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दीदी के देवर से चुदने की खुजली

(Didi Ke Devar Se Chudne Ki Khujli)

मै लखनऊ की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 19 वर्ष है, मेरे मम्मे सुडोल, टाइट और रसीले है। मेरी एक बड़ी बहन है, उनका नाम रश्मि है। और उनकी शादी हो चुकी है। मेरे दीदी ससुराल में दीदी के पति रमेश (यानि की मेरे जीजा जी) और उनका छोटा भाई रणजीत और उनकी सास ससुर रहते थी। मै तीन महीने पहले दीदी के ससुराल गई थी। जब मै दीदी के घर गयी तो दीदी ने मेरी सबसे मेरी पहचान करवाई, उन सभी में रणजीत भी एक था। रणजीत बहुत स्मार्ट और तगड़ा था। मै तो उसे तभी से पसंद करती हूँ, जब दीदी की शादी हुई थी। रणजीत की उम्र 20 वर्ष और कद 5.6 इंक होगी। मेरी रणजीत से चुदने की बहुत इच्छा है। मै सोचती थी की ये पूरी होगी भी या नही?? Didi Ke Devar Se Chudne Ki Khujli.

मेरा पहला दिन था दीदी के घर, सभी लोग मेरी बहुत इज्जत कर रहें थे। शाम का समय था। मै छत पर घूमने के लिए आई थी, तो मैंने देखा की रणजीत पहले से ही छत पर बैठा था। मैंने सोचा की क्या करू रणजीत से बात करू या ना करू? मै छत से नीचे चली आई। मुझे नीचे आते देख दीदी ने पूछा क्या हुआ।

मैंने सिर हिलाते हुए  कहा की कुछ नही छत पर रणजीत बैठा है इसलिए मै चली आई तो दीदी ने कहा शर्मा क्यों रही हो, जाओ उससे ही बाते करो तुम्हारा भी टाइम पास हो जायेगा और रणजीत का भी। दीदी की बात को मन कर मै फिर से छत पर आई तो रणजीत ने मुस्कुराते हुए कहा आइये बैठिये। मै उसके बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई। मै तो उससे बातें करना चाहती थी लेकिन समझ नही आ रहा था की कहां से शुरू करूँ। मै सोच ही रही थी की रणजीत ने पूछा की मैं क्या रही हूँ पढाई में? “बी एस सी” कर रही हूँ मैंने उत्तर दिया। फिर मैंने भी पूछा तुम क्या कर रहें हो? तो रणजीत ने कहा की मै तैयारी कर हूँ, एस एस सी की। बस कोई एक्साम पास करके गवर्मेंट जॉब ले लेना है। हम बातें कर रहें थे, लेकिन दीदी ने मुझे थोड़ी देर में बुला लिया। मै नीचे चली आई। Didi Ke Devar

“दीदी आप ने बुलाया है??” मैंने पूछा

“हाँ बुलाया है थोडा मदद कर मेरी खाना बनाने में” दीदी ने कहा

मैंने दीदी की मदद की खाना बनाने में, लेकिन मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि कैसे मै रणजीत के करीब जाऊ और उससे मुझे चुदने का मौका कब मिलेगा। रात हो गई सब लोगो ने खाना खा लिया था, लेकिन रणजीत खाना खाने नही आया तो दीदी ने मुझसे कहा जाओ रणजीत को खाना उसके कमरे में दे आओ और लौटते वक्त थाली भी ले आना। मैंने रणजीत के लिए खाना निकाला और उसके कमरे में देने के लिए गई। रणजीत अंदर अपने कमरे में मूवी देख रहा था। मैंने रणजीत से कहा छोटे जीजा खाना खा लीजिए लाई हूँ। रणजीत खाना खाने लगा और मै मूवी देखने लगी रणजीत के ही कमरे में। मूवी देखते समय मूवी में किस्सिंग सीन आ गया। हीरो हिरोइन को किस कर रहा था। ये देख मेरा भी मन कर रहा था, किस करने को। किस वाली सीन पर रणजीत मेरी तरफ देख रहा था, मैंने सोचा सायद वो भी मुझे किस करना और चोदना चाहता होगा इसीलिए देख रहा है। रणजीत के खाना खाने के बाद मैंने पूछा “तुम मेरी तरफ क्यों देख रहें थे जब किस वाला सीन चल रहा था”? रणजीत ने जवाब दिया “कुछ नही बस यूँ ही” Didi Ke Devar

