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रूखसना चाची की चुदाई की नियत

दोस्तों, मेरा नाम फिरोज़ है। आज मैं तुम्हें अपने किशोरावस्था के कुछ यादगार पलों के बारे में बताने वाला हूँ। ये वो दिन थे जब मैं 12वीं कक्षा में था और मुझे ब्लू फ़िल्में देखना बहुत पसंद था। मैंने बहुत सारी फ़िल्में देखी थीं और सोचता था कि कब मुझे यह मौका मिलेगा?

हम जिस समाज में रहते थे, वहाँ एक परिवार रहता था – पति-पत्नी और उनकी दो छोटी-छोटी बेटियाँ जो जुड़वाँ थीं। लगभग 2 साल की थीं। मैं उनसे खेलने के लिए कभी-कभी उनके घर जाता था और चाची को रूखसना चाची बुलाता था। उनके पति का स्क्रैप का बिजनेस था, और उनके पड़ोसी फ्लैट में एक और चाची रहती थीं जिनके पति भी रूखसना चाची के पति के साथ काम करते थे। शायद ब्लू फ़िल्मों का असर मुझे हुआ था जिस वजह से मुझे वो दोनों चाचियाँ आकर्षक लगने लगीं, खासकर रूखसना चाची। जब भी मैं उनकी बेटियों के साथ खेलता, तो बीच-बीच में चाची के फिगर पर ध्यान जाता था। उनके बड़े-बड़े ब्रेस्ट उनके कुर्ते के बाहर से भी दिखाई देते थे। अह! क्या नज़ारा होता था!

एक बार की बात है, मैं कॉलेज से जल्दी घर आया था लेकिन मेरे घर पर कोई नहीं था और ताला लगा हुआ था। तब मुझे पड़ोसी रूखसना चाची ने अपनी खिड़की से झांककर आवाज लगाई और मुझे ऊपर बुलाया। मैं उनके फ्लैट के दरवाजे पर पहुँचा तो रूखसना चाची ने कहा कि तुम्हारे घर वाले बाहर गए हैं और उन्हें आने में देर हो जाएगी, तो मैंने मासूम सी शक्ल बनाकर पूछा तो तब तक मैं कहाँ जाऊँ? रूखसना चाची ने हंसते हुए कहा, क्या आप अपनी रूखसना चाची के घर पर नहीं रह सकते? मेरे मन में जैसे लड्डू फूट गए। फिर भी मैंने अपने आप पर काबू रखा और पूछा, चाचा गुस्सा तो नहीं करेंगे? रूखसना चाची ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, वो क्यों गुस्सा करेंगे? वैसे भी वे यहाँ पर नहीं हैं, दोनों बच्चियों को लेकर उनकी दादी से मिलने गए हैं और कल ही लौटेंगे।

यह सुनकर मेरे मन में उछाल आ गया था लेकिन फिर भी मैंने चाची से पूछा कि अगर बच्चे नहीं हैं तो मैं यहाँ बैठकर क्या करूँगा? मैं तो बोर हो जाऊंगा। रूखसना चाची ने कहा, क्यों टीवी देखो मेरे साथ कुछ बातें करो उसमें तो बोर नहीं होंगे ना? बस आज मेरी दिल की मन्नत पूरी हुई थी। मैंने भी ठीक है कहकर अंदर जाकर बैठ गया। थोड़ी देर रूखसना चाची से बात करने के बाद मैं टीवी देखने लगा और चाची किचन में चली गईं। तभी दरवाजे पर बेल बजाई। मैंने दरवाजा खोला तो पड़ोसी दूसरी चाची थी। उसने मुझे देखा और पहले चौंक गई फिर संभलकर बोली, “फिरोज़ तुम यहाँ कैसे हो?” तब मेरे कुछ कहने से पहले ही रूखसना चाची ने कहा कि फिरोज के घर वाले बाहर गए हैं इसलिए वो यहाँ पर रुके हुए हैं। तो वो चाची भी अंदर आई और रूखसना चाची के साथ किचन में चली गईं और बातें करने लगीं।

