पड़ोसन सोनिया भाभी की गर्म जवानी
मेरा नाम रोहन है, और मैं दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में रहता हूँ। उम्र अभी 22 की है, और मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हूँ। मेरे घर के ठीक सामने वाली गली में एक परिवार रहता है, जिसमें भैया-भाभी और उनके दो छोटे बच्चे हैं। भैया एक सरकारी नौकरी में हैं, सुबह जल्दी निकल जाते हैं और रात को देर से लौटते हैं। लेकिन इस कहानी की असली हीरोइन हैं मेरी पड़ोसन भाभी—सोनिया भाभी।
सोनिया भाभी की उम्र होगी कोई 32-33 साल, लेकिन उनकी खूबसूरती ऐसी कि किसी का भी दिल धड़कने लगे। गोरा रंग, भरी हुई जवानी, और एक ऐसी मुस्कान जो किसी को भी अपना दीवाना बना दे। दो बच्चों की माँ होने के बावजूद उनकी कमर पतली और कर्व्स ऐसे थे कि कोई भी मर्द एक बार देख ले तो नजर हटा न पाए। मेरे दोस्त तक मजाक में कहते थे, “रोहन, तेरे पड़ोस में तो माल है, भाभी को देखकर लगता है जैसे अभी-अभी कॉलेज से निकली हो!”
मम्मी और सोनिया भाभी की अच्छी दोस्ती थी। दोनों अक्सर साथ में बाजार जातीं, गपशप करतीं, और एक-दूसरे के बच्चों की बातें शेयर करतीं। मैं भी भाभी को देखकर अक्सर सोच में पड़ जाता था। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे बार-बार अपनी ओर खींचती थी। कई बार रात को उनके नाम की मुठ मारते हुए मैं खुद को रोक नहीं पाता था। लेकिन ये सब मेरे मन तक ही सीमित था—कभी सोचा नहीं था कि एक दिन सच में कुछ ऐसा होगा।
एक दिन की बात है। दोपहर का समय था, और मम्मी शॉपिंग से लौटी थीं। उनके साथ सोनिया भाभी भी थीं। दोनों थकी हुई लग रही थीं, पसीने से तर-बतर। भाभी ने उस दिन लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो उनके बदन से चिपक रही थी। उनका ब्लाउज पसीने में भीगा हुआ था, और उनकी गहरी नाभि साड़ी के बीच से झाँक रही थी। मैं बस उन्हें देखता रह गया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और नीचे कुछ हलचल होने लगी थी।
मम्मी ने मुझे आवाज लगाई, “रोहन, जरा दो गिलास पानी तो ला!” मैं जल्दी से किचन में गया और दो गिलास ठंडा पानी लेकर आया। भाभी ने गिलास लिया, मुझे देखकर हल्की सी मुस्कान दी, और पानी पीने लगीं। पानी पीते वक्त उनकी गर्दन और गले की वो नाजुक हलचल मेरे लिए किसी फिल्म के स्लो-मोशन सीन से कम नहीं थी।
थोड़ी देर बाद भाभी ने मम्मी से कहा, “दीदी, मेरे पास सामान बहुत है। रोहन को मेरे साथ भेज दो न, घर तक पहुंचाने में मदद कर देगा।” मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोलीं, “जा बेटा, भाभी की मदद कर दे।” मैंने हाँ में सिर हिलाया और भाभी के साथ चल पड़ा।
उनके घर पहुँचते ही पता चला कि घर खाली है। बच्चे स्कूल गए थे, और भैया ड्यूटी पर। भाभी ने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और बोलीं, “रोहन, थोड़ा रुक जा, मैं कपड़े बदलकर आती हूँ।” वो बाथरूम चली गईं। मेरे मन में हलचल मच रही थी। मैं सोच रहा था कि आज मौका अच्छा है, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ करने की।
कुछ देर बाद भाभी बाहर आईं। उन्होंने एक नीली नाइटी पहनी थी, जो उनके बदन से चिपक रही थी। बाल खुले हुए, गीले-गीले से, और चेहरे पर एक ताजगी। मैं उन्हें देखता ही रह गया। भाभी ने मेरी नजर पकड़ ली और हल्के से मुस्कुराते हुए बोलीं, “क्या देख रहा है रोहन?”
