चुदाई की कहानियाँ

अंकिता ने अपनाया चुदाई का रास्ता-2

Ankita ne apnaya chudai ka raasta-2

अंकिता की इस तरह की कार्रवाई से मैं काफी ज्यादा उत्तेजित होता जा रहा था। तेज उत्तेजना के कारण अब मुझसे ओर सब्र नही हो पा रहा था। मैं तेजी से बैठा ओर मेने भी धक्का देते हुए अंकिता को बिस्तर पर लेटा दिया था। अंकिता को बिस्तर पर लेटा देने के बाद पहले तो मैने उसके कपड़े के ऊपर दे दिख रहे हल्के से बूब्स की लकीरों चूमना शुरू कर दिया था और फिर कुछ ही देर बार मेने अपने होंठ को अंकिता के होंठ पर रखकर उसके होंठ के रस को पीना शुरू कर दिया था। अंकिता के होंठ काफी नर्म थे, ऐसा मन कर रहा था जैसे कि हमेशा उसके होंठ को ऐसे ही चूमता रहूं। अब हम बिस्तर पर एक के बाद एक कर के एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर किसी भूखें भेड़िये की तरह एक दूसरे को चूमते ही जा रहे थे।

कुछ देर बाद अंकिता ने मेरी पेंट को खोलकर मेरे 7 इंच के लन्ड को बाहर निकाल दिया था। उसने पहले किसी चुदासी औरत की तरह मुस्कुराते हुए पहले तो मेरी तरफ देखा और फिर उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया था। अंकिता ने कुछ ही देर में मेरे लंड को पूरी तरह से गीला कर दिया था। वह मेरे लंड को अपने गले तक चुस्ती ही जा रही थी, उसे देखकर मुझे बस यही ख्याल आ रहा था कि उसका पति कितना खुश नसीब होगा जिसे ऐसी पत्नी मिली। वह इतने अच्छे से मेरे लंड को मुंह मे ले रही थी कि एक बार तो मैने अपना वीर्य उसके मुंह मे ही छोड़ दिया था। इससे पहले की अंकिता के पति घर पर पहुंचते में जल्दी से अपने घर की तरफ निकल चुका था। मैं अंकिता के जिस्म का स्वाद बिल्कुल वैसे ही चख चुका था, जैसे कि किसी शेर की दाढ़ में खून लग गया हो, इसलिए अब मेरा मन अंकिता को जमकर चौदने का कर रहा था। अंकिता ने मुझे पूरी तरह से खुश कर दिया था, इसलिए मैंने उसके कहे मुताबिक जल्दी से उसके जॉब प्रमोशन की भी मांग कर दी थी। भले ही मैं अपनी पत्नी को धोखा यही देना चाहता था, लेकिन अंकिता ने मुझे पूरी तरह से बेबस कर दिया था अब मैं किसी भी तरह से अंकिता को चौदना चाहता था।

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एक दिन ऑफ़िस की छुट्टी के बाद मेने अंकिता से मिलने का प्लान बनाया था। मेने सोच लिया था कि मैं एक बार अंकिता को अच्छे से चोदूँगा ओर फिर हमेशा के लिए अंकिता का ख्याल अपने दिल से निकाल दूँगा। उस दिन मेने नज़दीक में ही अपने दोस्त का फ्लैट 3 घंटे के लिए ले लिया था। ऑफ़िस से छूटने के बाद तुरंत ही अंकिता को लेकर रूम में जाने के लिए निकल गया था। उस दिन अंकिता ने बहुत ही खूबसूरत ड्रेस पहन रखी थी। उसकी स्कर्ट देख कर मैं इतना पागल हो गया था कि रूम में जाने से पहले ही मेने एक सुनसान जंगल की तरफ अपनी गाड़ी रोक दी थी। इससे पहले की अंकिता मुझसे गाड़ी रोकने के कारण पूछती मेने अंकिता की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया था। मेरी इस अचानक कि कार्रवाई से अंकिता की सांसे तेज होने लग गयी थी। कुछ ही देर में अंकिता भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। अंकिता ने पहले तो मेरी शर्ट को उतार कर मुझे ऊपर की तरफ से नँगा कर दिया था। अब उसने मेरे सीने पर अपना नर्म हाथ फेरना शुरू कर दिया था। उसके सिर्फ स्पर्श भर से ही मेरा लन्ड अपनी पूरी रफ्तार से तन कर खड़ा हो गया था।

