ट्यूशन में कुवांरी स्टूडेंट को चोदा-1
Tution me kuwari student ko choda-1
हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम अनिल है और मेरी उम्र 24 साल है. में एक टीचर हूँ और बच्चो के घर पर जाकर उन्हे ट्यूशन पढ़ता हूँ.. क्योंकि किसी के घर पर जाकर पढ़ाने से ठीक ठाक कमाई हो जाती है और दूसरा कभी कभी स्टूडेंट की मम्मी, बुआ, आंटी से भी रिश्ते बन जाते है. खैर अब में आपको एक मजेदार कहानी सुनाऊंगा जो मेरे और मेरी एक स्टूडेंट के साथ हुई एक सेक्सी कहानी है.
यह करीब 15 महीने पहले की बात है.. मुझे उस वक्त एक एक ट्यूशन पढ़ाने का ऑफर मिला.. मुझे लड़की को पढ़ना था और वो 12वीं में इंग्लीश की स्टूडेंट थी और मेरी 1200 रूपये महीने में बात हुई.. तो में उसे पढ़ाने जाने लगा. वो लड़की सोम्या 18 साल की थी और वो बहुत गोरी थी. उसकी स्माइल गजब की थी.. उसके छोटे छोटे बूब्स, छोटी सी ही गांड.. लेकिन उसके लंबे बाल कमर तक आते थे. वो अब धीरे धीरे जवान हो रही थी और मैंने उसको सिर्फ़ 4 महीने पढ़ाया. फिर उसके बाद मेरी किसी पर्सनल प्राब्लम के कारण मैंने उसे पढ़ाना छोड़ दिया.. लेकिन फिर भी उसके पेपर में बहुत अच्छे नंबर आए.
तो इस साल भी मुझे उसको पढ़ाने के लिए बुलाया गया.. वो गर्मियो की छुट्टियों के बाद जुलाई में करीब 5 महीने पहले जब मैंने उसको देखा तो में एकदम दंग रह गया.. क्योंकि जिस लड़की को मैंने पढ़ाना छोड़ा था.. उसमें और इस वक़्त जो लड़की मैंने देखी थी.. कुछ ही महीनो में उसमे बहुत बदलाव आ गए. उसके बूब्स एकदम बहर निकल आए थे, उसकी गांड भारी हो गई, चेहरा जवानी से खिल गया था और अब वो बिल्कुल जवान हो गई थी. उसका ऐसा भरा पूरा बदन था कि वो किसी के भी सपने में आ जाए तो लंड का पानी निकल जाए. उसके एकदम टमाटर से गाल और कोई भी उसके इस रूप को देखकर मचल उठता.
फिर मैंने उसको पढ़ाना शुरू कर दिया.. इस साल में उसको पढ़ाने की जगह खुद उससे पढ़ने लगा था और में हर वक़्त उसके बूब्स, बदन को घूरने में लगा रहता और में कोशिश करता कि कैसे भी उसको छू सकूँ.. लेकिन में इसी कोशिश में कई बार उसके गाल को सहलाता या पीठ पर हाथ फेर देता. तो एक दिन सोम्या लोवर पहन कर पढ़ने आई और कुछ देर बाद मेरी नज़र साईड से उसके लोवर पर गई.. लोवर थोड़ा नीचे था. लेकिन उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी और मैंने भी एकदम सही मौका देखकर उसके लोवर में 4 उंगलियाँ डालकर पकड़ लिया.. जिसकी वजह से में उसकी कमर या जाँघ छू सकूं और नीचे कर दिया और वो बोली कि सॉरी सर.
मैंने कहा कि क्या अंदर कुछ नहीं पहना.. जिसकी वजह से यह नीचे सरक गया. तो वो शरम से सर झुकाकर मुहं फेरकर शायद मुस्कुरा गई.. मैंने तभी कहा कि इसमे किसी की ग़लती नहीं है. तुम्हारी चमड़ी ही इतनी मुलायम, चिकनी है कि उस पर से कपड़े सरक जाते है.. जैसा नाम वैसा ही शरीर और वो मुझे देखने लगी. तो मैंने उसके चेहरे पर हाथ फेरकर कहा कि चलो अब अपना सवाल करो.. लेकिन दोस्तों उस दिन उसने बिना मन ढंग से पढ़ा और उसके अगले दिन से ही मुझे उसके व्यहवार में बदलाव दिखने लगा. अब वो मुझसे सटकर बैठने लगी और जब कोई आता तो वो एकदम सरककर दूर बैठ जाती और इन तीन चार दिनों में मुझे अहसास हो गया कि अगर इसको ढंग से हेंडल कर लिया जाए तो यह फंस जाएगी.
फिर मैंने बहुत सोचा कि क्या करूं? फिर मेरे दिमाग़ में एक विचार आ गया और जब में अगले दिन उसे पढ़ाने गया तो मैंने उसकी संस्कृत की किताब में चुपके से लड़के, लड़की की सेक्सी सीन वाली पतली सी एक किताब रख दी.. क्योंकि में अच्छी तरह से जानता था कि इसको संस्कृत समझ में नहीं आती है.. तो वो इस किताब कम पढ़ती है. फिर अगले दिन मैंने उसको पढ़ाना शुरू किया और करीब 20 मिनट पढ़ाने के बाद मैंने उससे कहा कि सोम्या आज हम संस्कृत पढ़ेगे.. तुम अपनी किताब निकालो.
