भाबी जी लंड पर हैं-1
देव की नई सेक्स स्टोरी में पढ़ें कैसे उसने अपनी हॉट नताशा भाबी की चूत चाटी और लंड चुसवाया। स्टेशन से घर तक की शरारत और कमरे में चुदाई की शुरुआत – ये कहानी आपको जोश से भर देगी।
हैलो दोस्तों, मेरा नाम देव है। आज मैं फिर से अपनी एक नई और हॉट देवर-भाभी सेक्स स्टोरी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ।
सबसे पहले मैं उन सभी दोस्तों का दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ, जिन्होंने मेरी पिछली स्टोरी “प्यासी भाबी निकली लंड की जुगाड़” को इतना प्यार और सपोर्ट दिया। आप लोगों की तारीफों ने मुझे फिर से लिखने की हिम्मत दी है।
एक बार फिर बता दूं कि मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 27 साल है, हाइट 5 फुट 4 इंच है। मेरे घर में हम तीन लोग हैं – मैं, मेरी मॉम और मेरे दादाजी, जो आर्मी से रिटायर्ड हैं। मैं जॉब करता हूँ और हमारा घर तीन मंजिल का है। हर फ्लोर पर दो-दो रूम हैं। ग्राउंड फ्लोर पर दादाजी रहते हैं, फर्स्ट फ्लोर पर मैं और मॉम, और बाकी दो फ्लोर गेस्ट फ्लोर हैं। तीसरे फ्लोर पर दो परिवार किराए पर रहते हैं, जिनमें दो बेहद खूबसूरत भाभियां हैं – एक का नाम अलका और दूसरी का नाम सीमा।
जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानी में बताया था कि मैं एमपी में अपना एग्जाम देने गया था। वहां मैंने एक भाबी की प्यास अपने लंड से बुझाई थी। उनके प्यारे से भोसड़े को जमकर चोदा था। उस चुदाई के दो दिन बाद भाबी का कॉल आया था। उन्होंने मुझसे कहा था कि वो 6 महीने बाद दिल्ली आएंगी।
आखिरकार वो दिन आ ही गया, जब 6 महीने बाद नताशा भाबी और राम भैया दिल्ली आए। जैसे ही मुझे उनके आने की खबर मिली, मैं लोवर पहने हुए ही स्टेशन पर उन्हें रिसीव करने पहुंच गया। कुछ देर इंतजार के बाद भैया-भाबी ट्रेन से उतरे। मुझे देखते ही भाबी की आंखों में चुदाई की चमक और चेहरे पर सेक्सी रौनक छा गई। मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। भाबी को देखते ही मेरे दिल में खुशी की लहर दौड़ गई, मानो कोई अधूरी ख्वाहिश पूरी हो गई हो।
6 महीने पहले जैसी भाबी थीं, अब वो उससे भी ज्यादा कातिलाना लग रही थीं। उनके चुचे पहले से बड़े और रसीले दिख रहे थे। पीछे से उनकी भारी-भरकम गांड और भी उभरी हुई लग रही थी। यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही भाबी हैं, जिन्होंने मेरा लंड चूस-चूसकर मेरा बुरा हाल कर दिया था। उनकी मटकती गांड देखकर मेरा लंड लोवर में अकड़ने लगा। लोवर में आगे की तरफ हल्का उभार साफ दिखने लगा था।
भैया पास आए और भाबी को मुड़कर बोले, “अब तो सामान देव को दे दो।” इसी बीच मैं अपने उभरे हुए लंड को अड्जस्ट करने लगा। मेरी ये हरकत भाबी की नजरों से नहीं बची। उनके होंठों पर हल्की सी शरारती मुस्कान तैर गई। भैया ने मुझे गले लगाया। फिर मैं बिंदास होकर भाबी से भी गले मिला। गले लगते ही उनके नुकीले चुचे मेरी छाती से टकराए। मौका पाकर मैंने उनके भारी कूल्हों को हल्के से सहला दिया। भाबी ने भी मुस्कुराते हुए मुझे सामान थमा दिया।
ऑटो से हम सब घर पहुंचे। घर पर सबने भाबी से बड़े प्यार से मुलाकात की, क्योंकि वो पहली बार हमारे घर आई थीं। भैया-भाबी का सामान मॉम ने सेकंड फ्लोर पर रखवा दिया। शाम होते ही दादाजी घूमने चले गए और मॉम, भैया के साथ बाजार निकल गईं। ये सुनहरा मौका देख मैं भाबी के कमरे में दाखिल हो गया।