अब वह मेरे सीने पर हल्के से चुम्बन की बरसात कर रही थी, जिस वजह से मेरा लंड ओर भी ज्यादा तन कर खड़ा हो गया था। अंकिता को देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी तरह वह भी चुदाई करने के लिए मरी ही जा रही है। कुछ ही देर बाद उसने मेरे लंड को निकाल कर उसे चूसना शुरू कर दिया था। इस दौरान मैं उसके सर पर हाथ फेर रहा था और वह जोर जोर से मेरे लन्ड को चूसते चली जा रही थी। कुछ देर तक तो वह मेरे लन्ड को ऐसे ही चुस्ती रही और फिर मेने उसकी स्कर्ट के नीचे से उसकी पैंटी को निकाल कर नीचे फेंक दिया था। अब मैं उसकी गुलाबी योनि के साथ खेले जा रहा था। मैं उसकी योनि के बीज को अपने हाथों से मसलकर उसे चूसे जा रहा था। इस दौरान अंकिता के मुंह से हल्की “आह आह” की आवाजे निकल रही थी। अब मेने अंकिता की सफेद शर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया था। इतने में ही अंकिता ने अपनी  शर्ट को भी उतार कर पीछे की तरफ फेंक दिया था। अब वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा ओर स्कर्ट में थी। मैं अंकिता की ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को चूमते चला जा रहा था। तेज उत्तेजना के कारण अंकिता ने अपनी ब्रा को भी उतार कर नीचे फेंक दिया था। मेने देखा कि अंकिता के बूब्स वाकई में लाजवाब थे, ओर उसके निप्पल का रंग भी गुलाबी था, जो कि मेरी उत्सुकता का करना था।

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मेने बिना देरी किये अंकिता के गोल-मटोल बूब्स को आपस मे रगड़ कर उसे मसलना शुरू कर दिया था। मैं उसके बूब्स को बिल्कुल आम की तरह चूसते जा रहा था। इस दौरान अंकिता ओर भी ज्यादा उत्तेजित होती हुई दिखाई दे रही थी। मैं उसके बूब्स को चूस रहा था और वह अपनी योनि में उंगली डालकर खुद को ओर भी ज्यादा उत्तेजित किये जा रही थी। अब मुझसे ओर ज्यादा इंतज़ार नही पा रहा रहा था। पहले तो मैने अंकिता की स्कर्ट को ऊपर किया और फिर वह मेरे सामने सीधा मेरी गोद मे आकर बैठ गयी थी। पहले तो अंकिता ने मेरे लिंग को पकड़ कर अपनी योनि पर सेट किया और फिर धीरे-धीरे मेरे लिंग को अपनी योनि में घुसाने लग गयी थी। लिंग अंदर ले लेने के बाद वह अपनी कमर को घुमाते ओर झटका देते हुए मुझे चर्म सुख का आंनद दे रही थी। बस कुछ ही देर में अंकिता ने मुझे अपनी चरम सीमा पर पहुंचा दिया था। मैं निकिता की गांड ओर कमर पर हाथ फेरतें हुए उसे लागातर जोर जोर से झटके देते हुए चोदे जा रहा था। इस दौरान अंकिता के मुंह से तेज “आह आह आई अम्म ओह्ह” की आवाजें आ रही थी। वह मुझे चूमते हुए बहुत तबियत से मुझसे चुदती ही जा रही थी।

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मेरा लंड अभी भी थमने का नाम ही नही ले रहा था। जैसे-तैसे कर के मेने अंकिता को अब गांड चुदाई के लिए भी मना लिया था। अंकिता की चुत में से अब तक उसका कामरस बह चुका था, जिस वजह से उसकी पूरी गांड ही गीली हो गयी थी। मैं उसकी गीली गांड में अपना लन्ड डालने के लिए पूरी तरह से तैयार बैठा था। कुछ ही देर में मैने अंकिता को सीट पर ही घोड़ी बना कर बैठा दिया था। अब मैं अंकिता के पीछे जाकर उसकी गीली गांड के छेद पर अपना लन्ड रगड़ रहा था। पहले तो मैने अंकिता की गांड पर अपना लन्ड रखा और एक ही झटके में सिर्फ टोपे तक ही अपना लन्ड अंकिता की गांड में घुसेड़ दिया था। इस दौरान अंकिता के मुंह से तेज चीख निकल गयी थी। वह बार-बार मुझसे कह रही थी कि “आह आह दर्द हो रहा प्लीज इसे बाहर निकालो” लेकिन के भी अब कहा सुनने वाला था। मेने भी तुरंत ही दूसरे झटके में अपना पूरा लन्ड ही अंकिता की गांड में उतार दिया था। अब अंकिता दर्द से चुद रही थी और मैं डॉगी स्टाइल में अंकिता को जोर-जोर से झटके देते गए चोदता ही जा रहा था। कुछ ही देर बाद मैं झड़ गया था और मैने अपना गर्म गाढ़ा वीर्य अंकिता की गांड में ही ढोल दिया था। कुछ देर बाद हम वहां से जा चुके थे। उस दिन के बाद मेने फिर  कभी अंकिता को चौदने के बारे में नही सोचा था।

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