भाई मेरी चूत में अपना लंड झड़ गया
हाय, मेरा नाम रूबी खान है। मेरी उम्र 24 साल है और मैं बदायूं की रहने वाली हूँ। मैं इस साइट की बहुत बड़ी रीडर हूँ। ये स्टोरी मेरी और मेरे भाई की है। अब मैं स्टोरी पे आती हूँ। मेरा फिगर 34-30-36 है। एक दिन की बात है जब मेरे पापा और मम्मी मेरे भूपी के यहाँ गए हुए थे। उस दिन घर पे सिर्फ मैं और मेरा भाई रहीश था। वो हमेशा मुझे गलत नजरों से देखता था और उस दिन भी वो मुझे घूर रहा था। मैंने एक ढीली-सी टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था।
ढीली टी-शर्ट की वजह से जब मैं झुकती तो उसे मेरे 34 साइज के बूब्स दिख जाते थे। उसकी आँखों में एक चमक आ जाती थी। ये सब देखकर मेरी चूत में भी खुजली होने लगी। मैंने सोचा, क्यों न इसे पटा के चुदाई करवा ही ली जाए। तो मैंने उसके सामने और ज्यादा झुकना और मटक के चलना शुरू कर दिया। इससे उसकी हालत खराब हो गई। वो बाथरूम चला गया और जब बाहर आया तो पसीने से पूरा भीगा हुआ था। शायद उसने मुठ मारकर आएगा।
अब मैं भी नहाने पहुँची। मैंने जानबूझकर अपनी ब्रा और पैंटी बाहर छोड़ दी। नहाने के बाद मैंने भाई को आवाज लगाई, “भाई, मेरे कपड़े बाहर रह गए हैं, जरा उठा देना।” जब वो मेरी ब्रा-पैंटी देने आया तो जैसे ही मैंने गेट खोला, वो अंदर घुस आया। मैं अंदर बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
मैंने कहा, “भाई, ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी बहन हूँ।” उसने कहा, “कोई बात नहीं, अपने लोगों में कोई फर्क नहीं पड़ता। भाई की चुदाई में क्या प्रॉब्लम है?” और उसने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए। अब मैं भी गर्म हो चुकी थी। मैंने भी उसके कपड़े उतार दिए। उसका लंड देखकर मैं डर गई—पूरा 9 इंच का था। लेकिन मुझे खुशी भी हुई कि आज मेरी चूत की सारी खुजली मिट जाएगी।
उसके कपड़े उतारते ही मैं उसका लंड चूसने लगी। 20 मिनट चूसने के बाद जब उसका माल निकला तो मेरा पूरा मुँह भर गया। मैंने सब पी लिया। फिर हम बाहर कमरे में आए। उसने मुझे बेड पे लिटाया और मेरी चूत चाटने लगा। मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं, “ओह्ह्ह भाई… और तेज… येस्स्स… ओह्ह्ह… ह्म्म्म… भाई चाटो… और तेज… बहुत मजा आ रहा है… येस्स्स… चाटो और तेज…” हाहाहा… ह्म्म्म… भाई और तेज… मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।
मैंने कहा, “भाई, लंड डालो और मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो।” उसने मेरी पीठ के नीचे एक तकिया लगाया, मेरे पैर ऊपर किए और मेरी चूत पे लंड टिका दिया। जैसे ही उसने पहला झटका मारा, मेरी जान ही निकल गई। “ओह्ह्ह्ह भईया… मर गई मैं… निकालो… फट गई मेरी चूत… मैं नहीं झेल पाऊँगी तुम्हारा लंड… प्लीज छोड़ दो मुझे…” लेकिन वो रुका नहीं। उसने दूसरा झट-ka मारा और इस बार उसका पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में पहुँच गया।
मेरी तो जान ही निकलने वाली थी। “प्लीज भईया, निकाल लो… मैं मर जाऊँगी… प्लीज-प्लीज भईया निकालो…” लेकिन वो नहीं रुका। वो लगातार झटके मारने लगा। अब मैं थोड़ी नॉर्मल हो चुकी थी और उसका साथ देने लगी। “ह्म्म्म भाई… चोदो मुझे… येस्स्स… ऐसे ही… और तेज… ह्म्म्म… शाबाश… हाहाहा… भाई और तेज… और तेज… प्लीज रुकना मत… चोदो और चोदो… बहोत फक मी हार्ड भाई… और तेज… हाहाहा… भाई चोदो… और अंदर डालो अपना लंड… फाड़ दो मेरी चूत…”
ह्म्म्म भाई, अब तक मैं 4 बार झड़ चुकी थी, लेकिन भईया रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। 40 मिनट हो चुके थे लगातार मेरी चुदाई को। फिर भईया बोला, “मैं झड़ने वाला हूँ।” मैंने कहा, “अंदर ही निकालो अपना गरम माल।” और वो मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया।