समधी समधन का प्यार; बड़ी बड़ी गुलाबी चूचिया चूसी ?
मेरा नाम अनुपमा है, मैं 40 साल की एक आकर्षक औरत हूँ। दिल्ली में रहती हूँ। मेरे बड़े-बड़े ब्रेस्ट और मज़ेदार शरीर हैं। अब कहानी शुरू होती है…
मेरे घर में मेरा पति विनोद (41 साल) और हमारी बेटी निर्मला (20 साल) रहती थीं। निर्मला भी अब जवान हो चुकी है। मेरे जेठ प्रेम (42 साल) और जेठाना कंचन (41 साल) हमारे घर के बगल में रहते हैं। कंचन बहुत ही सेक्सी औरत है, उसके भी बड़े-बड़े ब्रेस्ट हैं। उनके कोई बच्चे नहीं हैं।
यह सब एक साल पहले की बात है जब निर्मला का रिश्ता आया और उसकी शादी हो गई। अब घर में सिर्फ मैं और विनोद रह गए थे। एक दिन मैं ब्लाउज और पेटीकोट पहने थी, तभी मेरे पति ने मुझे बीच आगन में चोड़ दिया। मैं भी मस्ती में चुदाई कर रही थी। इस तरह हमारी जिंदगी चल रही थी।
एक दिन मेरे समधी जी ने हमें अपने घर बुलाया। मैं और विनोद उनके यहाँ पहुँचे। उस वक्त मैं सिल्क साड़ी और लो-कट ब्लाउज पहने हुई थी। मैंने देखा कि समधी जी मुझे देख रहे थे। उनका नाम सुरेंद्र था, 41 साल के मर्द थे। मेरी समधन रज्जो (40 साल) भी बहुत ही मस्त औरत थीं।
रात धीरे-धीरे हो गई। मैं और समधन एक साथ लेट गए। पति और समधी एक कमरे में, बेटी और दामाद अपने कमरे में थे। काफी थकान की वजह से मुझे नींद आ गई। रात को मेरी आँख खुली, मैंने देखा कि समधन जी का मैक्स ऊपर उठा हुआ था, उनका हाथ मेरे चूहे पर था, वो उसे मसल रही थीं।
कुछ देर बाद मुझे भी गर्मी चढ़ गई। मैं जानबूझकर समधन से लिपट गई और उनकी चुह को सहलाने लगी। तभी उन्होंने कहा, “क्या कर रही हो?” मैंने कहा, “तुम्हारी आग शांत कर रही हूँ।” मैंने अपने लिपस्टिक वाले हॉट उनके हॉट पर लगाकर पीना शुरू कर दिया। वो मस्ती में मेरे चुचियो को दबाने लगीं।
मैंने मस्ती में उनसे पूछा, “समधन जी, क्या समधी जी लेते नहीं हैं?” उन्होंने कहा, “लेते तो बहुत है, पर अब उन्हें नया माल चाहिए।” मैंने कहा, “तो मेरी ले लो,” वो हंसने लगीं। तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना समधन को अपने पति से चुदवा दूँ और मैं समधी जी से चुद जाऊँ।
मैंने यह बात समधन जी से बताई, उन्होंने मान गई। अगले दिन हमने प्लान बनाया। रात को सब खाना पर आ गए। जैसे ही बेटी और दामाद अपने कमरे में गए, तभी समधन जी एक डार्कू की बोतल लेकर आईं। हमारे पति को कुछ पता नहीं था कि क्या हो रहा है।
फिर सबने पी, फिर सब आपस में बात करने लगे। रात काफी हो गई। तभी समधन जी बोलीं, “आज सबको साथ लेटना पड़ेगा।” समधी बोले, “क्यों?” उन्होंने कहा, “आप लोगों के कमरे में लाइट नहीं है, कुछ खराब हो गई है।” फिर सब मान गए।
फिर हम सब कमरे में गए। डबल बेड पड़ा हुआ था। पहले समधी जी लेट गए, फिर समधन, फिर मैं और किनारे पति। लाइट बंद कर दी गई। करीब एक घंटे बाद मैंने एक हाथ समधन की चुचियो में डालकर दबाना शुरू किया। ब्लाउज के हुक खोल दिए। नीचे ब्रा नहीं थी। वो मस्ती में मेरी चुह को सहलाने लगीं।
एक हाथ मैंने पति के लड़ पर रख दिया और हिलाना शुरू कर दिया। वो मस्ती में मेरी चुचियो को दबाने लगे। समधन ने उधर समधी को भी तैयार कर दिया। फिर अंधेरे में मैंने समधन को उठने को बोला। हम दोनों उठकर बेड से उतर गए। फिर मैं समधन की तरफ लेट गई और समधन मेरी तरफ। जैसे ही मेरे दूध को पकड़ लिया, मैं मस्त होकर उनसे लिपट गई।
लड़ को हिलाना शुरू कर दिया। काफी भारी लड़ था वो वो मेरी चुह उंगली करने लगे। तभी मैंने उन्हें अपने ऊपर ले लिया। पेटीकोट नीचे कर दिया। उन्होंने जोस में लड़ मेरी चुह में पेला दिया। हलकी आवाज में मैं “आआह…” कहकर रह गई। वो दक्के लगाने लगे।
फच फच की आवाज आने लगी। उधर पति विनोद समधन को पेलाने लगे। पूरा बेड हिल रहा था। फिर समधन “आआह…सससस…” कहकर रही थीं। तभी समधी जी मेरी चुदाई करते हुए बेड के बगल में लगने वाली लाइट को जला दिया। जैसे ही लाइट जल गई सब सन रह गए। समधी जी बोले, “ये क्या हो रहा है?” मैंने उनकी कमर पकड़ ली और बोली, “रुको मत करो।”
फिर वो जोस में मेरी लेने लगे। मैं “आआह…चोदो आआह…” कह रही थी। समधन “आआह…” कहकर मस्ती में गाली देने लगीं। “चोद हरामी तेरी रंडी औरत ने मुझे चुदवा दिया आआह…” और तेज़ मस्ती में समधी जी ने एक जोरदार दक्के के साथ माल मेरी चुह में छोड़ दिया। लिपट कर चूमने लगे।
उधर मेरे पति ने भी माल छोड़ दिया। हम काफी टाइम लेटे रहे फिर रात को एक बार और चुदाई हुई।
सुबह मैं और समधन उठकर घर का सारा काम किया। तभी मैं किचन में थी, समधी जी ने मुझे पकड़ लिया संधान के सामने और दूध दबाना शुरू कर दिया। बोले, “चलो नहाने।” फिर मैं उनके साथ नहाने चली गई। उन्होंने बाथरूम में मुझे चोड़ दिया।
समधी जी अपने काम पर चल गए। मेरे पति को भी कुछ काम था वो भी चल गए। फिर समधन जी मुझसे बोलीं, “आज बहु को दिखाने जाना है। तुम राजू के लिए खाना बना लेना।” राजू मेरा दामाद था।
जैसे ही सब चल गए मैं किचन में काम कर रही थी तभी दामाद जी आ गए। उन्होंने मुझसे जो कहा वो सुनकर मेरे होश उड़ गए। उन्होंने मुझे और समधी जी को देख लिया था। फिर उसने मेरे हाथ को पकड़ा और कहा, “सास जी मुझे भी करने दो।”
मैंने मना कर दिया। वो गुस्सा करने लगा। मैंने उससे भी चुदवा लिया।