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ससुर ने बहुरानी के तड़पते जिस्म को चोद कर शांत किया-2

फिर 10 मिनट के बाद जब वो लौटी तो केवल काली पेंटी और ब्रा में थी और मोहनलाल पूरी तरह से नंगा था। वो अपने लण्ड को मुठिया रहा था और वासना भरी नज़र से मानसी को घूर रहा था और मानसी का सांवला जिस्म देखकर उसका लण्ड आसमान की तरफ उठा हुआ था। कसी हुई पेंटी में उसकी बहूरानी की बूर उभरी हुई थी और बूब्स तो ब्रा को फाड़कर बाहर आने को उतावली हो रही थी। मानसी के हाथ में ट्रे थी जिसमे शराब की बॉटल रखी हुई थी जो उसने टेबल पर रखी और बाबूजी के लिए पेक बनाने लगी। तभी गोपी ने अपना एक हाथ आगे बड़ाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और वो मचल गयी.. लेकिन मुस्कुरा पड़ी। बाबूजी ने अपनी बहूरानी की बूब्स को मसल दिया और बोली कि बेटी क्या मेरा बेटा भी तेरी बूब्स को इतना प्यार करता है? इसको चूसता है? और बेटी तुम भी तो एक पेक पी लो.. अपने लिए भी पेक बनाओ। दोस्तों ये स्टोरी आप hotsexstory.xyz पर पड़ रहे है।

तभी मानसी पहले झिझकी लेकिन फिर दूसरे ग्लास में शराब डालने लगी और जब पेक बन गये तो गोपी ने बहूरानी को गोद में बैठा लिया और अपने हाथ से पिलाने लगा। फिर वो कहने लगी कि बाबूजी जब में पी लेती हूँ तो मेरी वासना बहुत बड़ जाती है और में अपने होश में नहीं रहती। तभी मोहनलाल मुस्कुरा कर बोला कि बेटी आज होश में रहने की ज़रूरत भी नहीं है और मुझे ज़रा अपने दूध पी लेने दो। ऐसी कड़क बूब्स मैंने आज तक नहीं देखी है और मोहनलाल वो बूब्स चूसने लगा.. जिसको कभी उसका बेटा चूसा रहा था। तभी ग्लास ख़त्म हुआ तो मोहनलाल मस्ती में भर गया और उसने अपनी बहूरानी को अपने सामने खड़ा किया और अपने होंठ उसकी फूली हुई बूर पर रख दिए और पेंटी के ऊपर से ही किस करने लगा।

मानसी कहने लगी कि बाबूजी क्या एसे ही करते रहोगे या फिर बेटिंग भी करोगे? मैंने आपके लिए पिच से घास साफ कर रखी है दिखाऊँ क्या? मोहनलाल जोर से हंस पड़ा। क्योंकि चुदाई में बेशर्मी बहुत ज़रूरी होती है और उसकी लण्ड की प्यासी बहूरानी बेशर्म हो रही थी। वो कहने लगा कि बेटी मेरा लण्ड कैसा लगा? और में भी देखता हूँ कि तेरा पिच तैयार है.. सेंचुरी बनाने के लिए या नहीं? पिच से खुश्बू तो बहुत बढ़िया आ रही है और यह कहते हुए उसने पेंटी की इलास्टिक को बहूरानी के कूल्हों से नीचे सरका दिया और तभी कसे हुए बूरड़ नंगे हो उठे और शेव की हुई बूर मोहनलाल के सामने मुस्कुरा उठी। मोहनलाल ने धीरे से पेंटी को बहूरानी की कसी हुई जांघों से नीचे गिरा दिया और अपने बेटे की पत्नी की बूर को प्यार से निहारने लगा। बूर के उभरे हुए होंठ मानो आदमी के स्पर्श के लिए तरस गये हों। फिर मोहनलाल ने एक सिसकी भरकर अपना हाथ बूर पर फैरा और फिर अपने होंठ बूर पर रख दिए। बूर मानो आग में दहक रही हो। फिर मानसी कहने लगी कि ओह बाबूजी मेरे प्यारे बाबूजी क्यों आग भड़का रहे हो? इस प्यासी बूर की प्यास बुझा दो ना.. प्लीज। अब आप ही इस जवान बूर के मालिक हो.. इसको चूसो, चाटो, चोदो, लेकिन अब देर मत करो बाबूजी.. में मरी जा रही हूँ। फिर मोहनलाल ने बहूरानी के बूरड़ कसकर थाम लिए और जलती हुई बूर में जीभ घुसाकर चूसने लगा। जवान बूर के नमकीन रस की धारा ने उसकी जीभ का स्वागत किया जिसको मोहनलाल पीने लगा। बहूरानी ने अपनी जांघे खोल दी जिससे ससुर के मुहं को चूसने में आसानी हो और कामुक ससुर किसी कुत्ते की तरह बूर चूसने लगा और उधर मानसी की वासना भड़की हुई थी और वो अपने ससुर के लण्ड को चूसने के लिए उतावली और गरम हो रही थी।

