भाई-बहन की चुदाई

ठंड दूर की बहन के साथ कम्बल में

(Thand Dur Ki Bahan Ke Sath Kambal Mein)

बात दोंस्तों 2 साल पहले की है। मैं और मेरी बहन आफरीन दिल्ली में सिविल की तैयारी कर रहे थे। हम दोनों ने एक कोचिंग में नाम लिखा लिया था। दिसम्बर का महीना चल रहा था। कड़क सर्दियां पड़ रही थी। हम दोनों भाई बहनों ने एक फ्लैट भी किराये पर ले लिया था। मैं अपने घर यु.पी से गद्दा रजाई लेकर आना चाहता था, क्योंकि वहाँ पर एक्स्ट्रा रखा था। मैं बेवजह पैसा नही खर्च करना चाहता था। क्योंकि हम दोनों भाई बहनों की पढाई में वैसे ही बड़ा पैसा खर्च हो गया था। Thand Dur Ki Bahan Ke Sath Kambal Mein.

मैं 22 साल का था और मेरी बहन आफरीन 19 साल का कड़क मॉल थी। इतनी गजब थी की मोहल्ले के सारे आवारा लड़के उसको छेना छेना कहते थे। मेरी बहन का फिगर 30 28 34 का था। छोटे पर मस्त मम्मे थे । मेरी बहन को मोहल्ले का हर लड़का चोदना चाहता था।

कोई उसे सिटी मरता था, कोई उसको लव लेटर देता था। कोई आफरीन का दुपट्टा खिंचता था कोई उसकी फोटो खींचता था। जो भी मेरी छेना जैसी बहन को देखता था वो मेरी बहन के भोंसड़े को फाड़ना चाहता था। बिना रजाई गद्दे
के हम दोनों भाई बहन दिसम्बर का महीना किसी तरह काट रहे थे।

मेरे चाचा यु.पी  से आने वाले थे। वो रजाई गद्दा लाने वाले थे। इसलिए मैंने नही ख़रीदा था। उस दिन बुधवार था। उस दिन तो गजब ही हो गया। सुबह 12 बजे तक इंतजार करने पर भी सूरज नही निकला। बाहर ना तो धुप निकली न गर्मी हुई। कड़ाके का पाला पड़ रहा था। हमारी कोचिंग एक हफ्ते का लिए बन्द कर दी गयी थी। मैंने थोड़ी आग जलाई थी, जो अब खत्म हो गयी थी।

मेरी जवान मस्त बहन अपने कमरे में कम्बल में लेती थी ठंड से बचने के लिए। आग खत्म होने के बाद मुझे बहुत ठंड लगने लगी। मैंने खिड़की से बाहर देखा तो दूर दूर तक कोई नही दिख रहा था। कोई कुत्ता या पक्षी भी नही दिख रहा था। मैं अपनी बहन के पास चला गया। और उसकी कम्बल में लेट गया।

मेरी 20 साल की जवान बहन काफी गर्म थी। मुझे वहां थोड़ा सूकून मिला। पर न जाने कहाँ से कम्बल फटा था, इसलिए हवा लग रही थी। ठण्ड से बचने के लिए मैं अपनी जवान मस्त गदरायी जवानी से लबरेज बदन से चिपक गया। अब थोड़ी शांति मिली। मुझे नींद लग गयी।

कुछ देर बाद मेरी जवान मस्त चुच्चों वाली बहन ने मेरी ओर करवट कर दी। और मुझे कसके पकड़ लिया। आफरीन ने मेरे पैर पर अपने पैर रख दिए, जिस तरह वो बचपन में सोते वक़्त माँ के पैरों पर पैर रख देती थी। मुझे थोड़ा अजीब लगा। पर वो मेरी बहन थी इसलिए मैं उसको हटाना नही चाहता था। धीरे धीरे मेरी जवान गठीले बदन वाली बहन की सारी गर्मी मुझे मिल गयी। मैं बहुत गर्म हो गया।

मेरी जवान बहन के मस्त रसीले ओठ बिलकुल मेरे लबो के पास थे, अचानक धक्का लगा और मेरे ओंठ मेरी जवान बहन के लबो पर मिल गए। मैं भी चूसने लगा। इतने में आफरीन से करवट ली तो एक मस्त रसीला मम्मा उसके सूट से बाहर निकल आया जैसे कह रहा हो की इतनी सर्दी में क्यों नही चूस रहे हो मुझे। Bahan Ke Sath Kambal Mein

