पडोश की भाभी को चोदा, अब उनकी याद में मूठ मरता हूँ
मेरा नाम उज्ज्वल है। यह कहानी उन दिनों की है जब मैं 19 साल का था। मेरे पड़ोस में एक लड़के की शादी हुई थी, उसका नाम रिषभ था। रिषभ थोड़ा छोटे और पतले थे लेकिन उनकी पत्नी बिलकुल अलग थीं। वह बहुत ही सुंदर थीं, उनके शरीर पर इतना आकर्षण था जैसे कि उनका ब्लाउज फटने वाला हो। लंबी चोली और शानदार फिगर।
रिषभ उस समय दिल्ली में नौकरी करता था। शादी के कुछ दिन बाद ही वह दिल्ली चला गया। रिषभ के घर सिर्फ़ उसकी बुजुर्ग माँ और उनकी खूबसूरत पत्नी अकेले रहती थीं। हम रिषभ के घर अक्सर जाते थे और घंटों उनकी पत्नी से बात करते थे, लेकिन मेरे मन में कभी कोई गलत विचार नहीं आया था। मैं बस भाभी कहता था और बातचीत का आनंद लेता था।
एक दिन मैं कॉलेज से आया और थोड़ी देर बाद रिषभ के घर चला गया। वहाँ जाने पर पता चला कि रिषभ की माँ अपने मायके चली गई थीं, लेकिन हमें कोई फर्क नहीं पड़ा। मैं वैसे ही बातचीत कर के वापस आ रहा था, लेकिन रिषभ की पत्नी दरवाजे के छिड़की पर बैठी हुई थी। जैसे ही मैं कमरे से बाहर निकलने लगा, भाभी ने मेरे लंड को छू लिया और मुझे गले लगाया। मैंने कहा “यह गलत बात है,” जैसे ही मैंने यह कहा, वह उठकर खड़ी हो गई और बोली “क्यों गलत?” “क्यों गलत?” और उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और जोर से मुझे चूमने लगी।
मैं कुछ देर के लिए सह गया, फिर क्या कहूं दोस्तों जब वह मेरे लंड को पकड़ रही थी तो थोड़ी झुकी हुई थी, उनका साड़ी उनके कंधे से गिर चुका था। उनके ब्लाउज से उनके मस्त चुच्ची गोलाकार दिख रहा था, मेरा होश उड़ गया और मैं जल्दी से उनसे अलग हो गया और उन्हें पीछे से पकड़ लिया। वह भागने की कोशिश करने लगी और हंसते हुए बोली “ऐसा मत करो, ऐसा मत करो,” मैंने डर से छोड़ दिया क्योंकि आज तक मैंने किसी को भी छुआ नहीं था और आज एकदम से चुच्ची दबाने का मौका मिला था। जैसे ही मैंने उन्हें छोड़ा, उन्होंने कहा “छोड़ने किसने कहा” और भागने लगी। मैंने जल्दी से दौड़कर उन्हें पकड़ लिया और पीछे से उनके चुच्ची को दबाना शुरू कर दिया और कंधे को भी पीछे से गाल को चुंबन करना शुरू कर दिया।
अब तो मेरे लंड सात आसमान पर था, मेरा हर रोम झुनझुनी हो रहा था। मैं पागल हो रहा था। इतने में मैंने कहा “इससे कुछ नहीं होगा क्या आप हमें चोदने के लिए दोगी?” उन्होंने तुरंत जवाब दिया “हाँ”। और हम दोनों ने रात की चुदाई को फिक्स कर लिया।
