Aunty Sex Story

गाँव वाली काकी ने सेक्स का पूरा मज़ा दिया-2

मै -वो एक कप चाय मिलेगी बहुत थकान सी है
भाभी -हा तो ले लिजिए ना ,मैने कब मना किया है
(और हसकर बाहर चली गई )
मै अपने कमरे मे ही बैठा निर्मला काकी और भाभी के बारे मे सोचकर लंड सहला रहा था फिर अचानक भाभी कमरे मे आई चाय लेकर
भाभी -बाबू आपकी चाय
(आवाज सुनकर मैने तुरंत ही लंड को छोड दिया )
मै – ह ह हाॅ भाभी
मैने चाय ली और पीने लगा भाभी मुस्कुराते हुए बाहर चली गई
लेकिन एक बात मै समझ चुका था कि भाभी को चुदाई का सुख नही मिल पा रहा , चाय पीने के बाद मै बाहर चला गया विशाल के साथ गांव के चौराहे पर सबने मेरा हाल चाल पूछ परिवार के बारे मे पूछा ।
अंधेरा होने लगा था हम घर की तरफ चल दिए
घर आए तो बाहर निर्मला काकी ,ताई जी और भाभी को आवाज दे रही थी
मै घर मे गया और भाभी से पूछा

मै- भाभी काकी क्यू बुला रही है
भाभी – बाबू वो शाम को हम खेतो की तरफ जाते है (और मुस्कुराने लगी )
मै समझ गया की ये लोग हगने जा रहे है
भाभी चली गई ,मेरा दिमाग बार बार उनकी बाते सोच रहा था
फिर मै फौरन छत पर गया वहा से देखने लगा की वो लोग किस तरफ हगने जा रही है (आप सबको बता दू मेरा घर गांव से थोड़ा बाहर है और घर के आसपास थोड़ी दूरी पर बाॅस के पेड है )
मैने देखा की वो तीनो उसी बसवारी की तरफ जा रही है
मैने सोच लिया था कि कल से उन से पहले मै ही वहा जाकर हगने का नाटक करूंगा और उनकी गांड और चूत देखूंगा
फिर रात को खाना खाकर सब सो गए ।.

अगली सुबह
भाभी – उठिए बाबू सुबह हो गई, चाय ठंडी हो जाएगी (इतना कहकर भाभी ने मेरे शरीर से चादर खीच लिया )
चादर हटते ही उनके सामने मेरा खडा लंड आ गया जो पैंट से बाहर था (रात को मुठ मारने के बाद मैने लंड को पैंट के अंदर नही डाला था तुरंत नींद आ गई थी )
यह सब देखकर भाभी तुरंत कमरे से बाहर चली गई और रसोई मे जाकर जोर जोर से हसने लगी ।उनकी हसी सुनकर मुझे अहसास हुआ और मै तुरंत उठकर बैठ गया
मै बाहर जाने लगा जैसे ही रसोई के पास से गुजरा भाभी और हसने लगी
मै रसोई मे गया और बिना उनसे आख मिलाए
मै – भाभी वो मै ,पता नही कैसे , पलीज भाभी किसी से कहिएगा नही
(वो हसे जा रही थी )
भाभी -अरे देवर बाबू लेकिन।

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मै – भाभी प्लीज मत कहना किसी से
भाभी- अरे ऐसी बाते किसी से कही थोड़ी ही जाती है आपने भी तो उस दिन आंगन मे मेरा पिछवाडा देख लिया था
मै-क्या भाभी
भाभी – (करीब आकर )अरे मेरी गांड ना देख ली थी अचानक आपने
मै – माफ करना भाभी गलती हो गई
भाभी – नही ये सब होते रहता है इतना बडा घर है कोन कहा है किसको पता
मै -जी भाभी
भाभी – बाबू एक बात पूछू
मै -हा भाभी पूछिए
भाभी – उस दिन आपने मेरी गांड देख ली थी ,कैसी लगी आपको ?
(मै शाॅक हो गया )
मै -भाभी ये आप क्या बोल रही है
भाभी -बोलिए ना बाबू मुझे तो आपका देखकर अच्छा लगा आप तो ऐसे शर्मा रहे है जैसे कवनो नई नवेली दुल्हनिया
(मै मन मे “साली तेरी गांड मिल जाए तो पेलपेलकर फाड दू”)

मै -भाभी वो आपकी गां….. (इससे पहले मै कुछ बोलता बाहर से विशाल आता है )
विशाल – भाभी चाय बनी की नही ?पापा और ताऊजी कबसे चाय मांग रहे है
भाभी -हा विशाल बाबू ले जाइए चाय
(विशाल ने चाय ली और बाहर जाने लगा मै भी उसके साथ बाहर को चल दिया ) जाकर ताऊ जी के पास बैठ गया
ताऊ जी मेरी पढ़ाई के बारे मे पूछने लगे (इतने मे निर्मला काकी आती है )
काकी -प्रताप बाबू नरेश बेटवा कहा है ?
ताऊजी – वो तो दुकान चला गया

