ट्रेन में प्यार कि आग
29 नवंबर को मेरे बॉस ने कहा कि तुम्हें एक मीटिंग के लिए नई दिल्ली जाना है। ये रहा तुम्हारा 1 दिसंबर का टिकट, आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस का फर्स्ट क्लास डिब्बे में।
मैं तैयार हो गया। 1 दिसंबर की सुबह बहुत ठंड थी। मैं हैदराबाद रेलवे स्टेशन पहुँचा। प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर जब गया तो सामने से एक बेहद खूबसूरत औरत अपनी ओर आती दिखी। उसके साथ एक आदमी और दो छोटी बच्चियाँ थीं। उसे देखते ही मैं जैसे होश खो बैठा। भूल गया कि मैं प्लेटफॉर्म पर हूँ। बस उसे देखने में खोया था। तभी एक आवाज़ आई, “हैलो!” मैं चौंककर बोला, “हाँ?” सामने वही खूबसूरत औरत खड़ी थी। उसके साथ जो आदमी था, उसने पूछा, “क्या ये आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस है जो दिल्ली जाती है?” मैंने कहा, “हाँ।” फिर वो लोग आगे बढ़ गए, पर मैं उस औरत को आखिरी बार देखने की कोशिश करता रहा।
कुछ देर बाद मैं भी वहाँ से हटा और एक बुक स्टॉल पर गया। सफर में टाइम पास के लिए स्टोरी की किताबें लेना पसंद करता हूँ। मैंने तीन किताबें लीं और अपने डिब्बे की ओर चल दिया। सीट ढूँढते वक्त देखा कि वही आदमी मेरी सीट पर बैठा था। पर्दा हटाया तो फिर से वही खूबसूरत औरत दिखी। मेरे दिल में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने भी मुझे देखा। उस आदमी ने पूछा, “ये आपकी सीट है?” मैंने कहा, “हाँ।” उसने जगह दे दी। फिर मैंने पूछा, “आप सब दिल्ली जा रहे हैं?” उसने जवाब दिया, “नहीं, ये मेरी वाइफ है और ये मेरी दो बेटियाँ हैं। बस ये तीनों जा रहे हैं। मैं इन्हें छोड़ने आया हूँ।” मैंने कहा, “ठीक है।” उसने पूछा, “आप भी दिल्ली तक जाएँगे या बीच में कहीं उतर जाएँगे?” मैंने कहा, “नहीं, मैं नई दिल्ली तक जाऊँगा।” उसने कहा, “प्लीज़ मेरे परिवार का ध्यान रखिएगा।” मैंने कहा, “चिंता मत कीजिए।” फिर ट्रेन चलने को तैयार हुई, वो आदमी उतर गया, और मेरा वो यादगार सफर शुरू हुआ।
वो औरत मेरे सामने वाली सीट पर बैठी थी। पहले मैंने उसकी बेटियों से बात शुरू की। मैंने छोटी बच्ची से पूछा, “बेबी, आपका नाम क्या है?” उसने कहा, “गौरी।” मैंने कहा, “बहुत प्यारा नाम है।” फिर पूछा, “आप क्या पढ़ती हैं?” उसने जवाब नहीं दिया। तभी उस खूबसूरत औरत ने अपनी मधुर आवाज़ में कहा, “वो थर्ड क्लास में है।” उसकी आवाज़ सुनकर मैंने उसकी ओर देखा और कहा, “हाय, मैं राज हूँ।” उसने कहा, “मैं पूजा हूँ।” बस फिर हमारी बातें शुरू हो गईं।
मैंने पूछा, “आप क्या करती हैं, मिसेज पूजा?”
उसने कहा, “मैं हाउसवाइफ हूँ।”
पूजा: “और आप क्या करते हैं?”
मैं: “मैं एक MNC में काम करता हूँ। HR मैनेजर हूँ।”
पूजा: “वाह, बहुत अच्छा। हैदराबाद में या दिल्ली में?”
मैं: “हैदराबाद में।”
पूजा: “फिर दिल्ली किससे मिलने जा रहे हैं?”