थोड़ी देर बाद मै थाली लेकर रणजीत के कमरे से चली आई। जब मै उसके कमरे से निकली तो वो बाहर तक आया मुझे देखने के लिए। मुझे लग रहा था कि कही ना कही रणजीत भी मुझे चोदना चाहता होगा। मै भी खाना खाके दीदी के कमरे में सोने चली गई। सभी लोग सो गये, लेकिन मुझे नीद नही आ रही थी. मुझे पेशाब लगी तो मै उठ कर टॉयलेट में चली गई। पहले तो मैंने पेशाब किया, फिर मेरा मन किसी से चुदने का कर रहा था इसलिए मै अपने उगंलियो से ही अपने चूत में डालने लगी। मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन मेरी उंगली पतली थी इसलिए मै कुछ मोटा सामान ढूडने लगी। पास में ही वाईपर रखा था, मैंने जल्दी से वाईपर के मुठिया को निकाला और उसमे थोडा थूक लगाया और अपने चूत में पेलने लगी। वाईपर की मुठिया काफी मोटी थी इसलिए मुझे दर्द भी हो रहा था, और मेरे मुह से “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….”की आवाज़ निकलने लगी थी। मै लगातर अपने चूत में वाईपर की मुठिया डाल रही थी। मुझे मजा आ रहा था। बहुत देर तक मै ये करती रही, उसके बाद मैंने मुठिया को धुल कर वाईपर में लगा दिया। और फिर मै सोने चली आई। Didi Ke Devar

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दूसरे दिन मैंने सुबह उठकर मैंने मंजन किया, और नहाने के लिए बाथरूम में गई तो वहां रणजीत पहले से ही नहा रहा था और उसने दरवाज़ा भी नही बंद किया था। वो केवल अंडरवेअर में था, पानी से भीगी अंडरवेअर में उसका लंड दिख रहा था। मुझे देख कर रणजीत ने दरवाज़े को हल्का सा बंद कर दिया, लेकिन फिर भी थोडा सा दिख रहा था। मैंने सोच लिया था कि किसी तरह रणजीत से चुदना है। कुछ देर बाद रणजीत नहा कर चला गया। मै भी नहाने के लिए अंदर गयी, मैंने अंदर से कुण्डी लगा कर नहाने लगी। मैंने अपने कपडे उतार कर नहा रही थी कि रणजीत ने दरवाज़े को धक्का दिया और बाथरूम का दरवाजा खुल गया, क्योकि ठीक दरवाजा से बंद नही हुआ था। रणजीत ने मुझे मुझको उपर से नीचे तक देखा। उसकी नजर मेरे गोरे गोरे सुडोल और टाइट मम्मो पर रुक गयी। Didi Ke Devar

मैंने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया।

“क्या है ……??” मैंने रणजीत से पूछा

“वो मै अपनी शर्ट लेने आया था” रणजीत बोला

मैंने उसकी शर्ट को देने के लिए दरवाज़े को थोडा सा खोला और शर्ट बाहर कर दी। रणजीत शर्ट लेते समय मेरे हाथो में अपने हाथो को सहला रहा था। मुझे पता चल गया कि रणजीत का मूड बन रहा है मुझे चोदने के लिए। रणजीत वहां से चला गया। थोड़ी देर बाद जब मै नहा के बाहर आई तो रणजीत एक किनारे खड़े होकर मुझे ताड़ रहा था। मैंने भी उसे देख कर हल्का सा मुस्कुरा दिया, रणजीत समझ गया कि बात बन रही है। दोपहर हुई हम लोगों ने खाना खाया, और सब लोग आराम करने के लिए अपने अपने कमरे में चले गाये। मेरा आराम करने का मूड नही था इसलिए मै रणजीत के कमरे में चली गई। सोचा हो सकता है कुछ सीन हो जाए। Didi Ke Devar

मैंने दरवाजा खोला तो रणजीत बैठ पढाई कर रहा था। मैंने रणजीत से पूछा डिस्टर्ब तो नही किया? “नही आओ रणजीत ने मुकुराते हुए कहा”। मै रणजीत के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी। रणजीत एक बात पूछ सकती हूँ, हाँ पूछो क्या पूछना है- रणजीत ने कहा। तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या? रणजीत हस्ते हुए “पहली थी अब नही है”। बातों ही बातों में मैंने अपना पैर रणजीत के परों में छुआ दिया। मेरे पर छुआने के बाद रणजीत ने भी अपना पैर हिलाते हुए मेरे पैरों में छुआने लगा। ,मैंने सोचा लगता है कि अब मुझे रणजीत से चुदने का मौका मिल सकता है। मैंने अपना पैर रणजीत के पैरों पर सहलाने लगी। रणजीत का भी मूड बन रहा था, वो भी अपने पैरों को मेरे पैरों से सहला रहा था। उसने अपनी कॉपी बंद कर दी और मेरी ओर बढ़ने लगा।