मैं रात होने का इंतजार करने लगा। मैं जल्दी से खाना खाने के बाद अपने बिस्तर पर चला गया और इंतजार करने लगा कि सब लोग सो जाएं। जब रात को लगभग 10 बजे होंगे, मेरे गाँव में इस समय तक सभी लोग सो जाते हैं। मैंने धीरे से उठा और चारों ओर देखा कोई तो नहीं है फिर मैं उनके घर की तरफ गया। उनका घर मेरे घर के सामने ही था। देखा कि उनका दरवाजा बंद था। फिर मैंने खिड़की से झाँक कर देखा तो एक धीमी-धीमी रोशनी थी, एक दीया जल रहा था और वे चारपाई पर सोई हुई थीं। मैंने 3-4 पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े उठाए और खिड़की से उनपर फेंकना शुरू कर दिया। आखिरी पत्थर से वह एकदम जाग गईं और मुझे देखीं। फिर वे उठकर धीरे से दरवाजा खोली तो देखा कि उनके आँगन में पड़ोस की एक चाची सोई हुई थी। मैंने पूछा “यह कौन है?” तो उन्होंने धीरे से कहा “बगल में यह बुद्धि रहती है, माँ जी ने उन्हें यहाँ सोने को कहा है।” फिर मैं चुपके से दबे पैरों से उनके कमरे में चला गया।
कमरे में जाते ही उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और मुझे गले लगाया और किस किया।
उनका साड़ी उनके कंधे से गिर चुका था और वे मुझे चूम रही थीं और मैं भी पागल की तरह कभी इधर कभी उधर चुंबन कर रहा था और उन्हें गोद में दबा रहा था।
फिर उन्होंने अपना ब्लाउज का हुक खोला, मैंने पीछे से उनका ब्रा खोल दिया। ओह! क्या कहूं दोस्त पहली बार किसी चुच्ची को देखा था। पागल हो रहा था सांस तेजी से बढ़ रही थी। मैंने उनके चुच्ची के पकड़ पर चाटने लगा तो वे पागल होने लगीं। “ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह, क्या कर रहे हो पागल करोगे क्या? मर जाऊंगी! उफ़्फ्फ्फ्फ्फ्फ, आआआआआ” फिर वे जमीन पर ही लेट गईं क्योंकि चारपाई पर डर था कि कहीं वह आवाज न करें और बाहर वाली चाची जाग जाए।
वे जमीन पर लेट गईं और मैं उनपर होठों से तो कभी चुच्ची को कभी पेट को चुंबन करना शुरू कर दिया। वे बस “उुुुुह्ह अआआआ” कह रही थीं, मैं मानो स्वर्ग में था।
फिर मैंने उनका रेड कलर का पैंटी पहनी हुई देखा जो मैंने खोल दिया। क्या आकार था यार, पूरा शरीर ऐसा लग रहा था जैसे संगमरमर का हो।
फिर क्या था मैंने भी अपना लंड निकालकर घुसाने की कोशिश की लेकिन पता नहीं चल रहा था कि कहाँ जाना है क्योंकि आज तक मैंने बुर (चूत) नहीं देखा था। फिर उन्होंने मेरे लंड को खुद ही पकड़ कर अपने चूत के पास ले लिया और मैंने एक धक्का दिया और लंड मेरा पूरा उनके चूत में चला गया, उनकी चूत की गर्मी आज भी महसूस करता हूँ, पूरी गरम थी और गीली थी। बस क्या मैं बाहर जोर से और वे भी अपने कमर को ऊपर उठाकर धक्का दे रही थीं। मैंने उन्हें खूब चुदा और करीब 45 मिनट तक करने के बाद दोनों ख़ुश हो गए।
थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को पकड़ के पड़े रहे फिर उठकर दोनों ने कपड़े पहने, उनका आखिरी शब्द यही था “आज यहीं सो जाओ” लेकिन यह संभव नहीं था। मैं वहाँ से वापस चला गया। फिर उसके बाद मैं नौकरी के लिए दिल्ली आया और अब बस याद ही है जब भी जाता हूँ तो अब ना तो वह मेरे सामने आती हैं ना मैं कुछ बोल पाता हूँ।
बस सपनों में मैं मुठ मार लेता हूँ उस दिन को याद करके।