मैं: “नहीं, कंपनी की मीटिंग के लिए जा रहा हूँ।”
मैं: “आप हैदराबाद की रहने वाली हैं?”
पूजा: “नहीं, मैं दिल्ली की हूँ। मेरे हसबैंड की शिफ्टिंग हैदराबाद में हुई है। वो दो साल से यहाँ हैं। मैं अपनी सास के पास दिल्ली में रहती हूँ।”
मैंने कहा, “ओके।” उसने पूछा, “आपकी शादी नहीं हुई?”
मैं: “नहीं, अभी नहीं।”
पूजा: “क्यों, कोई पसंद नहीं आई?”
मैं: “नहीं, मेरी ढेर सारी फ्रेंड्स हैं। किसी से भी शादी कर लूँगा।”
पूजा: “ढेर सारी फ्रेंड्स? एक से जी नहीं भरता?”
मैं: “लड़कियाँ खुद मेरे पीछे भागती हैं।”
पूजा: “वाह, बहुत अच्छा। वैसे आप स्मार्ट तो हैं और बातें भी अच्छी करते हैं।”
फिर हम कुछ देर तक ऐसे ही बातें करते रहे। फिर मैंने कहा, “मैं ज़रा ऊपर जाकर आराम कर लेता हूँ।”
उसने कहा, “ठीक है।”
मैं अपनी किताबों के साथ ऊपर की बर्थ पर चला गया। थोड़ी देर बाद नींद आ गई। करीब दो घंटे सोया। जब उठा तो देखा कि नीचे दोनों बेटियाँ सो रही थीं और पूजा मेरे सामने वाली ऊपरी बर्थ पर सोई थी। मैंने किताब निकाली और पढ़ने लगा। कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ कि पूजा भी जाग गई है। मैंने पूछा, “आपकी जर्नी कैसे चल रही है?” उसने कहा, “कुछ बोरिंग है।” फिर पूछा, “आपके पास कोई किताब है?” मैंने कहा, “है, लेकिन शायद आप न पढ़ें।” उसने पूछा, “क्यों नहीं?” मैंने कहा, “ये स्टोरी की किताबें हैं।” वो चुप हो गई। मैं पढ़ने में बिज़ी हो गया, लेकिन मुझे लगा कि वो मुझे देख रही है। मैंने उसकी ओर देखा तो वो किताब के कवर को देख रही थी। फिर बोली, “ठीक है, वही किताब दे दीजिए।” मैंने कहा, “आप स्टोरी पढ़ती हैं?” उसने कहा, “अभी तक तो नहीं पढ़ी, लेकिन टाइम पास के लिए पढ़ लूँगी।” मैंने उसे एक किताब दे दी। करीब चार घंटे तक हम अपनी-अपनी किताबें पढ़ते रहे। फिर उसकी बेटियाँ जाग गईं। वो नीचे उतरी और टिफिन खाने लगे। पूजा ने मुझे पुकारा, “आप लंच नहीं करेंगे?” मैंने कहा, “हाँ, थोड़ी देर बाद कर लूँगा।” फिर मैं भी नीचे आया और अपना टिफिन खोला। हमने एक-दूसरे का खाना शेयर किया।
फिर वो वॉशबेसिन की ओर गई और काफी देर तक वापस नहीं आई। मैं भी हाथ धोने गया तो देखा कि वो दरवाज़ा खोलकर खड़ी है। मैंने कहा, “आपको नहीं पता कि AC डिब्बे का दरवाज़ा नहीं खोलना चाहिए?” उसने कहा, “पता है, लेकिन मुझे दरवाज़े पर खड़ा होना बहुत अच्छा लगता है।” मैंने पूछा, “आपको स्टोरीज़ पसंद आईं?” उसने कहा, “मैं सिर्फ टाइम पास के लिए पढ़ रही थी। इसमें पसंद करने वाली क्या बात है? लेकिन आप सिर्फ ऐसी किताबें ही क्यों पढ़ते हैं? आपके पास दूसरी किताबें नहीं हैं?” मैंने कहा, “मेरी फ्रेंड्स कहती हैं कि मैं बहुत हॉट हूँ। मुझे स्टोरीज़ बहुत अच्छी लगती हैं।”
उसने कहा, “तो फिर जल्दी शादी कर लीजिए।”
मैंने पूछा, “क्यों?”
