माँ की चुदाई

माँ की गांड की गोलाई नापी अपने लंड से-1

Maa Ki Gaand Ki Golai Napi Apne Lund Se-1

दोस्तो, मैं कुनाल आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ! कहानी है मेरी और मेरी माँ की! मैं अभी 24 साल का जवान मर्द हूँ और मेरे लंड का साइज़ 7 इंच, 3 इंच मोटा है। Maa Ki Gaand Ki Golai Napi Apne Lund Se.

अपनी माँ के बारे में भी आपको बता देता हूँ, उसका नाम सविता है, उम्र 46 साल, 5 फुट 4 इंच हाइट, रंग गोरा, शरीर पतला है। उनका फिगर 32-30-34 है, घर में सूट सलवार पहनती है, कभी घाघरा भी डालती है।

अकसर इस उम्र की औरतें मोटी हो जाती हैं और बदन ढीला हो जाता है। मेरी माँ की भी चुची थोड़ी लटक गई है, वैसे भी इतनी बड़ी नहीं हैं, अब आप सोच रहे होगे कि इस साइज़ में मुझे क्या पसंद आया।

दोस्तो, अब मैं आपको जो बताने जा रहा हूँ उसे सुन कर आपका लंड भी सख्त होने लगेगा!
क्योंकि मेरी माँ के चूतड़ 34 के साइज़ के हैं, और इस उमर की औरतों की तरह उनके चूतड़ लटके या फैले नहीं हैं बल्कि बिल्कुल गोल किसी 25 साल की भाभी के जैसे है, और माँ के इन्हीं चूतड़ों का मैं दीवाना हूँ।

गर्मी के दिन थे, मैं, दादी-दादा बाहर के कमरे में सो रहे थे, छोटा भाई माँ-पापा अंदर के कमरे में सो रहा था।
दोपहर का टाइम था, मेरी आँख खुल गई।

मैंने सोचा कि भाई के साथ खेल लूँ तो अंदर के कमरे की तरफ गया। कमरा अंदर से बंद था, मैंने खिड़की से देखा चारपाई पर माँ नीचे लेटी हुई थी और पापा उनके ऊपर थे, धक्के लगा रहे थे।
मुझे इन सबका अभी थोड़ा ही पता था।

फिर मैं वापिस बाहर के कमरे में आ गया लेकिन मेरे दिमाग़ में बस वही सीन चल रहा था।

कुछ दिन मैं ऐसे ही कोशिश करता रहा कि दोबारा वो सीन देखने को मिल जाए लेकिन नहीं मिला।

थोड़े दिन बाद मेरी मुलाकात मेरे दोस्त के दोस्त से हुई जो स्कूल में 3 बार फेल हो चुका था। उसने एक दिन मुझे चुदाई की कुछ तस्वीरें दिखाई।
मुझे देख कर अच्छा लगा।

कुछ दिन बाद वो मुझे फिर मिला उसने मुझे एक सेक्स स्टोरी पढ़ाई, मुझे बहुत अच्छा लगा।
ऐसे ही मैं हर सन्डे उसके घर जाने लगा और सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा।

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उनमें कुछ कहानियाँ परिवारिक रिश्तों पर भी होती थी और मैं और वो पढ़ कर मजा लेते थे। जब घर रहता तो माँ को देखता और उन्हीं कहानियों की तरह मैं माँ को इमेजिन करता कभी अंकल के साथ, कभी फूफा के साथ!

काफ़ी दिन ऐसे ही चलता रहा। इसी बीच में उसने मुझे लंड को हिलाना भी सीखा दिया।

एक दिन मैं एक कहानी पढ़ रहा था, वो कहानी माँ और बेटे के की चुदाई बारे में थी, मुझे वो कहानी पढ़ कर बहुत मजा आया और मेरा मन भी थोड़ा माँ को चोदने का होने लगा लेकिन अभी तक वो फीलिंग नहीं आई थी।

ऐसे ही मैं कहानियाँ पढ़ कर अपना हिलाता था।

एक दिन मैंने एक और माँ बेटे की कहानी पढ़ी, उसे पढ़ कर ऐसा लगा जैसे वो कहानी मेरी माँ के लिए ही लिखी गई हो, वही साइज़ का वर्णन, वैसी ही गांड की बात!
मैं पागल सा हो गया था और पढ़ते पढ़ते ही मेरी छोटा सा लंड पूरा तन गया था।

मैं नीचे आया तो देखा कि माँ अपने कपड़े बदल रही थी, उनके गोरे बदन को देख कर मन किया कि अभी चाट लूँ और अपना लंड अभी माँ के अंदर डाल दूँ।

लेकिन डरता था इसलिए कुछ नहीं किया और बाथरूम में जाकर अपना हिला कर खुद को शांत किया।
अब तो मैं बस माँ के ही ख्याल ले के अपना हिलाने लगा।

एक बार माँ दोपहर में सो रही थी, मैं भी लेटा हुआ था। तभी माँ ने करवट ली उनकी गोल गोल गांड मेरे सामने थी, मेरी पैंट में तंबू बनने लगा। मेरे हाथ माँ की गांड की तरफ बढ़ने लगे, मुझे डर भी लग रहा था, मेरे हाथ कांप रहे थे।

