चुदाई की कहानियाँ

मेरी चूत का टाका भिड़ाया सहेली ने अपने फ्रेंड से

Meri Chut Ka Taka Bhidaya Saheli Ne Apne Friend Se

हाय दोस्तों, मेरा नाम अवंतिका है। मैं दिल्ली में अपने मम्मी-पापा और छोटी बहन निधि के साथ रहती हूँ। निधि मुझसे दो साल छोटी है और अभी कॉलेज में दाखिला लिया है। मैं बीए सेकंड ईयर में हूँ। हमारा घर दिल्ली के एक पॉश इलाके में है, जहाँ सुबह की चाय से लेकर रात की नींद तक सब कुछ रूटीन में चलता है। लेकिन एक दिन मैंने उस रूटीन को तोड़ने की ठानी। मैंने पापा को चाय का प्याला देते हुए कहा, “पापा, मुझसे कुछ बात करनी है।” पापा अपनी अखबार से नजर हटाकर बोले, “हाँ अवंतिका बेटा, कहो क्या कहना है?” मैं थोड़ी नर्वस थी, पर हिम्मत जुटाकर बोली, “पापा, हमारे कॉलेज का tour घूमने के लिए जा रहा है। मुझे कुछ पैसे चाहिए।”

पापा ने चाय का घूँट लिया और पूछा, “कहाँ जा रहे हो और कितने दिन रुकोगे?” मैंने तुरंत जवाब दिया, “हम मसूरी जा रहे हैं, और करीब 10 दिन रुकेंगे।” पापा की भौंहें तन गईं। वो बोले, “10 दिन का टूर? बेटा, ऐसा कौन सा कॉलेज करता है? तुम ही बताओ।” मैंने घबराते हुए कहा, “पापा, ये सिर्फ घूमने का नहीं, प्रोजेक्ट का भी टूर है। हमने सोचा इस बहाने ghumna भी हो जाएगा।” तभी निधि, जो पास खड़ी मेरी बातें सुन रही थी, बोली, “दीदी, पक्का घूमने जा रही हो, या कुछ और प्लान है?” उसकी बात ने पापा के दिमाग में शक का कीड़ा डाल दिया।

Papa Ka Shak Aur Tour Ki Taiyari

पापा ने मुझसे कहा, “ठीक है, कितने पैसे चाहिए?” मैंने कहा, “पापा, आप देख लीजिए, पर 10 दिन का खर्चा है।” पापा चुप रहे। मुझे लगा वो मान गए, पर वो चालाकी से मेरे कॉलेज के दोस्तों से टूर की पुष्टि करने लगे। मेरे दोस्तों ने वही कहा जो मैंने पापा को बताया। आखिरकार, पापा ने पैसे दे दिए। मैं खुश थी। अगले दिन मैंने अपना बैग पैक किया – जींस, टॉप, स्वेटर, और कुछ जरूरी सामान। निधि मेरे कमरे में आई और बोली, “दीदी, सच बताओ, टूर में क्या करने वाली हो?” मैंने हँसकर कहा, “निधि, तू छोटी है, अभी ये सब मत सोच।” वो मुँह बनाकर चली गई।

हमारा कॉलेज ग्रुप दिल्ली से मसूरी के लिए निकला। कॉलेज ने तीन बसें बुक की थीं। दिल्ली से मसूरी 6 घंटे की दूरी पर है। रास्ते में हमने खूब मस्ती की – गाने गाए, चिप्स खाए, और पहाड़ों की ठंडी हवा का मजा लिया। मसूरी पहुँचते ही ठंड ने हमें जकड़ लिया। हमारे टीचर्स ने सख्त हिदायत दी, “कोई भी बिना इजाजत बाहर नहीं जाएगा।” उनकी जिम्मेदारी थी कि हम सुरक्षित रहें। हम लड़कियाँ एक होटल में रुकीं, और लड़के पास के होटल में। रात को रूम में हम सब सहेलियाँ बैठकर बातें करने लगीं। कोई अपने बॉयफ्रेंड की बात कर रही थी, तो कोई मसूरी की ठंड की। मैं अपनी सहेली नमिता के पास बैठी थी।