उसने कहा, “आप इतनी स्टोरीज़ पढ़ते हैं तो प्रैक्टिकल की भी बहुत चाहत होगी।”
मैंने कहा, “मैं प्रैक्टिकल कर चुका हूँ।”
वो हैरानी से बोली, “किसके साथ?”
मैंने कहा, “अपनी फ्रेंड्स के साथ।”
उसने पूछा, “इन सब चीज़ों के लिए लड़कियाँ कैसे परमिशन देती हैं?”
मैंने कहा, “वो कहती हैं कि मैं उन्हें ज़्यादा सैटिस्फाई करता हूँ। और हम MNC में काम करते हैं, वहाँ ये सब कोई बड़ी बात नहीं है।” फिर अचानक मैंने पूछा, “आपकी लाइफ कैसी है?” वो शरमाई और बोली, “ठीक है।” मैंने कहा, “आपके हसबैंड कितने दिन में आपसे मिलते हैं?” उसने कहा, “वो मुझसे साल में एक बार भी नहीं मिलते। उन्हें अपने काम से ज़्यादा प्यार है।” मैंने कहा, “फिर तो आपको उनकी बहुत कमी खलती होगी।” उसने कहा, “मैं मैनेज कर लेती हूँ। मेरे लिए भी ये सब बहुत ज़रूरी नहीं है।” मैंने कहा, “नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। लेडीज़ बहुत हॉट होती हैं।” उसने कहा, “नहीं, सारी लेडीज़ नहीं होतीं।”
वो बातों में इतनी खोई थी कि उसे पता ही नहीं चला कि वो चलती ट्रेन के दरवाज़े पर खड़ी है। अचानक एक खतरनाक हादसा हुआ। उसका पैर दरवाज़े से बाहर चला गया। वो संभलने की कोशिश कर रही थी कि पूरा शरीर बाहर की ओर झुक गया। उसने दरवाज़े की रॉड पकड़ ली। मैंने फौरन उसका हाथ पकड़ा और उसे ऊपर खींचने की कोशिश की। लेकिन वो बहुत बाहर जा चुकी थी। हमें लगा कि वो अब गिर जाएगी। मैंने पूरी ताकत से खींचा। वो अंदर की ओर आई और सीधे मेरी बाहों में आकर रुक गई। वो इतना डर गई थी कि उसने मुझे ज़ोर से गले लगा लिया। मैं भी परेशान था। फिर मुझे एहसास हुआ कि सब ठीक हो गया। वो अब सेफ है और मेरी बाहों में है। मेरे जज़्बात बदलने लगे। उसके सीने का स्पर्श मेरे सीने से हो रहा था। वो पूरी तरह मुझसे चिपकी थी। मेरा शरीर गर्म होने लगा। उस पल को बयान करना मुश्किल है। हम बातें कर रहे थे और अचानक वो खतरनाक स्थिति, फिर उसका मुझसे लिपट जाना—ये सब बहुत रोमांचक था।
फिर वो थोड़ा संभली और मुझसे दूर होने लगी। नज़रें झुकाए, थोड़ा डरी, थोड़ा शरमाई हुई पूजा मुझसे अलग हुई। मैंने सबसे पहले दरवाज़ा बंद किया और हम सीट की ओर बढ़े। सीट पर पहुँचकर मैंने उसे पानी दिया और कहा, “रिलैक्स, शुक्र है आप बच गईं।” उसने हल्की मुस्कान दी और कहा, “आपकी वजह से ही आज मैं बच गई, वरना दरवाज़े पर खड़े होने का मेरा शौक मुझे ऊपर पहुँचा देता।” मैंने कहा, “कभी-कभी ऐसा हो जाता है। लेकिन अब आप ठीक हैं न?” उसने कहा, “हाँ।” मैंने कहा, “आपने मुझे भी बहुत परेशान कर दिया था।” उसने पूछा, “वो कैसे?” मैंने कहा, “जब आप मेरी बाहों में थीं, तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। इतनी खूबसूरत लड़की मेरी बाहों में थी।” उसने कहा, “मैं आपको लड़की लगती हूँ? मेरी दो बेटियाँ हैं।”