फिर भी मैंने हिम्मत कर के अपना काम्पते हाथ माँ की गांड पर रख दिया। मैं हाथ को बिल्कुल नहीं हिला रहा था। मुझे डर लग रहा था, कुछ देरऐसे ही हाथ रखे रखा।
मुझे माँ की नर्म गांड महसूस हो रही थी।

अब मैंने अपना हाथ थोड़ा खिसकाया, अब मेरा हाथ माँ की गांड की गोलाई के ऊपर था ‘आहह… क्या जबरदस्त फीलिंग थी, मैं बता नहीं सकता, यह तो केवल वही बता सकता है जिसने अपनी माँ की नर्म नर्म रूई जैसी गांड की गोलाई के ऊपर हाथ रखा हो।

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मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। अब मैंने माँ की गांड की गोलाई को थोड़ा सा दबाया। अब मैं कंट्रोल से बाहर हो चुका था।
मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकल लिया और अपने लंड को माँ की गांड से टच करने लगा।

मैं डर भी रहा था कहीं माँ की नींद ना खुल जाए और मैं अपने लंड को माँ के चूतड़ पे धीरे धीरे दबा रहा था जिससे माँ के मखमली चूतड़ अंदर की ओर दब रहे थे।

अब मैंने अपना लंड माँ के दोनों चूतड़ की दरार में रख दिया और बिल्कुल भी हिला नहीं!
सलवार होने के कारण लंड ज़्यादा अंदर तक नहीं गया था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया और माँ थोड़ी सी हिली, मुझे ऐसा लगा कि माँ की नींद खुल रही है तो मैं वहाँ से चला गया।

हमारे घर में बाथरूम नहीं था तो माँ आँगन में ही नहाती थी। जब वो नहाती थी तो दरवाज़ा बंद कर देती थी ताकि कोई आँगन में ना आ सके।
एक दिन माँ नहा रही थी, मैं आया तो दरवाजा बंद था, मैंने बोला- माँ दरवाज़ा खोलो, मुझे अंदर काम है!
तो माँ ने कहा- अभी मैं नहा रही हूँ, थोड़ी देर में खोलती हूँ।

यह सुनने के बाद मेरी उत्सुकता बढ़ गई, मैं दरवाजे में कोई जगह खोजने लगा माँ को नहाते हुए देखने के लिए… लेकिन मुझे कोई जगह नहीं मिली माँ को देखने की!
लेकिन मैं दरवाजे की दरार से झाँकता रहा, अब मुझे माँ टॉवल लपेट कर आती हुई दिखाई दी तो मैं गेट से हट गया।

अब माँ ने दरवाज़ा खोल दिया और जाने लगी, मैं माँ की दूधिया जाँघों को घूर रहा था, वो बिल्कुल चिकनी थी। अब मैंने सोच लिया था कि कल माँ को नहाते हुए ज़रूर देखना है।
मैंने आँगन में झाँकने की जगह खोजना शुरू कर दिया। पहले तो दरवाजे से कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।

हमारे घर में एक कमरा है जिसमें फालतू का सामान रखा जाता है, उस कमरे की खिड़की आँगन में खुलती है, वो खिड़की हमेशा बंद ही रहती है, उसके बाहर जाली लगी हुई है और उसका दरवाजा अंदर रूम की तरफ खुलता है।

जैसे ही मैंने खिड़की को देखा, मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा, मैं भाग कर उस कमरे में गया और खिड़की को खोला।
मेरी आँखें चमक गई थी क्योंकि झा माँ नहा कर गयी थी वो जगह बस तीन-चार कदम की दूरी पर थी।

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मैंने खिड़की को थोड़ा सा खुला रखा जिसमें से मैं उस जगह को आराम से देख सकता था, बाकी बंद कर दिया ताकि कोई आँगन से मुझे आसानी से ना देख पाए।
और वहां पर अपने बैठने के लिए जगह बनाई।

अब मैं आँगन में गया और खिड़की से 2 कदम दूर होकर देखने की कोशिश की कि अंदर का कुछ दिख रहा है या नहीं।
बाहर जाली और अंदर रूम में अंधेरा होने के कारण आँगन से अंदर रूम का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

अब मैं कल के इंतज़ार में था, पूरे दिन बस कल जो होने वाला था, उसी का ख्याल था।
रात हो गई थी, मैं सो गया लेकिन रात में ही मेरी आँख खुल गई। मैं उठा तो देखा सब सो रहे है। मैं उठा, मैंने पानी पिया और माँ की चारपाई की तरफ देखा माँ करवट लेके सो रही थी, उनका शर्ट थोड़ा ऊपर उठा हुआ था और सलवार थोड़ी टाइट थी जिस वजह से माँ की गांड की पूरी गोलाई नज़र आ रही थी।

जैसी ही मेरी नज़र उस पर पड़ी तो माँ की गांड मुझे चुंबक की तरह खींचने लगी और मैं भी माँ की गांड की तरफ खींचता चला गया। मैं माँ की गांड के नज़दीक खड़ा था और मेरे हाथ माँ की गांड की तरफ बढ़ रहे थे।

जैसे ही मेरे हाथ ने माँ की नर्म गोल गांड को स्पर्श किया मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। अब मैं माँ की गोल गोल गांड की गोलाइयों के ऊपर अपना हाथ फिरा रहा था और थोड़ा थोड़ा माँ की मखमली गांड को दबा भी रहा था।                               “Maa Ki Gaand Ki Golai”