प्यारी स्टूडेंट की अन्तर्वासना क्लास में शांत की
दोस्तों, मेरा नाम है अनूप और मैं मध्य प्रदेश के छोटे से गांव भिटोनी से हूं। अब मैं जबलपुर में रहकर अपना जीवन चलाता हूं। मैं एक सरकारी स्कूल में टीचर हूं और हमारा स्कूल बहुत अच्छा है। हमारे स्कूल का नाम पूरे शहर और बाहर तक मशहूर है, क्योंकि यहां के स्टूडेंट्स बड़े ही विद्वान और मेहनती होते हैं। मैं साइंस का टीचर हूं और कई स्टूडेंट्स को ऊंचाइयों तक पहुंचा चुका हूं। वो सब मेरे लिए आभारी भी हैं। लेकिन आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूं, जिसने मेरे जीवन में एक अलग मोड़ ला दिया।
मेरे विचार और सिद्धांत हमेशा ऊंचे रहे हैं, पर उस दिन न जाने क्या हो गया था कि मैंने एक ऐसा कदम उठा लिया, जिसकी टीस आज भी मेरे मन में उठती है। कई साल बीत गए, पर जब भी वो बात याद आती है, दिल भारी हो जाता है। बाद में मैंने ठान लिया कि जब भी मौका मिलेगा, मैं उससे माफी मांग लूंगा। और हां, ये मैं कर भी चुका हूं। अब चलिए, आपको बताता हूं कि आखिर हुआ क्या था, वो शख्स कौन था और हमारे बीच ऐसा क्या हुआ कि आज मैं ये सब आपको बता रहा हूं।
मेरी क्लास में स्टूडेंट्स हमेशा खुश रहते थे। दूसरी क्लास के बच्चे भी मुझसे पढ़ने आते थे। मैंने कभी किसी में भेदभाव नहीं किया, क्योंकि ज्ञान बांटना मेरा धर्म है। मैंने अपने स्टूडेंट्स को किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी, ताकि उनका पूरा डेवलपमेंट हो और वो जिंदगी में आगे बढ़ें। मेरी क्लास में लड़के और लड़कियां दोनों पढ़ते थे। कुछ स्मार्ट थे, कुछ थोड़े कमजोर, पर मैं सब पर बराबर ध्यान देता था।
लेकिन वो लड़की, रजनी, कुछ अलग थी। वो हमेशा मेरे पास रहती, पढ़ाई में सबसे तेज। उससे कुछ भी पूछो, जवाब तैयार। मैंने कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा, पर पिछले कुछ दिनों से वो मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही अट्रैक्टेड लग रही थी। मुझे लगा शायद उसे मुझसे एक्स्ट्रा नॉलेज चाहिए, इसलिए वो इतना क्लोज आ रही है। लेकिन उसकी बातें भी अजीब हो चली थीं। एक दिन मैंने उससे पूछा, “सबसे ज्यादा डेंसिटी किसमें होती है?” उसने जवाब दिया, “आपके प्यार में, सर।” मैं चौंक गया। मैंने कहा, “रजनी, तेरा ध्यान कहां है?” उसने कहा, “कुछ नहीं सर, बस ऐसे ही।” मैंने समझाया, “बेटा, फोकस करो, तुम्हें विदेश में भारत का नाम रोशन करना है।” उसने कहा, “सर, आप जो बोलेंगे, मैं बिना सोचे कर दूंगी।” मैंने कहा, “क्या बोल रही हो, आज तुम्हें क्या हो गया है?” उसने जवाब दिया, “सर, मुझे कुछ हो गया है, कल से मैंने पढ़ाई भी नहीं की।”
