हिंदी सेक्स स्टोरी

जिन्दगी के सफर में चूत का प्रसाद-1

Zindgi ke safar me choot ka parsad-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अली है और में गुजरात का रहने वाला हूँ और आज में जो कहानी आप सभी को सुनने जा रहा हूँ. यह आज से दो साल पहले की एक सच्ची घटना है और उन दिनों में अपने पेपर देकर अपनी छुट्टियों के दिन बिता रहा था और में उस समय कोई भी काम नहीं कर रहा था, लेकिन हाँ में हर दिन अपने एक दोस्त के पास जरुर जाता था जिसका नाम अबरार है.

में और वो उसके घर के बाहर बैठकर कई घंटे बातें किया करते थे और जिस जगह पर हम दोनों बैठे बातें करते थे वहां पर एक घर था जिसमें एक सुंदर लड़की रहती थी जो कि मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड थी जिसका नाम सिद्रा था और इसलिए हम दोनों का वहां पर बैठकर टाइम पास हो जाता था और वैसे उस लड़की के घर में ज्यादा लोग नहीं थे हम अक्सर रात को देर तक वहाँ पर बैठा करते थे और वो भी सही मौका देखकर रात को दरवाजे पर आ जाती थी.

मेरा दोस्त उसके पास चला जाता और उसके बाद वो दरवाजे पर ही एक दूसरे को चूमने लगते थे में इधर उधर देखता था कि कहीं कोई आ ना जाये. अगर कोई आता तो में अपने दोस्त को बता देता था और यह सिलसला बहुत दिनों तक चलता रहा.

एक दिन जब में अपने दोस्त के पास गया तो हम रोज़ की तरह हम दोनों वहीं पर बैठ गए और जब मैंने अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड के घर के दरवाजे पर देखा तो मुझे वहां पर सिद्रा और उसके साथ एक और लड़की खड़ी हुई थी.

मैंने उस लड़की को देखा तो देखता ही रह गया, क्योंकि वो लड़की बहुत सुंदर बड़ी गोरी थी. उसका बदन भरा हुआ था और उसके बूब्स बड़े आकार के होने की वजह से उसके कपड़ो से बाहर नजर आ रहे थे. वो बड़े ही मस्त गोल थे, लेकिन वो लड़की थोड़ी सी मोटी भी थी और मेरा दिल उस लड़की पर आ गया था और जब मैंने अपने दोस्त से उसके बारे में पूछा कि यह लड़की कौन है तो उसने मुझे बताया कि यह लड़की मेरी गर्लफ्रेंड की चचेरी बहन है और वो कुछ दिन के लिए यहाँ पर रहने आई हुई है.

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मैंने अपने दोस्त से कहा कि तू इस लड़की की मुझसे बात करवा दे तब उसने अपनी गर्लफ्रेंड के पास जाकर उससे मेरी उस बात के बारे में कहा और फिर उसने मुझे दरवाजे पर बुलवाया और फिर मेरी उस लड़की से बात करवाई, तो मैंने उसको उसी समय मुझसे दोस्ती करने के लिए कहा तो वो तुरंत मेरी बात को सुनकर तैयार हो गई और में वापस आया और मैंने अपने दोस्त से कहा कि वो अपनी गर्लफ्रेंड से कहकर मुझे इसकी एक किस दिलवाने की बात कहे.

उसने अपनी दोस्त से यह कहा तो उसने मुझे उस दरवाजे पर किस करने से बिल्कुल मना कर दिया, लेकिन उसने मुझसे मिलने को कहा तो मैंने कहा कि हाँ ठीक है और मैंने उसको एक आइस्क्रीम पार्लर पर मिलने के लिए कहा. मैंने उसको दिन के करीब दो बजे का समय उससे मिलने का दिया और फिर में मन ही मन बड़ा खुश होता हुआ और वापस अपने घर पर आ गया.

