चचेरी भाबी के बाद किरायेदार भाबी चोदी-1
हाय दोस्तों, मेरा नाम देव है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। एक बार फिर मैं आपके सामने एक नई हॉट और मसालेदार सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हूँ।
मैंने आपको अपनी पिछली स्टोरी “भाबी जी लंड पर हैं” में बताया था कि कैसे मैंने अपने तगड़े लंड से नताशा भाबी की चूत और गांड की चुदाई की थी। उनकी हर खुजली को मैंने अपने लंड से मिटाया और उन्हें वो सुख दिया जो वो चाहती थीं। इसके बाद से जब भी हमें मौका मिलता, हम दोनों जमकर चुदाई का खेल खेलते।
एक दिन नताशा भाबी को गांड मरवाने के बाद उनकी बेस्ट फ्रेंड प्रिया जी का कॉल आया। प्रिया जी भी दिल्ली में रहती थीं और उन्होंने भाबी को अपने घर 2-3 दिन के लिए बुलाया। नताशा भाबी ने राम भैया, माँ और दादाजी से परमिशन ली और प्रिया जी के घर चली गईं।
इधर मैं ऊपर की किरायेदार सीमा भाबी को लेकर थोड़ा परेशान था। जैसा कि मैंने अपनी पिछली स्टोरी में बताया था, एक बार नताशा भाबी के साथ सेक्स के दौरान मैं दरवाजा बंद करना भूल गया था। उसी वक्त सीमा भाबी ने सब कुछ देख लिया था। शायद इसी वजह से अब उनका नजरिया मेरे लिए कुछ बदल सा गया था। पहले वो मुझसे बिना वजह बात नहीं करती थीं, लेकिन अब वो मुझे अकेले पाकर स्माइल देने लगी थीं और कभी-कभी मजाकिया कमेंट भी मारती थीं।
इससे पहले कि मैं स्टोरी आगे बढ़ाऊं, आपको सीमा भाबी के बारे में थोड़ा बता दूं। सीमा भाबी हमारे घर के तीसरे फ्लोर पर किराये के फ्लैट में रहती थीं। वो 27 साल की एक शांत स्वभाव वाली हाउसवाइफ थीं। उनकी शादी को 5 साल हो चुके थे और उनकी एक 4 साल की प्यारी सी बेटी भी थी। उनके हसबैंड विकास भैया एक टूरिस्ट वैन ड्राइवर थे, जो ज्यादातर टाइम बाहर ही रहते थे। कभी शिमला, कभी मनाली, उनकी बुकिंग्स चलती रहती थीं।
दो साल पहले सीमा भाबी और विकास भैया को रहने के लिए रूम चाहिए था, तो हमने उन्हें अपना फ्लैट रेंट पर दे दिया। सीमा भाबी का फिगर पतला था, उनके चूचे छोटे लेकिन टाइट थे, और वो हमेशा अपने में मस्त रहती थीं। मैं अक्सर किसी न किसी बहाने से ऊपर जाता था। जब मम्मी कपड़े धोती थीं, तो मैं ही उन्हें तीसरे फ्लोर की ग्रिल पर सुखाने ले जाता था। इस बहाने मैं भाबी के कमरे की तरफ झांकने की कोशिश करता।
अक्सर वो मैक्सी में दिखती थीं, जिसका गला इतना बड़ा होता था कि अगर वो झुकतीं, तो उनके टाइट चूचे बाहर झांकने लगते। मैं हमेशा कोशिश करता कि उन्हें ऐसी पोजीशन में देखूं, जिसमें उनके चूचे हिलते हुए नजर आएं। भाबी ने भी मेरी इस हरकत को नोटिस कर लिया था। जैसे ही वो मुझे देखतीं, फटाक से अपनी मैक्सी का गला ठीक कर लेती थीं।
पहले मेरे मन में सीमा भाबी के लिए कोई गंदे ख्याल नहीं थे। उनका फिगर नताशा भाबी जितना सेक्सी नहीं था कि मेरा लंड उसे देखते ही खड़ा हो जाए। लेकिन जब से उन्होंने मुझे नताशा भाबी के साथ चुदाई करते देखा, उनके बर्ताव में बदलाव आ गया। अब वो मुझे देखकर स्माइल करती थीं और मौका मिलते ही कमेंट पास करती थीं।
