माँ की चुदाई

सेक्सी धोबन और उसका बेटा-6

Sexy Dhoban Aur Uska Beta-6

तभी मैं कहूँ की जैसे ही मेरा पेटिकोट नीचे गिरा ये लड़का मुझे घूर घूर के क्यों देख रहा था, ही, इस लड़के की तो अपनी मा के उपर ही बुरी नज़र है”. अगर मैं नही जागती तो, तू तो अपना पानी निकाल के ही मानता ना, मेरे छातियों को दबा दबा के, उम्म्म… बोल, निकालता की ऩही पानी?”

” मा ग़लती हो गई,

“वाह रे तेरी ग़लती, कमाल की ग़लती है, किसी का मसल दो दबा दो फिर बोलो की ग़लती हो गई, अपना मज़ा कर लो दूसरे चाहे कैसे भी रहे”,

कह कर मा ने मेरे लंड को कस के दबाया, उसके कोमल हाथो का स्पार्स पा के मेरा लंड तो लोहा हो गया था, और गरम भी काफ़ी हो गया था.

“हाय मा, छोडो , क्या कर रही हो”

मा उसी तरह से मुस्कुराती हुई बोली “क्यों प्यारे तूने मेरा दबाया तब तो मैने नही बोला की छोडो , अब क्यों बोल रहा है तू,”

मैने कहा “, मा तू दबाएगी तो सच में मेरा पानी निकाल जाएगा,

“क्यों पानी निकालने के लिए ही तो तू दबा रहा था ना मेरी छातिया, मैं अपने हाथ से निकाल देती हू, तेरे गन्ने से तेरा रूस, चल, ज़रा अपना गन्ना तो दिखा,”

” मा छोडो , मुझे शरम आती है”

“अच्छा , अभी तो बड़ी शरम आ रही है, और हर रोज जो लूँगी और पाजामा हटा हटा के, सफाई जब करता है तब, तब क्या मुझे दिखाई नही देता क्या, अभी बड़ी एक्टिंग कर रहा है,”

” नही मा, तब की बात तो और है, फिर मुझे थोड़े ही पता होता था की तुम देख रही हो”,

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“ओह ओह मेरे भोले राजा, बरा भोला बन रहा, चल दिखा ना, देखु कितना बड़ा और मोटा है तेरा गन्ना”

मैं कुछ बोल नही पा रहा था, मेरे मुँह से शब्द नही निकाल पा रहे थे, और लग रहा था जैसे, मेरा पानी अब निकला की तब निकला. इस बीच मा ने मेरे पाजामे का नारा खोल दिया और अंदर हाथ डाल के मेरे लंड को सीधा पकड़ लिए, मेरा लंड जो की केवल उसके छुने के कारण से फुफ्करने लगा था अब उसके पकड़ने पर अपनी पूरी औकात पर आ गया और किसी मोटे लोहे के रोड की तरह एक दम टन कर उपर की तरफ मुँह उठाए खड़ा था. मा ने मेरे लंड को अपने हाथो में पकड़ने पूर कोशिश कर रही थी पर, मेरे लंड की मोटाई के कारण से वो उसे अपने मुट्ठी में अच्छी तरह से क़ैद नही कर पा रही थी. उसने मेरे पाजामे को वही खुले में पेड़ के नीचे मेरे लंड पर से हटा दिया,

” मा, छोडो , कोई देख लेगा, ऐसे कपड़ा मत हटाओ”

मगर मा शायद पूरे जोश में आ चुकी थी,

“चल कोई नही देखता, फिर सामने बैठी हू, किसी को नज़र नही आएगा, देखु तो सही मेरे बेटे का गन्ना आख़िर है कितना बड़ा “?