उसने मेरे गले को पीछे से पकड़ा और मुझे अपनी तरह घुमा लिया। अब मैं ठीक उसके सामने थी। मेरी धड़कन बहुत बढ़ गयी थी। जैसे ही रणजीत ने अपने होठ को मेरी होठो में छुआया, मैंने भी रणजीत को किस करते करते पकड़ लिया और उसकी पतले और रसीले होठो को चूसने लगी। रणजीत तो एकदम अंग्रेजी मूवी कि तरह मुझे किस रहा था। रणजीत का जोश बढ़ रहा था, वो साथ – साथ मेरे मम्मो को भी दबा रहा था। उसने मुझे अपने गोदी में उठा लिया और मेरी होठो को पीने लगा। मै भी उससे और चिपक कर किस करने लगी। रणजीत के अंदर इतना जोश आ गया था कि उसने किस करते समय मेरी होठो को काटने लगा। मैंने भी उसके होठो को जोर जोर से पीने लगी। हम दोनों का जोश बढ़ने लगा, मै बेकाबू हो रही थी और साथ में रणजीत भी बेकाबू हो रहा था। रणजीत ने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया, और मेरी होठो को बिना रुके ही लगातार मेरी होठो को पी रहा था। रणजीत के अंदर इतना जोश आ गया था, कि बस मेरे होठो को पिये जा रहा था। Didi Ke Devar

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उस दिन मैंने शर्ट और जीन्स पहनी थी। रणजीत जल्दी जल्दी मेरे शर्ट कि बटन को खोलने लगा और मेरी शर्ट को उतार दिया। मेरे लाल रंग के ब्रा को रणजीत ने मुझे किस करते हुए ही निकाल दिया। जैसे ही रणजीत ने मेरा ब्रा निकाला उसने मेरे बड़े बड़े सुडोल और रसीले चुचियों को मसलने लगा। मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था जब रणजीत मेरे मम्मो को मसलते हुए पी रहा था। रणजीत मेरी नंगी चूची को अपने मुह में लेकर चूस भी रहा था, और अपने हाथो से मेरे मम्मो को दबा भी रहा था। आह कितना आनंद आ रहा था जब मेरे बड़े बड़े मम्मो को रणजीत पी रहा था। रणजीत लगातार मेरे दोनों चूचियों को पी रहा था। मेरी चूचियों को पीते पीते ही उसने अपना शर्ट और पैंट भी उतार दी। फिर रणजीत ने मुझे मेरे घूटनो पर कमरे के फर्श पर बिठा दिया और मेरी दोनों चूचियों को दबाया और अपने लंड को निकाल कर मेरी मम्मो के बीच में चोदने लगा। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, क्योकि जब रणजीत मेरे दोनों चूचियों को दबा कर पेल रहा था तो एक अलग ही आनंद आ रहा था। बड़ी देर तक रणजीत मेरे चूचियों के बीच में पेलता रहा। Didi Ke Devar

मेरा रणजीत का लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था, इसलिए मैंने रणजीत से लंड चूसाने को कहा। रणजीत ने अपना 8 इंच का लंड मेरे हाथो में रख दिया। रणजीत का लंड इतना मोटा था कि मेरे हाथो में नही आ रहा था। मैंने उसके लंड को पहले थोडा सहलाया और फिर पूरा लंड अपने मुह में रख लिया। मैंने बड़े प्यार से उसके लंड को चूसने लगी और अपने हाथो से उसके गोली को सहलाने लगी। रणजीत को बड़ा मजा आ रहा था जब मै उसके लंड को चूस रही थी। रणजीत का हाथ तो रुक ही नही रहा था, मै उसका लंड पी रही थी और वो मेरे मम्मो को मसलने में लगा था। हम दोनों को मजा आ रहा था। वो मेरी चूचियों को मसलता रहा और मै लगातार उसके लंड को चूसती रही। मुझे रणजीत का लंड चूसने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी तो रणजीत में मुह में पेलने लगा। उसने अपना पूरा लंड मेरी मुह में डाल दिया, मेरी तो साँस रुक गयी। फिर मै रणजीत के लंड को आराम से चूसने लगी।

