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गाँव वाली काकी ने सेक्स का पूरा मज़ा दिया-3

काकी -नही बेटवा अकेली हू मेहनत तो नही लगती सारे काम जलदी हो जाते है बस कोई हाल पूछनेवाला नही है
मै – कैसी बात करती हो काकी हम सब है ना आपके साथ आपके परिवार की तरह ही
(और उनकी चुचियो को देखे जा रहा था वो जानती थी मेरी नजर कहा पर है फिर भी उन्होंने चुचियो को ढकने की कोशिश नही की ये देखकर मेरा लंड और सिर उठाने लगा और फसल काटने मे ध्यान नही लग रहा था )
मै- काकी आपसे एक बात पूछू
काकी – हा बेटवा पूछ
मै – ( भोला बनते हुए) काकी जब हम खेत आए तो वो बाहर दोनो गाय क्या कर रही थी
काकी – हाहाहाहाहा अरे बुद्धु वो गाय नही उसमे से एक गाय और एक बैल है
मे -अचछा काकी वो गाय और बैल क्या कर रहे थे एक दूसरे के नीचे ( मेरी गांड फट रही थी ये सब पूछते हुए लेकिन मै अपनी किस्मत आजमा रहा था )

काकी – अरे बेटवा उ बैल गाय को प्यार कर रहा था ( अपनी चूत को उपर से सहलाते हुए )
मै – ये कैसे काकी कैसा प्यार
काकी – अरे बेटवा उ बैल पीछे से अपना लं………
मै – (काकी की बात पूरी होती कि बीच मे मै ) आहहहहहहहहहहहहहहह काकी आहहहहहहहहहहहहहहह
काकी – क्या हुआ बेटवा
मै – काकी वो गेहू काटते हुए हंसिया से उंगली कट गई है
काकी – हायययययय रामम। उंगली काट ली अब घर वाले कहेंगे की बेटवा की उंगली कटवा दी
मै – अ आआआआआआआहहहहहहहहह काकी ऐसी बात नही है बस खून रूकना बंद हो जाए
काकी – ला देखू तो कहा लगी है (मै उठकर काकी के पास जाकर बैठ गया ) काकी का पल्लू अब भी जमीन पर था चुचियो का रंग और शेप देखकर लंड खडा होने लगा ।

काकी ने मेरी हथेली पकडी और जिस उंगली पर चोट लगी थी उस उंगली को देखने लगी
काकी – हायययययय राम कितना खून बह रहा है ( इतना कहकर उनहोने तुरंत मेरे उंगली चूसने लगी ऐसे जैसै कोई मोटा लंड मिल गया हो )
काकी मेरे कटी हुई उंगली को चूसे जा रही थी
मै-आहहहह काकी दर्द हो रहा है
काकी – बेटवा ध्यान से काटना चाहिए था ना उंगली काट ली तूने
(काकी बिलकुल लंड चुसने की स्टाइल मे उंगली चूस रही थी अपने होंठो पर रगडकर )
मै – हा काकी ध्यान से ही तो काट रहा था पता नही कैसे उंगली पर लग गई ।
काकी – खूब जानती हू तेरा ध्यान कहा था (और इतना कहकर उन्होंने अपने पल्लू से अपना सीना ढक लिया )
मैने शर्म से आखे नीचे कर ली
मै- काकी मै क्या करू दर्द हो रहा है
काकी – बेटवा वहा किनारे बैठ जा मुझे ही काटनी पडेगी अब फसल सूरज सर पर चढ रहा है धूप हो जाएगी तो काम करते नही होगा
(इतना कहकर उन्होंने अपना पल्लू अपनी कमर मे बांध लिया और फसल काटने लगी )

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सफेद ब्लाउज पहनने के कारन धूप मे उनका चुचिया झलक रही थी
मै वही किनारे जाकर बैठ गया और काकी को घूरने लगा ।
काकी – बेटवा तेरी उंगली तो ठीक है ना
मै – हा काकी खून नही बह रहा लेकिन दर्द है
काकी – अरे बेटवा मेरी ही गलती है जो तुझ शहरी बाबू से फसल कटवाने जा रही थी
मै- नही काकी ऐसी बात नही है मै काट लेता फसल लेकिन ये चोट लग गई ( और उठकर उनके सामने जाकर बैठ गया और उनकी चुचियो को खा जाने वाली नजरो से देखने लगा )
उनकी चुचिया मानो अभी ब्लाउज से उछल कर बाहर आ जाएगी
काकी मेरी नजर को पकड चुकी थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी
काकी- हा बेटवा लेकिन फसल काटने के मामले मे तू नौसिखिया है
मै – हा काकी
और काकी फसल काटे जा रही मै उनकी चुचियो को देखकर अपना लंड सहला रहा था
मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नही था की 50 साल की औरत भी इतनी कामुक हो सकती है ।काकी की चुचिया अब भी टाईट थी जो किसी भी जवान का लंड खडा करने के लिए काफी था ।
काकी जानती थी की मेरा हाथ मेरे लंड पर है