ऊपरवाले का सर्दी काटने का हथियार समजकर मैं अपनी सगी बहन का मम्मा पिने लगा। सायद मेरी जवान बहन को अच्छा लगा तो वो मेरे और पास आ गयी। मैं मजे से उसकी दूध भरी छाती पीने लगा। क्या मस्त मस्त गोल काले घेरों वाली छाती थी। मैं हैरान था कि कब मेरी बहन इतनी मस्त मॉल बन गयी। अगर पता होता तो इसे पटा के चोद लेता।

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सर्दी इतनी ज्यादा थी की बाहर निकलना नामुमकिन था। अपनी बहन के पास रहना ही सबसे बड़ी समझदारी थी। सुबह से वैसे ही मैंने चाय नही पी थी। अब अपनी जवान बहन के दूध पी रहा था। सायद मेरा दूध पीना आफरीन को भा गया और उनसे दूसरा मम्मा भी निकाल दिया। ठंड से बचने के लिए मैं पीने लगा। धीरे धीरे हम दोनों सगे भाई बहन गरम और चुदासे होने लगे।

मैंने अपनी जवान बहन के सूट को निकाल दिया और दोनों मम्मे बदल बदल के पीने लगा। धीरे धीरे हम दोनों इतने गर्म हो गए की ये हुआ की अब चुदाई भी होनी चाहिए। मैंने आफरीन से इशारे से पूछा की दोगी??? वो तैयार हो गयी। उसने सलवार का नारा खोल दिया। और चड्डी उतार दी। Bahan Ke Sath Kambal Mein

मैंने आफरीन का धूध पीते पीते अपना सीधा हाथ उनकी जवान चूत की तरफ बढ़ा दिया। ऊउफ्फ्फ आहाआ कितनी चिकनी भरी भरी झांघे थी। लगा संगमर्मर का बदन है। मैं हैरान था कि मेरी बहन जो कुछ साल पहले बहुत छोटी थी कैसै इतनी गजब की मॉल बन गयी। मेरा हाथ चूत तक पहुँच गया और मैं उसने ऊँगली करने लगा। क्या गर्म गर्म भट्टी की तरह चूत थी ।

मैं ऊँगली करने लगा। मेरी जवान बहन मस्त होने लगी। मैं उसकी चूत फेटने लगा। चूत का रास्ता खुला हुआ था। मैं हैरान था कब उसने सील तुड़वा ली। ऐ आफरीन! कब तूने चुदवा लिया?? मैंने पूछा जब तुम बाहर गए थे पिकनिक पर, रमेश अंकल के लड़के तनवीर से मैंने चुदवा लिया था। आफरीन ने बताया। हाय हाय राण्ड, लण्ड के बिना
तेरा काम नही चला। इतनी ही जल्दी थी तो मुझसे बताती, चोद चोद के चूत फाड़ देता तेरी!

मैंने गुस्सा दिखाते हुए कहा। और कस कसके मैं चूत में ऊँगली करने लगा। मेरी बहन चुप हो गयी। मैंने दोनों उँगलियाँ उसकी चूत में डाल दी और जल्दी जल्दी ऊँगली चलाने लगा। मेरी बहन मचलने लगी, वो आहे भरने लगी, सिसकने लगी। अब मैं अपनी जवान बहन के ऊपर लद गया। ऊपर से मैंने कसके कम्बल ओढ़ लिया था, चारो कोनो पर कसके दबा लिया था, जिससे हवा ना अंदर आ सके।

मैंने अपनी जवान बहन के दोनों हाथ ऊपर कर दिये और उसके रसीले ओंठ पिने लगा। हम दोनों ही बहुत गरम हो गए थे। हम दोनों के बदन जल रहे थे। मेरी बहन के ओंठ फड़क रहे थे। वो थोड़ा चुदासी होकर काँप रही थी। उसके होंठ सिकुड़ रहे थे। Bahan Ke Sath Kambal Mein

चुच्चे बार बार छोटे होते फिर बड़े होते। मैं जान गया कि मेरी बहन चुदासी हो गयी है। इसको अब जल्दी से जल्दी चोद लेना चाहिए, वरना ये मर जाएगी। मैंने अपनी जवान बहन की गड्ढेदार नाभी चुम ली। उसके दोनों पैर खोल दिए। लण्ड का सुपाड़ा मैंने उसकी चूत में लगाया और अंदर डाल दिया और उनको चोदने लगा।

आज बड़े दिनों बाद मेरी बहन भी लण्ड खा रही थी, इसलिए उसको भी खूब कसा कसा लग रहा था। मैंने उसे चोदने लगा। शर्म से वो लजा गयी, वो दायीं ओर मुँह कर ली। आफरीन!! ऐ आफरीन! अपने भैया से नजरे नही मिलाओगी?? मैंने बड़े प्यार से पूछा. नही भैया मुझे शर्म आती है! आफरीन बोली .कोई बात नही मैंने कहा।

