Family Sex Stories

वो हसीन लम्हे-2

Wo Hasin Lamhe-2

मैंने एक एक कर के वीरू के सारे कपड़े उतार दिए, अंडरवियर निकलते ही वीरू का लंड मेरे सामने खड़ा हो गया जोकि अभी कुछ देर पहले वो अंडरवियर की कैद में था। वीरू का लंड बहुत ही मनमोहक लग रहा था। वीरू का लंड लगभग सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था। वीरू का लंड देखते ही उसको अपने मुँह में लेने की इच्छा होने लगी।

मैंने कभी अपने पतिदेव का लण्ड तक अपने मुँह में नहीं लिया था पर वीरू का लंड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने वीरू का लंड अपने हाथ से पकड़ा और उसके खड़े लंड को मुठ्ठी में पकड़ कर उसके लंड की खाल नीचे कर दी। वीरू के लंड का सुपारा फ़ूल कर और भी मोटा हो गया था और उसके लंड का सुपारा टमाटर की तरह लाल हो चुका था। मैंने अपना मुँह खोला और वीरू के लंड पर झुक गई और उसके लंड के सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी।

वीरू के लंड का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे पहले पता होता तो मैं अपने पतिदेव का लंड चूसे बिना नहीं छोड़ती और उसको मैं रोजाना चूसती। फिर मैं वीरू का लंड नीचे से ऊपर को चाटने लगी। वीरू मेरी इस हरकत बड़ी ही गौर से देख रहा था उसने मेरा एक हाथ पकड़ लिया और हल्के से मेरा हाथ दबाने लगा। फिर मैं वीरू का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

वीरू का लंड चूसते हुए मैं अपना मुँह उसके लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी जिससे मेरी चूचियाँ वीरू की जाँघ से टकरा रही थी। वीरू अपना एक हाथ मेरे नंगे चूतड़ों पर फिरा रहा था और मेरे सर के बाल आगे की तरह आ गए थे और वो वीरू की छाती पर रेंग रहे थे, मैं भी पूरे तन मन से वीरू का लंड चूस रही थी। जब मेरा मुँह वीरू का लंड चूसते हुए थक गया तो मैंने वीरू का लंड अपने मुँह से निकाल दिया।

मेरा मन अभी और वीरू का लंड चूसने का कर रहा था पर मेरा मुँह ही दर्द करने लगा था। तो मैंने उसका लंड चूसना बंद कर दिया, मैं अपने घुटने के बल सीधी हुई और अपने बालों को पीछे की ओर सही से किया। मेरी चूत पहले से ही इतना पानी बहा चुकी थी कि मुझे अपने ऊपर ही काबू नहीं हुआ और खुद ही मैं वीरू से चुदने के लिए उसके कंधों पर हाथ रख कर उसके लंड पर बैठ गई।

Hindi Sex Story :  भैया मुझे और भाभी दोनों को साथ चोदता है।

मेरे दोनों पैरों के बीच में वीरू लेटा था और मैं घुटने के बल खड़ी हुई थी। वीरू ने मुझे अपने ऊपर झुका लिया उस समय वीरू के हाथ मेरी गांड सहला रहे थे और मेरे बाल वीरू का चेहरे पर थे। फिर मैंने अपना एक हाथ अपने पैरो के बीच में नीचे से निकलते हुए वीरू का लंड पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर लगाया और फिर से घुटने के बल खड़ी हो गई मेरे बाल जोकि सामने की तरह आ गए थे। मैंने उनको अपने हाथ से पीछे किया और फिर मैं वीरू के लंड पर ‘आआआऐई ईईईईई’ बैठ गई।

वीरू के लंड पर बैठते ही मुझे असीम सुखद सुख की अनुभूति हुई। वीरू का लंड मेरी चूत की गहराई में पूरा उतर चुका था। वीरू ने अपने दोनों हाथो से मेरी कमर को पकड़ा हुआ था और मैंने अपने दोनों हाथ अपने चूतड़ों पर रखे हुए थे। फिर मैं वीरू के लंड पर ऊपर नीचे उठने और बैठने लगी।

वीरू का लंड मेरे पतिदेव से बड़ा और मोटा था तो मुझे उसका लंड अपनी चूत में डालकर बहुत ही मज़ा आ रहा था। फिर वीरू ने अपने पैरो को मोड़ लिया और अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरी चूत में अपना लंड पेलने लगा वीरू के हाथ मुझे उसके लंड पर उठने बैठने में सहयोग कर रहे थे। वीरू और मेरी इस क्रिया से चूत में लंड बहुत ही तीव्र गति से आ जा रहा था।

पूरे बेडरूम में हम दोनों की सिसकारियों के अलावा और कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। फिर कुछ देर बाद ही मैं वीरू के लंड पर झड़ने लगी। मेरी चूत का रस वीरू के लंड को भिगोता हुआ बाहर निकल रहा था। मेरी गति लंड पर कम हो गई थी पर वीरू तो अब भी उसी तीव्र गति से मुझे चोदे जा रहा था। मैंने भी उसको मना नहीं किया क्योंकि मुझे ऐसा जानदार लंड पहली बार जो मिला था और फिर मुझे ऐसा लंड कब नसीब हो या न हो।

