हिंदी सेक्स स्टोरी

चुड़क्कड़ छीनाल 3

Chuddakad chinaal-3

मैंने गाल आगे करते हुए कहा – किस।

उसने बिना कुछ कहे मुझे एक किस किया, मेरे गाल पर।

सच कहूँ दोस्तो, तो यह मेरा फर्स्ट टाइम था अब तक किसी लड़की ने मुझे किस नहीं किया था तो उसके सिर्फ़ गाल पर किस करने से मेरा लण्ड पूरी तरह खड़ा हो गया था।

मैंने उसे एकदम से पकड़ लिया तो उसने तुरंत अपने आप को छुड़ाया और बोली – अरे क्या कर रहे हो? घर में पापा हैं। अभी जाओ।

उसके पापा सच में घर में थे सो, मैं चला गया और अगले दिन फिर मैं उसके घर गया।

उस दिन प्रिंसी अपनी मम्मी से बोली कि मैं छत पर पढ़ने जा रही हूँ।

मम्मी भी बोलीं – ठीक है, जाओ।

जैसे ही हम छत पर आए, मैंने इधर-उधर देखा और उसे पकड़ लिया…

वो बोली – इतनी गरमी क्यूँ है तुममें? शांत नहीं बैठ सकते।

एक बार फिर मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आया। सोचा – साली रंडी की औलाद, जब तू छीनाल है कुतिया तो क्यूँ शराफ़त का ढोंग कर रही है!!

खैर, मैं बिना कुछ बोले बैठ गया और पढ़ने लगा।

वो समझ गई कि मुझे गुस्सा आ गया और फिर कुछ देर में बहन की लौड़ी अपनी औकात पर आई और मेरी जाँघ पर धीरे-धीरे अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया।

मेरा गुस्सा अभी शांत नही हुआ था, सोचा, गुस्से में दिल का गुबार बाहर ना आ जाए और कहीं इसे दो-चार गाली ना बक दूँ इसलिए मैंने शांति से उसका हाथ हटा दिया और कहा – प्लीज़, मत करो नहीं तो कुछ ग़लत हो जाएगा।

मेरा मतलब यहाँ अपने गुस्से था कि कहीं कुछ ग़लत ना बोल दूँ इसे पर वो बोली – क्यूँ? कुछ हो रहा है क्या? और इतना बोलते ही मेरा लण्ड पकड़ कर जीन्स के उपर से ही दबाने लगी।

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मैंने उसका हाथ हटा दिया और मेरे मूह से निकलने ही वाला था – साली रांड़ पर अपने को संभालते हुए मैं बोला – सा ली… सो री…

फिर वो बोली – मुझे देख कर कुछ हो नहीं रहा।

इस बार मेरे मूह से निकल ही गया – क्यूँ, मैं तो सिर्फ़ तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड हूँ…

पर इससे पहले बात बिगड़ जाती मैं मुस्कुराया जैसे की मज़ाक कर रहा हूँ और तुरंत अपना एक हाथ उसकी चूत पर फेरने लगा…

उसने अपनी आँख बंद कर ली और मैंने अपना हाथ अंदर डाल दिया।

वो मना करने लगी कि सिर्फ़ ऊपर से करो।

पर मैं कहाँ सुनने वाला था छीनाल की वैसे तो दो पैसे की इज़्ज़त नहीं थी पर चलो जो भी थोड़ी बहुत ही सही उसे आज अपने लण्ड के नीचे कुचलना जो था।

मैंने उसके मना करते ही अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी जो की सटाक से अंदर चली गई।

वो अब शांत होकर पड़ी थी!!! !!

मुझे ताजूब हुआ की बस 5 मिनट करने के बाद ही वो झड़ गई और झड़ते ही तुरंत उठ कर चली गई और गुस्से में बोली – अपने घर जाओ।

मुझे हँसी आई पर मैंने अब मैंने उसे पकड़ लिया और किस करने लगा। रेस्पॉन्स तो उसने देना ही था, “पैदाइशी छीनाल” जो थी। बस साली; नाटक कर रही थी – घर जाओ, तो यह करो!!

