हिंदी सेक्स स्टोरी

ज़िंदगी कहाँ ले आई तू-2

Zindagi kahan le aai tu-2

फिर मैंने अपना पजामा और पेंटी को निकालकर फेंक दिया और अपनी टांगो को ऊपर उठाकर चूत में उंगली अंदर करने लगी. फिर मैंने अपनी टाँगे बिल्कुल ऊपर मोड़कर उठा ली, जैसे फोटो में थी और अपनी आँखे बंद करके सोचने लगी कि मुझे कोई चोद रहा है. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अब रात को मेरी चूत ने 4-5 बार पानी छोड़ा, लेकिन मेरी चूत शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

फिर अगले दिन में कॉलेज नहीं गई और सबके बाहर जाने का इंतजार करती रही. फिर जब मम्मी, पापा अपने काम पर और भाई बाहर चला गया, तब फिर से में भाई के रूम में गई और बाकी की किताबे देखने लगी, वहाँ काफ़ी सारी किताबे थी. फिर मैंने एक किताब उठाई, उसमें फोटो के साथ-साथ कुछ स्टोरी भी थी. इस तरह की स्टोरी मैंने पहली बार पढ़ी थी.

अब में फोटो देखते-देखते स्टोरी भी पढ़ने लगी थी. अब मैंने पूरा दिन स्टोरी पढ़ने और फोटो देखने में बिता दिया था और ना जाने कितनी बार मेरी चूत ने पानी छोड़ा था और फिर आज रात तो में खाना खाते ही सो गई. अब तो मेरा रोज का काम यही हो गया था. अब में कॉलेज से आते ही भाई के रूम में जाती और वो किताबे देखने लगती.

फिर कुछ दिनों में ही मैंने सभी किताबे देख ली थी, इतने ध्यान से कभी पढाई की किताबे देखी होती तो हमेशा Ist आती. अब मेरा मन करता कि कोई मुझे भी ऐसे ही चोदे और मेरे बूब्स को दबाए. हर वक़्त बस यही सब दिमाग़ में चलता रहता था. अब में पहले से ज्यादा सजधज कर भी रहने लगी थी और अपनी बॉडी के पूरे बाल क्रीम से साफ कर लिए थे. अब जब भी में कॉलेज जाती चेहरे पर मेकअप करती और टाईट जीन्स और कभी टॉप के साथ लेंहगी पहनकर जाती, में थोड़ी मोटी तो थी ही जिससे टाईट जीन्स, टॉप में मेरे बूब्स और गांड बहुत मस्त लगते थे और जब लेंहगी पहनकर जाती तब तो मेरी गांड कुछ ज्यादा ही मस्त लगती थी.

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में पहले जब घर से कॉलेज जाती थी तो कभी किसी को नोटिस नहीं करती थी, लेकिन अब तो में हर किसी को नोटिस करती थी. अब जिसके पास से भी में गुजरती वो एक बार तो मेरी तरफ़ ज़रूर देखता था और में भी हर किसी को स्माईल देकर चलती थी, लेकिन मेरे मन की मुराद पूरी नहीं हो रही थी.

एक बार रात को गली में काफ़ी कुत्ते भोंक रहे थे, एक तो मुझे बैचेनी के कारण नींद नहीं आती थी और दूसरा कुत्तो ने तंग कर दिया था. फिर काफ़ी देर के बाद कुत्ते शांत हुए, लेकिन बार-बार एक कुत्ते की रोने जैसी आवाज़ आती, तो कभी भोंकने की आवाज आती. ये सब बिल्कुल मेरे घर के बाहर हो रहा था तो मैंने सोचा कि ऊपर जाकर देखती हूँ क्या हो रहा है? और में जल्दी से छत की तरफ़ चली गई तो ऊपर भाई के रूम की लाईट चालू थी, लेकिन उसका दरवाजा बंद था.

