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देवर जी आप कुछ ऐसा करो-1

Devar ji Aap Kuchh Aisa Karo- 1

प्रिय दोस्तो, मैं संजय एक बार फिर अपनी आपबीती आपके साथ बाँटने आ गया हूँ। आप लोगों ने मेरी कहानियों को जैसे सराहा, उसने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं आपके साथ अपने अनुभव और बाँटू। कहानी शुरु करता हूँ।

दोस्तो, जैसा कि आपको पता है सेक्स मेरी कमजोरी है और मैं हर लड़की को सिर्फ सेक्स की नज़र से ही देखता हूँ। हर लड़की सिर्फ मुझे चुदाई के लिए माल लगती है।

बात तब की है जब मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में भोपाल गया था। मुझे वह थोड़ा समय लगना था तो मैंने एक कमरा किराये पर लेकर रहने का तय किया।

भोपाल में मेरे दूर के रिश्ते के भाई-भाभी रहते थे। जब उन लोगों को पता चला तो उन लोगों ने मुझे अपने साथ रहने को कहा। पर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने कहा कि मैं उनके घर आता रहूँगा पर कमरा अलग ही लूंगा।

पर वो लोग नहीं माने और मुझे उनके घर ही रहना पड़ा। जिस दिन मैं भोपाल पहुँचा तो सीधा अपने भाई के यहाँ गया। उन लोगों से काफी समय हो गया था मिले, मैं सिर्फ भाई की शादी में ही गया था, उसके बाद जाना नहीं हो पाया था, उनकी शादी को 6 साल हो चुके थे और 4 साल का एक बेटा भी था। जब मैं पहुँचा तो वो लोग बहुत खुश हुए। वहीं मेरे चाचा और चाची भी रहते थे। सब लोग बहुत खुश थे और मैं भी खुश था। मेरा सारा समय अपने भतीजे के साथ खेलने में ही निकल जाता था।

पर मेरी आदत के कारण मेरी नज़र अपनी भाभी पर थी। जब मैंने उनको पहले देखा था तो वो उतनी सुंदर नहीं लगी थी पर अब तो वो जबरदस्त माल लग रही थी। शायद भाई की जबरदस्त चुदाई का नतीजा था यह। उनके वक्ष और नितम्ब मस्त हो गए थे और उनके होंठ देख कर तो मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर चूस लूँ और फिर अपने लण्ड उनके बीच में डाल दूँ।

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पर अभी घर में सब लोग थे ओर मैं भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था पर मेरी नज़रों ने देख लिया था कि भाभी जी भी मुझे अलग निगाहों से देख रही थी, वो नज़रें जो हर चुदाई की प्यासी औरत की होती हैं।

खैर मैं खाना खा कर अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर में भाभी मेरे लिए दूध लेकर आई और थोड़ी देर बैठ कर मुझसे बातें करने लगी। उनको बातें करने का बहुत शौंक था, हम काफी देर तक बात करते रहे और मैं अपनी नज़रों से उनके शरीर का नाप लेता रहा। बहुत ही मस्त शरीर था भाभी का, मैं सारी लड़कियों को भूल सकता था भाभी के लिए।

थोड़ी देर बाते करने के बाद भाभी चली गई और मैं उनके नाम का मुठ मार कर सो गया।

अगले दिन मैंने अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया और अपने काम में लग गया। मुझे यहाँ आये 15 दिन हो गए थे और रोज भाभी का नाम लेकर मुठ मार लेता था। कोई रास्ता नहीं दिख रहा था मुझे उनकी चुदाई करने का।

एक दिन भाई की तबियत थोड़ी सही नहीं थी तो भाभी उनका काम कर रही थी। मैंने कुछ दवाइयाँ लाकर दी और उनको आराम करने को कहा और भाभी को बोला कि भाई को खिला दो और सोने को कहो और खुद भी आराम करो।

यह कह कर मैं अपने कमरे में आ गया। मुझे पता था कि आज भाभी मेरे कमरे में नहीं आएँगी क्योंकि वो भाई का काम कर रही हैं तो आराम से रोज की तरह अपना लण्ड निकाल कर मुठ मारने लगा भाभी का नाम लेकर।

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थोड़ी देर में मुझे दरवाजे पर कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैंने पलट कर देखा तो भाभी दूध का गिलास हाथ में लिए खड़ी थी। मैंने जल्दी से चादर अपने ऊपर डाली और अंडरवीयर पहनने लगा।

भाभी ने थोड़ा गुस्से में पूछा- यह क्या हो रहा था?

मैं बहुत डर गया था। मुझे लगा कि भाभी अब यह बात सबको बता देगी और मेरी बहुत बेइज्जती होगी।

मैं तुरंत पंलग से उठा और भाभी के पैर पकड़ लिए, मैं उनको बोलने लगा कि यह बात किसी को न बताएँ… यह तो हर लड़का करता है।

उन्होंने दूध का गिलास मेज पर रखा और वहीं सोफे पर बैठ गई।

मैं वहीं उनके घुटनों के पास बैठ गया और उनको मनाने लगा। मैंने उनके पैर चूमने लगा और कह रहा था कि यह बात किसी को न बताएँ।

थोड़ी देर चूमने के बाद मुझे लगा कि भाभी को यह अच्छा लग रहा है और वो मुझे मना भी नहीं कर रही है तो मैंने धीरे धीरे उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर की और उनकी घुटनों से नीचे की टाँगे चूमने लगा।

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अब मैंने देखा तो भाभी सोफे पर आराम से बैठ गई थी और आँखें बंद करके मज़े ले रही थी।

मैंने भाभी से पूछा- मज़ा आ रहा है?

तो वो बोली- करते रहो नहीं तो सबको बता दूँगी।

मैं थोड़ा डर से और अपनी मस्ती के लिए उनकी टाँगे चूमता रहा। अब धीरे धीरे मैंने अपने हाथ उनकी साड़ी के अंदर उनकी जांघों पर रख दिए और उनको सहलाने लगा।

भाभी पूरी मस्त हो गई थी तो मैंने बिना डरे उनकी साड़ी उनकी जांघों से ऊपर उठा दी और उनकी जांघों को चूमने लगा। मेरी साँसों में उनकी चूत की खुशबू आ रही थी जो मुझे और मस्त कर रही थी।

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मैंने थोड़ा सा ऊपर देखा तो मेरी नज़र उनकी चूत पर पड़ी जिस पर काफी बाल थे और चूत की खूबसूरती उनसे छुप रही थी। मैंने उनकी टांगों और जांघों को बहुत प्यार से चाटा। अब मैंने उनकी टाँगें थोड़ी चौड़ी कर दी ताकि मैं उनकी चूत को सही से देख सकूँ। उन्होंने भी मेरा साथ देते हुए अपनी टांगें चौड़ी कर दी।

यह कहानी कुल चार भागो में है, बाकि की कहानी अगले भाग में पढ़े-