सुहागरात का असली मजा-2
Suhagrat Ka Asli Maza-2
“देवरिया ! तुम्हारे भाई ने रात भर साँस नहीं लेनी दी। जो भी है मजा आ गया।”
मैं बोला- रात गलती हो गई।
“क्या?”
“तुम्हारी सुहाग रात देखनी चाहिए थी, रेनू भाभी की नहीं।”
छोटी भाभी बोली- क्या तुमने हमें देखा?
“हाँ !”
“तुम झूठ बोल रहे हो।”
“अच्छा तो तुम ही बताओ कि तुमने गुलाबी पैंटी पहनी थी या नहीं?”
“आ अ !” भाभी के मुँह से निकला और शर्म से मुँह नीचे कर लिया।
तभी बड़ी भाभी को भाई ने बुला लिया।
“भाभी, आज दिन मैं भी साँस नहीं लेने देंगे।”
भाभी हँसती हुई चली गई।
छोटी भाभी बोली- राज जी तुमने रात को सच में हमें देखा?
“तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ?”
भाभी उदास सी हो गई और चुप बैठ गई।
मैं बोला- क्या तुम नाराज हो मेरे देखने से?
नहीं, देवर तो सभी के ऐसा करते हैं। उनकी आँखों में आँसू आ गये।
मैंने उनका चेहरा ऊपर किया और आँसू पोछते हुए बोला- भाभी, मैं तुम्हारा दुख समझ सकता हूँ। मेरा रात ही मनकर रहा था कि तुम्हारे पास आ जाऊँ और तुम्हारी उंगली की जगह अपना डाल दूँ।
भाभी मेरे कन्धे पर सिर रखकर रोने लगी।
मैं उनका मूड बदलने के लिए बोला- अब तो बन जाओ आधी घरवाली।
भाभी मुस्कुराने लगी।
मैंने उनके आँसू पौंछे और गाल पर चुम्मा ले लिया।
भाभी शरमा गई और बोली- बहुत चालाक हो? तुम मेरी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हो।
“नहीं भाभी ! जब से तुम्हें देखा है तुम्हारा दीवाना बन गया हूँ।”
“झूठ बोल रहे हो?”
“कसम से भाभी ! आई लव यू। क्या मैं तुम्हें पसन्द नहीं हूँ?”
“ऐसी बात नहीं है पसन्द तो हो पर !”
“पर क्या?”
“कुछ नहीं।”
“भाभी बोलो न? नहीं तो मैं मर जाऊँगा।”
भाभी ने मेरे होंटों पर उंगली रखी और बोली- चुप ! ऐसा नहीं बोलते।
“तो बोलो- यू लव मी?”
“हाँ ! ठीक है, मैं तुम्हारी आधी नहीं पूरी घरवाली बनने को तैयार हूँ।”
मैं उनकी उगँली मुँह में लेकर चूसने लगा।
उन्होंने उंगली निकाली और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- राज जी, बताओ…
मैं बीच में बोला- राज जी, नहीं सिर्फ राज !
“ठीक है, पर तुम भी भाभी नहीं बोलोगे और मेरा नाम लोगे.”
“नाम नहीं, मेरी जान हो तुम !”
“ठीक है मेरे जानू, यह बताओ तुम्हें मुझमें क्या अच्छा लगता है?”
“ऐसी कोई चीज ही नहीं जो अच्छी न लगती हो !”
भाभी बोली- सबसे अच्छा क्या लगता है?
“तुम्हारे होंट !” कहकर मैं चुम्बन करने लगा।
“ओ हो ! अभी नहीं ! कोई आ जाएगा !” और मुझे अलग कर दिया।
“और बताओ?”
“और तुम्हारी ये मोटी मोटी चूचियाँ जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड सलामी देने लगता है !” मैं चूचियाँ मसलते हुए बोला।
“तुम तो बहुत बेशर्म हो। मैं बोल रही हूँ ना कि कोई आ जायेगा।” उनकी आवाज में सेक्सी अन्दाज था।
मैं बोला- जानू, क्या करूँ, रुका ही नहीं जा रहा।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो पैंट से साफ दिख रहा था।
भाभी लण्ड पर हाथ रखते हुए बोली- जानू, अपने इससे कहो कि गुस्सा न करे और समय का इन्तजार करे।
“इन्तजार में तो मर जाऊँगा !”
“फिर वही? मरें तुम्हारे दुश्मन !” और मेरे होंटों को चूम लिया।
फिर हम बैठकर बातें करने लगे।
वो बोली- कितनी लड़कियों के साथ किया है?
“क्या किया है?”
“इतने शरीफ मत बनो।”
“तो साफ साफ़ बोलो कि क्या पूछना है।”
“अरे जानू, मेरा मतलब है कितनी लड़कियाँ चोदी हैं अब तक?”
“पाँच !”
“पाँच?”
“हाँ ! पर जान, तेरे जैसी नहीं मिली।”
“झूठ बोल रहे हो ! पाँच को चोद डाला और मेरी जैसी नहीं मिली?”
“सच बोल रहा हूँ जानू !”
“अब तो मिल गई?”
“अभी कहाँ मिली है?”
“बहुत शैतान हो !” कहते हुए हँसने लगी।
मैं बोला- अभी देखा ही क्या है तुमने?”
“तो देख लेंगे !”
तभी भाई आ गये और बोले- क्या बात चल रही है भाभी-देवर में?
मैं बोला- तुम्हारे बारे में ही चल रही है।
“क्या?”
भाभी बता रही थी कि आपने रात इन्हें कितना सताया।
“अच्छा?”
“हाँ !”
“चलो, तुम मौज लो, मैं चलता हूँ !” और मैं वहाँ से आ गया।
तभी भाई आ गये और बोले- क्या बात चल रही है भाभी-देवर में?
मैं बोला- तुम्हारे बारे में ही चल रही है।
“क्या?”
भाभी बता रही थी कि आपने रात इन्हें कितना सताया।
“अच्छा?”
“हाँ !”
“चलो, तुम मौज लो, मैं चलता हूँ !” और मैं वहाँ से आ गया।
मैं बहुत खुश था और समय का इन्तजार करने लगा कि कब भाभी की चूत फाड़ने का मौका मिलेगा।
दो दिन भाभी के भाई उन्हें लेने आ गये। वो चली गई।
फिर हम उनको लेने गये तो छोटी भाभी बीमार थी इसलिए हम बड़ी भाभी को लेकर आ गये।
3-4 दिन बाद रेनू भाभी का फोन आया, बोली- कैसे हो जानू?
“मैं तो ठीक हूँ पर तुम कैसे बीमार हो गई थी और अब कैसी हो?”
“तुम दूर रहोगे तो बीमार ही रहूँगी ना !”
“तो पास बुला लो !”
“जानू आ जाओ, बहुत मनकर रहा है मिलने का।”
“मिलने का या कुछ करने का?”
“चलो तुम भी ना !”
“जान कब तक तड़पाओगी?”
रेनू कुछ सोच कर बोली- जानू, तुम कल आ घर आ जाओ।
“क्यूँ?”
“कल सारे घर वाले गंगा स्नान के लिए जा रहे हैं और परसों शाम तक आएँगे।”
“तो जान, अभी आ जाता हूँ।”
“ओ रुको ! अभी आ जाता हूँ?” और हँसने लगी।
आगे की कहानी अलगे भाग में-