हिंदी सेक्स स्टोरी

ज़िंदगी कहाँ ले आई तू-1

Zindagi kahan le aai tu-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम पूजा है और में पंजाब की रहने वाली हूँ. मेरे पापा एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते है, मेरे पापा की सैलेरी बहुत कम है, इसलिए मेरी मम्मी भी जॉब करती है. मेरी मम्मी कपड़े सिलने वाली शॉप में काम करती है, जिससे घर का खर्चा आराम से चल जाता है.

मेरा एक बड़ा भाई भी है, जिसे घर में हम राजू बोलते है, वो 22 साल का है, उसने पढाई छोड़ दी है और अब वो ज्यादातर टाईम फ्री ही रहता है और अपने नशेड़ी दोस्तों के साथ नशा करता है और इसकी वजह से ही उसकी पढ़ाई भी छूट गई है. मम्मी पापा उसकी वजह से हमेशा परेशान रहते है और मेरे घर में सबसे छोटी और सबसे लाड़ली में हूँ, मेरी उम्र 19 साल है और मैंने अभी बी.ए. Ist ईयर में एडमिशन लिया है और में दिखने में सुंदर हूँ, लेकिन थोड़ी मोटी हूँ.

में रोज सुबह 8 बजे कॉलेज जाती हूँ और 2 बजे तक वापस आ जाती हूँ और फिर घर का थोड़ा बहुत काम करके थोड़ी बहुत पढाई कर लेती हूँ. हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं है, नीचे के फ्लोर पर 2 रूम, एक रसोई और एक बाथरूम है और ऊपर के फ्लोर पर सिर्फ़ 2 रूम है और साथ में छोटी सी बालकनी भी है, मेरा रूम नीचे है और मेरे रूम के साथ मम्मी, पापा का रूम है और भाई का रूम ऊपर है.

एक दिन जब में कॉलेज से वापस घर आई तो में हमेशा की तरह थोड़ा आराम करने के बाद घर की सफ़ाई करने लग गई. फिर मैंने सोचा कि काफ़ी दिन हो गये है, भाई के रूम की सफाई नहीं की है, इसलिए में भाई के रूम में सफाई करने चली गई. अब रूम को साफ करने के बाद जब में बेडशीट को ठीक करने लगी तो चादर के नीचे से मुझे कुछ किताबे दिखी, उन सभी किताबों के कवर पर नंगी लड़कियों के फोटो थे.

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फिर मैंने एक किताब उठाई और उसे खोलकर देखा तो मेरी आँखे खुली की खुली रह गई. उसमें एक लड़का और एक लड़की थी, वो दोनों बिल्कुल नंगे थे और उन्होंने कुछ भी नहीं पहना हुआ था, वो लड़की अपनी टाँगे फैलाकर बेड पर लेटी थी और वो लड़का उसकी टांगो के बीच में बैठा हुआ था, उस लड़के का लंड बिल्कुल लड़की की चूत पर टिका हुआ था. अब उस फोटो को देखकर मेरा गला सूखने लगा था, उस फोटो में लड़के का लंड बहुत बड़ा था और में लाईफ में पहली बार किसी का लंड देख रही थी. फिर मैंने अगला पेज पलटा तो उसमें लड़के का आधा लंड लड़की की चूत में घुसा हुआ था. अब तो में बेड पर बैठ गई और उस किताब के पेज पलट-पलटकर देखने लगी, वो पूरी किताब इसी तरह के फोटो से भरी पड़ी थी, किसी में लड़की आगे झुकी हुई थी और लड़का पीछे से लंड डाल रहा था और किसी में लड़की लड़के के ऊपर बैठी हुई थी.

अब में उन सभी फोटो को बड़े ध्यान से देख रही थी और अब मुझे अंदर से कुछ महसूस हो रहा था कि काश में इस लड़की की जगह होती. फिर उस किताब के बाद मैंने दूसरी किताब देखी और दूसरी के बाद तीसरी किताब देखी, तो उनमें इसी तरह की फोटो भरी पड़ी थी.

