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विधवा की अगन-3

Hot Lady Free Sex Kahani

हॉट लेडी फ्री सेक्स कहानी में शेखर हंस पड़ा। और मेरी बगल में लेट गया,” मां…. मुझे आपकी जैसी प्यारी सास कहां मिलेगी…. ! हम छुप छुप कर ऐसे ही मिलेंगे। देखना आपकी चूत कैसी मदमस्त हो जायेगी !”

“हां मेरे शेखर…. मैं भी तुम्हें बहुत प्यार दूंगी….! “

बरसात का एक दौर थम चुका था। मुझे पता था शेखर में अभी जवानी भरपूर है, कुछ ही देर उसका लण्ड फिर फूल जायेगा और अभी फिर से वो मुझ पर चढ़ जायेगा। जवान माँ चोदने को मिल रही है भला कौन छोड़ेगा।

शेखर को मैं अपने बेटे के समान मानती थी, आज उसने अपनी विधवा मां की तड़प जान ली थी और उसने मेरी दुखती रग को पकड़ लिया था। मुझे इस अजीब से रिश्ते से सनसनी हो रही थी। ये काम चोरी से करना था….और चोरी में जो मजा है वो और कहां।

मेरा हाथ शेखर के शरीर पर चल रहा था। उसका लण्ड फिर खड़ा हो चुका था। मेरी चूत तो चुदने के लिये पहले से तैयार थी…. ! पर अभी गाण्ड मराने का मजा और लेना था। एक बार झड़ने के बाद मुझे पता था कि अब वो देर से झड़ेगा। फिर पहले रस का भी तो आनन्द लेना था सो मुठ मार कर उसका पूरा मजा ले लिया था। बरसात फिर से जोर पकड़ रही थी। मैं उल्टी लेट गई…. और पांव खोल दिये। मेरे दोनों चूतड़ खिल उठे। बीच की मस्त दरार में एक फूल भी था। शेखर मेरी पीठ पर सवार हो गया। लण्ड का निशाना फूल था। खड़ा लण्ड दरार में घुस पड़ा, मोटे और लम्बे लण्ड का अहसास दोनों चूतड़ो के बीच होने लगा। एक लाजवाब स्पर्श और लण्ड का अससास….बहुत सुहाना लग रहा था और लण्ड ने अपने मतलब की चीज़ ढूंढ ली। मुझे उसका लण्ड मेरी दरार में अपनी मोटाई का अहसास करा रहा था।

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मुझे लगा कि आज गाण्ड भी मस्त चुदेगी…. उसका सुपाड़ा मेरे फूल को दबा रहा था। थूक भरा उसका लण्ड फूल को चूमता हुआ अन्दर जाने लगा। मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी। बहुत सालों बाद गांड चुद रही थी इसलिये थोड़ा दर्द हुआ। पर आनन्द का मजा कुछ और ही था। कुछ ही समय में उसका लम्बा लण्ड गाण्ड में पूरा जड़ तक बैठ गया था। मैं अपनी कोहनियो पर हो गई थी। मेरे दोनों बोबे नीचे झूल रहे थे।

अब शेखर ने भी अपनी कोहनियो का सहारा ले कर अपनी हथेली से मेरे बोबे को अपने हाथों में ले लिया। पीछे से उसकी कमर चलने लगी। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैं आनन्द से भर उठी…. उसके धक्के हॉट लेडी फ्री सेक्स कहानी तेजी पकड़ने लगे। मैं मदहोश होती जा रही थी। शेखर के शरीर का भार मुझे फूलों जैसा लग रहा था। कमर उठा कर वो मेरी गाण्ड को सटासट पेल रहा था। मेरा जिस्म वासना में लिपटा हुआ था। उसका हर धक्का मुझे अपनो सपनों को पूरा करता नजर आ रहा था।

कुछ देर पेलने के बाद उसने अपना लण्ड निकाल लिया। मैंने भी आसन बदला….अब मुझे भी अपनी चूत को गहराई तक चुदवाना था। इसलिये मैंने शेखर को नीचे लेटाया और उसके खड़े लण्ड पर बैठ गई। लण्ड को चूत में डाला और एक ही बार में जड तक घुस डाला। और दर्द से चीख पड़ी। सालों बाद चूत सिकुड़ कर तंग हो गई थी। सो ्दर्द का अहसास हुआ। मेरे झूलते हुये बोबे उसने पकड़ लिये और मसकने लगा। चूंचक को खींचने लगा। मैं उस पर लण्ड पर बैठ गई और अपनी कमर चलाने लगी। ऊपर से चुदने में गहरी चुदाई हो जाती है।