मैंने भाबी को पीछे से पकड़ लिया और अपना तना हुआ लंड उनकी गांड पर सटा दिया। साथ ही उनके रसीले चुचों को दबाने लगा। भाबी मेरे इस अचानक हमले को भांप गईं और पीछे हाथ बढ़ाकर मेरे लोवर में उभरे लंड को पकड़ लिया।
भाबी बोलीं, “इतनी जल्दी क्या है देवर जी? अभी तो हम आए ही हैं और आपके लंड ने बगावत शुरू कर दी।” ये कहते हुए उन्होंने लंड को जोर से दबाया और छेड़ते हुए बोलीं, “देखो तो, कितना रॉड की तरह तन गया है।”
मैंने कहा, “भाबी, ये तो तब से खड़ा है, जब से आपको स्टेशन पर देखा। देखो ना, ये आपकी चूत में घुसने के लिए कितना तड़प रहा है।”
भाबी हंसते हुए बोलीं, “हम्म, मैं स्टेशन से ही देख रही थी तुम्हारे फूले हुए लंड को, जिसे तुम बार-बार अड्जस्ट कर रहे थे।” उनकी हंसी में मैं भी शामिल हो गया।
फिर भाबी ने पूछा, “और वो गले लगाते वक्त तुम्हें क्या मस्ती सूझ रही थी?”
मैंने बनावटी मासूमियत से कहा, “मैंने क्या किया भाबी?”
भाबी बोलीं, “अच्छा, तुमने कुछ नहीं किया? गले लगाते वक्त मेरे कूल्हे नहीं सहलाए थे क्या?”
मैंने हंसते हुए कहा, “भाबी, अब मैं क्या करूं? आपकी गांड को देखकर मुझसे रहा नहीं गया, इसलिए ये गुस्ताखी हो गई।”
भाबी ने शरारती अंदाज में पूछा, “क्यों, ऐसा क्या है मेरी गांड में, जो तुमने इसे पकड़कर दबा दिया?” फिर हंसते हुए बोलीं, “देवर जी, अपने लंड को थोड़ा काबू में रखो। अब तो मैं तुम्हारी हूँ ही।”
ये कहते हुए भाबी ने मेरे लोवर में हाथ डाल दिया और लंड को बाहर निकालकर प्यार से सहलाने लगीं। उनके नर्म हाथों की छुअन से मैं उत्तेजित हो गया और उनके कपड़े उतारने लगा। भाबी भी जोश में आ गईं और लंड को जोर-जोर से हिलाने लगीं। अचानक वो नीचे बैठ गईं और मेरा पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं।
उनके गर्म मुँह में लंड जाते ही मैं बेकाबू हो गया। मैंने जोश में आकर लंड को उनके गले तक ठूंस दिया। भाबी की आंखें चौड़ी हो गईं, सांस रुकने लगी। उन्होंने जल्दी से लंड बाहर निकाला। लेकिन एक पल संभलने के बाद फिर से चूसना शुरू कर दिया।
इसी बीच मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए और भाबी को पूरी तरह नंगा कर दिया। भाबी मेरे लंड को चूसते हुए मेरे ऊपर आ गईं। मैंने उनकी दोनों टांगें चौड़ी कीं और उनकी गुलाबी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उनकी चूत एकदम साफ थी और उसमें कोई मादक खुशबू थी। मैं उनकी चूत को चाटने लगा।
भाबी भी अपनी गांड उछाल-उछालकर मुझसे चूत चटवाने लगीं। उनकी सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं। कुछ ही देर में उनकी चूत से पानी टपकने लगा। उनका नमकीन शहद मुझे बेहद स्वादिष्ट लगा, जिसे मैं बड़े प्यार से चाट रहा था।
तभी भाबी ने मेरा लंड मुँह से निकाला और अपने नर्म हाथों से दबाने लगीं। उन्होंने मुझे खुले दरवाजे की ओर इशारा किया। हम दोनों चुदाई के नशे में इतने डूब गए थे कि दरवाजा बंद करना भूल गए थे। मैं फटाफट दरवाजा बंद करने उठा। अभी दरवाजे तक पहुंचा ही था कि सीढ़ियों से किसी की पायल की आवाज आई। मैंने खिड़की से झांककर देखा – एक नीली साड़ी वाली औरत नीचे जा रही थी। उसका चेहरा या फिगर साफ नहीं दिखा।
(कहानी जारी रहेगी…)