Bhabhi Sex

चोकीदार की बहु शिला की चुदाई

हे दोस्तों, मेरा नाम रनबीर है। मैं फिर से आपके सामने एक नई कहानी लेकर आया हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगा कि आप ने मेरी पिछली दो सेक्स कहानियाँ पढ़ी और अच्छी-अच्छी टिप्पणी भी की। उसके लिए आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद। आज की कहानी भी मेरी जिंदगी से जुड़ी है, इसलिए यह सच्ची कहानी है। मुझे पूरा यकीन है कि आपको यह भी पसंद आएगी और आप मुझे इसके लिए जरूर टिप्पणी करेंगे।

यह बात उन दिनों की है जब हम अपना नया घर बनवा रहे थे। मेरे पिताजी अपनी नई जगह पर बस गए थे इसलिए उन्होंने हमारे लिए एक नया घर बनवाना शुरू कर दिया था। यह घर मेरे पहले वाले घर से दूर था, एक सुनसान जगह पर। वहाँ अभी केवल ५-६ घर ही बने हुए थे, बाकी सब प्लॉट खाली थे। इसलिए मेरे पिताजी ने वहां एक चौकीदार रख लिया था।

लेकिन वह एक आंटी थी, जो 60-70 साल की होगी। उसका घर में उसका बेटा, बहू और तीन बच्चे रहते थे। आंटी के पति की मृत्यु हो चुकी थी इसलिए अब सारा घर उसके बेटे द्वारा चलाया जाता था।

मैं अपने नए घर में कभी-कभी जाता था और दीवारों और ईंटों को पानी देता था। जब मैं घर आता तो उसकी बहू भी मुझे देखकर मेरी मदद करने के लिए आ जाती थी।

अब, मैं आपको उसकी बहू के बारे में बता दूं जिसको मैंने चोदा था। उसका नाम शीला था। जैसा कि उसके नाम से पता चलता है, वह बहुत ही सेक्सी थी। उसकी त्वचा थोड़ी सावली थी और उसका फिगर 34-32-35 था। उसके सेक्सी बूब्स और गांड एकदम कमाल की थीं। कहने का मतलब यह था कि वह एकदम सेक्सी लेडी थी।

जब मैं उसे देखता तो मेरा मूड खराब हो जाता था। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, अब जब भी मैं घर आता और काम करने जाता तो वह मेरे पास आ जाती और मेरी मदद करने लगती थी।

काम करते-करते वह पूरी तरह से भीग जाती थी। शीला साड़ी पहनती थी। जब वह भीग जाती थी तब उसके ब्लाउज में से उसके मोटे-मोटे बूब्स साफ दिखाई देते थे। उस के पूरे शरीर से पानी की बूंदें टपक टपक कर नीचे गिर रही होती थीं। वह इतनी सेक्सी लग रही थी, बस पूछो मत! मैं उसे चुपके से छुप-छुप कर देखता रहता था।

कुछ महीने पहले की बात है, मैं जैसे हमेशा की तरह दीवारों पर पानी डालने के लिए आया हुआ था। मैंने अभी अपना काम शुरू ही किया था तभी शीला वहाँ आ गई और मेरी मदद करने लगी। पूरी तरह भीग गई।

मैंने उसे कहा कि आप मुझे पाइप दे दीजिए, मैं काम कर दूँगा। आप पूरी तरह भीग चुकी हो।

शीला ने कहा: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, मैं घर जाकर मेरे सारे को कपड़े बदल लूंगी।

अब मैंने थोड़ी जबरदस्ती की और शिला से पाइप छीन लिया। इसी कोशिश में मेरा हाथ उसके पूरी तरह भीगे बूब्स पर चला गया। उसके बूब्स एकदम कमाल के थे, इतने मुलायम थे कि मेरे पास बताने के लिए शब्द ही नहीं हैं।

शीला के बूब्स पूरे महकान बनें हुए थे, इतने सॉफ्ट और कोमल बूब्स मेरे दोस्त की चाची के भी नहीं थे। फिर मैं जल्दी से पीछे हट गया और सॉरी कहने लगा।

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शीला ने कहा: इस में सॉरी वाली क्या बात है? काम करते करते तो ऐसा हो जाता है, प्लिज सॉरी ना बोलिए।

मैंने कहा: अगर आप बुरा ना मानो तो मैं आप से कुछ कहना चाहता हूँ।

शीला ने सर नीचे हिलाते हुए कहां: हा जी कहिये।

मैंने कहा: आप बहुत सुंदर हो, मुझे आप बहुत पसंद हो।

शीला ने शरमाते हुए बोला धत्त आप तो बड़े वो हो..