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उसका सुपाड़ा भी फूल कर कुप्पा हो रहा था। उसने मेरे चूतड़ दबा कर अब नीचे से झटके मारने चालू कर दिये। उसके झटके मुझे अब चरम सीमा पर ले जा रहे थे….मेरी चूत उसके लण्ड को गहराई तक ले रही थी….गहरी चुदाई से अन्दर लगती भी जा रही थी पर मैं ऐसा मौका नहीं छोड़ने वाली थी। पर शेखर अब चरमसीमा पर पहुंचने लगा था। उसने अब मुझे दबा कर नीचे पलटी ले ली। और मेरे ऊपर चढ़ गया।

उसके धक्के बढ़ गए…. मेरा जिस्म भी अब उत्तेजना की सीमा को पार करने लगा। मेरे चूतड़ उछल उछल कर उसका साथ बराबरी से दे रहे थे….वो लण्ड पेले जा रहा था…. मेरा कस बल सब निकलने वाला था….

“हाय रेऽऽऽ ….! चोद दे रे …. ! मै मरी…. ! हय्…. ऊईईईऽऽऽअऽऽ….! मैं गई…. ! लगा रे…. ! जोर से लगा रे….!”

“आह्ह्ह्ह्….मेरा भी निकला रे…. ! मांऽऽऽ हाय्…. !” उसके धक्के बेतहाशा तेज होते गये…. पर मैं…. झड़ने लगी…. उसके धक्के चलते रहे और मैं झड़ती रही…. मेरी सारी तमन्नाये पूरी हो चुकी थी।

“हाय्…. ! मेरा निकला रे…….. ! मैं गया….आह्ह्ह !”

“निकाल दे अपना रस बेटा…. निकाल दे…. ! झड़ जा….! आजा मेरे सीने से लग जा….मेरे राजा !” शेखर थोड़ा सा कसमसाया और उसके लण्ड ने अपनी पिचकारी छोड़ दी। अपना पूरा जोर लगा कर मेरी चूत अपना रस भरने लगा। जोर लगाता रहा…. झड़ता रहा और निढाल हो कर मेरे ऊपर ही लेट गया। फिर धीरे से साईड में आ गया। हम दोनों लम्बी लम्बी सांसें भरते रहे….फिर शेखर मुझसे लिपट कर लेट गया।

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“मां…. आप बहुत दिनों से व्याकुल थी ना !”

” हां मेरे लाल…. ! तुम लोगों को देख कर मेरे मन में भी अरमान जाग उठे….एक आग लग गई तन में…. मुझे भी आज जैसी भरपूर चुदाई चाहिये थी।”

“आप तो सच में चुदाई की कला जानती हैं…. सब तरफ़ से ….जी भर कर….चुदवा लिया आपने….!”

मैंने अपना एक चूचुक उसके मुँह में घुसेड़ते हुए कहा,” देख स्वर्णा को पता नहीं चलना चाहिये…. और अपनी चुदाई भी ऐसी ही चलनी चाहिये….!”

“हाँ माँ जी….माँ चोदने का मजा ही अलग होता है….! अब लोग मुझे मादरचोद कहेंगे ना !” मैं जोर जोर से जी भर कर हंसी….चुदाई के बाद मेरा मन हल्का हो गया था…. मेरा बदन खुशी से खिलने लगा था। मेरे में एक नई उमंग आ चुकी थी…. अब मैं पूरी बेशर्मी के साथ शेखर के रह सकती थी….चुदा सकती थी…. मेरे बदन में जवान लड़कियों सी चंचलता…. और फ़ुर्तीलापन आ गया था…. मैंने अपने टांगें फिर से चौड़ी कर दी….

“आओ शेखर….फिर से चढ़ जाओ मेरे ऊपर…. बरसात बिलकुल बन्द हो चुकी थी ….पर ऊपर वाले ने हॉट लेडी फ्री सेक्स कहानी मेरे ऊपर खुशियों बरसात कर दी थी….