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आफरीन दायीं ओर देखती रही और मैं उसको बजाता रहा। चट चट! पट पट! का स्वर कमरे में गूंजने लगा। ऊपर
से मैंने कम्बल ओढ रखा था। मेरा साँप जैसा लण्ड आफरीन की कोमल योनि को कूट रहा था। मैं बेदर्दी से धक्के मार रहा था जिससे वो पूरी पूरी और कसके चुदे। Bahan Ke Sath Kambal Mein

रह रहकर मुझे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था कि रमेश अंकल के लड़के तनवीर से उसने क्यों सील तुड़वा ली। एक जबान मुझसे कहती की सील तोड़ दो। अगर मैं ना तोड़ता तो कहती। मैं बेदर्दी से धक्के मार रहा था। हम दोनों भाई बहन एक हल्के फोल्डिंग प्लाई वाले बेड पर थे। लगा कहीं टूट जा जाए। भइया धीरे पेलो!!!

कहीं बेड टूट गया तो जमीन पर सोना पड़ेगा!! आफरीन से मुझे सावधान किया। मैं अब धीरे धीरे पेलने लगा। क्योंकि इस हाड़ कपा देने वाली सर्दी में मैं किसी भी हालत में जमीन पर नही सोना चाहता था। मैं अब अपनी बहन को आराम आराम से पेलने लगा।

क्या मस्त गदरायी चूत थी, बड़ा मजा आ रहा था आफरीन को चोदने में। फिर मैंने उसकी गुझिया में ही पानी छोड़ दिया। मैंने अपनी बहन को सीने से लगा लिया। ऐसे ही नँगे नंगे हम सो गए। हमारी नींद शाम 8 बजे टूटी। भइया! मुझे बड़ी भूख लगी है!! आफरीन बोली मैं उठा कपड़े पहने।

नीचे फ्लैट से उतरकर पास वाली दुकान पर गया। ब्रेड और अंडे ले आया। मैंने अपनी बहन के लिए आमलेट और ब्रेड बनाया। आफरीन और मैंने जमकर पेट भरके खाया। क्योंकि हम सुबह से ही बूखे थे। पेट भर जाने पर हमदोनो फिर से बिस्तर में चले गए। ठंड जादा हो जाने के कारण कुछ पढ़ने का भी मन नही कर रहा था। इसलिए मैंने अपनी जवान और नँगी बहन के पास कम्बल में खिसक गया। Bahan Ke Sath Kambal Mein

अब रात होने वाली थी। पर क्या रात और क्या दिन। सुबह से कुहासा ही छाया है बाहर रोशनी है ही नही तो कौन सा दिन और कौन सी रात। आफरीन से फिर से मुझे अपने नंगे पर गरम बदन से चिपका लिया। आफरीन! किसी से कहना मत की मैंने तुम्हारी चिज्जी देखि है मैंने बहना से कहा.

भइया! मैं किसी से नही कहूँगी की तुमने मुझको चोदा खाया है आफरीन बोली. मेरी समझदार बहना! मैंने दुलार दिखाया और उसको माथे पर चुम लिया। भइया! चाहो तो और चोद लो! मुझे भी मजा आ रहा है! कबसे लण्ड की प्यासी थी! आफरीन बोली बहना सच कहा तूने। मैं भी कबसे चूत का प्यासा था।

मैं तुझे पूरी रात बजाऊंगा! मैंने कहा। पर पहले तेरी कुंवारी गाण्ड मारूँगा! मैंने कहा। चल कुतिया बन! मैंने आफरीन से कहा वो कुतिया बन गयी। जैसै ही लण्ड का सुपाड़ा गाण्ड पर रखा, लण्ड बिना किसी रुकावट के गाण्ड में अंदर धस गया। ये क्या आफरीन!।तेरी गाण्ड तो चुदी है! सच सच बात किसने तेरी गाण्ड चोदी?? Bahan Ke Sath Kambal Mein

मैंने पूछा वो भैया जब तनवीर से मैंने चुदवाया था तो उसने पता नही कहाँ से मेरी गाण्ड देख ली। बोला तेरी
गाण्ड बड़ी चिकनी है। तेरी गाण्ड भी चोदूंगा। तो मैंने गाण्ड भी चुदवा ली। आफरीन बोली साली हरामखोर! मैं तुझको सती सावित्री समझता था, तू तो बड़ी छिनाल निकली!! साली रंडी कहीँ की।

