हिंदी सेक्स स्टोरी

सुहागरात का असली मजा-4

Suhagrat Ka Asli Maza-4

रेनू की आँखो में इन्कार था पर मैं नहीं माना और लण्ड मुँह में ठोक दिया। अब मैं उसके मुँह को चोदने लगा। थोड़ी देर बाद रेनू खुद लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था। मैंने रेनू को फिर चूमना और भींचना शुरु कर दिया। रेनू भी पागलों की तरह मुझे चूम रही थी।

मैं उठकर उसके पैरों के बीच बैठ गया। रेनू ने अपनी टागेँ खोल दी। क्या मस्त चूत थी, एक भी बाल नहीं और रगड़ रगड़ कर लाल हो रही थी। मुझसे बिना चूमे नहीं रुका गया। मैंने चूत की फाँकें खोली और छेद पर जीभ रखकर हिलाने लगा।

रेनू मचल उठी और मेरा सिर चूत पर कस लिया। उसके मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी। जाने क्या बोल रही थी- चूसो आह सी सी ई.. खा जाओ कुतिया को खा जा बहन के लौड़े मेरी चूत को….. अह्ह्ह … जान यह बहुत परेशान करती है मुझे ! सी ई..

बोली- राज, अब नहीं रुका जा रहा, डाल दो अपना लण्ड और फाड़ दो मेरी चूत को।

मैंने रेनू को तिरछा किया और एक पैर उठा कर कन्धे पर रख लिया। रेनू की टाँगें और लड़कियों से ज्यादा खुलती थी। फिर लण्ड चूत पर फिट किया और टाँग पकड़कर एक झटका मारा। मेरा आधा लण्ड चूत फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।

रेनू साँस रोकर चुप लेटी थी वो शायद दर्द सहन करने की कोशिश कर रही थी।

मैंने एक झटका और मारा और पूरा लण्ड चूत में ठोक दिया।

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रेनू का सब्र टूट गया और वो चिल्ला पड़ी- आ अ ऊई म् माँ

मैं बोला- ज्यादा दर्द हो रहा है क्या?

“न् नहीं ! तुम चोदो ! आ !”

मैंने उसे सीधा लिटाकर चुम्मा लिया और चूचियों को दबाने लगा। चूचियाँ दबाते हुए धीरे धीरे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद रेनू के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी और गाण्ड उठाकर मेरा साथ देने लगी- चोद मुझे, फाड़ दे मेरी चूत को ! फाड़ तेरे भाई की गाण्ड में तो दम नहीं, तेरी में है या नहीं है ! निकाल दे मेरी चूत की आग जो तेरे भाई ने लगाई है !

“यह ले कुतिया, चूत की क्या तेरी आग निकाल देता हूँ !”

मैंने उसे खींचा और बेड के किनारे पर ले आया। खुद नीचे खड़ा हो गया और कन्धे पकड़कर पूरी ताकत से धक्के मारने लगा।

रेनू की हर झटके पर चीख निकल रही थी- आ अ म मरी ऊ ई

पर मेरा पूरा साथ दे रही थी। 15-20 मिनट बाद वो मेरे से लिपट गई। उसकी चूत से पानी निकलने लगा और वो चुप लेट गई। मैं लगातार झटके मार रहा था।

रेनू बोली- राज, अब निकाल लो, पेट में दर्द हो रहा है।

“अभी तो बड़ा उछल रही थी? फाड़ मेरी चूत ! दम है या नहीं? अब क्या हुआ?”

“राज, प्लीज निकाल लो, अब नहीं सहा जा रहा।”

मैंने लण्ड चूत से निकाल लिया और उसे उल्टा लिटा लिया। अब उसके पैर नीचे थे और वो चूचियों के बल लेटी थी। मैं लण्ड उसकी गाण्ड पर फिराने लगा। शायद वो समझ नहीं पाई कि मैं क्या कर रहा हूँ। वो चुप आँखे बन्द करके लेटी थी।

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मैंने लण्ड गाण्ड पर रखा और दोनों जांघें पकड़ कर धक्का मारा। लण्ड चूत के पानी से भीगा था सो एक ही झटके में 4 इन्च घुस गया।

रेनू एकदम चिल्ला उठी- आ अ फाड़ दी में मेरी ! मर गई ई ! कुत्ते निकाल बाहर !

रेनू गिड़गिड़ा उठी- राज, प्लीज़ निकाल लो इसे, बाहर वर्ना मैं मर जाऊँगी। निकाल लो राज, मेरी फट गई है प्लीज़ !!! मुझे बहुत दर्द हो रहा है, राज मैं मर जाऊँगी।” मैं मर जाऊँगी।

मैंने लगातार 10-15 झटके मारे। रेनू दर्द से कराह रही थी।

मैं बोला- रेनू, मेरा निकलने वाला है, कहाँ डालूँ।

वो कुछ नहीं बोली, बस चिल्ला रही थी। मैंने उसकी गाण्ड में सारा माल भर दिया।

थोड़ी देर में लण्ड बाहर निकल गया।

हम दोनों एक दूसरे से लिपटे थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे।

मैं एक बार और रेनू प्यारी चूत के साथ मूसल मस्ती करना चाह रहा था। एक बार फिर से टाँगें उठाकर अपना मूसल रेनू की चूत में जड़ तक घुसेड़ दिया, रेनू बेड पर पड़ी कराह रही थी।

मैंने उसे खड़ा किया। पर उससे खड़ा नहीं हुआ गया और नीचे बैठ गई। उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।

मैं रेनू के बगल में बैठ गया और आँसू पोंछने लगा।

रेनू का दर्द कुछ कम हुआ तो बोली- जानू, आज तो मार ही देते।

“जान मार देता तो मेरे लण्ड का क्या होता?”

वो हँसने लगी और बोली- अब तो बन गई मैं तुम्हारी पूरी घरवाली?

“हाँ बन गई !” और मैं उसे चूमने लगा।

“जानू, तुम में और तुम्हारे भाई में कितना फर्क है ! उससे तो चूत ढंग से नहीं फाड़ी गई और तुमने गाण्ड के भी होश उड़ा दिये। वास्तव में आज आया है सुहागरात का असली मजा।”

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“आया नहीं, अब आयेगा।”

रेनू हँसने लगी और मुझसे लिपट गई।

मैंने सुबह तक रेनू की चूत का चार बार बाजा बजाया, रात को उसे 3 बार पेला और सुबह नहाते हुए भी।

उसके बाद अंकिता की चूत और गाण्ड फाड़ी।

कैसे?

अगली कहानी में।

फिलहाल यह कहानी कैसी लगी, बताना।

//कहानी समाप्त//