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तभी मानसी कहने लगी कि बाबूजी मुझे बिस्तर पर ले चलो.. मुझे भी आपका कैला खाना है आपके बेटे को तो मेरी परवाह नहीं है.. उस बहनचोद ने तो मेरी भाभी को ही मेरी सौतन बना रखा है। आप मुझे चोदकर अविनाश की माँ का दर्जा दे दो बाबूजी.. प्लीज। उधर मोहनलाल बहूरानी की बूर से मुहं हटाने वाला नहीं था.. लेकिन बहूरानी का कहा भी टाल नहीं सकता था। तभी कामुक ससुर ने अपनी नग्न बहूरानी के जिस्म को बाहों में उठाया और अपने बेटे के बिस्तर पर ले गया। बहूरानी का नंगा जिस्म बिस्तर पर फैला हुआ देखकर मोहनलाल नंगा हो गया और इतनी सेक्सी औरत तो उसकी सग़ी बेटी भी होती तो आज वो उसको भी चोद देता। मोहनलाल अपनी बहूरानी पर उल्टी दिशा में लेट गया था तो उसका लण्ड बहूरानी के मुहं के सामने था और बहूरानी की बूर पर उसका मुहं झुक गया। मानसी समझ गयी कि उसे क्या करना है। उसने दोनों हाथों में ससुर जी का लण्ड थाम लिया और उस आग के शोले को मुहं में भर लिया और मानसी मोहनलाल के सूपाड़े को चाटने लगी। लण्ड को चूसते हुए उस पर दाँत से भी काटने लगी और अंडकोष को मसलने लगी।
उधर ससुर भी अपनी जीभ बहूरानी की बूर की गहराई में मुहं घुसाकर चुदाई करने लगा। दोनों कामुक जिस्म मुहं से चुदाई करते हुए सिसकियाँ भरने लगे.. आहह उूुुउफ आआहह… तभी गोपी को लगा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो जल्दी ही झड़ जाएगा। इसलिए उसने बहूरानी को अपने आप से अलग कर लिया और उसने बहूरानी को लेटा लिया और उसकी जांघों को खोल कर ऊपर उठा दिया। फिर उसने अपना सुपाड़ा मानसी की बूर पर टिकाया और बूर पर रगड़ने लगा और मानसी सिसकियाँ भरने लगी और कहने लगी कि उफफफफफ्फ़ अहह बाबूजी क्यों इतना तरसा रहे हो? डाल दो ना और वो कराह उठी.. बाबूजी चोद डालो अपनी बहूरानी को.. आपकी बहूरानी की बूर मस्ती से भरी पड़ी है.. मसल डालो अपनी बेटी की प्यासी बूर को और जो काम आपका बेटा ना कर सका आज आप कर डालो। बाबूजी अब जल्दी से चोदना शुरू करो.. मेरी बूर जल रही है। तभी गोपी ने अपना सुपाडा मानसी की बूर पर टिकाया और बूर पर रगड़ने लगा। उफफफफफ्फ़ बाबूजी.. क्यों तरसा रहे हो? डाल दो ना प्लीज कहते हुए बहूरानी ने ससुर के लण्ड को अपनी दहकती हुई बूर पर रखकर बूरड़ ऊपर उछाल दिए और लोहे जैसा लण्ड बूर में समाता चला गया। ऊऊऊऊऊऊऊऊहह.. आआअहह.. मर गयी.. में माँ डाल दो बाबूजी.. शाबाश बाबूजी चोद डालो मुझे.. मेरी बूर जल रही है। तभी मानसी की बूर से इतना पानी बह रहा था कि लण्ड आसानी से बूर की गहराई में उतर गया और बहूरानी ने अपनी टाँगें बाबूजी की कमर पर कस दी और वो अपनी गांड उछालने लगी। ससुर बहूरानी की साँस भी बहुत भारी हो चुकी थी और दोनों कामुक सिसकियाँ भर रहे थे। तभी गोपी ने बहु की बूब्स को ज़ोर से मसलते हुए धक्कों की स्पीड बढ़ा डाली और लण्ड फ़चा फ़च बूर के अंदर बाहर होने लगा। फिर गोपी ने बहूरानी के निप्पल चूसना शुरू किया तो वो बेकाबू हो गयी और पागलों की तरह चुदवाने लगी। वाह! बाबूजी वाह चोद डालिए मुझे.. चोद डालो अपनी बहूरानी की बूर.. चोदो अपनी बेटी को बाबूजी.. आह्ह बाबूजी।

