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शादी में साले की बीवी की चूत का स्वाद-1

Sale ki biwi ki choot ka swad-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम बबलू है और में 24 साल का एक अच्छा दिखने वाला नौजवान लड़का हूँ. शुरू से ही किसी भी सुंदर लड़की को देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगता था और में उसको देखकर बिल्कुल बेकाबू हो जाता हूँ मुझे उसी समय उस लड़की को पकड़कर उसकी मस्त चुदाई करने की इच्छा हो जाती है और मेरा मन करता है कि में उसके नरम नरम गालों को चूम लूँ और उसके रसभरे होठों को चूस लूँ और उसको अपनी बाहों में भरकर में उसके बूब्स को दबा दूँ और फिर उसके बाद में अपने लंड को उसकी चूत में डालकर उसकी चुदाई कर दूँ.

दोस्तों में हमेशा किसी भी लड़की को देखकर अपने मन में उसके लिए यही सब बातें सोचा करता था और मेरे मन में उसकी चुदाई के विचार आने लगते, में अपने मन को बहुत मुश्किल से समझाकर शांत किया करता था.

दोस्तों आज में आप सभी  सेक्सी कहानियों को पढ़कर उनके मज़े लेने वाले को अपने जीवन की एक सच्ची घटना सुनाने के लिए आया हूँ जिसमे में सभी को बताऊंगा कि कैसे मैंने अपने ससुराल में जाकर अपने साले की हॉट सेक्सी पत्नी को अपनी तरफ आकर्षित करके उसकी चुदाई के मज़े लिए और उसको खुश किया.

दोस्तों वो शादियों के दिन चल रहे थे और उन दिनों मेरे तीसरे नंबर के साले की शादी थी. उस वजह से मेरे सुसराल में भी शादी का माहौल था और उस वजह से हम सभी लोग मेरे ससुराल में इकट्ठा हुए थे और मेरे ससुराल में उस समय बहुत लोग होने की वजह से हर एक कमरे में कई लोगों के बैठने उठने सोने इंतज़ाम था और सभी लोग अपनी अपनी तैयारी में बहुत व्यस्त थे.

दोस्तों वैसे तो मेरी नजर अपने साले की पत्नी पर बहुत पहले से थी, लेकिन मुझे अब तक कोई भी ऐसा अच्छा मौका नहीं मिला जिसका में फायदा उठाकर उसके साथ कुछ कर सकता. हमारे बीच कभी कभी थोड़ी हंसी मजाक मस्ती जरुर हुआ करती थी, लेकिन हाँ उसका व्यवार मेरे लिए शुरू से ही अच्छा था इसलिए में उसको कभी कभी बातों ही बातों में दो मतलब की बातें करके छेड़ दिया करता था और उन बातों का मतलब वो ठीक तरह से समझकर हल्का सा मुस्कुरा देती थी और में भी खुश हो जाता. दोस्तों मेरे पहले साले की बीवी का नाम सरला था.

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उसका रंग गेहूंआ, भरा हुआ बदन, बूब्स का आकार 34 26 34 उसकी मस्त अल्ल्हड़ गदराई हुई जवानी और वो दिखने में ग़ज़ब की सुंदर, बड़ी ही चंचल औरत थी. उसको देखकर हमेशा मेरी इच्छा करती थी कि में सही मौका देखकर जबरदस्ती उसको पकड़कर दबोचकर बस चोद ही दूँ और उसकी जवानी को चबा ही डालूं और वो जब भी इठलाती हुई मटक मटककर चलती तो मेरा मन करता था कि बस में उसकी गरम कामुक चूत को क्यों ना उसी समय पकड़ लूँ और बहुत देर तक उसको मसलता सहलाता रहूं और वो अपनी साड़ी से अपने मस्त गोरे उभरे हुए एकदम तने हुए बूब्स को बार बार ढक लिया करती, लेकिन उसके वो बड़े आकार के बूब्स उसकी बगल से ब्लाउज के अंदर से फिर भी दिखते रहते थे और वो हमेशा मुझे अपनी झुकी हुई शरारती निगाहों से देखा करती थी और फिर कभी कभी हल्का सा मुस्करा भी देती जिसकी वजह से मेरा लंड तुरंत तनकर खड़ा हो जाता.