उनके इस नए अंदाज से मैं थोड़ा टेंशन में आ गया। मुझे डर था कि कहीं वो मम्मी को सब कुछ न बता दें। इसलिए मैंने सोचा कि उनसे बात करना जरूरी है। नताशा भाबी के जाने के अगले दिन मैं सीमा भाबी से मिलने ऊपर गया। दोपहर के 3 बज रहे थे।
मैं उनके कमरे के बाहर खड़ा हुआ और आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। दरवाजा खुला था, बस एक पर्दा लगा था। मैंने पर्दे को हल्का सा हटाया और अंदर झांका। जो नजारा देखा, उससे मेरी सांसें थम गईं। भाबी और उनकी बेटी सो रही थीं। भाबी की मैक्सी का गला नीचे खिसक गया था और उनके दोनों चूचे बाहर निकलकर मुझे सलामी दे रहे थे।
मैं पर्दा छोड़कर नीचे भागा। वो नजारा मेरे दिमाग में घूम रहा था। नीचे पहुंचते ही मैं टॉयलेट में घुसा और भाबी के नाम की मुठ मार दी। 5 मिनट में लंड शांत हुआ, तो मैं अपने रूम में जाकर सो गया।
दो घंटे बाद नींद खुली। मम्मी आ चुकी थीं। उन्होंने बताया कि नताशा भाबी का कॉल आया था। वो प्रिया जी के घर 2-3 दिन और रुकना चाहती थीं, क्योंकि प्रिया जी के हसबैंड न्यूयॉर्क जा रहे थे। मम्मी ने हां कर दी। मैंने “हूं-हां” करके बात खत्म की।
खाना खाकर मैं बिस्तर पर लेट गया। दोपहर का वो सीन फिर आंखों के सामने आ गया। भाबी के नंगे चूचे मेरे लंड को फिर से तड़पा रहे थे। मैं दोबारा टॉयलेट गया और मुठ मारकर सो गया। अब मेरे मन में सीमा भाबी की चुदाई का ख्याल पक्का हो गया था।
मैंने सोचा कि भाबी को फिर से उसी टाइम देखूंगा। रात में जाना रिस्की था, लेकिन दिन में बहाना बनाया जा सकता था। अगले दिन मैं ठीक 3 बजे ऊपर पहुंचा। हालात वही थे। मैंने पर्दा हटाया और अंदर झांका। आज भाबी की एक चूची बाहर थी और मैक्सी उनकी जांघों तक उठी हुई थी। उनकी चूत बिना पैंटी के दिख रही थी, हालांकि झांटों की वजह से साफ नहीं दिखी।
ये सीन देखकर मेरा लंड लोहे की रॉड बन गया। मैंने हिम्मत की और पास गया। तभी भाबी ने करवट ली। मेरी हालत खराब हो गई। मैं बाहर निकलने की कोशिश में था कि टेबल पर रखा ग्लास गिर गया। आवाज से भाबी की नींद टूट गई।
उन्होंने मुझे देखा और फटाक से मैक्सी ठीक की। मैं सिर झुकाकर खड़ा रहा। भाबी गुस्से में बोलीं, “देव, तुम्हें शर्म नहीं आती मेरे कमरे में घुसकर मुझे ऐसे देखते हुए?”
मैंने कहा, “सॉरी भाबी, मैंने आपको आवाज दी थी। जवाब न मिलने पर अंदर आ गया।” (हालांकि मैंने आवाज दी ही नहीं थी।)
भाबी- “अच्छा, तो कल भी तुम आए थे न?”
उनकी बात सुनकर मैं चौंक गया। मेरे मुंह से निकला, “नहीं भाबी, मैं आज ही आया हूँ।”
भाबी हल्की स्माइल के साथ बोलीं, “अच्छा, आज देख लिया, वरना कल भी आते? सच बोलो, कल भी आए थे न? पर्दा आधा खुला था।”
मैं घबरा गया। मुझे ये ध्यान ही नहीं था। मैंने कहा, “नहीं भाबी, मैं तो कपड़े सुखाने आया था।”
भाबी- “झूठ मत बोलो। कल आंटी ने कपड़े धोए ही नहीं।”
मैं- “सॉरी भाबी।”
भाबी- “शर्म नहीं आती मुझे ऐसे देखते हुए? ओह, मैं तो भूल गई, जो अपनी भाई की वाइफ को चोदता हो, उसे शर्म कहां से आएगी।”
उनके मुंह से “चोदता हो” सुनकर मेरा लंड फिर कुलबुलाने लगा। मैंने कहा, “भाबी, प्लीज मेरी बात मानिए। मैं बस आपसे एक रिक्वेस्ट करने आया था।”
(कहानी जारी रहेगी…)