊपर रगड़ मारने पर लगा हुआ था और वो यह सब मेरे पास बैठे हुए देख कर मज़े से मुस्कुरा रहा था। यह जान कर मैं भी शर्मा गई और नज़रें झुका ली। उसने मुझसे बात करना शुरू की। पूछने लगा कि मैं कहाँ तक जा रही हूं क्या करती हूं वगैरह वगैरह।मैंने कॉलेज का नाम और घर का पता झूठ बोल दिया।मैं अब समझ चुकी थी कि इसने मुझे चूत रगड़ते देख मुझे रगड़ने का सोच लिया है और पटाने में लगा है।

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तब तक मेरा स्टेशन आ गया और मैं उतर गई। मैंने देखा तो मेरे पीछे पीछे ये साहब भी उतर गए थे। मैंने सोचा कि जब ये पीछे आ ही गया है तो क्यूँ ना मैं अपनी चूत की गर्मी इसी से शान्त करवा लूँ? फिर मैंने योजना बना कर उस दिशा में जाने लगी जहाँ एक रास्ता सूनसान पड़ता है। वहाँ मैं कई बार अपने एक यार के साथ गांजा फूकने जाती थी कॉलेज के बाद। सबकुछ मेरे प्लान के मुताबिक चल रहा था और वो मेरा पीछा करते हुए उस सूनसान रास्ते तक आ गया। फिर मैं पलट कर चौंकते हुए पूछ पड़ी कि आप यहां तक कैसे? आर यू स्टॉकिंग मी?
मर्द- हा मुझे कुछ पूछना है आपसे।
मैं- जी पूछिये।

मर्द- वो आप जो मेट्रो में अपनी चूत सहला रही थी, तो कोई मदद चाहिए तो बताइए ना। हमारा औज़ार तैयार है हमेशा।
मैं-(नाटक करते हुए) छी!!!! ये सब क्या गंदी बातें कर रहे हैं आप!
मर्द- वैसे तो मेरी आदत नहीं है ऐसे किसी लड़की के साथ बर्ताव करने की लेकिन जब आप को वैसा करते देखा तो मुझे लगा कि शायद आप भी मुझ से चुदने की इच्छा रखती हैं तो यहाँ तक चला आया। चलिए माफ़ कीजिए मैं चलता हूं। एक कॉम्पलिमेंट देना चाहूंगा कि आप के मम्मे बोहोत ही सुडौल और खूबसूरत है।
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये आदमी इतनी आसानी से मिली चूत को जाने दे रहा है लेकिन इसकी शराफ़त मुझे और चूड़ासी कर गई।
मैं- आप इतने दूर से मेरे पीछे आये और मेरा सूनसान रास्ते पर फ़ायदा भी नहीं उठा रहे इसलिए मैं आप से प्रभावित हो कर आपको अपने बड़े बड़े चुचे दिखाना चाहती हूँ।

ये सुनते ही उसके चेहरे पर लंबी मुस्कान आ गई। मैंने अपना टी शर्ट उठा दिया और मेरे बूब्स ग़ुलाबी रंग की ब्रा में चमक उठे। वो मेरे स्तन देखते हुए अपने लंड पे पैंट के ऊपर से ही हाथ फेरने लगा।उसकी ये हरकत देख कर मैं सिहर उठी। अब भी जो फ़न्तासी मैं सपनों में देख कर उंगली चूत में चलाती रहती थी अब वो मेरे साथ असलियत में हो रही है।अब मुझ से बर्दास्त नहीं हो रहा था। मैंने देखा कि वहां एक पुराना ठेला लगा हुआ था। उस मर्द का हाथ पकड़ कर मैं ठेले तक ले गयी और उस पर बैठ कर उसे चूमने लगी। मेरी इस आवाक हरकत से वो बोहोत गर्म हो गया और उसका लंड पैंट के ऊपर से ही ज़िप फाड़ कर निकलने को हो गया। वो मेरे बूब्स दबाने लगा और मैं उसके ज़िप को खोल कर लंड हाथ में हिलाने लगी।

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क्या बताऊँ दोस्तों, जब उस के लंड की गर्मी मेरे हाथों में लगी तो मेरे अंदर की रण्डी तड़प गयी।
मैंने बिल्कुल देर ना करते हुए अपनी स्कर्ट उठा दी और अपनी पीली थॉन्ग उतार दी। उसने मेरी चुदने की छटपटाहट भाँप ली और फ़ौरन मुझे ठेले पर धकेल दिया। मेरे खुले सुनहरे बाल बिखर गए, गुलाबी ब्रा में वासना से वशीभूत चुचे कड़े हो गए और साफ खुली हुई चूत धूप में चमकने लगी।
उसने मेरी ब्रा को बूब्स के ऊपर चढ़ा दिया और खुद भी मेरे ऊपर चढ़ गया।
मर्द- चल छिनाल तैयार हो जा मेरा लौड़ा लेने के लिए।
मैं- मैं तो कब से बेताब हूँ अब बस डाल दो जल्दी अंदर रहा नहीं जा रहा।
मर्द- ये ले!! आआआह!!!! फ़िसल गया अंदर!
मैं- ओहहहह! ये तो पूरा चला गया!

