भाई-बहन की चुदाई

बहन को नंगी देखकर लंड तनतना गया

हाय दोस्तों, आज मैं अपनी एक अनोखी कहानी सुना रहा हूँ। मेरा नाम शमीम है। मेरे घर में मेरे पापा, मम्मी और एक बहन है जिसका नाम सोफी है। उसकी उम्र 22 साल है और मैं 25 का हूँ। ये बात 2 हफ्ते पहले की है जब मैं रात को देर से घर आया। सब सो गए थे। मैंने मम्मी को उठाया तो मम्मी बोली, “जाकर सोफी से बोल खाना गर्म करके दे दे,” और सो गई। मैं सोफी के कमरे में गया तो देखा कि वो सो रही थी।

मैंने आवाज दी, लेकिन वो नहीं उठी। मैं उसके पास गया तो देखा कि उसका टी-शर्ट हल्का सा नाभि तक उठा हुआ था। मेरा लंड गनगनाने लगा। मुझे अजीब सा लगा। मैं चला गया, अपने लिए खाना गर्म किया, खाया और फिर मन किया कि एक बार फिर सोफी को देख लूँ। मैं गया तो देखा कि वो सीधे लेटी हुई थी। मेरे मन में कुछ होने लगा। पहली बार मैंने अपना हाथ उसकी छाती पर रखा तो बहुत मजा आया। मेरा लंड एकदम टाइट हो गया। हल्के से निप्पल को सहलाने लगा। फिर मैंने अपने लंड को उसके हाथ से सटाया और रगड़ने लगा। वो उठ गई और बोली, “भैया, ये क्या कर रहे हो?” मैं घबरा गया और वहाँ से भाग गया। फिर रात के करीब 2 बजे मैं फिर सोफी के कमरे में गया। वो सो रही थी। मैं उसकी छाती देख रहा था। फिर मन किया कि सहलाऊँ। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने फिर हाथ से हल्के से सहलाया। वो हल्के से हिली।

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मैं रुक गया। फिर थोड़ी देर बाद मैंने छाती को दबाया और निप्पल को सहलाया तो सोफी के मुँह से हल्की सी सिसकी निकली। मुझे लगा कि वो सोने का नाटक कर रही है। मैंने फिर उसकी बुर को सहलाया तो जोर से सिसकी निकली। फिर मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी। सोफी बोली, “भैया, पूरा उतार दो, अच्छा लग रहा है।” मैंने पूरा उतार कर छाती को जोर से चूसने लगा और एक हाथ से बुर को सहला रहा था। सोफी “हाहाहा… इस्स्स” करके बोली, “भैया, क्या मजा आ रहा है,” और बुर को चाटने लगा। वो तड़प उठी और मेरा लंड पकड़कर दबाने लगी। बोली, “भैया, इसे मेरी बुर में डाल दो प्लीज।”

मैंने सोफी के दोनों पैर फैलाए। उसकी बुर एकदम गुलाबी थी। मैंने लंड को बुर के ऊपर रगड़ना शुरू किया। मुझे ऐसा लग रहा था कि डाल दूँ, लेकिन सोफी बोलने लगी, “भैया, अंदर डालो ना प्लीज।” मैंने बुर के छेद में लंड को सेट किया और हल्का सा अंदर ठेला। बुर एकदम टाइट थी। अंदर नहीं जा रहा था। मैंने लंड पर थूक लगाया, फिर जोर से डाला तो लंड का सुपारा अंदर चला गया। सोफी चीखने लगी, “भैया, छोड़ो, निकालो, दर्द हो रहा है।” उसकी बुर से खून निकल रहा था। फिर मैंने उसके मुँह को अपने हाथ से दबा दिया और हल्के-हल्के बुर के अंदर ठेलता रहा। फिर लंड पूरा अंदर चला गया और मैं अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद सोफी को भी मजा आने लगा और वो भी अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी। अब सोफी मेरी गांड को पकड़कर चुदवाने लगी और बोली, “जोर से करो भैया, बहुत मजा आ रहा है, करते रहो।”

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मैं और जोर से चोदने लगा। धकाधक पूरे कमरे में चपचप की आवाज गूँजने लगी। ऐसा लग रहा था कि सोफी झड़ गई, लेकिन वो बोल रही थी, “करते रहो।” अब पूरा बिस्तर उसकी गांड के नीचे भी गीला हो गया था सोफी के धात से। मैं चोदता रहा। अब उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और दोनों पैर चटकने लगे। ऐसा लगा कि सोफी फिर से झड़ने वाली है और मेरा भी धात गिरने वाला था। मैं भी जोर-जोर से चोदने लगा और फिर मेरा गरम-गरम धात उसकी बुर के अंदर ही गिर गया। उसका भी गिरा। फिर मैं सोफी के ऊपर वैसे ही नंगा लेट गया और वो भी नंगी ही मुझे पकड़कर शांत हो गई। सोफी बोली, “भैया, बहुत मजा आया। आज पहली बार ऐसा मजा आता है, ऐसा करने से मुझे अब पता चला।” फिर हम दोनों टॉयलेट एक साथ गए और एक-दूसरे के सामने पेशाब करने लगे। मैंने उसकी बुर को फैलाकर अपने हाथ से कहा, “पेशाब करो।” सोफी बोली, “ऐसे करूँ?” मैंने कहा, “हाँ।” फिर सोफी का पेशाब निकला बुर से तो उसके साथ सफेद धात पूरा निकल गया। वो बोली, “पेशाब सफेद कैसे हो गया?” मैं बोला, “ये पेशाब नहीं, ये मेरे लंड का धात है जो मैंने चोदते हुए बुर में गिरा दिया था।” अब हम दोनों हर रोज रात को 2 बजे के बाद चुदाई करते हैं…।