ताऊ ने तार-तार की मेरी कुंवारी बुर 2
Tau ne taar taar ki meri kunwari bur-2
तभी ऐसा लगा कि लण्ड से कुछ गीला सा पदार्थ निकल रहा है।
इतने में ही ताउ ने थोडा पीछे होकर अपनी कमर को हिला दिया, अब वह चिकना पदार्थ मेरी बुर के होठों को तर करने लगा था।
वे मुझे चोदने का हर सम्भव प्रयास कर रहे थे और मै अपनी इज्जत बचाने का।
इतने में ही बाहर कोई नल पर पानी पीने आ गया। मैंने सोचा कि अगर वह मेरे बिस्तर पर ताउ जी को देख तो बडी बदनामी हो जाएगी।
मैं इतना सोच ही रही थी कि ताउ जी भी सतर्क हो गए और मुझे उसी नंगी अवस्था में छोड कर भागने लगे।
तभी मैंने ताउ को अपनी ओर जोर से खींचा और कस कर अपने से चिपटा लिया।
ताउ कुछ समझ नहीं पाये कि यह क्या कर रही है तभी मैं ताउ के कान में फुसफुसा कर बोला – ताउ जी चुपचाप लेटे रहिए, जो भी है चला जाएगा तो उठ कर चले जाना।
वह व्यक्ति शायद बाल्टी भर रहा था।
ताउ जी का अब लण्ड दोबारा मेरी चूत की गरमी पा कर खडा हो गया। ताउ उसे बार-बार सही करने के लिए आगे-पीछे होने लगे।
मैंने सोचा कि अब तक तो किसी ने नहीं देखा पर अब जरूर देख लेगा।
इसीलिए मैंने ताउ का लंड अपनी टागें खोल कर बीच में ले लिया।
बस यही मेरी गलती थी।
अब तो ताउ का लण्ड सीधा चूत के मुँह पर सट गया और उसमें से चिकना सा तरल निकलने लगा।
कोई और नहीं मेरी मम्मी हैं यह देखकर मेरी हालत खराब हो गई और मैंने दुबारा ताउ जी को अपने उपर से कस कर चिपटा लिया।
अब तो लण्ड का सुपाडा बिल्कुल मेरी बुर में अकडते हुए फंस गया मेरी बुर चिरने लगी।
दर्द भी होने लगा था।
ताउ जी बोले – रानी क्या हुआ? बहुत दर्द हो रहा है क्या?
मैं चुप रही तभी ताउ जी ने अपने लण्ड को धीरे-धीरे आगे बढाना शुरू कर दिया।
उनकी इस कमीनी हरकत पर मुझे बहुत क्रोध आ रहा था पर मैं मजबूर थी अब मैं सोच रही थी कि माँ जल्दी से जायें तो मैं अपने को बचाउॅं।
परन्तु नियती को कुछ और ही मंजूर था आखिर मैं भी एक जवान लडकी थी मेरे अन्दर इसी बीच काम भावना ने जन्म ले लिया था।
अब बुर में कुछ अलग सा अहसास हुआ जो आनन्द देने लगा।
मेरे अन्दर की काम भावना फिर सारे रिश्ते नाते भुला कर चुदाई के लिए तत्पर हो गई।
मेरे ताउ जी ने न जाने क्या सोच कर मन ही मन क्या फैसला किया और वे अचानक मम्मी के जाते ही उठ कर जाने लगे।
मैं आश्चर्य से भर गई कि यह व्यक्ति मेरी अभी कुछ मिनट पहले अस्मत को तार-तार करने वाला था, अचानक रूक कैसे गया?
मैंने ताउ को देखा वह अपनी धोती समेट कर उठने की तैयारी में थे पर अब मेरे अन्दर जो आग सुलग गई थी तो उसे बुझाना मेरे लिए बहुत ही जरूरी हो गया।
मैंने ताउ जी को उठता देख एक चाल खेल दी।
मैंने ताउ जी के दोंनों घुटने पर जिनके बीच मै थी जोर से अपने दोनों पैरों से टक्कर मार दी और ताउ जी अचानक हमले से सम्हल नहीं पाये और मेरे उपर ही गिर गए।
तभी मैंने अपने एक हाथ से उनका लण्ड पकडा और अपनी चूत के छेद पर रख दिया और इसी बीच वे दुबारा उठने का प्रयास करते हुए बोले – मैं यह नहीं कर सकता। तुम मेरी बेटी हो पर जवानी का तूफान सब कुछ नष्ट कर देता है यह बात सच हैं।
वे उठना चाह रहे थे और मैं चुदना।
तभी मैंने फिर से उनके दोनों घुटनों पर जोर से लात मारी और जवानी बुढापे से जीत गई उनका सुपाडा मेरी चूत में फच्च से आ गया।
मेरी चीख निकल ही जाती पर मैंने दोनों होंठ कस के भींच लिए।
ताउ फिर उठने के लिए पीछे हटे और मैंने कस कर फिर लात मार दी दुबारा फिर लण्ड और अन्दर आ गया ताउ की हालत खराब हो गई थी।
वे विफल हो गए थे।
उनका लण्ड कम तना था और ढीला पडता जा रहा था शायद उनकी मन में काम भावना नहीं होने से ऐसा हो गया हो।
अब तो मैं खिसियाने लगी और बोली – ताउ क्या बात है?
ताउ कुछ नहीं बोले पर उनकी आँख में आंसू आ गए थे।
शायद उनको अपराध बोध हो रहा था।
फिर मैंने अपने को सख्त किया और ताउ जी को नीचे पटक कर उनके उपर चढ गई और बेबस ताउ जी के लण्ड को बुर पर लगा कर उनके उपर तेजी से बैठ गई और लण्ड पूरा मेरे अन्दर आ गया और दर्द का एक सैलाब मेरे पर आ गया।
मैं चीख उठी तभी ताउ जी ने मुझे सम्हाल लिया और अपने होठों से मेरे मुँह को बन्द कर दिया और धीरे-धीरे अपना लण्ड निकालने लगे।
मैंने फिर कूद कर लण्ड अन्दर कर लिया अब तो ताउ जी भी मजे में आ गए और मेेरे साथ जवानी की बाढ में बह गए।
अब वो मुझे नीचे ले कर चोदने लगे।
मेरी जबरदस्त चुदाई हो रही थी।
अब मैं भी साथ साथ मजे लेने लगी।
हम दोनों ही एक साथ झड गए।
तो यह मेरी दर्द भरी पहली चुदाई की दास्तान है।