काकी – मजदूर नही मिल रहे खेत की फसल खराब ना हो जाए
ताऊजी -विशाल और जितेंद्र को ले जाईए भाभी ये दोनो काट देंगे
मै – हा काकी बस एक बार बता देना कैसे काटते है मै भी काट लूंगा फसल
काकी-ठीक है बेटवा विशाल को बुला लाओ
(विशाल अपने कमरे मे जा चुका था मै विशाल के पास जाता हू उससे बात करके बाहर आता हू )
मै -(निराश होकर की साला काकी को ताडने का मौका हाथ से गया ) काकी वो विशाल रसोई गैस लेने बाजार जा रहा है शाम तक लोटेगा तो मै अकेले …
काकी- कोई बात नही बेटवा तू ही चल मै सीखा दूंगी
मै- (खुश होकर) ठीक है काकी अभी आया ।………
मै और काकी खेत कि तरफ चल पडे ।काकी का खेत काफी दूर था था गांव से बाहर सबकी फसल कट चुकी थी तो उस तरफ किसी का आना जाना नही था ।बहुत कम लोग ही सुबह सुबह उस तरफ जाते ।
काकी के खेत के चारो तरफ सरपत की झाडिया थी जो खेत को चारो तरफ से घेर लेती थी ।
काकी ने एक पतली साडी पहन रखी थी सफेद रंग का ब्लाउज उनहोने ब्रा नही पहनी थी और मुझसे दो कदम आगे चल रही थी
मै-काकी कितनी दूर है आपका खेत
काकी -बस बेटवा आ गए थोडी ही दूरी रह गई है ।
(जिस काकी को मै कभी गलत नजर से नही देखता था वो मेरे आगे आगे अपने भारी भरकम गांड मटका कर चल रही थी )

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मै -काकी दोपहर मे जब भूख लगेगी तो हम क्या खाएँगे
काकी -बेटवा वही खेत के बगल मे गन्ने का खेत है वो भी अपना ही है वहा से गन्ने तोड़कर चूस लेंगे ।
मै-नही काकी मै बिना खाए नही रह पाउंगा भूख बर्दाश्त नही होती
काकी -अरे बेटवा घबराता काहे है मैने रोटी बांधकर रख ली है ।और हा तेरी काजल भाभी आ जाएगी तेरे लिए खाना लेकर ।
मै-अच्छा काकी
काकी -हा बेटे । अच्छा तू मुझे गन्ना तो देगा ना मुझे बहुत शौक हे चूसने का
मै -हा काकी मै आपको खूब मोटावाला गन्ना दूंगा
(हलकी धूप के कारन काकी का शरीर चमक रहा था 50 की उम्र मे भी कामुक लग रही थी )
काकी -अच्छा बेटवा तू मेरी फसल अच्छे से काट तो लेगा ना

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मै -हा काकी बस आप एकबार बता दिजिये कैसे काटना है मै काट लूंगा ।
काकी – हा बेटवा ।तू कितना प्यारा है जो मेरे लिए इतना कर रहा है काहे जाकर शहर रह गया तेरा बाप काश तुम सब यहा होते तो चहल-पहल होती गांव सूना लगता है
मै -हा काकी “गांव से अच्छा कुछ नही” मुझे भी मन नही करता शहर जाने को लेकिन पढ़ाई के लिए
काकी -मै तो बिल्कुल अकेली हू तुम सब हो तो मेरे सारे काम हो जाते है वररना ये खेती बारी मेरे बस की बात नही । बेटा है तो जाकर परदेस बस गया है माॅ का जरा भी ख्याल नही उसे
मै – नही काकी ऐसी बात नही भईया तो पैसे कमाने ही गए है जलदी आ जाएगे ।

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इसी तरह बाते करते करते हम खेत की तरफ जा रहे थे खेत बस 10 कदम दूर रह गया था की काकी रूक गई मै भी उने पास जाकर खडा हो गया हमने देखा की एक बैल गाय को चोद रहा था काकी की नजर तो मानो जैसे बैल के लंड पर ही टिक गई ।
उनके हाथ अपने-आप ही अपने चूत पर साडी के उपर से सहलाने लगे ।
इतने मै बैल ने एक जोरदार शाॅट मारा और गाय चिल्लाने लगी
काकी का ध्यान टूटा वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए खेत मे घुस गई मै भी उनके पीछे पीछे उनकी गोल गुदाज गांड को निहारते हुए खेत मे चला गया ।(काकी मुझे समझाते हुए,)
काकी – देख बेटवा इस तरह काटी जाती है फसल
मै – जी काकी
और हंसिया हाथ मे लेकर गेहू की फसल काटने लगा ,काकी शायद अब भी गाय और बैल की चुदाई के बारे मे सोच रही थी और उकडु बैठकर मेरे पास से ही एक लाइन मे फसल काट रही थी ।
उनका पल्लू नीचे खिसक चुका था मेरा ध्यान जब इस तरफ गया तो मै उनकी चुचियो देखने की कोशिश करने लगा
मै – काकी आपको बहुत मेहनत पड जाती होगी ना