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कुछ देर बाद मुझे थोड़ी प्यास लगी तो मैं पानी पीने के लिए किचन की तरफ चल गया। तभी मैंने दरवाजे पर ही रुक गया क्योंकि रूखसना चाची और वो चाची बात कर रही थीं। मैं वहीं पर रुका और चुपके से उनकी बातें सुनने लगा। रूखसना चाची ऑंटी से कह रही थी, “आज अच्छा मौका मिला है तुम कहो तो मिलवा दूँ बेहोशी वाली दवा?” ऑंटी ने कहा, “अगर फिरोज को किसी और को पता चल जाए तो?” रूखसना चाची ने कहा, “किसी को पता नहीं चलेगा इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा।” उनकी बातें सुनकर मैं जल्दी से बाहर आ गया और ऐसे बैठा जैसे कुछ पता ही नहीं है। बस इतना पता चला कि चाची और ऑंटी मुझे कोई बेहोशी की दवा देना चाहती हैं पर यह नहीं समझ सका कि क्या मैं चाहता हूँ।

उस समय मैं उनसे पूछना चाहता था लेकिन मुझे पता करना था कि वे क्या करना चाहती हैं। तभी रूखसना चाची मेरे पास चाय का कप लेकर आई और मुझे चाय पीने को कहा। पहले तो मैंने सोचा कि मना कर दूं पर फिर सोचा कि पता लगाना चाहिए कि आखिर ये दोनों क्या करना चाहती हैं। फिर मैंने चाची के हाथ से चाय का कप लिया और चाची से कहा कि मैं चाय पिएँगा। चाय पीने के बाद चाची जैसे ही किचन में गई, मैं जल्दी से उठकर बाल्कनी में गया और चाय एक कोने में गिरा दिया और जल्दी से वापस आकर सोफे पर बैठा गया। अब मैं बेहोश होने का नाटक करने वाला था। मैंने जानबूझकर धीरे-धीरे सोफे पर बेहोश होकर गिरने का नाटक किया लेकिन थोड़ी सी आँखें खुली रखी।

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मेरे सोफे पर गिरते ही किचन से रूखसना चाची और ऑंटी डाउट करते हुए बाहर आईं और पक्का कर लिया कि मैं बेहोश हो गया हूँ या नहीं।
ऑंटी: मुझे भी यही लगता है।
रूखसना चाची: पर इसकी आँखें थोड़ी खुली लग रही हैं।
ऑंटी: अरे कभी-कभी बेहोशी में भी आँखें खुली रह जाती हैं।
रूखसना चाची: तो फिर देर किस बात की? चलो जल्दी से इसे उठाकर बेडरूम में ले चलो।

बेडरूम के नाम सुनकर मैं चौंक गया पर बेहोश होने का नाटक जो कर रहा था इसलिए चुपचाप ले लिया। रूखसना चाची ने मेरे हाथ पकड़े तो ऑंटी ने मेरे पैर, इस तरह दोनों मुझे उठाकर बेडरूम में ले गईं और मुझे बिस्तर पर लेट दिया।
रूखसना चाची: तो फिर शुरू करो।
ऑंटी: हाँ हाँ क्यों नहीं? बहुत दिन हो गए किसी जवान लड़के से गांड मारवायें।

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बस ये सुनते ही मेरे पूरे शरीर में आग सी दौड़ गई। मेरा मन करता था कि तुरंत उठकर दोनों को रंग हाथ पकड़ लूं, पर वैसे ही चलने दिया। फिर जो कुछ हुआ, अह! दोनों ने मिलकर मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। जैसे ही मेरी शर्ट और पैंट उतर गई रूखसना चाची तो जैसे मुझपर कूद पड़ी और मेरे गालों को और मेरी छाती को चूमने लगी और अपनी जीभ से चाटने लगी।

मेरा तुरंत लंड खड़ा हो गया। ऑंटी ने रूखसना चाची से कहा, “अरे रूखसना, इसका लंड तो तुरंत टाइट हो गया है ये पक्का बेहोश तो है ना?”
रूखसना चाची जो पूरी तरह से मूड में आ चुकी थी उन्होंने ध्यान नहीं दिया और ऑंटी से कहा कि बेहोशी में भी दिमाग काम करता है और लंड खड़ा हो जाता है, तु डर मत।