अब उन फोटो को देखते-देखते अचानक से मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत से कुछ निकल रहा है, तो मैंने अपनी सलवार के ऊपर से ही हाथ लगाकर देखा तो मेरी पेंटी बिल्कुल गीली हो गई थी और मेरी चूत एकदम गर्म हो गई थी. फिर मैंने उन किताबो को बंद करके ठीक उसी जगह पर रख दिया और अपनी सांसो पर कंट्रोल करके नीचे बाथरूम में आ गई.

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अब बाथरूम में आते ही मैंने अपने पूरे कपड़े निकाले और अपनी चूत को देखने लगी, मेरी चूत पहले भी काफ़ी बार गीली हो जाती थी, जब स्कूल में और कॉलेज में लड़कियां कई बार अपने बॉयफ्रेंड की बातें बताती थी, लेकिन इतनी गीली आज पहली बार हुई थी और मुझे इस तरह का एहसास भी आज पहली बार हुआ था.

फिर में बाथरूम में अपनी आँखे बंद करके बैठ गई, अब मेरी आँखो के सामने बार बार वो फोटो घूमने लगे थे और में खुद को उस लड़की की जगह सोचने लगी थी. अब में अपनी टाँगे फैलाकर बैठ गई और अपनी चूत में उंगली डालने लगी. में ऐसा पहली बार कर रही थी, लेकिन मेरी चूत इतनी गीली हो गई थी कि हल्की सी उंगली अंदर करते ही पूरी उंगली अंदर चली गई और मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे मेरी चूत में कोई लंड घुस गया हो.

फिर मैंने अपनी टाँगे बंद कर ली और उंगली को अंदर बाहर करने लगी, अब मुझे एहसास हुआ कि मेरी बॉडी का पूरा वजन मेरी चूत से बहकर निकलने लगा हो और में एकदम से फ्री हो गई. अब मुझे ऐसा लगा जैसे कि में आसमान में उड़ रही हूँ और अब मुझे बहुत मज़ा आया और फिर कुछ देर तक में ऐसे ही बैठी रही. उसके बाद में नहाने लगी और प्यार से अपनी चूत को देखने लगी. मेरी चूत पर बहुत सारे बाल उग गये थे, सच तो ये है कि मैंने कभी बाल साफ ही नहीं किए थे.

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फिर में नाहकर बाथरूम से निकली और कांच के सामने आ गई, आज मुझे खुद पर बहुत प्यार आ रहा था और मेरी टांगो के बीच मेरी चूत में तो उथल पुथल सी मची हुई थी. आज लाईफ में पहली बार में कांच के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी, मेरे बूब्स काफ़ी बड़े-बड़े थे और अब में घूम-घूमकर सब कुछ देख रही थी और खुद से बोल रही थी कि में कितनी सुंदर हूँ.

अब खुद को काफ़ी देर तक कांच में निहारने के बाद मैंने अपने कपड़े पहन लिए, इतने में डोर बेल बज गई. फिर मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने मम्मी थी. अब मम्मी के अंदर आते ही मैंने दरवाजा बंद किया और उनके लिए पानी लेकर आई. फिर मम्मी कुछ देर बैठी और फिर किचन में रात के खाने की तैयारी करने लगी और इसी तरह टाईम बीत गया और रात हो गई. अब रात को बिस्तर पर लेटते ही मुझे फिर से बैचेनी होने लगी और आँखे बंद करते ही वो फोटो मेरी आँखो के सामने आ गये.

अब मेरी चूत फिर से गीली हो गई थी और में अपने हाथ अपने पजामे में डालकर चूत पर ले गई और अपनी उंगली को चूत में अंदर करने की कोशिश करने लगी.

यह कहानी तीन भागों में है, शेष आगे की कहानी अगले भाग में पढ़े-