और मेरा लंड देखता ही, आश्चर्य से उसका मुँह खुला का खुला रह गया, एकदम से चौंकती हुई बोली, “हाय दैया, ये क्या इतना मोटा, और इतना लंबा , ये कैसे हो गया रे, तेरे बाप का तो बीतते भर का भी नही है, और यहा तू बेलन के जैसा ले के घूम रहा है. ”

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“ओह, मा, मेरी इसमे क्या ग़लती है, ये तो शुरू में पहले छोटा सा था पर अब अचानक इतना बड़ा हो गया है तो मैं क्या करू”?

“ग़लती तो तेरी ही है जो तूने , इतना बड़ा जुगाड़ होते हुए भी अभी तक मुझे पता नही चलने दिया, वैसे जब मैने देखा था नहाते वक़्त तब तो इतना बड़ा नही दिख रहा था रे”

” मा, वो वो ” मैं हकलाते हुए बोला “वो इसलिए कोयोंकि उस समय ये उतना खडा नही रहा होगा, अभी ये पूरा खडा हो गया है”

“ओह ओह तो अभी क्यों खडा कर लिया इतना बड़ा , कैसे खडा हो गया अभी तेरा?”

अब मैं क्या बोलता की कैसे खडा हो गया. ये तो बोल नही सकता था की मा तेरे कारण खडा हो गया है मेरा.

मैने सकपकते हुए कहा “अर्रे वो ऐसे ही खडा हो गया है तुम छोडो अभी ठीक हो जाएगा”

“ऐसे कैसे खडा हो जाता है तेरा” मा ने पुछा और मेरी आँखो में देख कर अपने रसीले होंठो का एक कोना दबा के मुस्कने लगी .

“अरे तुमने पकड़ रखा है ना इसलिए खड़ा हो गया है मेरा क्या करू मैं, छोड़ दो ना ” मैने किसी भी तरह से मा का हाथ अपने लंड पर से हटा देना चाहता था. मुझे ऐसा लग रहा था की मा के कोमल हाथो का स्पर्श पा के कही मेरा पानी निकाल ना जाए. फिर मा ने केवल पकड़ा तो हुआ नही था. वो धीरे धीरे मेरे लंड को सहला भी और बार बार अपने अंगूठे से मेरे चिकने सुपाडे के छू भी रही थी.

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” अच्छा अब सारा दोष मेरा हो गया, और खुद जो इतनी देर से मेरी छातियों पकड़ के मसल रहा था और दबा रहा था उसका कुछ नही”

” ग़लती हो गई”

“चल मान लिया ग़लती हो गई, पर सज़ा तो इसकी तुझे देनी परेगी, मेरा तूने मसला है, मैं भी तेरा मसल देती हू,” कह कर मा अपने हाथो को थोडा तेज चलाने लगी और मेरे लंड का मूठ मारते हुए मेरे लंड के मुंडी को अंगूठे से थोरी तेज़ी के साथ घिसने लगी. मेरी हालत एकदम खराब हो रही थी. गुदगुदाहट और सनसनी के मारे मेरे मुँह से कोई आवाज़ नही निकाल पा रहा था ऐसा लग रहा था जैसे की मेरा पानी अब निकला की तब निकला. पर मा को मैं रोक भी नही पा रहा था.

मैने सिसकते हुए कहा “ओह मा, निकल जाएगा, मेरा निकल जाएगा”

इस पर मा ने और ज़ोर से हाथ चलते हुए अपनी नज़र उपर करके मेरी तरफ देखते हुए बोली “क्या निकल जाएगा?”.

“ओह ओह, छोडो ना तुम जानती हो क्या निकाल जाएगा क्यों परेशान कर रही हो”

“मैं कहाँ परेशान कर रही हू, तू खुद परेशान हो रहा है”

“क्यों, मैं क्यों भला खुद को परेशान करूँगा, तुम तो खुद ही ज़बरदस्ती, पता नही क्यों मेरा लंड मसले जा रही हो”

“अच्छा, ज़रा ये तो बता शुरुआत किसने की थी मसल्ने की” कह कर मा मुस्कुराने लगी.

कहानी जारी है……