मैं समझ गया कि इस बच्ची को अकेले में समझाने की जरूरत है। मैंने कहा, “बेटा, कल मेरा कोई काम नहीं है, न ही मुझे किसी क्लास में जाना है। तुम लैब में आ जाना।” मैंने सोचा कि सब ठीक कर दूंगा। अगले दिन वो आई और बोली, “सर, मैं आपसे प्यार करने लगी हूं।” मैंने कहा, “क्या बोल रही हो, रजनी? तुम्हें होश भी है?” उसने कहा, “सर, मैं पूरे होश में हूं।” मैंने समझाया, “बेटा, मैं तुम्हारा गुरु हूं, हमारे बीच ऐसा नहीं हो सकता। प्लीज, ये सब अपने दिमाग से निकाल दो।” उसने कहा, “सर, अब तो आप ही मेरे मन में बस गए हैं, कैसे निकाल दूं?” मैंने सोचा, इसे घर भेज देता हूं, मेरे लिए बेहतर होगा। मैंने कहा, “बेटा, तुम कल आना, तुम्हारा दिमाग अभी ठीक नहीं है। तुम्हें कोई जुनून सवार हो गया है, इसे उतार दो।” वो चली गई, पर जाते-जाते बोली, “सर, ये तो नहीं होगा, आप चाहे जो कर लें।”
मैंने सोचा, इसे ठीक करना पड़ेगा, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अगले दिन वो फिर लैब में आई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मैं छूटने की कोशिश करता रहा, पर नाकाम रहा। वो मुझे पीछे से जोर से दबा रही थी, उसके स्तन मेरी पीठ से टच हो रहे थे। वो मुझे चूम रही थी और मुझे जोश चढ़ रहा था। मैंने सोचा, इसे रोकना मुश्किल हो जाएगा। फिर मैंने उसे जैसे-तैसे दूर किया, पर उसने अपने कपड़े उतार दिए। मैंने उसकी तरफ नहीं देखा, पर वो कपड़े उतारती चली गई। मेरा लिंग भी खड़ा होने लगा, पर मैंने खुद को कंट्रोल करने की कोशिश की। लेकिन जब उसे मेरी हालत का पता चला, वो बैठ गई और अपनी योनी में उंगली डालने लगी। मादक आवाजें निकालने लगी – “आह्ह्ह… ऊम्म्म… अहहह…” मेरी लैब में ये साउंड्स गूंज रहे थे। फिर वो बोली, “सर, आप नहीं आएंगे तो मैं और जोर से करूंगी।”
मैंने सोचा, इसके पास जाकर समझाता हूं, पर मेरा जाना गलत हो गया। जैसे ही मैं पास पहुंचा, उसने मेरे मुंह को अपने स्तन पर लगा दिया और बोली, “चूसो सर, वरना बदनाम कर दूंगी।” अब मैं क्या करता? मजबूरी में मैंने चूसना शुरू किया। वो और मादक हो गई। उसकी योनी से तरल निकलने लगा, जिसे वो रगड़ रही थी और “आह्ह्ह… ऊम्म्म…” की आवाजें निकाल रही थी। फिर उसने मेरा मुंह अपनी योनी पर लगा दिया और चटवाने लगी। वो फिर से “आह्ह्ह… ऊम्म्म…” करने लगी। अब वो उठी, मेरे कपड़े खोल दिए। मेरा लिंग बाहर आया, खड़ा हो गया। उसने उसे चूसना शुरू किया और मेरी सिसकारियां निकलने लगीं। वो और जोर से चाटने लगी, मैं भी “आह्ह्ह… ऊम्म्म…” करने लगा। फिर मेरा वीर्य उसके मुंह में गिर गया।
मेरा लिंग अभी भी खड़ा था। उसने मुझे लिटाया, मेरे लिंग पर अपनी योनी का छेद रखा और उस पर बैठ गई। वो उछलने लगी। मुझे भी मजा आने लगा। हमने जोरदार संभोग किया, वो भी बिना कंडोम के। वो बस “आह्ह्ह… ऊम्म्म…” करती रही और मेरा वीर्य अपनी योनी में गिरवाती रही। उस पल में सब कुछ भूल गया था, पर बाद में मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। मैंने उससे माफी मांगी और खुद को सुधारने की ठानी। ये थी मेरी कहानी, प्यारी स्टूडेंट की अन्तर्वासना इच्छा, जो क्लास में शांत हुई।