उसने अपनी संस्कृत की किताब निकाली और फिर मैंने कहा कि 7वां पेज खोलो और उसने ज्यो ही किताब खोली तो उसमे से वो छोटी सी किताब निकल आई.. वो एकदम चकित हो गई और हड़बड़ाकर उसे मुझसे छुपाने लगी. तो मैंने कहा कि क्या छुपा रही हो.. क्या अपनी मार्कशीट छुपा रही हो? दिखाओ.. इधर लाओ वो कुछ भी नहीं बोली.. लेकिन इसके पहले वो कुछ कर पाती मैंने दोनों किताब उसके हाथ से छीन ली और एकदम उससे अंजान बनकर खोलकर देखने लगा और मैंने जैसे ही वो किताब देखी तो कहा कि ओह भगवान सोम्या तुम अभी से यह किताब देखने लगी हो? तो वो एकदम सहम सी गई और बोली कि नहीं नहीं सर वो सर मुझे पता नहीं यह कहाँ से आई? तो मैंने कहा कि सच सच बताओ यह कहाँ से लाई हो वरना अभी तो मैंने देखी है.. लेकिन अब तुम्हारे पापा, मम्मी को दिखाऊंगा.. लेकिन वो अब क्या बोलती?
फिर वो अब एकदम उदास होकर बोली कि सच में नहीं जानती कि यह कहाँ से मेरे बेग में आई? तो मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उससे कहा कि यह लो रख लो इसे और जिससे लाई हो उसी को लौटा देना और में खुद उसे थोड़ा बहुत पढ़ाकर चला आया. फिर अगले दिन वो एकदम डरी डरी मेरे पास पढ़ने आई और मैंने उसे थोड़ी देर पढ़ाने का नाटक किया और फिर उससे पूछा कि वो किताब वापस की या नहीं.. तो वो बोली कि सर में खुद नहीं जानती कि वो किताब मेरे पास कहाँ से आई? तो में बोला कि कहाँ गई वो किताब लाओ मुझे दो.. में उसे कहीं दूर फेंक दूंगा.
वो बोली कि सर वो तो मैंने अंदर छुपा दी.. में उसे डांटने लगा और कहा कि नालयक जहाँ ना फंसना हो वहां पर फंसोगी.. जाओ लेकर आओ और वो जल्दी से गई और खाली हाथ वापस आई. तो मैंने कहा कि कहाँ गई किताब तो उसने सूट में हाथ डाला और सलवार में फसी हुई किताब बाहर निकालकर मुझे दी. तो मैंने कहा कि बहुत अच्छे.. अब तुम छुपाने के तरीके भी सीख गई.. लेकिन वो बहुत उदास सी दिख रही थी.
फिर मैंने उस किताब को अपनी जेब में रख लिया और उससे पूछा कि कल से अब तक तुमने इस किताब का क्या किया? तो वो एकदम चुप थी.. मैंने कहा कि तुमने कल यह देखी है या नहीं.. सच सच बताओ? तो वो बोली कि हाँ एक बार देखी थी. तो मैंने पूछा कि क्या देखा था? तो वो बोली कि उसमे बहुत गंदी गंदी फोटो थी. तो मैंने कहा कि क्या तुमने वो सारी फोटो देखी? तो वो बोली कि हाँ और मैंने कहा कि तुम्हे कैसे पता कि यह गंदी है और अब में उसका जवाब सुनकर बहुत खुश हो गया..
वो बोली कि वो सब पापा, मम्मी छुपकर रात में करते है. अब मेरा दांव सही बैठ गया और मैंने कहा कि ओह तो तुम अब रात में भी जागने भी लगी हो? तो वो मुझे देखने लगी और वो बोली कि नहीं सर वो एक बार ग़लती से देखा था. तो मैंने कहा कि बहुत बढ़िया.. क्या कुछ अच्छा लगा या यूँ ही टाईम पास किया? तो वो एकदम शरमा गई और मैंने आइडिया लगा लिया कि यह अब वो सब देखकर एकदम मस्त हो चुकी है और मैंने दोबारा से कहा कि क्या क्या देखा? तो वो बोली कि वो सब कुछ जो उस किताब में था.
फिर मैंने ठीक है कहा और बोला कि क्या कभी किया तो नहीं यह सब? वो बोली कि नहीं सर नहीं किया. मैंने उसके कंधो पर हाथ रखकर कहा कि देखो सोम्या तुम मुझे बताओ में सब कुछ एकदम सही कर दूंगा और घर में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा. तो वो बोली कि सर मैंने कुछ नहीं किया और फिर मैंने कहा कि ठीक है और वो दिन निकल गया. उसके अगले दो दिन तक में उसको पढ़ाने नहीं जा पाया और तीसरे दिन में वहां पर गया.. वो जब आई तो एकदम चुप थी और उसने मुझसे पूछा कि आप दो दिन क्यों नहीं आए? तो मैंने कहा कि तुम बहुत झूठ बोलती हो इसलिए में नहीं आया.
वो बोली कि सच में सर मैंने आप से कोई झूठ नहीं बोला बस एक बात छुपाई थी. तो मैंने कहा कि वो क्या? और वो बोली कि सर इस साल गर्मियों के समय में अपनी मौसी के यहाँ पर गई थी. वहां पर दीदी ने मुझसे गंदी गंदी बातें की थी.. यह सब बताया था और कहा था कि अगर तुम रात में जागकर मम्मी, पापा को देखोगी तो ज़्यादा मज़ा आएगा.. इसलिए मैंने एक बार वो देखा था.