माँ की चुदाई

जब एक माँ ने अपने ही सौतेले बेटे से काम वासना शांत की-1

जब एक ही छत के नीचे अवैध रिश्ते पनपते हैं तो उन्हें या तो अंत तक निभाना पड़ता है या फिर उनका अंत अच्छा नहीं होता , ऐसा ही कुछ मेरे और मेरे सौतेले बेटे के बीच पनप गया ,मैं विधवा हो गयी थी और मेरे बेटे की पत्नि चल बसी थी ,मैं विकास की दूसरी माँ थी मेरे और विकास के बीच में करीब 10 साल का अंतर था मैं उससे 10 साल बड़ी थी पर वो मेरी बहुत इज्जत करता था

विकास पुलिस में ए एस आई था ,इससे पहले कि मेरी गोद भरती मेरे पति यानि विकास के पापा भी चल बसे ,विकास की उमर 32 साल की थी ,

मेरी चाहत थी की मैं अपने बेटे की दूसरी शादी करूँ पर वो हमेशा ना कर देता था ,
एक रात धीरे से उसके कमरे के बाहर करीब 11 बजे गई और खिड़की से जो देखा तो मेरा दिल धक धक करने लगा ,विकास गोल तकिए का सहारा लेकर बैठा हुआ था उसके बाएं एक किताब खुली हुई थी उसका तना हुआ लिंग देख कर मैं हैरान हो गई कि क्या विकास का हथियार इतना बड़ा हो सकता है उसने दायीं मुट्ठी में लिंग पकड़ रखा था और धीरे धीरे मुठ मार् रहा था। मैं भी काम उत्तेजित हो उठी। फिर मुझेे शरम आ गयी और मैं वापिस अपने कमरे में आकर विकास के बारे में सोचने लगी ,मेरी नींद उड़ गई थी ,

सुबह जब वो ऑफिस चला गया मैने उसके बिस्तर के नीचे एक मैगजीन देखी जिसमे कई सुन्दर औरतें अपने गोपनीय अंगों को मसल रही थी ,तो क्या मेरा बेटा रात को औरतों के निजी अंगों को देखता था ,मैने मैगजीन उठा ली और अपने कमरे में ले आयी ,फिर मैं बिस्तर पर लेट कर शुरू से देखने लगी ,उसमें ऐसे ऐसे सीन थे कि मुझेे एक तंदरुस्त मर्द की जरुरत महसूस होने लगी ,साथ ही मेरा सिर शर्म से झुक गया की मेरा जवान बेटा इतनी कामुक सोच रखता है ,उसमे हर उम्र के मर्द और औरतें सम्भोग रत थे ,लड़कियां अधेड़ मर्दों से अपने कोमल जिस्म को रौंदने दे रही थी कई पिक्स में लड़कियों के गुप्तांग से सफ़ेद गाढ़ा वीर्य बाहर आ रहा था ,मैं भी कल्पनाओं में खो गई की काश कोई मर्द मेरे गुप्तांग को भी अपने बड़े लिंग से थरथरा देता पर इस उम्र में मैं यह बात किसी से भी नहीं कह सकती थी ,कई पिक्स में जवान लड़के अधेड़ महिलाओं के जिस्म को रौंद रहे थे ,मैं इतनी उत्तेजित हो गई कि मैने अपने सारे कपडे उतार दिए और ड्रैसिंग टेबल के सामने खड़ी हो गयी।

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मैं शीशे के सामने अपने गोरे बदन को घूमा घूमा कर देखने लगी ,मैने लगभग २ हफ्ते पहले अपनी जांघों के बीच से बाल साफ करे ,मेरे गुप्ताँग में जबरदस्त सुलसुलाहट होने लगी ,तभी मेरे नीचे से 4-5 बूंद टपक पड़ी ,मैने छटपटाते हुए अपनी दायीं जाँघ उठा कर इस आस में टेबल पर रख दी की कोई जवां मर्द मेरे गुप्तांग की आग को अपनी मोटी कड़क बड़ी इन्द्री से बुझा दे ,और तब तक पेलता रहे जब तक मेरी पेशाब न निकल जाये ,मुझे उन अधेड़ महिलाओं से जलन महसूस हो रही थी जो जवान लड़कों के लिंग से अपने गुप्ताँग को बजवा रही थी ,
तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी आईडिया आ गया ,की विकास भी तो औरत के बिना तड़फ रहा है क्यों न मैं भी घर में ही अति गोपनीय तरीके से विकास को उत्तेजित करके उसकी कड़क जवानी का आनन्द उठाऊँ ?

मैने वो किताब छिपा कर रख दी ताकि विकास को पता चल जाये कि मम्मी को पता चल गया है शाम को विकास आया और उसने किताब ढूंढी होगी दो दिन तक वो थोड़ा परेशां रहा कि किताब कहाँ गयी लेकिन तीसरे दिन उसके जाने के बाद किताब का वो पेज जिसमें एक अधेड़ महिला को डौगी स्टाइल में खुश कर रहा था मैने थोड़ा सा मोड़ दिया और फिर से उसी जगह रख दी अगले दिन वो अजीब सी नजरों से मुझे घूर रहा था ,अगले दिन सुबह मुझे उसी जगह वो किताब मिली और उसका वो पेज मुड़ा हुआ था जिसमें एक अधेड़ महिला एक जवान लड़के का लिंग चूस रही थी ,विकास बहुत सेक्सी था मैं उसकी इच्छा समझ गयी ,मैने उस दिन वैसे ही वो किताब रख दी लेकिन अगले दिन मुझे उसमे एक गुलाब का ताजा फूल मिला ,जिसे मैने निकाल लिया और शाम को उसमें चमेली का सफ़ेद फूल रख दिया मेने उसका प्यार स्वीकार कर लिया था ,लेकिन अगले दिन जब वो ऑफिस चला गया तो उसमें एक मैनफोर्स का कण्डोम रखा हुआ मिला ,मैं थोड़ी सी असहज हो गयी क्योंकि विकास मेरी असलियत जान चुका था और इसीलिये उसने कंडोम रख दिया था मैने सोचा कि क्यों न इस कहानी को यहीं ख़त्म कर दूँ पर फिर कंडोम देख कर मेरा बदन अंगड़ाईयाँ लेने लगा ,और मेने कैंची से उसका मुंह काटकर कंडोम थोड़ा सा बाहर निकाल दिया ,हम दोनों ने इस तरह अपनी अपनी इच्छा बता दी थी ,