मैं चिल्लाया और जोर जोर से किसी चुदासे कुत्ते की तरह आफरीन की गाण्ड चोदने लगा। अब तो मैं मारे नफरत के गुस्साकर आफरीन की गाण्ड फाड़ने लगा। मैं उसे जानवरो की तरह चोदने लगा। मेरी बहन कितनी बड़ी छिनाल है ये जानकर मैं उसके चिकने पूट्ठों पर कस कसके चांटे मारने लगा।

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भइया धीरे मारो, चोट लग रही है! आफरीन बोली हरामिन! जब रमेश अंकल के लड़के से गाण्ड मरा रही थी, तब नही तुझे चोट लग रही थी! अब क्यों तेरी गाण्ड फट रही है?? तेरी तो मैं माँ चोद दूँगा रंडी कही की! मैंने 2 3 तमाचे आफरीन केचुत्तड़ो पर फिर रसीद कर दिए। वो रोने लगी। Bahan Ke Sath Kambal Mein

मैं मजे से उसकी गाड़ फाड़ता रहा। मैं वहसी दरिंदा हो गया था। मैं करता ही क्या? मुझसे नही गाण्ड मरवा पा रही थी। क्या मैं मर्द नही हूँ। क्या मैं उसकी गाण्ड नही फाड़ पाता। मैं कस कसके वहसी धक्के देने लगा। मेरा लण्ड आफरीन की गाण्ड में पूरा अंदर तक धस गया।

मैं जोर जोर से जोश से अपनी सगी बहन की गाण्ड चोद रहा था। ये ले! ये ले छिनाल! कितना लण्ड चाहिए तुझको?? मैंने बहना से पूछा भइया भइया! धीरे धीरे!आफरीन रोने और सिसकने लगी। हाय मम्मी! हाय मम्मी!! मर गयी मैं!! आफरीन चिल्लाने लगी ये ले!।ये ले कुतिया!! कितना लण्ड खाएगी?? जी भरके आज लण्ड खा ले! फिर मत कहना की लण्ड की प्यासी है! ये ले कुतिया !मैंने हैवान की तरह चिल्लाया 2 3 थप्पड़ आफरीन के गाल पर जड़ दिए।

उसके गुलाबी गाल लाल हो गए। मैंने राण्ड की गाड़ 2 घण्टे तक चोदी। इतनी ताकत आ गयी थी गाड़ चुद्दौवल से की कम्बल वम्बल मैंने दूर फेक दिया। सच में दोंस्तों, चुदाई में बड़ी ताकत होती है , इस सर्द भरे दिन में मैंने जाना। फिर मैंने आफरीन की गाण्ड में ही पानी छोड़ दिया। इस वक़्त रात के 12 बजे थे। चुदाई में इतनी ताकत खर्च हो गयी की मुझे भूख लग आयी। आफरीन ! मुझे भूख लगी है। जा कुछ बना! मैंने कहा। आफरीन उठी। वो नँगी थी। उसने गर्म कपड़े पहन लिए। Bahan Ke Sath Kambal Mein

फिर उसने आलस छोड़ कर दाल, चावल, सब्जी, रोटी सब बनाया। हम दोनों भाई बहनों ने खाना खाया। भइया! एक बात बोलू! तुम गुस्सा तो नही होंगे? आफरीन ने पूछा नही पगली! मैंने कहा काश मुझे पता होता की तुम इतनी बढ़िया चुदाई करते हो तो तुमसे ही चुदवा लेती। भैया ! मुझे और चुदवाना है। मेरी चूत की गर्मी शांत नही हुई है! आफरीन बोली बहना! फिकर मत कर! आज पुरी रात मैं तुझको रंडियों की तरह चोदूंगा! वादा है! मैंने कहा।

फिर खाना खाने के बाद मैंने थोड़ी आग जलाई। हम दोनों भाई बहनों ने अपना बदन गरम किया। फिर जलती आग के बगल ही हम दोनों लेट गए। मैंने उसके पैर को खोल दिया। कन्धों पर रख लिया और खूब चोदा छिनार को। फिर मैंने उसको गोद में उठा लिया और उचका उचका कर खूब चोदा हरामिन को।

फिर गोद में उठाकर ही मैंने अपनी जवान चुदासी बहन की गाण्ड भी मारी। अगले दिन मेरे चाचा हमारा रजाई गद्दा ले आये। अब हम अलग अलग कमरों में अलग अलग बिस्तर पर सोने लगे। फिर हम दोनों ने कभी चुदाई नही की। ये राज हम भाई बहनों से हमेशा हमेशा के लिए अपने दिलो में छुपा लिया। Bahan Ke Sath Kambal Mein