बुढापे में लंड और उठता हैं मेरा
(Budhape Me Lund Uthta Hai Mera)
मित्रो क्या चुदाई का हक़ सिर्फ युवानो को हैं, अगर इसका जवाब हां हैं तो मेरी यह कहानी को एक गुसताखी समझ के माफ़ कर देना. लेकिन मन में उठे उबाल ने मुझे भी अपनी कहानी आप लोगो के समक्ष रखने पे मजबूर कर दिया. मेरा नाम और शहर मैंने बदल दिया है लेकिन आपके लिए मेरा नाम दिग्विजय हैं. यह सच्ची घटना मेरे साथ काम करती पूजा के साथ हुए मेरे सेक्स की हैं. यह सेक्स पहली बार ऑफिस में ही हुआ था लेकिन उसके संजोग बहुत मीठे थे और…..चलिए आप खुद ही देखियें की यह सब कैसे हुआ.
हर रोज की तरह आज भी बीवी के साथ ऑफिस आने से पहले ही बोलचाली हो गई. अब कम सेलरी और बढती महंगाई, मेरी गलती इतनी थी की मैं मध्यमवर्गी था जिसे सब तरफ से मार मिलती हैं, गरीब और अमीर के बिच फंसे रहना अभिशाप हो गया है, और मेरे हिसाब से तो छक्के और मध्यमवर्ग में ज्यादा फर्क नहीं था. 40 की उम्र थी इसलिए नौकरी बदलने के चांसिस भी कम थे. और वैसे भी मुझे कोन नौकरी देता इस उम्र में. घर में बीवी धक्के देती थी और काम पे बोस. मेरी सेक्स लाइफ भी 3-4 साल से बिगड़ चुकी थी. बीवी से मैंने सेक्स करना बिलकुल बंध किया हुआ था. वैसे में सेक्स स्टोरीस और कभी कबार सॉफ्ट पोर्न देख के हस्तमैथुन कर लिया करता था लेकिन यह सब काफी थोड़ी होता हैं….! बीवी भी मुझ से दूर ही रहती थी. लेकिन पूजा और मेरे सबंध ऑफिस में अब पहले से अच्छे थे, वोह मेरे जैसे ही एक क्लर्क थी और उसकी आँखों में मुझे अपने जैसे ही दुःख नजर आते थे. तभी तो मैं उसकी तरफ खिंचा चला गया था. पूजा की उम्र 38 के करीब की होंगी लेकिन वह एकदम दुबली पतली थी. उसकी कमर मुश्किल से 26 की होगी, वोह वैसे कम बातें करती थी. मेरे ऑफिस ज्वाइन करने के कुछ 6 माह बाद उसने मेरे साथ पहली बार बात की थी.
पूजा मेरे साथ लंच भी करती थी और वोह थोड़ी खुल गई थी मुझ से. उसने मुझे अपनी कहानी बताई जिसके मुताबिक उसका पति कमाता नहीं था, वोह एक नंबर का शराबी था और उसे रंडीबाजी का भी सौख था. वोह पूजा की कम कमाई से एक बड़ा हिस्सा ले जाता था. पूजा भी मेरी तरह ही दुखी और सेक्स से विमुख हुई थी. हम दोनों की एकांतता हमें और करीब ले आई और हम लोग अब बहार भी मिलने लगे. मैं उसकी नेक्स्ट सोसायटी में ही रहता था इसलिए हम लोग मोर्निंग वोक करने जाने लगे साथ में. मुझे पूजा से प्यार जैसे अहेसास होने लगा था. वोह भी मुझे अच्छी तरह बुलाती थी और उसने आजतक मुझे मान से ही बुलाया था. हम लोग अभी तक सेक्स या ऐसा कुछ भी नहीं करते थे लेकिन सच बताऊँ अब मेरे दिल में पूजा को शरीर सुख देने को मन कर रहा था. आप समझ रहे होंगे की मैं स्वार्थी अपनी चुदाई के लिए ऐसा सोचता होऊंगा लेकिन मित्रो मुझे पूजा की दया आती थी. मुझे लगता था की उसे सेक्स से विमुख हुए एक अरसा हो गया था. उसके कोई औलाद भी नहीं थी, जो की और एक अभिशाप था.
