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ससुर जी का लंड महाराज-3

Full Sex With Father in Law

फुल सेक्स विद फादर इन लॉ का मजा इससे पहले कि वह कुछ कहें और बात ज्यादा बिगड़े, मैं उठ कर खड़ी हो गई और अंगड़ाई लेते हुए, अपने जिस्म की नुमाइश करती हुई उनके पास आकर उनके हाथों को पकड़ा और अपनी चूचियों पर रख दिए। फिर उनके लण्ड महाराज को पकड़ कर हिलाती हुई बोली- पापाजी, अब तो आपका यह महाराज भी गर्म है और मेरी महारानी में भी आग लगी हुई है इसलिए मैं आपके पांव पड़ती हूँ और विनती करती हूँ कि कृपया सब कुछ भूल जाएँ और जो खेल शुरू किया था उसे आगे खेलते रहिए ! प्लीज़ इस महारानी की जलन को बुझाने के लिए इसमें अपने महाराज से बौछार करा दीजिए।

उन्हें आगे कुछ बोलने का कोई मौका दिए बिना, मैं उनके पैरों को पकड़ कर नीचे बैठ गई और उनका महाराज मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी।

पापाजी कुछ नहीं बोले और चुपचाप खड़े रहे। मैं समझ गई कि अब लोहा गरम हो रहा है और चोट मारने का समय आ गया है। मैंने झट से उनके हाथों को खींच कर अपनी चूचियों पर रख दिया।

बस फिर तो ऐसा लगा कि जंग जीत ली, क्योंकि पापाजी मेरी चूचियों को मसलने लगे, पर उनमें से दूध न निकलने लगे इसलिए उन्होंने डोडियों को नहीं मसला। फिर वह बेड पर बैठ कर लण्ड महाराज चुसाने लगे और अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया। वह कभी उसके अंदर उंगली करने लगे और कभी छोले को रगड़ने लगे।

बस मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गई, अब तो मूसल चंद से रगड़ाई के झटकों का इंतज़ार था। मेरी तेज तेज चुसाई से पापाजी के लण्ड महाराज का अत्यंत स्वादिष्ट प्रथम रस (प्री-कम) मेरे मुहँ में आना शुरू हो गया था, यह महसूस कर के पापाजी बोले- कैसा लग रहा इसका स्वाद?

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मैं बोली- बहुत स्वादिष्ट है, कुछ मीठा और कुछ नमकीन।

वह बोले- क्या मेरा सारा रस तुम मुफ़्त में पी जाओगी और एवज मुझे कुछ नहीं दोगी? उठो और बेड के ऊपर आकर लेटो ताकि मैं भी तुम्हरी महारानी का रस पी सकूँ।

“अच्छा पापाजी !” मैंने कहा और झट से बेड पर आ कर लेट गई।

फिर तो पापाजी 69 की अवस्था में लेट कर मेरी टाँगे चौड़ी कर के मेरी चूत रानी को चूसने लगे और मैं उनके लण्ड राजा को। पापाजी कभी चूत में अपनी जीभ डालते तो कभी उसके अन्दरूनी होंठ चूसते लेकिन जब वह छोले पर जीभ चलाते तो मेरी चूत के अंदर अजीब सी गुदगदी होती और मुझे लगता कि मैं स्वर्ग में पहुँच गई हूँ।

हम दोनों की इस चुसाई से उत्तेजित होकर हमारे दोनों के मुहँ से उंहह्ह…. उंहह्ह्ह्… और आह.. आह्ह्ह… की आवाजें निकलने लगी थीं।

मेरा तो यह हाल था कि मेरी चूत का पानी भी निकलने लगा था, जिसे पापाजी बड़े मजे से पी रहे थे और डकार भी नहीं ले रहे थे।

अचानक पापाजी ने मेरे छोले पर कस कर जीभ फ़ेरी और मेरी चूत एकदम से सिकुड़ी और का रस फव्वारा पापाजी के मुँह पर छोड़ दिया।

उनका हालत देखने का थी, उनका पूरा चेहरा मेरी चूत रानी की इस शरारत से भीग गया था। वह एकदम उठ खड़े हुए और कहने लगे- लगता है इस शरारती रानी को कुछ तो सबक सिखाना ही पड़ेगा, कोई सजा देनी पड़ेगी।