फिर अगले दिन में और मेरा दोस्त दो बजे से कुछ मिनट पहले ही उस आइस्क्रीम पार्लर पर पहुंच गए और अब हम दोनों उसका इंतज़ार करने लगे थे. करीब दस मिनट के बाद वो लोग भी आ गए और हमारी क़िस्मत बहुत अच्छी थी कि उस समय उस आइस्क्रीम पार्लर में बस हम चार लोगों के अलावा और कोई भी नहीं था.

मैंने कुछ देर बाद अपने दोस्त से कहा कि वो लोग अलग जाकर दूसरी कुर्सी पर बैठ जाए और हम दोनों को अलग बैठने दो और उसी समय मेरा दोस्त अपनी दोस्त को लेकर दूसरी टेबल पर बैठ गया. अब मैंने उस लड़की से उसका नाम पूछा तब उसने मुझे अपना नाम ताहिरा बताया उसके बाद मैंने उससे इधर उधर की बहुत सारी बातें हँसी मजाक किया और फिर मैंने उससे मुझे किस करने की बात कही.

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पहली बार तो उसने मुझसे साफ मना कर दिया, लेकिन जब मैंने दो तीन बार फिर से उससे कहा तब जाकर वो तैयार हो गई तो में बहुत खुश हुआ और उसके साथ जाकर बैठ गया. फिर मैंने उसके गालों से उसको पकड़कर मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए तब मुझे पता चला कि उसको किस करना नहीं आता था इसलिए उसने अपने होंठो को ज़ोर से बंद कर लिए, लेकिन में उसके नरम होंठो को लगातार चूसता रहा.

धीरे धीरे उसने अपने होंठो को ढीला छोड़ दिया और मैंने उसको करीब पांच मिनट तक किस किया, लेकिन बाद में हम लोगों ने बहुत जमकर किस किया. फिर कुछ देर बाद हम दोनों उठकर अपने दोस्तों के पास चले गए और कुछ देर साथ में बैठकर बातें मजाक करने के बाद हम लोग वापस अपने अपने घर पर आ गए. उस दिन वहां पर मेरे दोस्त ने भी अपनी दोस्त के साथ बड़े मस्त मज़े लिए थे. उसने मुझे वापस आते समय सब कुछ सच सच बता दिया था.

अब मैंने और मेरे दोस्त ने उन दोनों को चोदने का प्लान बनाना शुरू किया और दो दिन के बाद हम दोनों ने एक हमारे काम करने लायक जगह का इंतज़ाम किया और उसके बाद उन दोनों को हमने वहां पर बुला लिया जिस जगह पर हमने उन दोनों को बुलाया था वो घर हमारे ही एक बहुत पक्के दोस्त का था जो वहां पर अपने पापा के साथ रहता था.

उनकी एक दुकान थी और उसके परिवार के बचे हुए लोग उनके गाँव में रहते थे और वो उस घर में अपने पापा के साथ अकेला ही रहता था, लेकिन उसके पापा उस दिन अपने परिवार से मिलने के लिए अपने गाँव गए हुए थे और वो दूसरे दिन तक वापस आने वाले थे इसलिए उसने हम लोगों को कुछ देर के लिए अपने घर की चाबी हम दोनों को दे दी.

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हम सभी लोग उसके घर में गये और कुछ देर तक हमने बातें की और फिर उसके बाद मैंने अपने दोस्त से इशारे में दूसरे पास वाले कमरे में जाने के लिए कहा और फिर वो मेरा इशारा तुरंत समझकर उठकर अपनी दोस्त को अपने साथ में लेकर दूसरे रूम में चला गया. अब हम दोनों वहीं उस सोफे पर बैठे रहे कुछ देर बाद मैंने उसका एक हाथ पकड़ लिया और उसके हाथ को किस किया, क्योंकि में तब उसका मूड देखना चाहता था, लेकिन जब उसने मुझे अपना हाथ चूमने पर कुछ नहीं कहा तो मैंने अब आगे बढ़कर उसके होंटो पर किस करना शुरू कर दिया और में उसके रस भरे होंठो को चूसने चूसने लगा था.