वीरू मुझे चोदता रहा और मैं कुछ देर बाद फिर से उत्तेजित हो गई और मैं भी उसका सहयोग करने लगी फिर कुछ देर के बाद वीरू ने मुझे नीचे बेड पर अपने आगे लिटा दिया। फिर उसने मेरे एक पैर को अपने एक हाथ से उठाया और पीछे से मेरी चूत मैं अपना लंड डाल दिया।

Hindi Sex Story :  पापा और भाई की रंडी बनकर चुद गई-2

जब वीरू का लंड मेरी चूत में पूरा अन्दर पहुँच गया तो उसने अपना एक हाथ नीचे से मेरी बगल से निकल कर मेरी मस्ती से भरी हुई चूची को पकड़ लिया और उसको वीरू दबाने लगा। मैंने अपने एक हाथ से अपने पैर को जोकि वीरू ने पकड रखा था उसको पकड़ लिया।

अब मेरा एक पैर मुड़ा हुआ था और दूसरा पैर मैंने अपने हाथ की सहयता से ऊपर उठा रखा था। फिर वीरू ने अपना वो हाथ मेरे पैर से हटा लिया और मेरी दूसरी चूची को पकड़ कर और उनको जोर जोर से दबाने लगा और साथ साथ पीछे से मेरी चूत मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा। जैसे ही वीरू का लंड अन्दर मेरी चूत मैं जाता तो वीरू मेरी चुचियो को बहुत जोर से दबा देता।

वीरू के इस तरह करने से मेरी सिसकारियाँ और तेज हो जाती थी। फिर कुछ देर बाद वीरू ने मुझे अपनी बाहों का सहारा देते हुए ऊपर की ओर उठाया और मेरे होंठ को चूसने लगा। उसका लंड अब भी मेरी चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मैं अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को अपनी उंगलियों से मसल रही थी।

जब वीरू को लगा कि वो झड़ने वाला है। तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल लिया और मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। मैंने अपने एक हाथ को अपने मुँह में देकर अपनी उंगलियों को अपने थूक से गीला किया और वीरू के लंड को अपने थूक से गीला करने लगी। जब मैं वीरू के लंड को अपने थूक से गीला कर रही थी तो वीरू मेरे ऊपर वाला होंठ चूस रहा था और मैं उसका नीचे वाला होंठ चूस रही थी।

जब वीरू कुछ सामान्य हुआ तो उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत की गहराई मैं उतार दिया और मेरी चूची को पकड़ कर मुझे चोदने लगा। सच में मुझे ऐसा सुख कभी नहीं मिला और न ही कभी मेरे पतिदेव ने मुझे ऐसे चोदा। मेरी जिंदगी में कुछ पल इतने हसीन होगे मैंने कभी सोचा भी नहीं था पर आज वीरू की वजह से ये हसीन पल मेरी जिंदगी का हिस्सा बन रहे थे।

Hindi Sex Story :  बहन चोदना चालू कर दिया

कुछ देर तक वीरू ऐसे ही मुझे चोदता रहा फिर वो मेरे पैरों के बीच में आकर घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसने मेरे पैरों को ऊपर की ओर उठा कर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। वीरू मेरे पैरों को ऊपर हवा में उठाकर मेरी चूत पर जोर जोर से धक्के मारने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथ बेड पर मेरे दायें और बायें टिका दिए और मुझे चूमते हुए मेरी चूत पर जमकर प्रहार करने लगा।

वीरू जब जब मेरी चूत पर अपने लंड से धक्के लगता तो मेरी चूचियाँ जोर जोर से हिलने लगती। बड़ा ही हसीन नजारा था उस समय मन तो कर रहा था। समय यहीं थम जाये पर समय को कौन रोक सका है, जो मैं रोक लेती।

मैं अपना सर उठा कर वीरू के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत में आते जाते देख रही थी। वीरू के धक्के लगाने की स्पीड से मुझे अंदाजा हो गया था कि अब वीरू झड़ने वाला है।

मेरी चूत भी एक बार फिर झड़ने की कगार पर थी। कुछ ही धक्के मारने के बाद वीरू के लंड ने अपनी पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी और उसी पल मेरी चूत ने भी वीरू के लंड पर काम रस की बारिश कर दी। वीरू और मैं हम दोनों ही चरम सीमा पर साथ साथ पहुँचे थे। वीरू के लंड से निकला हुआ वीर्य मुझे अपनी चूत में मुझे महसूस हो रहा था। मेरी चूत वीरू के वीर्य से भर गई थी और उसका वीर्य और मेरा काम रस मिश्रण होकर बाहर निकल रहा था।

उस दिन मैं वीरू से एक बार ओर चुदी और फिर शाम को मेरे पतिदेव जी आ गए। फिर अगले दिन मेरे पतिदेव जी की छुट्टी थी तो उस दिन भी मेरी और वीरू की चुदाई नहीं हो पाई।

उसे अगले दिन सुबह ही मेरे जेठ और जेठानी वापस आ गए और वो वीरू को साथ लेकर अपने घर वापस लौट गए फिर उसके बाद मुझे और वीरू को कभी ऐसा मौक़ा नहीं मिला। बस वो दिन और आज का दिन है, उसके बाद मैं वीरू से नहीं चुदी।

दोस्तो, आपको मनीषा की कहानी कैसी लगी बताइयेगा जरूर।