मै काकी के चुचियो को खा जानेवाली नजरो से देख रहा था लंड अपनी पूरी औकात मे आ गया था ।
काकी को पता चल चुका था लेकिन फिर भी वो अंजान बनकर फसल काटने मे लगी हुई थी ।और मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।
काकी – बेटवा कैसा है तेरी उंगली का दर्द?
मै- ठीक ही है काकी

काकी – देख बेटवा हम जो भी काम करते है उसी पर हमारा ध्यान होना चाहिए ।तू जब फसल काट रहा था तब तेरा ध्यान ही नही था इसलिए तुझे चोट लगी है।
मै- काकी ऐसी बात नही है मेरा ध्यान था फसल काटने पर ही लेकिन अचानक ही उंगली पर लग गई ।
काकी – ठीक है बेटवा
(काकी का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था और चुचियो को देखकर मै भी गरम हो रहा था । काकी इस गरमी को भाप चुकी थी )
काकी – बेटवा मेरे करीब आकर बैठ जा (थोडी देर के लिए उन्होंने फसल काटना रोक दिया )
मै अपना तना हुआ लंड लेकर उनके दाहिने तरफ बैठ गया उन्होंने पूरी तरह देख लिया था कि मै उनके दूध को घूरे जा रहा हू । इसके बाद भी वो उसे ढकने का नाम नही ले रही थी ।
काकी – (मेरे लंड की तरफ घूरते हुए ) बेटवा अगर भूख लगेगी ततो बता देना ।काकी अपना पूरा परोस देगी ।
(मै समझ चुका था काकी डबल मिनिंग बोल रही है )
मै – काकी अभी तो भूख नही लगी है लेकिन वो मै…..वो मुझे
काकी- क्या मै , मुझे सीधे बोल बेटवा क्या हुआ अचानक ही तेरे भाव कैसे परिवर्तित हो गए ।
मै – काकी वो मुझे बहुत जोर से पेशाब लगी है ।
काकी – हा हा हा हा हा ये भी शरमाने की बात है अरे बेटवा यही किनारे झाडी मे कर लो
मै – पर काकी आप यही हो , आपके सामने कैसे ?
काकी- अरे बेटवा शरमाओ नही कर लो देर तक रोकना अच्छा नही ।मै नही रोक पाती कभी भी ।
मै- ठीक है काकी
(और उठकर काकी के बाई तरफ जाने लगा मेरे खडे लंड का तंबू काकी की नजरो के सामने था ।जिसे देखकर वो हैरान थी और उनका हाथ अनायास ही उनकी चूत पर चला गया )
काकी – बेटवा लगता है बडी जोर से लगी है

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मै- हा काकी
(और जाकर इस तरह खडा होकर मुतने लगा कि काकी को मेरा लंड आसानी से नजर आए )
मै मूत रहा था और काकी मेरे लंड को घूर रही थी उनका मुह खुला का खुला रह गया था ।शायद उन्होंने पहली बार इतना बडा लंड देखा था ।)
वो साडी के उपर से ही अपनी चूत को रगड रही थी और वो इस तरह धीरे से रगडती की मेरी नजर ना पडे लेकिन मै सब देखकर अंजान बने रहना चाहता था ।
काकी पूरी तरह गरम हो चुकी थी पर वो इस बात को जताना नही चाहती थी ।
वो फिर से फसल काटने लगी और मै आकर उनके दाहिने तरफ बैठ गया ।

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काकी- देख बेटवा सूरज सिर पर चढे जा रहा है और अभी तक एक तिहाई फसल भी नाही कटी है
मै- काकी हो जाएगा आप चिंता मत किजिये

(इतने मे वही गाय जो थोडी देर पहले चुदवा रही थी वो खेत मे घुसने लगी )
काकी – बेटवा ये कहा घुसी चली आ रही है जरा हाक तो इसे वरना फसल नुकसान कर देगी
मै – हा काकी अभी हाकता हू इसे
(और मै उठकर उसे भगाने लगा और थोडी देर बाद आकर फिर बैठ गया )
मै – काकी एक बात पूछू
काकी -हा बेटवा पूछ
मै – काकी ये वही गाय है ना जो बाहर बैल के उपर चढने की कोशिश कर रही थी (ये पूछते हुए मेरी गांड फट रही थी )
काकी- हा हा हा हा हा अरे बुद्धु तू सच मे अनाडी है
मै- क्यू क्या हुआ काकी
काकी- अरे बेटवा ये गाय उपर नही बैल के नीचे थी
मै – काकी ऐसा क्यू वो दोनो कर रहे थे
काकी -बेटवा वो दोनो प्रेम संबंध बना रहे थे (और ये कहकर काकी का चेहरा लाल हो गया )
मै-(भोला बनकर ) काकी मगर वो बैल ऊपर क्यू चढ रहा था
काकी- (मुस्कुराते हुए) बेटा वो गाय की उसमे अपना वो डालना चाहता था
मै – काकी मै कुछ समझा नही अच्छे से बताइए ना ।