सुबह सुबह का वातावरण था और मैं पूजा के साथ गार्डन में वोक कर रहा था, तभी हमने देखा की गार्डन के बिच में ही एक कुत्ता कुतिया को चोद रहा था. मुझे अजीब लगा लेकिन मैंने देखा की पूजा बड़े सौख से उसे देख रही थी. मैंने उसे चलने को कहा, वो बोल उठी..कितने नसीब वाले हैं जानवर भी और हम ही प्यासे हैं. मुझे पहली बार लगा की पूजा कितनी अकेली हैं, उसके सेक्स के अरमान कितने बुलंद हैं. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसने मेरी आँखों में आंखे डाल के देखा….मैंने उसे कहा पूजा…बदनसीब तो मैं भी हूँ, क्यूँ ना हम एक दुसरे का सहारा बन जाएँ. पूजा कुछ बोली नहीं, मैंने उसे उसी शाम को एक गेस्ट हाउस में जाने का प्रस्ताव रखा और उसने बेझिझक मुझे हाँ कह दिया. मैं डरते डरते शाम को कंडोम ले के आया और शहर से बहार जाते हुए रास्ते पे एक छोटे से गेस्ट हाउस की तरफ चले गए. मैं घर बीवी से सूटकेश रिपेर का बहाना कर के सूटकेश उठा लाया था. जिस से गेस्ट हाउस वाले को भी शक ना हो. पूजा हलकी गुलाबी साडी में आई थी. वो अंदर जाते ही पलंग पर बैठ गई. मैंने अंदर जा के सूटकेश साइड में रखी और उसके पास जाके बैठा. मेरे हाथ कांप रहे थे, फिर भी मैंने हिम्मत कर के उसके कंधे और फिर स्तन के उपर हाथ रख दिया.
पूजा ने धीरे से नजर घुमा के मेरी तरफ देखा और उसके चहेरे पर आज कुछ अलग ही भाव थे, उसके गालो पर शरम की लाई छाई हुई थी. मैंने उसे अपनी तरफ खिंच के बाहों में भर लिया. मेरा लंड कब से एक अच्छे सेक्स की तलाश में था जो शायद आज मिलने वाला था. पूजा पहले थोडा शरमाई लेकिन बाद में उसने अपनी गुलाबी साडी को खोला और फिर ब्लाउज भी उतार दिया. मैंने उसके छोटे छोटे स्तन को मुहं में भर लिए. पूजा सिसकियाँ ले रही थी और मैं उसे और भी जोर से चूसने लगा. पूजा ने अब धीमे से मेरे पेंट का बक्कल खोला और मेरा झुर्रियों से भरे गोलों वाला लंड बहार निकाला. बहुत दिन बाद इस लंड के अंदर सेक्स की उत्तेजना आई थी. पूजा मेरे लंड को पकड़ के उसे बेतहाशा मसलने लगी. मेरे हाथ अभी भी उसकी गोलाइयों को मसल रहा था और मेरे होंठ उसके होंठो को चूस रहे थे. पूजा इस उम्र में भी मुझे किस में एक मजा दे रही थी जो आज तक उसकी सेक्स की प्यास की कहानी बयान कर रही थी. मैंने भी उसके सारे कपडे उतार उसे बिलकुल नग्न कर दिया. पूजा की चूत पर घने बाल थे और उसकी चूत का रंग लाल लाल हो चूका था. मैंने उसकी चूत के उपर हलके से हाथ रखा और उसके शरीर में जैसे की करंट दौड़ गया.