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Masuri Mein Namita Ka Raaz

अगले दिन हम मसूरी घूमने निकले। मैं पहली बार वहाँ गई थी। पहाड़, हरियाली, और ठंडी हवा – सब कुछ सपने जैसा था। मैंने नमिता से कहा, “यहाँ कितना अच्छा लग रहा है!” वो बोली, “हाँ, मुझे भी।” नमिता भी पहली बार मसूरी आई थी। हमने मॉल रोड, केम्पटी फॉल्स, और गन हिल घूमे। दिनभर की मस्ती के बाद शाम को होटल लौटे। मैं थक गई थी। नमिता मेरे पास आई और बोली, “अवंतिका, तुमसे कुछ कहना है।” मैंने कहा, “हाँ, बोल ना।” वो थोड़ा झिझकी, फिर बोली, “मेरा आनंद से love affair है।”

मैं चौंकी, “क्या? मुझे बताया क्यों नहीं?” वो बोली, “सोचा तुम्हें ठीक नहीं लगेगा। कुछ दिन पहले हमने अपने प्यार का इजहार किया।” मैंने हँसते हुए कहा, “अच्छा, तूने भी लड़का पसंद कर लिया?” वो शरमाई, “हाँ, आनंद से pyar करती हूँ। हम काफी समय से जानते हैं, पर दिल की बात अब जाकर कही।” मैंने कहा, “फोटो दिखा।” वो बोली, “रहने दो।” मैंने जिद की। उसने दिखाया। आनंद स्मार्ट था। मैंने कहा, “मुझे कब मिलाएगी?” वो बोली, “दिल्ली लौटकर।” रात को मैं सो गई, पर नमिता की बातें दिमाग में घूमती रहीं।

Dilli Wapsi Aur Anand Se Mulakat

10 दिन का टूर शानदार रहा। हमने प्रोजेक्ट पूरा किया और खूब घूमे। दिल्ली लौटते ही पापा-मम्मी ने पूछा, “बेटा, कैसा रहा?” मैंने कहा, “बहुत अच्छा।” निधि मुझे चिढ़ाते हुए बोली, “दीदी, सच बताओ, क्या-क्या किया?” मैंने उसे टाल दिया। कुछ दिन बाद नमिता ने कहा, “चल, आनंद से मिलवाती हूँ।” हम मिले। आनंद की बातों में जादू था। वो हँसकर बोला, “नमिता की पसंद अच्छी है न?” मैंने तारीफों के पुल बाँध दिए। मुलाकात अच्छी रही। बाद में नमिता बोली, “आनंद तुम्हारी बहुत तारीफ करता है।”

नमिता और आनंद ने सोचा कि मेरा भी taka किसी से भिड़वा दें। उन्होंने मुझे आनंद के दोस्त विवेक से मिलवाया। विवेक लंबा, स्मार्ट, और शांत था। पहली मुलाकात में ही उसकी बातें अच्छी लगीं। हम फोन पर बात करने लगे। निधि को शक हो गया। वो मुझे विवेक से बात करते देख लेती। मुझे डर था कि वो पापा-मम्मी को बता न दे, इसलिए उसे खुश रखती। एक दिन मैंने विवेक से कहा, “मुझे मिलना है।” वो बोला, “आज टाइम नहीं।” वो बिजी रहता था, पर मैंने जिद की।

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Vivek Ke Sath Pyar Ka Safar

हम एक कैफे में मिले। कॉफी पीते-पीते बातें हुईं। उसकी आँखों में कुछ था। अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ा। मैं शरमा गई। फिर उसने धीरे से मेरे होंठों पर lip kiss किया। पहली बार ऐसा हुआ। मेरा दिल जोर-जोर से धड़का। मुझे बहुत अच्छा लगा। इसके बाद हमारी मुलाकातें बढ़ीं। कभी पार्क में, कभी कैफे में। हर बार kiss होती। मैं उसकी बाहों में खो जाती। नमिता हँसकर कहती, “देखा, तेरा taka सही भिड़वाया।”