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फिर बाबूजी ने भी जोश में आकर धक्के और तेज़ कर दिए और इतनी जवान बूर गोपी ने आज तक नहीं चोदी थी। ऐसा बढ़िया माल उसे मिला भी तो अपने ही घर में और उत्तेजना में उसने बहूरानी के निप्पल को काट लिया तो बहूरानी चिल्ला उठी आआआअहह ऊऊऊऊओह ईईईईईईी माँआआ। बहूरानी पूरी तरह से होश खो चुकी थी मदहोश हो होकर अपने ससुर की चुदाई का मज़ा ले रही थी। पूरा कमरा कामुक सिसकियों से गूँज रहा था। मुझे मार डाला आपने बाबूजी आआअहह में जन्नत में पहुँच गयी। तभी गोपी ने अपना लण्ड बहूरानी की बूर की गहराईयों में उतार दिया और पागलों की तरह चोदने लगा और बहूरानी ससुर चुदाई के परम आनंद में डूब चुके थे ससुर का लण्ड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था और बहूरानी की बूर की दीवारों ने उसको जकड़ रखा था। तभी बहूरानी ने बिखरती साँसों के बीच कहा अह्ह्ह मर गयी में। मेरे राजा बाबूजी चोदो मुझे और ज़ोर से मेरे बाबूजी आज मेरी बूर की तृप्ति कर डालो.. आज मुझे निहाल कर दो अपने मूसल लण्ड के साथ मुझे चोद दो मेरे बाबूजी.. मेरी बूर किसी भी वक्त पानी छोड़ सकती है।

फिर मोहनलाल का भी समय नज़दीक ही पहुँच चुका था और वो बहूरानी को जकड़ कर अपनी गांड आगे पीछे करते हुए चुदाई में लग गया और कमरे में फ़चा फ़च की आवाज़ें गूँज रहीं थी। उसने पूरे ज़ोर से धक्के मारते हुए कहा कि बहु मेरी रानी बेटी चुदवा ले मुझसे। अब ज़ोर लगा कर मेरा लण्ड भी झड़ने के पास ही है.. ले लो इसको अपनी बूर की गहराई में मेरा लण्ड अब तेरी बूर में अपना पानी छोड़ने वाला है। मेरी रानी बेटी तेरी बूर ग़ज़ब की टाईट है.. में सदा ही तेरी बूर को चोदने का वादा करता हूँ.. मेरी रानी लो में झड़ा शीहहह.. मेरी बेटी मेरा लण्ड तेरी बूर में पानी छोड़ रहा है। मेरा रस समा रहा है तेरी प्यारी बूर में में झड़ा आआह्ह्ह्ह और इसके साथ ही उसके लण्ड ने और मानसी की बूर ने एक साथ पानी छोड़ना शुरू कर दिया और दोनों निढाल होकर एक दूसरे से लिपट कर सो गये। दोस्तों इस तरह ससुर और बहूरानी की चुदाई की शुरुआत हुई.. जो कि आज तक भी जारी है ।।

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