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ऑंटी ने बात मान ली और ऑंटी ने जैसे ही मेरी अंडरवियर उतारी रूखसना चाची और ऑंटी तो मां भूखे बिल्लियों की तरह मेरे लंड पर झपट पड़ीं। मेरा तो मुंह से चीख निकलने लगी। रूखसना चाची मेरे लंड को मुंह में लेकर चुभाने लगी तो ऑंटी मेरी गोटियां मुंह में लेने लगी। मेरा हाल अधमरे शेर जैसा हो गया जैसे कि शिकार सामने हो। पर कुछ नहीं कर पाया, बस चुपचाप रहा। थोड़ी देर तक ये करते रहने के बाद रूखसना चाची ने अपने और ऑंटी के कपड़े उतारे और एक दूसरे को किस करने लगीं और बूब डबाने लगीं। मैं थोड़ी सी आँखें खुली रखकर ये सब देख रहा था। थोड़ी देर के बाद रूखसना चाची मेरे ऊपर आई और जैसे ही उन्होंने मेरे लंड पर अपनी चुत को रखकर दबाया, मेरी आधी जान हलाक तक आ गई क्योंकि इस पहले मैंने कभी किसी को नहीं छुआ था पर किसी तरह खुद को संभालकर लेता रहा। फिर क्या था रूखसना चाची ने मेरे लंड को चुभाने लगी। मैं अब ये दर्द सह रहा था कि ऑंटी ने अपनी चुत मेरे मुंह में रखकर किस करना शुरू कर दिया। मन तो चाहता था कि अपनी जीभ से ऑंटी की चुत का रस चूंके पर चुप रहा।

कुछ देर तक रूखसना चाची ने चुभाई फिर वो उठ गई और ऑंटी मेरी लंड को लेकर मेरे मुंह में चुत का नंबर आ गया। इस बार जो रूखसना चाची की चुत का स्वाद मिला वो ऑंटी की चुत से कहीं बेहतर था। अह! अब भी मुंह में पानी आ जाता है। इतने करने के बाद भी दोनों रुके नहीं। अबकी बार रूखसना चाची ने तो हद कर दी। उन्होंने अपनी चिकनी गांड को मेरे लंड पर रख दिया। अब तो मुझे रह नहीं गया था पर रूखसना चाची की गांड बड़ी मे मेरे लंड जहाँ नहीं जा रही थी। तब ऑंटी ने उन्हें उठाया और मेरे लंड को चुसा और उसपर कोई तेल लगाया फिर रूखसना चाची से कहा कि अब कोशिश करो।

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तो उन्होंने वैसे ही किया और अबकी बार मेरा लंड रूखसना चाची की गांड में धस से चला गया और रूखसना चाची की चीख निकल पड़ी साथ ही मेरी भी पर मैं अपने मन में चीख रहा था बस थोड़ी देर गांड मारवाने के बाद रूखसना चाची थक गई और मेरे लंड का पानी रूखसना चाची की गांड में चुत गया और लंड ढीला पड़ गया। तब जाकर रूखसना चाची मेरे लंड से उठी। इतने पर भी उन दोनों को शांति नहीं मिली। ऑंटी अब भी मेरे लंड को चुसा रही थी। आखिरकार दो घंटे के बाद दोनों की शांति हो गई और दोनों थककर मेरी अगल-बगल में लेट गईं।

कुछ देर बाद जब मेरा लंड फिर से टाइट हो गया तो अबकी बार मुझे रह नहीं गया। मेरे सब्र का बंध टूट गया और मैं तुरंत उठा। और जब मैंने उन्हें होश में देखा तो रूखसना चाची और ऑंटी की जान ही निकल गई। उनके नुह से तो हल्की सी चीख भी निकल गई। और रूखसना चाची ने कहा, “अरे फिरोज़ तुम बेहोश नहीं हो?” मैंने कहा, “हाँ चाची मैं पूरी तरह से होश में हूँ जब आप दोनों बार-बार मेरे लंड को चुभ रही थीं। अब जब मैंने आपको रंग हाथ पकड़ा है तो मुझे इनाम चाहिए ही।” फिर क्या था जो मैं चाहता था वो जिंदगी में पहली बार मिला था, उस मौके का मैं जमकर फायदा उठाया और रूखसना चाची और ऑंटी को जमकर चोद दिया। बस फिर क्या था? उस दिन से पाँच साल हो गए हैं पर आज भी मैं रूखसना चाची और ऑंटी को मौका देखकर एक साथ चोदता हूँ।