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सासू माँ के मुहं में लंड दिया-3

Sasu ma ke muh me lund diya-3

मैंने उनकी नंगी गांड को सोचते हुए लंड को पेंटी पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ना चालू कर दिया. फिर करीब 5-7 मिनट के बाद मैंने ढेर सारा मुठ उनकी पेंटी पर गिरा दिया और फिर मैंने पेंटी से पूरे लंड को साफ किया और फ्रेश होकर वापस अपने कमरे में आ गया, लेकिन बेड पर लेटकर भी में उनके बारे में ही सोच रहा था और आखिकार मैंने उनको चोदने का फ़ैसला कर लिया और उनको फंसाने के बहाने सोचने लगा और कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नहीं चला?

फिर सुबह सुधा ने मुझे जगाया तो मैंने अपने कपड़े पहने और फ्रेश होकर नाश्ता करने हॉल में आ गया. सुधा टेबल पर मेरा इंतजार कर रही थी. तभी मेरी सास रूपा किचन से बाहर आई और मुझे नाश्ता परोसने लगी, सास ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और पीले रंग का ब्लाउज. मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा तो उस पर हल्की सी मुस्कान थी और नाश्ता करने के बाद हम वहीं पर हॉल में टीवी देखने लगे और मेरी सास किचन में चली गयी. थोड़ी देर बाद सुधा ने आराम करने की इच्छा जताई तो मेरी सास ने उसे कमरे तक ले जाकर छोड़ दिया और वापस बर्तन धोने किचन में चली गयी. फिर थोड़ी देर बाद सासू माँ ने मुझसे पूछा कि तुम्हे कुछ लेना हो तो बता देना?

तो मैंने कहा कि एक ग्लास पानी चाहिए, तो वो पानी का ग्लास लेकर मेरे पास आई. में उन्हे आते हुए गौर से देख रहा था कि तभी अचानक मैंने गौर किया मेरी सास का पल्लू ब्लाउज से थोड़ा हटा हुआ था और उनका पेट भी साफ साफ दिख रहा था. उनके मोटे मोटे बूब्स ब्लाउज से बाहर आने को बैताब लग रहे थे और उनके गोरे और गदराए हुए पेट पर उनकी बड़ी सी गोल नाभि बहुत सेक्सी लग रही थी. मैंने अपनी सास को इतना खुला प्रदर्शन करते हुए कभी नहीं देखा था. फिर मैंने पानी पिया और सास वापस किचन में चली गयी. तो जाते वक़्त में उनकी थुलथुली गांड को ऊपर नीचे हिलते हुए देख रहा था और मेरे पायज़ामे में मेरा लंड बिल्कुल तनकर टाईट हो चुका था. तभी मुझे याद आया कि जब सुधा टेबल पर बैठी हुई थी तब तक मेरी सास ने कपड़े ठीक तरह से पहने हुए थे, लेकिन सुधा के कमरे में जाते ही सासू माँ के कपड़े उनकी चूची और पेट से हट गये.

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अब इसका मतलब साफ था कि उन्होंने जानबूझ कर अपनी साड़ी को हटाया था ताकि मेरी नज़र उनके शरीर पर जाए. मैंने सोचा कि क्या सासू माँ मुझे रिझाने की कोशिश कर रही है? लेकिन अब यकीन से कुछ कहना मुमकिन नहीं था. तभी थोड़ी देर बाद सासू माँ मेरे पास के सोफे पर आकर बैठ गयी और सब्जी काटने लगी. मैंने फिर गौर किया कि उनका ब्लाउज अब साफ साफ दिख रहा था और उसके ऊपर के बटन भी खुले हुए थे और वो थोड़ा झुककर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उनके बड़े बूब्स खुले ब्लाउज से आधे बाहर लटक रहे थे. में उनसे नज़र बचाकर उनके बूब्स को ही देख रहा था.

एक दो बार हम दोनों की नज़र भी मिली, लेकिन उन्होंने बस मेरी तरफ मुस्कुरा दिया, लेकिन अपने बूब्स को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और अब वो बार बार अपने पैरों को फैलाकर ऊपर सोफे पर कर लेती और फिर थोड़ी देर में नीचे कर लेती, जिस कारण उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर सरक गयी थी और उनके गोरे गोरे पैर साफ साफ दिख रहे थे और अब यह भी साफ हो गया था कि वो जानबूझ कर ऐसा कर रही है और अब मुझे पूरा विश्वास हो गया कि अगर मैंने पहल की तो में उन्हे चोदने में जरुर कामयाब हो जाऊंगा. तभी मैंने एक प्लान सोचा और सास से कहा कि मम्मी जी में भी खाना बनाने में आपकी मदद करता हूँ.