धीरे-धीरे बात आगे बढ़ी। एक दिन विवेक ने मेरे stan को छुआ। मैं सिहर उठी। वो उन्हें दबाने लगा। मेरे अंदर गर्मी बढ़ने लगी। मैं बोली, “ये क्या कर रहे हो?” वो बोला, “तुझे अच्छा नहीं लग रहा?” मैं चुप रही। सच में अच्छा लग रहा था। वो मुझे समझता था। छोटी-छोटी बातों पर सलाह देता। उसका ख्याल मुझे खुश रखता। हमारा रिश्ता गहरा हो गया।

Pehli Chudai Ka Anubhav

एक दिन मेरी तबीयत खराब थी। मैं विवेक से मिलने गई। वो बोला, “तबीयत ठीक नहीं, तो आई क्यों?” मैंने कहा, “तुमसे मिलना था।” हम उसके फ्लैट पर थे। उसने मुझे बाहों में लिया और होंठ चूमे। मेरे अंदर गर्मी बढ़ गई। मैं बेकाबू हो रही थी। वो बोला, “घबरा मत।” उसने मेरे stan दबाए। मैं उत्तेजित हो गई। उसने टॉप ऊपर किया और ब्रा में से मेरे stan बाहर निकाले। उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा। पहली बार किसी ने ऐसा किया। मैं सिसक उठी।

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विवेक ने काफी देर तक मेरे stan का रसपान किया। मेरी chut में करंट दौड़ रहा था। उसने मेरी जींस खोली। मैं शरमाई, पर उसने पैंटी नीचे सरकाई। उसका हाथ मेरी chut पर गया। मैं मचल उठी। उसने अपना मोटा lund बाहर निकाला और मेरी chut पर सटाया। मैं बोली, “विवेक, धीरे।” उसने धीरे से अंदर डाला। दर्द हुआ, पर वो रुका नहीं। उसका lund मेरी chut में पूरा घुस गया। उसने गति बढ़ाई। मैं चीखी, “आह्ह, विवेक!”

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वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मेरी chut से खून निकला। पहली बार था। दर्द के साथ मजा भी आ रहा था। वो बोला, “तेरी chut कितनी टाइट है।” मैं मजे से पागल हो रही थी। करीब 20 मिनट तक उसने मुझे चोदा। फिर बोला, “ऊपर आ।” मैं उसके ऊपर गई। उसका lund फिर अंदर लिया। मैं उछलने लगी। हमने जमकर sex किया। मेरा बदन थरथरा रहा था।

Chut Ka Taka Aur Lund Ka Pani

विवेक का पानी निकलने वाला था। उसने अपना lund ka pani मेरी chut में डाला। फिर बाहर निकाला। मैं हाँफ रही थी। वो बोला, “तुमने मुझे खुश कर दिया।” मैं भी संतुष्ट थी। उसने मुझे बाहों में लिया। हम नंगे ही लेटे रहे। उस दिन मेरी chut ka taka सच में पूरा हुआ। नमिता और आनंद की वजह से विवेक मेरी जिंदगी में आया। इसके बाद हम अक्सर मिलते। कभी उसके फ्लैट पर, कभी होटल में। हर बार chudai होती।

निधि को शक था, पर मैं उसे मैनेज करती। विवेक मेरा ख्याल रखता। हमारा रिश्ता सिर्फ sex तक नहीं था; उसमें प्यार भी था। नमिता हँसती, “देखा, मैंने तेरी chut का सही बंदोबस्त किया।” मैं शरमाकर हाँ कहती। अब विवेक और मैं एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।