मैंने कहा, “कोई आपको देखकर नहीं कह सकता कि आप दो बेटियों की माँ हैं। यू आर सो ब्यूटीफुल।” वो हँसने लगी और बोली, “आप बातें बहुत अच्छी बनाते हैं।” मैंने कहा, “मैं और भी बहुत सारे काम अच्छे करता हूँ।” वो और ज़ोर से हँसी। तब शाम के 7 बज रहे थे। उसने कहा, “अभी 14 घंटे की जर्नी बाकी है। पता नहीं ये वक्त कब गुज़रेगा और हम दिल्ली कब पहुँचेंगे।” मैंने कहा, “क्यों, क्या आपको मेरे साथ बोर हो रहा है?” उसने कहा, “नहीं, बोर तो नहीं हो रहा।” मैंने कहा, “कुछ इंटरेस्टिंग करें तो वक्त जल्दी गुज़र जाएगा।” उसने पूछा, “क्या करें?” मैंने कहा, “जो आपको अच्छा लगे।” मैं उसे हिंट दे रहा था, पर वो अनजान बन रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उसे कैसे प्रपोज़ करूँ। जब मैंने उसे गले लगाया था, तो वो मुझे बेचैन कर चुकी थी। मैं उसे फिर से छूना चाहता था।
उसने अपनी बेटियों से कहा, “चलो, अब सो जाते हैं।” वो दोनों को सुलाकर ऊपरी बर्थ पर चली गई। कुछ देर बाद मैंने पूछा, “क्या आप सो चुकी हैं?” उसने कहा, “नहीं।” मैंने कहा, “ये किताब पढ़िए, आपका टाइम पास होगा।” उस किताब में बोल्ड स्टोरीज़ थीं। मैं दूसरी बर्थ पर जाकर किताब पढ़ने लगा। कुछ देर बाद देखा कि वो स्टोरी पढ़ते हुए खुद को दबा रही थी। वो बेचैन लग रही थी। जैसे ही उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, उसने हाथ हटा लिया और पलटकर पढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद मैं पढ़ते-पढ़ते सो गया। अचानक नींद में लगा कि कोई मेरे पास है और मुझे छू रहा है। नींद खुली तो एक खूबसूरत सपना हकीकत में बदल रहा था। वो सीन देखकर मैं बहुत एक्साइटेड हो गया। लगा जैसे नसीब जाग गया हो। वो रात मैं कभी नहीं भूल सकता। रात 8:45 बजे थे। मैं नींद से जागा तो देखा कि पूजा मेरी बर्थ पर है। वो मेरे शरीर को ज़ोर-ज़ोर से सहला रही थी। उसकी दोनों बेटियाँ नीचे सो रही थीं। हमारे सीट्स पर पर्दा था। AC की ठंडक थी। पूजा बहुत गर्म मूड में मेरे सामने बैठी थी। अपने नर्म हाथों से मेरी पैंट के ऊपर से हाथ फेर रही थी।
मैंने पूछा, “पूजा, ये तुम क्या कर रही हो?”
उसने कहा, “तुमने कहा था कि तुम ढेर सारी लड़कियों को सैटिस्फाई करते हो। मुझे भी सैटिस्फाई करो। मेरे हसबैंड को अपने काम से फुर्सत नहीं मिलती। मैं अपनी लाइफ का एंजॉयमेंट नहीं कर सकती। आज तुम मुझे वो सुकून दो।” मेरे हाथ भी उसकी ओर बढ़े। और फिर एक अनोखी, यादगार कहानी शुरू हुई।