मैं हड़बड़ाया और बोला, “कुछ नहीं भाभी, आपने क्या-क्या लिया है शॉपिंग में? जरा दिखाइए न!” भाभी हँस पड़ीं और बोलीं, “अच्छा, चल दिखाती हूँ।” उन्होंने बैग खोला और एक-एक करके सामान निकालने लगीं—कुछ साड़ियाँ, बच्चों के कपड़े, और फिर एक काले रंग का ब्रा-पैंटी सेट। उसे देखते ही मेरे दिमाग में शरारत सूझी। भाभी ने उसे जल्दी से बैग में छुपाने की कोशिश की, लेकिन मैंने देख लिया था।
मैंने मासूमियत से पूछा, “भाभी, ये क्या था जो आपने छुपा लिया?” भाभी का चेहरा लाल हो गया। वो हड़बड़ाते हुए बोलीं, “कुछ नहीं, बस ऐसे ही… अंदर के कपड़े हैं।” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे भाभी, दिखाइए न, डिजाइन देखना है।” वो शर्माने लगीं, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर मान गईं।
उन्होंने काले रंग की ब्रा निकाली और मेरे सामने खोलकर दिखाई। मैंने देखा कि उसका साइज 34 था। मेरे मन में शैतानी चढ़ गई। मैंने कहा, “भाभी, ये तो आपके लिए छोटी होगी। आपका साइज तो इससे बड़ा लगता है।” भाभी ने मेरी तरफ घूरकर देखा और बोलीं, “तुझे कैसे पता मेरा साइज?” मैं हँसा और बोला, “अंदाजा लगा लिया। एक बार ट्राई करके देख लो, नहीं तो बाद में दुकानदार बदलने से मना कर देगा।”
भाभी थोड़ा झिझकीं, फिर बोलीं, “ठीक है, मैं चेक करके आती हूँ।” वो बाथरूम में गईं और कुछ देर बाद नाइटी के ऊपर से ब्रा पहनकर बाहर आईं। ब्रा सचमुच टाइट थी, उनके उभार बाहर की ओर उभर रहे थे। मैंने पूछा, “कैसी लग रही है?” भाभी बोलीं, “थोड़ी टाइट है।” मैंने मौका देखा और कहा, “मैं चेक कर दूँ?” वो चौंकीं, लेकिन कुछ बोलीं नहीं।
मैं उनके पीछे गया और उनकी पीठ पर हाथ फेरा। उनकी साँसें तेज हो गईं। मैंने ब्रा की स्ट्रैप पर उंगलियाँ फिराईं और हल्के से हुक खोल दिया। भाभी चौंक पड़ीं और बोलीं, “रोहन, ये क्या कर रहा है?” मैंने मासूमियत से कहा, “सॉरी भाभी, बस देख रहा था कि हुक मजबूत है या नहीं।” लेकिन अब भाभी का ऊपरी हिस्सा खुल चुका था। वो जल्दी से ब्रा उठाकर पहनने लगीं, लेकिन हुक बंद नहीं हो रहा था।
उन्होंने शर्माते हुए कहा, “रोहन, जरा हुक लगा दे।” मैंने हुक लगाया और जानबूझकर अपना बदन उनके पीछे सटा दिया। भाभी की साँसें और तेज हो गईं। मैंने मौका देखकर पूछा, “भाभी, पैंटी भी ट्राई कर ली?” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “तू बहुत शैतान है। ठीक है, वो भी चेक कर लेती हूँ।”
वो फिर बाथरूम गईं और पैंटी पहनकर बाहर आईं। सिर्फ ब्रा और पैंटी में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं। मैंने कहा, “भाभी, पीछे से चेक करूँ?” वो शर्माते हुए मुड़ीं। मैं उनके पास गया और पैंटी पर हाथ फेरा। उनकी सिसकारी निकल पड़ी। मैंने हिम्मत करके उनकी जाँघों के बीच उंगली डाली। भाभी हड़बड़ा गईं और बोलीं, “रोहन, ये गलत है।”
लेकिन उनकी आँखों में वही आग थी जो मेरे मन में जल रही थी। मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन पर किस करने लगा। भाभी छटपटाईं, लेकिन विरोध कमजोर था। मैंने उनकी पैंटी नीचे सरका दी और उनकी चूत पर हाथ फेरा। वो गीली हो चुकी थीं। भाभी की सिसकारियाँ तेज हो गईं— “आह… रोहन… मत कर…”
मैंने उनकी बात अनसुनी की और उन्हें सोफे पर लिटा दिया। अपने कपड़े उतारे और उनके ऊपर चढ़ गया। मेरा 7 इंच का लंड देखकर भाभी डर गईं और बोलीं, “ये बहुत बड़ा है, मत डालो।” लेकिन मैंने उनकी चूत पर लंड रगड़ा और धीरे से अंदर डाल दिया। भाभी की चीख निकल गई— “आह… धीरे… दर्द हो रहा है!”
मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। भाभी की सिसकारियाँ अब मजे में बदल गईं— “आह… हाँ… और कर…” 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में झड़ गया। भाभी भी दो बार झड़ चुकी थीं। हम दोनों पसीने से तर-बतर सोफे पर लेट गए।
तभी भाभी बोलीं, “रोहन, अब जा। बच्चे आने वाले होंगे।” मैंने कपड़े पहने और उनके होंठों पर एक लंबा किस करके घर लौट आया। उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता है, भाभी मुझे चुपके से बुला लेती हैं। उनकी प्यास और मेरी हवस का ये सिलसिला आज भी जारी है।