फिर सासू माँ ने कहा कि आप मेरी क्या मदद करेंगे दामादजी? में उठकर उनके पास सोफे पर बैठ गया और मैंने कहा कि दीजिए में सब्जी काट देता हूँ. इतना कहकर में उनके हाथ से चाकू और सब्जी की प्लेट लेने को उनके ऊपर झुका, जिसके कारण मेरी जाँघ उनकी जाँघ से सट गई. वो थोड़ा सिहर गई, लेकिन दूर नहीं हटी.

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तभी मेरी हिम्मत बढ़ी और अब में उनसे ज़्यादा सटने की कोशिश करने लगा. मैंने उन्हे प्लेट को वापस दे दिया और अपना हाथ उनके पेट और जाँघो से सटाते हुए पीछे लिया, वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी. फिर वो कुछ देर बाद उठकर किचन में चली गयी, मैंने खुद से मन ही मन कहा कि यही एकदम ठीक मौका है, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं और में अपने कमरे में गया और चेक किया कि सुधा क्या कर रही है? सुधा को नींद आ गई थी और अब वो गहरी नींद में सो रही थी, क्योंकि सुधा अक्सर सुबह एक से दो घंटे तक सोती थी.

मैंने अपने प्लान के हिसाब से अंडरवियर को उतारा और सिर्फ़ पयज़ामा पहन कर बाहर आ गया, मैंने रूम को बाहर से बंद करके चिटकनी को लगा दिया और में सीधा किचन में गया जो कि बहुत छोटी थी और वहां पर दो लोग भी बड़ी मुश्किल से खड़े रह सकते थे और अगर गैस चूल्हे से वॉश बेसिन तक जाना हो तो दूसरे आदमी से सटकर ही जाना होता था और अब मैंने पूरा प्लान बना लिया था कि में आज अपनी सास को अपने लंड के स्पर्श से दीवाना बना दूँगा. फिर में उनसे बातें करने लगा और फिर उनसे कहा कि आप अकेली कैसे टाईम बिताती है? तो सास ने कहा कि बेटा अब तो इन सबकी आदत पड़ गयी है और अब वैसे भी इस उम्र में फ़र्क क्या पड़ता है?

मैंने कहा कि आप दिखने में 40 साल से ज़्यादा की नहीं लगती तो वो मुस्कराने लगी और इधर मेरा लंड पूरे जोश में आ चुका था. उनकी गदराई हुई गांड को देखकर मेरा लंड उसमे समाने को बैताब हो रहा था. तो में हाथ धोने के बहाने वॉश बेसिन की तरफ जाने लगा. मेरी सास की पीठ की तरफ से थोड़ी सी जगह में से जब में गुजरा तो उस समय मेरा लंड पूरा टाईट था और में उनकी गांड पर अपना लंड रगड़ते हुए उस पार चला गया और हाथ धोते वक़्त मैंने देखा तो उनके चेहरे पर कामुकता साफ साफ दिख रही रही थी, लेकिन वो थोड़ा घबराई हुई लग रही थी और अब मैंने उनकी घबराहट दूर करने के लिए कहा कि सुधा सो रही है और मैंने उसके दरवाजे की बाहर से चिटकनी को भी लगा दिया है.

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फिर यह बात सुनकर सासू माँ बिल्कुल चकित हो गयी और मेरी तरफ देखते हुए पूछा कि ऐसा क्यों किया आपने? तो मैंने बहाना बनाते हुए कहा कि वो टीवी की आवाज़ सुनकर जाग ना जाए इसलिए आराम करने के लिए लगाया है और मैंने पहले ही टीवी की आवाज को थोड़ी तेज कर दिया था और अब में वापस अपनी जगह पर आने लगा, लेकिन इस बार मेरा इरादा लंड को कुछ ज़्यादा देर तक उनकी गांड पे रगड़ने का था इसलिए उनके ठीक पीछे पहुंचकर उनके कंधे पर हाथ रखा और लंड को उनकी गांड के ऊपर सटाया और धीरे से झटका मारते हुए उनके आगे निकल गया और जैसे ही मैंने उन्हे देखा तो उनकी आँखे बंद थी और वो तेज साँसें ले रही थी और फिर हम बातों में लग गये.