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अगले दिन सुबह उस किताब में मुझे एक छोटा सा कागज का टुकड़ा मिला जिसे खोलते हुए मेरा दिल धक धक करने लगा उसमे लिखा हुआ था कि
क्या ये काम पूरा हो जायेगा जो मैं सोच रहा हूँ ,मैने बिना देरी करे उसके निचे लिख दिया
हां ,पर प्यासे को कुँए के पास आना पड़ेगा ,

ये लिख कर मैने कागज वैसे ही मोड़ कर रख दिया शाम को हम टेबल पर एक साथ खाने बैठे तो हम दोनों की नगहें झुकी हुई थी पर दिल धड़क रहे थे ,अगले दिन सुबह फिर मुझे नया परचा मिला जिसमे लिखा था रात में कितने बजे? मैने लिखा दिया रात को 11 के बाद। फिर रात मैं विकास का इंतजार करती रही और इस उम्मीद में मैने अपना पेटीकोट दाएं जांघ से उठाकर करवट ले कर सो गई लेकिन विकास नहीं आया और मैं कामवासना में साडी रात तड़फती रही ,
अगले दिन मुझे फिर बिस्तर के नीचे नया कागज मिला ,कि दिन में हम कैसे मिलेंगे? मेने लिख दिया की नहीं दिन में नहीं सिर्फ रात को ,दिन में हमारे सम्बन्ध वही रहेंगे जो हैं,उसने उसी कागज पर लिखा कि कहीं मैं गलत तो नहीं समझ रहा ?
मेने लिखा ,

नहीं ,ताली दोनों हाथों से बजती है ,और आज रात प्यासे की प्यास बुझ सकती है पर कुँए का मुँह थोड़ा टाइट है किसी ने भी उसमें से अपनी प्यास नहीं बुझा सकी ,कुंवां अच्छी मरम्मत मांग रहा है
अगले दिन किताब तो मिली पर उसमे कुछ भी नहीं लिखा था, फिर मैने और पेज देखे तो एक कागज मिला लिखा हुआ था कि ठेकेदार पुरे एरिया का मुवायना करना चाहे तो ?
क्योंकि कुवाँ कहाँ है देखना पड़ेगा न ,
मैने लिख दिया कुवां दो पहाड़ों के बीच में घिरा है ,थोड़ा कोशिश करोगे तो ढूंढ लोगे। और हाँ नींबू भी हैं पर उनमें रस नहीं है ,
उसने लिखा कुँवा तो ज्यादा तर तलहटी में ही रहता है,पर ऐसा तो नहीं होगा न कि एन वक़्त पर कुवें की मालकिन कुवें को ढक दे ,और मरम्मत के दौरान अगर ठेकेदार का कुछ सामान वहां छूट गया तो ?
उसके जवाब में मैने लिखा कि वो सामान उसके कुवें में 9 महीने तक सुरक्षित रहेगा और फिर वापिस मिल जायेगा।
तो अगले दिन लिखा हुआ मिला ,
मरम्मत तो ऐसी हो जायेगी कि कुँवें के मालिक ने भी नहीं की होगी ऐसी कभी ,और हाँ साथ में आस पास की भी तबियत से मरम्मत हो जाएगी ,ठेकेदार का हथियार देख लिया था ना?

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विकास को आभास था कि मैने उसका हथियार देख लिया था विकास मेरे दोनों छेदों का मजा लेने को बेताब था।
मैने कागज के टुकड़े में लिख दिया कि हाँ देख लिया था तभी तो कुँवा मरम्मत मांग रहा है ,लेकिन कब होगी कुवें की मरम्मत ?

बस फिर जो मैसेज मिला उससे मुझे थरथराहट सी महसूस हुयी क्योंकि विकास का लण्ड मैने देख लिया था ,उसका लण्ड सीधा और बिना नसों वाला दिख रहा था ,वो जवान लड़का था और मेरे साथ पता नहीं शनिवार की रात को कैसे मेरे बदन से खेलने वाला था ? मैं उन कल्पनाओं में खो गई थी जब मैं सीत्कार करूँ और वो अपने लण्ड से मुझे चोद रहा हो.
अगले दिन किताब में हुआ था कि

कुवें की मरम्मत शनिवार की रात होगी और तसल्ली से होगी,कुवें को अँधेरा पसंद है या फिर डिम लाइट ?
आज शुक्रवार था इसलिए मैने दिल पर पत्थर रख लिया.
मैने शनिवार की सुबह कागज पर लिख दिया की कुवें को अँधेरा पसंद है
क्योंकि मैं और वो दोनों माँ बेटे थे ,और मैं शरमाना नहीं चाहतो थी उसका तो पता था कि वो ड्रिंक करके ही मेरी लेगा।
मुझे डर लगने लगा क्योंकि विकास बहुत दिनों से प्यासा था और उसका हथियार भी काफी बड़ा था 7 से साढ़े 7 इंच लम्बा था और करीब सवा दो इंच मोटा।