अब मैंने उसे छत की दीवार से चिपका दिया और किस करने लगा। मैंने उसकी सलवार खींची और उतार कर सीधे नीचे कर दी उसकी नंगी चूत चाटने लगा।

यह तो मैं कहूँगा की बहुत ही प्यारी खुसबू आ रही थी, उसकी चूत में।

फिर मैंने उसकी पूरी सलवार उतार दी और पटक कर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर किस करने लगा।

इधर किस करते-करते ही मैंने अपना जीन्स उतार दिया और फिर अपने एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा और दूसरे से उसके बूब्स दबाने लगा। मैंने उसका कुरता अभी नहीं उतारा था और ऊपर से ही दबा रहा था।

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अब मैंने उसके दोनों पैर फैलाए और अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

आख़िर रंडी की औलाद बोली – अब क्यूँ रुके हो?

मैंने बड़ी बेदर्दी से एक ज़ोर से धक्का मारा और उसकी चीख निकल गई। मैंने तुरंत अपने हाथ से ही उसका मूह दबा दिया।

मुझे यह बात भी कुछ अजीब लगी कि थी तो, वो छीनाल और प्रियंका भी मुझे बता चुकी थी कि ना जाने प्रिंसी कितने लण्ड खा चुकी है पर फिर भी उसकी चूत टाइट थी।

मेरा भी लण्ड जलने लगा था पर इससे कहीं ज़्यादा तेज़ जलन मेरे दिल में थी और बिना परवाह किए मैंने फिर एक तेज़ धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चुड़दकड़, लण्ड की प्यासी चूत में समा गया।

मुझे ऐसा लग रहा था की मैंने की आग की भट्टी में अपना लण्ड डाल दिया हो।

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खैर मैंने अपना काम चालू कर दिया और बेहद बेदर्दी से ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। मुझे जलन के बाबजूद, मज़ा आ रहा था जो मैं आप को लिख के नहीं बता सकता।

प्रिंसी सिर्फ़ अपनी आँख बंद करके लेटी थी और आ आ आ आ आ… आह… अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… उम्म्म्मममममममममममम… धीरे… प्लीज़ धीरे… आ आ आ आ आह… कहे जा रही थी!!!

वो अपने ही दाँतों से अपने होंठ काट रही थी।

करीब 5 मिनट तक मैंने उसको पटक-पटक कर चोदा, इतनी बेदर्दी से कि रंडी की औलाद आज भी जहाँ होगी; यह याद रखेगी की एक चुड़क्कड़ छीनाल की औकात क्या होती है…??

अब मेरा पानी छूटने वाला था तो मुझे डर लगा कि कहीं कुतिया गर्भवती ना हो जाए इसलिए मैं लण्ड निकाल कर सीधा उसके मूह के पास ले गया और उसका मूह पकड़ कर उसके मूह मे ज़बरदस्ती घुसेड दिया और 3-4 धक्को में ही मेरा पानी छूट गया।

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उसने मेरा पानी थूक दिया और वहीं बैठ गया।

करीब 10 मिनट बाद वो उठी और मुझे गुस्से की नज़र से देखने लगी और कहने लगी – जो हुआ ठीक नहीं हुआ, जाओ यहाँ से।

वो बहुत गुस्से में दिख रही थी।

मन तो नहीं था पर मैंने उसे सॉरी बोला और घर आ गया।

घर आकर मैंने सोचा इससे इतनी आसानी से नहीं छोड़ूँगा, किसी तरह इसे फँसा कर अपने सारे दोस्तो से चुदवाऊँगा।

यही सब प्लानिंग करते हुए मैंने शाम को उसके पास फोन किया पर उसने फोन उठाते ही बोला – आज के बाद, मुझे कभी कॉल मत करना…

फिर मैंने भी सोचा माँ-चुदऐ, यही बहन की लौड़ी का खेल होगा…

तो दोस्तो, कैस लगी मेरी स्टोरी?

ज़रूर बताईएगा…