दोस्तों उस समय शाम के करीब चार बजे थे और वो ठीक मेरे सामने खड़ी होकर कुछ काम कर रही थी उसके साथ कुछ घर की औरतें भी थी और में लगातार उसकी तरफ उसको घूरकर देखे ही जा रहा था कि तभी कुछ देर बाद हँसते हुए उसने मुझसे पूछ लिया कि क्यों जीजाजी आपको क्या चाहिए? आप बहुत देर से मुझे घूरे जा रहे है क्या मुझे खा जाने का इरादा है?

और उसी समय अचानक से मेरे मुहं से निकल पड़ा कि तुम, मेरे मुहं से वो जवाब सुनकर वो एकदम चकित होकर मुझसे बोली कि क्या कहा अभी आपने? तो उसी समय तुरंत मैंने अपना जवाब उसको बदलकर उससे कहा कि मेरा मतलब था कि मुझे तुम्हारे हाथ की बनी हुई एक कप चाय का मज़ा लेना था, बहुत देर से में तुम्हारे यह बात कहने वाला था, लेकिन तुम हो की मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देती.

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फिर वो मेरी उन सभी बातों का मतलब थोड़ा बहुत समझकर मुस्कुराती हुई बोली कि आपके लिए तो चाय क्या में कुछ भी कर सकती हूँ यह बात कहकर वो मेरे लिए अब चाय बनाने लगी थी और उसने कुछ सेकिंड में ही मुझे चाय लाकर दे दी. में उस चाय को बड़े प्यार से पीता रहा और उसके बाद मैंने सही मौका देखकर उससे उसकी चाय की तारीफ भी करना उचित समझा और मैंने वैसा ही किया. मैंने उससे कहा कि तुम्हारे हाथों में जादू है तभी तो यह चाय बहुत स्वादिष्ट बनी है शायद तुमने इसमे अपना पूरा प्यार डालकर मुझे दी है.

फिर मेरे मुहं से अपनी इतनी तारीफ को सुनकर वो बहुत खुश हो गई और मेरी तरफ हंसती हुई मेरे पास से वापस अपनी जगह पर चली गई. तो में अब मन ही मन सोचने लगा कि हंसी तो फंसी इसलिए में अब अपने मन के विचारो को थोड़ी सी हिम्मत करके पूरा भी कर सकता हूँ उसके लिए अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करती होगी में यह सभी बातें सोचकर उसकी चुदाई के बारे में विचार बनाने लगा था, क्योंकि अब मुझे कैसे भी करके उसकी चुदाई के मज़े लेने थे और मैंने इस बात को अपने मन में ठान लिया था और फिर जैसे तैसे वो शाम भी गुज़र गई और उसके बाद वो रात आ गई जिसका मुझे कब से इंतजार था.

फिर एक कमरे में ऊपर पलंग पर मर्दों को सोने के लिए कहा गया और ठीक नीचे ज़मीन पर औरतों के लिए गद्दे लगा दिए गये थे और अब आप सभी मेरी किस्मत को देखिए पलंग के जिस किनारे पर में लेटा हुआ था ठीक उसके नीचे ज़मीन पर सबसे पहले सरला का बिस्तर था और उसको अपने पास में लेटा हुआ देखकर मेरे मन में बड़ी गुदगुदी हो रही थी और मेरा लंड था कि बार बार उसके विचार से उठे जा रहा था. अब मैंने मन ही मन में ठान लिया कि बच्चू आज तू ना चूकना बस कोई भी अच्छा मौका देखकर अपनी तरफ से पहल कर ही देना और फिर मैंने सोचा कि एक बार तो में अपनी तरफ से कोशिश करके देख ही लूँ जो भी होगा देखा जाएगा.

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फिर मैंने उससे पूछा कि सरला यह मेरा तकिया एकदम किनारे में क्यों रख दिया, तुम इसको पलंग पर बीच में रखती? वो बोली कि क्यों क्या आप रात को सोते समय करवट बहुत ज़्यादा लेते है? और फिर वो हंसते हुए बड़ी धीरे से बोली कि प्लीज़ आप रात को नींद में मेरे ऊपर मत गिर जाईएगा वरना में दबकर मर ही जाउंगी. दोस्तों उसका यह बात मुझसे बोलने का अंदाज़ कुछ ऐसा था कि कोई बेवकूफ़ ही उसको ना समझ पाए और में उसका मतलब बहुत अच्छी तरह से समझकर मन ही मन बहुत खुश था, मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था और फिर क्या था?