मर्द- ले रांड और ले! साली बड़ी चूड़ासी है मेट्रो में भी चूत रगड़ती है आज करता हूं तेरी गर्मी शांत!
मैं- हाँ जानेमन! मैं तुम्हारी ही रण्डी हूँ! चोदो मुझे! और ज़ोर से! ओह्ह,….. हाँ! ऐसे ही!
मर्द- हाँ मेरी रंडी तू ही रखैल है मेरी साली तुझे चोद चोद के तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा रे! हरामी मम्मे तो ऐसे हिलाते हुए चलती है जैसे रोड पर सबको चोदने का बुलावा भेज रही हो।
मैं-हाँ मेरे रसिया सही पकड़े हो! आआआह!
मर्द- (मेरा एक बूब पकड़ते हुए) सही तो अभी पकड़ा है छिनाल! हाहाहा!
मैं- जल्दी जल्दी लौड़ा चला मेरा पानी आने वाला है!
मर्द- हां रांड पुरा अंदर ले कमीनी ले! आह मेरा भी छूटने वाला है!
में- ओह ओह आआआह! में झड़ गयी रे!
मर्द-आह आह! ये ले अपने बूब्स पर मेरा माल! ओह यस!
और वो निढाल होकर मुझ पर गिर पड़ा!

मैं उसके बालों में हाथ फेरने लगी। दुसरे हाथ से उसका लंड सहलाने लगी क्योंकि मेरी चूत फिरसे गीली हो रही थी। तब मैंने ग़ौर किया कि जिस मर्द के साथ में ऑनलाइन चैट करती हूं उसका लैंड इतना बड़ा तो है नहीं और मैं चेहरा पहचानने में धोखा खा सकती हूं लेकिन लंड पहचानने में नहीं। इतने लैंड खाने का फायदा ही क्या फ़िर?
मैं अपने शक को पक्का करने के लिए उठी और उससे कहा कि मुझे उसका लंड चूसना है! वो ख़ुशी से उठ कर खड़ा हो गया और में ठेले पर बैठ गई। जिस मर्द से मैं चैट करती थी उसके लैंड पर तिल था इसी बात पर मैं उसे चिढ़ाती थी कि उस के टिल ओर मेरा दिल आ गया है। लेकिन मेरा शक सही निकला हुआ इस मर्द के लंड पर तिल था ही नहीं! अब मुझे काटो तो खून नहीं! भरी दोपहरी में सूनसान रास्ते पर मैं एक बिल्कुल अजनबी से चुद पड़ी थी! ये सोचकर मुझे चक्कर से आने लगा! तब तक जनाब का लंड फिर से खड़ा होकर चोदने को बेकरार हो चला था सो उसने आओ देखा ना ताओ और मुझे जाँघों से पकड़ कर गोद में उठा लिया और लौड़ा चूत में सेट कर के दमादम दोबारा धुँआ धार चुदाई शुरू कर दी! यहाँ मैं अभी तक ये भी समझ नहीं पाई थी और ख़ुद को संभाल नहीं पाई थी कि मैं अचानक एक अजनबी से चुद पड़ी और मेरी चूत में दोबारा लौड़ा घुस बैठा! लेकिन संभालने की ज़्यादा ज़रूरत नहीं पड़ी क्योंकि वो काम मेरे हवस ने कर दिया।

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मैंने सोच लिया कि लौड़ा ही तो है छाजे जानने वाले का हो या अनजाने का! जब तक मज़ा आता है तब तक लंड चूत का मिलन कहीं भी कभी भी सही है!
इसी सोच के साथ मैं मस्ती में चुदने लगी!
हम दोनों थोड़ी देर में उठे और खुद को साफ करते हुए कपड़े पहनने लगे। तब मैंने देखा कि थोड़ी दूर एक अधेड़ उम्र का देहाती आदमी पेड़ के पीछे छिप कर अपना लैंड हिला रहा था! मेरी तोह हंसी छूट पड़ी यह सोचकर कि हमारी गंदी चुदाई देख कर बेचारा बुड्ढे का क्या हाल हो गया।
फिर उस मर्द ने मेरा नम्बर मांगा तो मैंने उसे ग़लत नम्बर दे दिया और चलती बनी क्योंकि मैं दोबारा एक बंदे से नहीं चुदती। जब इस दुनिया में इतने सारे लंड मिल सकते हैं तो एक ही लंड बार बार क्यों लेना! हैं ना?