मैंने कहा वो क्या? मैं समझा नहीं।

शीला ने कहा इसे छोड़ो यह बात बताओ की ऐसा क्या है मुझ में जो में आप को अच्छी लगती हु?

मैंने अब मौका देखते हुए उस की तारीफ के पुल बाँध दिए।

मैंने कहा: मुझे आपकी आंखें, होंठ, नाक, आपके कान, गाल और वो बहुत अच्छे लगते हैं।

शीला ने कहा: वो क्या जरूर खुले के बताओ ना..

उस ने फिर पूछा वो क्या? और कहां अरे शर्मा मत.. प्लिज बताओ..

मैंने कहा: शरमाते हुए बोली आपकी चूत और गांड।

शीला ने कहा: आप को मेरी चूत और गांड क्यों इतनी अच्छी लगती है?

मैंने कहा: आपकी गांड और चूत बहुत मुलायम है मुझे उन्हें देख के ऐसे लगता हे जैसे कोई गुब्बारा हो।

फिर मेरी बात को सुनकर मुझे वह अपनी कातिलाना नजरों से देखने लगी।

मैंने कहा: मुझे ऐसा क्यों देख रही हो? तभी उसने बोला मैं भी आपका वो देख रही हूं।

यह सुनकर मैं एकदम हैरान सा हो गया और बोला की क्या वो?

उस ने मुझे ऐसे ही देखते हुए कहा मैं भी आप का लंड देख रही हूं।

फिर मैं और शीला एक दूसरे से खुले कर बातें करने लग गए और एक दूसरे के शरीर को हाथों में ले कर छेड़ने लग गए। तभी मैंने उसे पूछा क्या हम सेक्स कर सकते हैं?

उस ने बिना कोई जवाब दिया अपना सर नीचे कर लिया और मैं समझ गया कि मुझे उस की तरफ से हरि झंडी का इशारा मिल गया है।

तब मैंने बिना कोई वक्त गवाते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसे चाटनें लग गया और उसे किस करने लग गया।

अब वह मेरी इस हरकत से पागल हो गई और वह भी मेरा साथ देने लगी और मेरे लिप्स को अपने मुंह में ले कर खाना शुरू कर दिया और मेरी जीभ को अपने मुह में ले कर चूसने लगी जैसे कि वह कोई टोफी हो।

अब मैंने अपना हाथ उस के गीले बदन से लेकर उसके बूब्स पर रख दिया और उस के बूब्स दबाने लग गया, और जैसे ही दबाने लगा तभी शीला के मुंह से प्यारी सी आवाज निकली। अब मैंने उस के बूब्स के निप्पल को मसलने लग गया और वह मदहोश हो गई।

अब उस की ऐसी मदहोशी देखकर मुझे रहा नहीं गया मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही जोर जोर से उस के निप्पल मसलने लग गया और उसे होठों को खाना शुरू कर दिया।

वह “औउ अह्ह्ह औऊ हाँ ओह अहह औउ ओह अह्ह्ह ह इऔउ उऔ उआऊउ” जैसे आवाजें निकाल रही थी।

यह करीब १० मिनट तक चलता रहा और फिर शिला बोली: अब बस भी करो सारा दूध अभी पीना है क्या? कुछ और भी करो जिस के लिए में कब से तड़पती जा रही हूं।

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मैंने कहा: हाँ मेरी जान जरूर करता हूँ, पर थोडा सबर तो रखो। आज तो मैं तुम्हें जन्नत की सैर करवाऊंगा।

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अब मैं उस की साड़ी के ऊपर से ही उस की चूत को मसलने लग गया और उस की गरम सांसों को अपने अंदर महसूस करने लग गया। उसने भी अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रखा और एक दम से उसे बाहर निकाल कर अपने हाथों में भर लिया और खुद नीचे होकर मेरे लंड को अपने मुंह में उतार लिया और चूसने लगी। ऐसा लग रहा था कि मानो कई दिनों की प्यास थी और अब जा कर उसे अपनी प्यास बुझाने का मौका मिला हो।

अब मैंने भी उस की साड़ी को एक ही बार में उतार कर साइड में रख दिया और उस के बदन को निहारता रहा। अब मैंने उस की ब्रा और बेटी भी धीरे-धीरे उतार डाल दी और उसे अपनी बाहों में भर लिया, अब हम एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर एक दूसरे के शरीर को छूने का मजा ले रहे थे।

मेरा लंड उस की चूत पर लग रहा था और उस के अंदर जाने के लिए जैसे कि तड़प रहा था।

अब मैंने उसे वहीं नीचे लेटा दिया और उसे अपने नीचे कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ता रहा और वह तड़पती रही और कहने लगी अब डाल भी दो और कितना सब्र करवाओगे?