मैं इससे पहले उनका महाराज मुँह से निकालती, उन्होंने एक छोटी सी पिचकारी मेरे मुहँ में छोड़ दी। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी इसलिए कुछ रस तो मेरे गले से नीचे उतर गया लेकिन बाकी का सारा रस मेरे पूरे चेहरे तथा मेरी गर्दन पर फ़ैल गया। फिर वह अलग हट गये।

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मैंने उठ कर अपने आप को और पापाजी को पौंछा और पापाजी की ओर आँखें फाड़ कर देखने लगी।

पापाजी हँसते हुए बोले- मिल गई न तुझे शरारत की सजा। चिंता मत कर, अभी तो इससे भी बड़ी सजा इस रानी को देनी है।

मैंने अनजान बनते हुए पूछा- पापाजी और कैसी बड़ी सजा देंगे?

तो उन्होंने अपनी बलिष्ठ बाजुओं से उठा कर मुझे मेरे कमरे में ले जाकर बेड पर पटक दिया और फुल सेक्स विद फादर इन लॉ मेरे चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया। तब मैंने देखा कि रस छूटने के बाद भी पापाजी का लण्ड महाराज अभी भी लोहे की छड़ की तरह अकड़ा हुआ है और वह अगली चढ़ाई के लिए तैयार है। उन्होंने मेरी टांगे चौड़ी करके चूत महारानी को देखने लगे और बोले- यह तो बहुत नाज़ुक सी लग रही है। क्या यह इस महाराज को झेल पायेगी?

मैं तुरंत बोल पड़ी- पापाजी आप कोशिश तो करिये। आगे जो होगा, देखा जाएगा”।

तब वह मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गए और अपने महाराज को मेरी महारानी के छोले पर रगड़ने लगे।

इससे मेरी हालत बहुत खराब होने लगी, मैंने कहा- पापाजी, अब और मत चिढ़ाओ और इसे जो सजा देनी है वह जल्दी से दे दीजिए।

तब पापाजी बोले- चिंता मत कर ज़रा सजा के लिए इसे तैयार तो कर लूँ !

इसके बाद उन्होंने अपना लण्ड महाराज, जो इस समय अपने पूरे उफान पर था और पूरे आकार का हो चुका था, मेरी चूत के मुँह के पास रख दिया और हलके से धक्के मार कर उसे चूत के अंदर घुसेड़ने लगे। मेरी चूत तो उस समय लण्ड की इतनी भूखी थी कि उसका मुँह अपनेआप खुलने लगा और देखते ही देखते उसने पापाजी के महाराज के सुपारे को निगलना शुरू कर दिया। पापाजी महारानी की यह हिमाकत देख कर बहुत हैरान हुए और जोश में आ कर एक जोर का धक्का दे मारा।

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फिर क्या था महरानी की तो चूं बोल गई और मेरे मुहँ से एक जोर की चीख आईईईईए… निकल गई।

पापाजी एकदम मेरे ऊपर झुक गए और मेरे समान्य होने तक वैसे ही रुके रहे। वह मेरी चूचियों को दबाते रहे तथा मुझे जोर से चूमते रहे।

जब मैं कुछ ठीक हुई तब मैंने उनसे पूछा- कितना गया?

तो वे बोले- अभी तो आधी सजा मिली है। बाकी आधी सजा के लिए तैयार हो तो बताओ।

जब मैंने हामी भर दी तब उन्होंने कस कर एक और धक्का मारा और अपना पूरा महाराज मेरी महारानी के बाग में पहुँचा दिया।

मैं एक बार दर्द के मारे फिर “आईईईईए… आईईईईए…. कर के चिल्ला उठी। मुझे लगा कि मेरी चूत फट गई है और इसीलिए इतना दर्द हो रहा है।

मेरी चूत की सील टूटने पर और बेटे के होने पर भी इतनी दर्द नहीं हुई थी जितनी कि अब हो रही थी। पापाजी मेरी तकलीफ को समझते हुए रुक गए थे और अपना दाहिना हाथ मेरी चूत के ऊपर उगे हुए बालों के उपर रखा और थोड़ा दबाया और मेरे ऊपर लेट गए। बाएं हाथ से मेरी चूची को मसलते हुए पूछा- अब कैसा लग रहा है? अगर तुम कहती हो तो फुल सेक्स विद फादर इन लॉ मैं निकाल लेता हूँ नहीं तो जब कहोगी तभी आगे सजा दूंगा।

कहानी जारी रहेगी, अगले भाग में कहानी समाप्त-