मुझे भी जल्दी चुदाई कर के घर जाना था, मैं भी सम्पूर्ण नग्न हो गया और पूजा की चूत के होंठो पर मैं अपना लंड मसलने लगा. उसकी चूत के अंदर से क्रमश: ज्यूस बहने लगा और देखते देखते उसकी चूत मस्त गीली हो गई, अब अंदर लंड देने में दिक्कत नहीं थी. मैंने हलके से उसे उठाया और पलंग पर उसकी दोनों टाँगे चौड़ी कर के लिटा दिया. पूजा शरम से अपना मुहं छिपा रही थी लेकिन मैं रुका नहीं. मैंने अपना लंड उसे चूत में आधा दे दिया, मेरे आश्चर्य के बिच यह चूत अब भी जैसे की 30 बरस की युवती की चूत हो वैसे टाईट थी. मैंने दूसरा एक झटका दिया तब जाके मेरा लंड उसके अंदर पूरा घुस सका. मैंने अब क्रमश: अपनी स्पीड बढाई और सेक्स अपनी गति अपनेआप पकड़ने लगा. पूजा आह अह ओह ओह करती थी और मैं जोरदार झटको के साथ उसकी चुदाई का मजा लेता था. पूजा की चूत ने मेरे लंड को जैसे की जकड़ के रखा था. लेकिन थोड़ी देर बाद उसकी चूत के अंदर से और भी रस बहने लगा और मुझे अब लंड के उपर थोड़ी ढील होते हुए लगने लगी. मैंने पूजा को जांघो से पकड़ के थोडा उपर उठा लिया और मैं उसे अब जोर जोर से झटके दे के चोदने लगा. पूजा की सिसकियाँ बढ़ने लगी और वोह भी अपनी गांड को हिला के सेक्स में मेरा साथ देने लगी.
फिर क्या पूछना था और क्या बताने को बाकी रहता हैं, मेरी सेक्स की स्पीड अब बहुत ही बढ़ गई और पूजा भी वही इंटेंसिटी से रिस्पोंस देने लगी. मुझे चुदाई का यह सुख जैसे की एक हसीन सपना हो वैसे लग रहा था. लेकिन अगर यह सपना हैं तो मैं हमेशा सोए रहना चाहता था क्यूंकि चूत की वह पकड़ और सेक्स की वह मस्ती इस उम्र में मुझे मिलेगी यह तो मैंने दूर के सपने में भी नहीं सोचा था. पूजा मुझे बाहों में भरने लगी थी और उसकी साँसों में भी अब एक्सप्रेस ट्रेन की स्पीड आने लगी थी. मैंने सोचा की यही सही समय हैं सेक्स को अंजाम तक लाने का, वैसे भी साथ झड़ने का मजा होता ही कुछ और हैं. मैंने अपने लंड को और भी जोर जोर से पूजा की चूत में देना चालू किया और जैसे मुझे यकीन था दो मिनिट के भीतर ही मेरे लंड से चुदाई के ज्यूस निकले और पूरा कंडोम भर गया. पूजा की चूत में निकले तो नहीं लेकिन फिर भी उसे कंडोम के आरपार इस वीर्य का अहेसास जरुर हुआ होगा वरना वोह तभी मुझे थोड़ी कस लेती अपनी बाहों में….!!!
मित्रो मेरी और पूजा की सेक्स कहानी यहाँ ख़तम नहीं बल्कि चालू हुई, मैं सच में उस से प्यार कर बैठा और अब ढेरो सवाल मुझे घेरे हुए हैं, क्यां मैं उस से शादी करूँ, क्या मैं ऐसे ही उस के साथ चुदाई के सिलसिले को आगे बढ़ाऊं. मैं सच में बहुत उलझन में हूँ….क्या आप जानते हैं की इस सुरत में मैं क्या कर सकता हूँ….मुझे आप कमेन्ट में अपनी राय लिख भेंजे…मैं इस साईट के लोगो का भी एडवांस में धन्यवाद करता हूँ मेरी सच्ची स्टोरी छापने के लिए….!