मैं भी इतनी जल्दी कहां मानने वाला था? और मैं उस की चूत पर अपना मुंह ले गया और उस की चूत को चाटनें लग गया और वह मुझे गाली देती रही और कहती रही अरे डाल दे मादरचोद कहि के.. भोसड़ी के.. कुत्ते डाल में इधर लंड को लेने के लिए तडपी जा रही हु और तू मजे ले रहा है? डाल साले डाल दे मेरी चूत में तेरा मरदाना लंड और मुझे अपनी रंडी बना दे, आज मुझे चोद चोद के तुम्हारी गुलाम बना दे साले, जल्दी कर और ना तडपा।

अब मैं भी उस को गाली में जवाब देने लग गया रुको जा रंडी कहि की.. इतनी भी क्या जलद है चुद्वाने की?

यह कहकर मैंने अपना लंड उस की चूत पर सेट किया और एक जोर का धक्का मारा जिससे उस के मुंह से चीख निकल आई और बोली मादरचोद मैं कोई रंडी नहीं हूं साले.. अपनी माँ बहन की चूत समझ कर चोद मुझे।

अब मैं तेरी ही हूँ, जब चाहे मुझे चोदो। इस बात सुनते ही मैंने जोर जोर से लंड उस की चूत में ऊपर नीचे करने लग गया।

अब वह भी मेरा साथ देने लगी थी और अपनी गांड उठा-उठा कर खुद को चुदवा रही थी और कह रही थी मेरे राजा आज तो तूने मुझे जन्नत की सैर करा दी, और चोद मुझे, चोदता रह.. और चोदता रह, आज मुझे अपनी लंड की असली ताकत दिखा दे और मेरी चूत की आग को शांत कर दे। और जोर से चोद देखते हैं तेरी गांड में कितना दम है।

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अब मैं भी जोर जोर से उसे चोदने लग गया। वह “आह अह्ह्ह औऊ हाँ ओह अहह औउ उः ओह अह्ह्ह औउ” जैसे आवाजें निकालने लगी। थोडी देर बाद मेरे लंड ने इशारा कर दिया मैंने शीला से पूछा कहां निकालूं?

शीला ने जवाब दिया मैं तुमहारा पानी पीना चाहती हूं।

मैंने यह सुनते ही अपना लंड उस के मुंह में दे डाल दिया और जोर दाड़ झटकें मारा और तभी मेरे लंड ने उस के मुंह में सुनामी ला दी और वह सारा का सारा पानी एक ही सांस में अंदर ले गई। अब मैं उस के ऊपर आ गया और उसे किस करने लग गया। तब मैंने खुद के पानी का पहली बार टेस्ट किया।

अब मैंने वही पर पड़ी पाइप को हाथ में लिया और उसे गिला कर दिया। उसने मेरे हाथ से पाइप ली और मुझे भी गिला कर दिया।

अब मेरा लंड फिर से उसे चोदने के लिए तैयार था, मेरा लंड फिर से उसे चोदने के लिए तैयार था। अब मैंने उस की गांड को मारने का सोचा और उसे उल्टा कर के उस की गांड को खोल दिया। उसके गीले बदन से लंड अच्छे से उस की गांड पर सेट हो गया और मैंने जोर दाड़ झटकें मारा जिससे लंड उस की गांड में चला गया और बहुत जोर से चीखने लगी। मैं उसका दर्द अनदेखा करते हुए उसे चोदता रहा और जोर जोर से लंड ऊपर नीचे करता रहा। थोडी ही देर बाद मेरे लंड ने फिर से इशारा कर दिया मैंने अपना पानी उस की गांड में ही निकाल दिया और उस के ऊपर आकर लेट गया।

अब हम एक साथ नहाए और नहाते वक्त उसे मजाक करने लग गया। अब हम नहा धो कर कपड़े पहन कर अपने घर को जाने के लिए निकल ही रहे थे तभी शीला बोली क्या तुम मुझे हमेशा चोदोगे? जब भी मुझे आपकी जरूरत पडेगी तब मैं आप को बुलाऊं तो आप आओगे ना?

मैंने कहा हाँ मेरी जान आखिरकार तुमने भी तो मुझे अपनी जन्नत दी थी। फिर भला में कैसे तुम को ना कह सकता हूं। इस के साथ हम दोनों अपने अपने घर की ओर निकल पड़े।