रणजीत का जोश बढता ही जा रहा था, उसने मेरी चूचियों को पीना शरू किया और मेरे नाभि तक पहुच गया। जब वो मेरी नाभि पर पंहुचा, तो वो मेरी नाभि को भी पीने लगा। कसम से मुझे बहत मजा आ रहा था। मेरी नाभि को पीते हुए उसने मेरी जीन्स कि बटन को खोल दिया। जीन्स की बटन खोलते ही मेरी लाल पैटी दिखने लगी। रणजीत ने जल्दी से मेरे जीन्स और पैंटी को उतार दिया। अब मेरी गुलाबी चूत दिखने लगी, मेरी गुलाबी चूत को देख कर रणजीत ने आहें भरी और बोला क्या रसीली चूत है। उसने पहले तो मेरी चूत में उंगली करना शुरू किया। मै मदहोश होने लगी। वो लगतार मेरी चूत में उंगली कर रहा रहा और मेरे मुह से“……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” की आवाज़ निकाल रही थी। Didi Ke Devar

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जितनी तेज वो मेरे चूत में उंगली कर रहा था उतनी ही तेज मेरे मुह से अहह … अहह… की आवाज़ भी निकाल रही थी। रणजीत के मेरी चूत में उंगली करने से मेरे पुरे शरीर में करंट लग रहा था। रणजीत ने अपनी दो उँगलियों को क्रोस में करके मेरी चूत में डालने लगा। अब तो मुझे और भी मदहोशी हो रही थी अंत में मेरी चूत से पानी निकलने लगा। मुझे अब अच्छा फील हो रहा था। अब रणजीत ने मेरी चूत को पीना शुरू किया, उसने अपने जीभ से मेरी चुत की गुलाबी दाने को चटने लगा। मुझे और भी मजा आने लगा। रणजीत ने अपना पूरा जोर लगा कर मेरी चूत को पीने लगा। मेरे मुह से उफ़ …. उफ्फ्फ. अहह.. अहह..“आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…”

की आवाज़ निकल रही थी। बड़ी देर तक रणजीत ने चूत को पीता रहा। अब रणजीत ने अपना बड़ा और मोटे लंड को पकड़ा और उसमे थोडा सा थूक लगाया और मेरी चूत पर सहलाने लगा। फिर अचानक से उसने अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया। मुझे ज्यादा दर्द नही हुआ क्योंकि मै पहले भी चुद चुकी थी अपने बोयफ़्रेंड से। लेकिन थोडा सा दर्द हुआ। रणजीत ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। उसकी चोदने स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी। जैसे जैसे उसके चोदने की स्पीड बढ़ रही थी वैसे वैसे मेरी चीख [अहह…. अह्ह्ह … अहह… उफ्फ़ … उफ्फ़ … सी… सी…. अहह…. य्ह्ह्ह.. य्ह्ह… ] भी बढ़ रही थी। रणजीत अपनी पूरी ताकत लगाकर मेरी चूत को चोद रहा था। Didi Ke Devar

अब रणजीत ने मुझे घोड़ी बना दिया, फिर उसने अपने लंड में थोडा सा थूक लगा के मेरी गांड में पेलने की कोसिस करने लगा। रणजीत का लंड बहुत मोटा था इसलिए मेरी गांड में नही जा रहा था। मैंने अपने गांड को अपने हाथो से फैला दिया और रणजीत ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया। आह …. अह्ह्ह…. अह्ह्ह… उफ्फ़ ….उफ्फ़…. उफ्फ्फ  सी…… सी…. करके मै चीखने लगी। रणजीत ने अपने लंड में थोडा और थूक लगाया और मेरी गांड तेजी से मारने लगा। उसकी स्पीड बहुत तेज थी, ऐसा लग रहा था कि कहीं मेरी गांड ना फट जाये। मेरा तो चीख चीख के बुरा हाल हो गया। उसकी गांड मारने कि स्पीड और तेज होती जा रही थी। लग रहा था कि अब उसका माल निकलने वाला है। कुछ देर बाद उसने अपना लंड जल्दी से मेरी गांड से बाहर निकाला और दूसरी तरफ मुह करके मुठ मारने लगा। वो तेजी से मुठ मार रहा था और अंत में उसका माल निकलने लगा। जब उसका माल निकला तो रणजीत का लंड धीरे धीरे ढीला हो गया। मेरी पहली सुगाहरात मेरी दीदी के घर ही मेरे छोटे जीजा जी के साथ हो चुकी थी।

मेरी चुदाई खत्म होने बाद हमने अपने अपने कपडे को पहन लिया। रणजीत ने मेरी चुदाई करने के बाद मुझे फिर से बाँहों में भर कर बहुत देर तक किस किया। हम बहुत देर तक बातें भी करते रहें। उस दिन के बाद जितने दिन मै वहां थी, रोज दिन में सबके सोने के बाद या फिर रात को रणजीत के कमरे में मेरी चुदाई होती थी। Didi Ke Devar