फिर में चुपचाप से बालकनी में जाकर देखने लगी कि बाहर क्या हो रहा है? फिर मैंने नीचे देखा तो पाया कि एक कुत्ता कुतिया पर चढ़ा हुआ है और उसे चोद रहा है और कुत्ती बड़े आराम से चुदवा रही है और आस पास काफ़ी कुत्ते खड़े है, जो शायद अपनी बारी का इंतजार कर रहे है. उस वक़्त मुझे उस कुत्तिया से भी जलन सी महसूस हो रही थी.

अब में सोचने लगी कि काश में कुत्तिया होती तो कम से कम इस वक़्त चुद तो रही होती और ये सोचते-सोचते में उनकी चुदाई में ही गुम हो गई. फिर लगभग 10 मिनट के बाद कुत्ता कुत्तिया के ऊपर से हटा, तो दूसरा कुत्ता कुत्तिया पर सवार हो गया और उस कुत्तिया को चोदने लगा. अब वो कुत्तिया गूवंन्न गूणणन्न करने लगी और तभी मेरे कान में आवाज़ आई कि यहाँ क्या कर रही है? तो मैंने सामने देखा तो मेरा भाई बिल्कुल मेरे साथ खड़ा हुआ था. अब उसे देखते ही मेरे होश उड़ गये और कुछ देर के बाद बोली कि क क क कुछ नहीं और नीचे जाने लगी. फिर भाई ने मेरी बाजू पकड़ ली और फिर पूछा कि ऊपर क्यों आई थी? तो मैंने थोड़ा खुद को संभाला और कुछ ठीक से होकर बोली कि कुत्तों की आवाज़े आ रही थी तो ऊपर देखने आ गई.

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फिर भाई ने कहा कि तो क्या देखा नीचे? तो फिर मैंने कहा कि वो कुत्ता दूसरे कुत्ते को मार रहा है. फिर भाई ने कहा कि क्या मार रहा है? अब भाई की बात सुनकर मेरे मुँह पर थोड़ी सी स्माईल आ गई और फिर थोड़ा अंजान सा बनते हुए बोली कि कुत्ता कुत्ते के ऊपर चढ़कर उसे मार रहा है. फिर भाई ने मुझसे कहा कि नीचे वाला कुत्ता नहीं है वो कुत्तिया है और फिर थोड़ा मुस्कुरा कर बोला कि वो उसे मार नहीं रहा, उसकी मार रहा है.

अब भाई की बात सुनते ही मैंने मुस्कुरा कर अपना मुँह नीचे कर लिया और फिर बोली कि उस बेचारी को दर्द हो रहा है. फिर भाई मुस्कुराया और मुझे दीवार की तरफ़ मोड़कर कहा कि ध्यान से देखो, अब दूसरी तरफ़ घूमते ही भाई मेरे बिल्कुल पास आ गया और मुझे पीछे से पजामे पर उसका लंड महसूस हुआ.

अब मेरे अंदर का डर काफ़ी हद तक ख़त्म हो गया था और फिर में दीवार के सहारे थोड़ा सा झुक गई, जिससे शायद भाई मेरे मन की बात समझ गया. फिर भाई ने थोड़ा पीछे हटकर कुछ किया, शायद अपना लंड सेट किया और फिर भाई भी मेरे ऊपर थोड़ा झुका और बोला कि अब देखो उसे दर्द हो रहा है या मज़ा आ रहा है. अब भाई का लंड मुझे मेरी गांड पर चुभना शुरू हो गया था. अब मैंने अपनी आँखे बंद कर ली थी और मन में सोचा कि उसका तो पता नहीं, लेकिन मुझे तो मज़े आ रहे है. अब धीरे-धीरे भाई के लंड की चुभन मेरी गांड पर बढ़ती ही जा रही थी.

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फिर भाई ने मेरी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया और अब मुझे खामोश देखकर भाई का हौसला शायद थोड़ा बढ़ गया था. फिर उसने मुझे अपनी तरफ़ घुमाया और मेरे गाल पर किस करने लगा. अब धीरे-धीरे गाल पर किस करते हुए वो मेरे होंठो पर आ गया और मेरे होंठो को अपने होंठो में भरकर चूसने लगा. अब मैंने अपनी आँखे बंद कर ली थी और में भी उसका साथ देने लगी थी.

शेष आगे की कहानी अगले भाग में समाप्त-