सुहागरात का असली मजा-3
Suhagrat Ka Asli Maza-3
“तुम कल श्याम को आना। ठीक है? मैं फोन रखती हूँ।”
“ठीक है, लव यू जान !”
“लव यू टू जानू !”
“बाय !”
अब मैं बस उस पल का इन्तजार कर रहा था कि कब रेनू के पास पहूँचूं और उसे पेलूँ।
मैं दूसरे दिन तैयार हुआ और गाड़ी लेकर निकल गया। मैं उसके गाँव से लगभग 15 कि. मी. दूर था तो रेनू का फोन आया।
“जानू कहाँ हो?”
“जान 15-20 मिनट में पहुँच रहा हूँ।”
“जल्दी आ जाओ जानू, मैं इन्तज़ार कर रही हूँ।”
“ठीक है जान, थोड़ा और इन्तज़ार करो और तेल लगा कर रखो, मैं पहुँचता हूँ।”
मैं गाँव पहुँचा तो रेनू और अंकिता (रेनू के चाचा की लड़की, इससे मैं शादी में मिला था) के साथ बाहर ही मेरा इन्तजार कर रही थी। मैंने गाड़ी रोक ली। दोनों ने सिर झुकाकर नमस्ते की। रेनू पीले रंग और अंकिता आसमानी रंग का सूट सलवार पहने थीं। दोनों ही ऐसे लग रही जैसे आसमान से उतरी हों।
अंकिता की लम्बाई और चूचियाँ रेनू से ज्यादा थी और चेहरा लगभग एक जैसा ही।
तभी पीछे से आवाज आई- जीजू, कहाँ खो गये?
“तुम्हारे ख्यालों में !”
“जीजू सपने बाद में देखना, पहले घर तो चलो।”
हम घर पहुँच गये। रेनू ने दरवाजा खोला। हम अन्दर जाकर सोफा पर बैठ गये। रेनू रसोई में चली गई। अंकिता और मैं बात करने लगे। मन कर रहा था कि साली को पकड़ कर मसल डालूँ। फिर सोचा आज रेनू को चोद लेता हूँ फिर इसके बारे में सोचूँगा। साली कब तक बचेगी।
रेनू चाय लेकर आ गई। हमने चाय पी फिर अंकिता चली गई।
रेनू दरवाजा बन्द करके मेरे पास बैठ गई और बोली- खाने में क्या खाओगे।
“तुम्हें !” और पकड़कर चूमने लगा।
“अरे जानू, बहुत ही बेशर्म और बेसब्र हो। मौका मिलते ही चिपक जाते हो।”
“और कितना सब्र करूँ जान? अब नहीं रुका जाता और तुम हर बार रोक देती हो।”
“थोड़ा और सब्र करो जान, हमारे पास पूरी रात है। पहले तुम फ़्रेश हो लो, मैं खाना लगा देती हूँ।”
“ठीक है जानू, जैसी आपकी मर्जी !” कहते हुए बाथरूम में चला गया।
मैं नहा धोकर आया जब तक रेनू ने खाना लगा दिया। रेनू बोली- जानू, मैं अपने हाथ से तुम्हें खाना खिलाऊँगी।
मैं बोला- ठीक है, खिलाओ।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे को खाना खिलाया। खाने के बाद रेनू बोली- जानू, तुम उस कमरे में आराम करो। मैं नहा कर आती हूँ।
मैं कमरे में जाकर बैठ गया।
लगभग एक घन्टे बाद आई। उसने वही कपड़े पहने थे जो सुहागरात वाले दिन पहने थे।
प्याजी कलर के लहँगा चोली और हाथ में दूध का गिलास।
मैं उसे देखकर समझ गया कि वो क्या चाहती है और अब तक मुझे क्यूँ रोकती रही।
मैं खड़ा हुआ और दरवाजा बन्द कर दिया। उसके हाथ से गिलास लिया और एक तरफ रख दिया। फिर उसे पैरों और कमर से पकड़कर बाँहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया।
मैं उसके पास लेट गया।
आज रेनू कितनी सुन्दर लग रही थी। दिल कर रहा कि बस उसे देखता रहूँ। उसकी प्यारी मासूम सी आँखों में काजल और पतले से होंटों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक बहुत ही अच्छी लग रही थी।
मैंने उसकी नथ और कानों के झुमके उतार दिये। फिर मैं उसके पेट को सहलाने लगा। उसके चेहरे पर नशा सा छा रहा था जो उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहा था। मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा और धीरे धीरे दबाने लगा। रेनू के होंट काँपने लगे। मैं थोड़ा उसके ऊपर झुका और उसके होंटों पर होंट रख दिये। रेनू ने तिरछी होकर मेरा सिर पकड़ा और होंटों को चूसने लगी। उसने एक पैर मेरे पैर के ऊपर रख लिया जिससे उसका लहँगा घुटने से ऊपर आ गया। मैं हाथ लहँगा के अन्दर डालकर चूतड़ों को भींचने लगा जो एक दम कसे थे।
अब मेरा लण्ड पैंट में परेशान हो रहा था। मैं रेनू से अलग हुआ और पैंट उतार दी। मेरा लण्ड अण्डरवीयर में सीधा खड़ा था। रेनू लण्ड को देखकर मुस्कराने लगी। मैं फिर रेनू के होंटों और गर्दन पर चुम्बन करने लगा। रेनू मुझसे लिपट गई। मैंने कमर पर हाथ रखकर ब्लाऊज की डोरी खींच दी और ब्लाऊज को अलग कर दिया।
गुलाबी ब्रा में गोरी चूचियों को देखकर मुझसे रुका नहीं गया और मैंने ब्रा नीचे खींच दी, उसकी चूचियों को पकड़कर मसलने लगा।
“राज धीरे !”
पर मैं चूचियों को मसलता रहा। वो एक हाथ में मेरा लण्ड लेकर दबाने लगी। मैं उसकी चूचियों को चूसने लगा।
रेनू के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी- आ आह् सी उ राज चूसो मसलो आ ह. .
उसने खुद ही अपना नाड़ा खोलकर लहँगा और पैंटी उतार दी। फिर बैठ कर मेरी कमीज और अन्डरवीयर भी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।
मेरा लण्ड हवा में लहराने लगा।
रेनू ने लण्ड हाथ में पकड़ा और बोली- लण्ड इतना बड़ा भी होता है?
फिर एक हाथ से लण्ड और दूसरे से अपनी चूत सहलाने लगी। मैं खड़ा हो गया और बोला- जान मुँह में लो ना।
रेनू मना करते हुए बोली- मुझे उल्टी हो जायेगी।
“चुम्मा तो लो !”
रेनू ने लण्ड के अगले भाग होंट रख दिये और जीभ फिराने लगी। उसके होंटों के स्पर्श से लण्ड बिल्कुल तन गया। मैंने उसका सिर पकड़ा और लण्ड मुँह में डालने लगा।
अगले भाग में कहानी समाप्त-