चुदाई की कहानियाँ

दीदी की सहेली को जमकर चोदा-1

Didi ki saheli ko jamkar choda-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम मनीष है और में दिल्ली का रहने वाला 24 साल का लड़का हूँ. दोस्तों यह मेरी कहानी है जिसको में आज आप सभी चाहने वालों को सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें मैंने अपनी बड़ी बहन की एक सहेली को अपनी बातों में फंसाकर उनके साथ सेक्स के बहुत मज़े लिए.

यह आज से तीन साल पहले की है, जो कि मेरा पहला सेक्स अनुभव है. दोस्तों में तब मेरी कॉलेज के आखरी साल में था और दिसम्बर में 30 तारीख को मेरी बुआ की बड़ी बेटी की शादी होनी थी, इसलिए मेरे पेपर खत्म होते ही 25 तारीख को हम वहां पर पहुंच गए, मेरी बुआ गुड़गांव में रहती है और उनके पति की वहां पर सरकारी नौकरी होने की वजह से एक क्वॉर्टर दिया गया है.

दोस्तों चलिए अब हम आज की अपनी कहानी पर आते है. हम जब वहां पहुंचे तो हमारा बड़े अच्छे तरीके से स्वागत किया गया और हम सभी रिश्तेदारो से मिले और फिर इधर उधर की बातें करते लगे. दोस्तों बातें करते करते टाईम का पता ही नहीं चला और रात हो गई और हम सभी रात का खाना खाकर सो गए, क्योंकि हम सभी लोग काम की वजह से बहुत थके हुए थे, इसलिए सभी को लेटते ही तुरंत नींद आ गई.

अगले दिन सुबह हम सभी उठे और काम में लग गए. में भी ठीक टाईम से उठा और कामो में सभी का साथ देने लगा. कुछ घंटे बीत जाने के बाद जब में थोड़ा सा आराम करने के लिए बैठा हुआ था. तभी मेरी नज़र एक लड़की पर गई, जो मेरी दीदी से बहुत हंस हंसकर बातें कर रही थी, हमारे बीच में थोड़ी दूरी होने की वजह से मुझे कुछ ठीक तरह से दिखा नहीं, लेकिन फिर भी ठीक ही थी, क्योंकि वो सर्दियों का टाईम था और काम की वजह से में थोड़ा सा थका हुआ भी था, लेकिन तभी मुझे मेरी दीदी ने आवाज़ लगाई और में तुरंत दीदी के पास गया.

तब दीदी ने मुझे उससे मिलवाया और उन्होंने मुझसे कहा कि यह उनकी दोस्त है. जिसका नाम नीतू है और जैसी ही वो मुझसे अपना हाथ मिलाने के लिए पीछे मुड़ी तो में उन्हें बहुत अजीब ढंग से देखने लगा, जैसे कि नीतू को देखकर मेरी मन की इच्छा जाग गई थी, में उसे बहुत समय तक लगातार देखता ही रह गया.

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दोस्तों जैसा कि आप सभी दूसरी कहानियों में पढ़ते है, वो वैसी नहीं थी. वो थोड़ी सांवली थी, लेकिन उसका नैन नक्श एकदम तीखी छुरी जैसा था. अगर कोई भी उसे देखे तो बस देखता ही रह जाए और उसका बदन एकदम भरा हुआ बड़े आकार की छाती उभरी हुई गांड हर किसी को अपना दीवाना बना ले. तभी मेरी दीदी ने मुझे आवाज़ लगाई कि मनीष वो तुझ से हाथ मिलाने के लिए खड़ी हुई है भाई कम से कम एक बार हाथ तो मिला दे, ऐसे खड़ा ना रह यार.

दोस्तों में उसे देखकर उसमें पूरी तरह से खो चुका था. तब मैंने होश में आकर नीचे देखा तो उसने अपना एक हाथ मेरी तरफ बड़ाया हुआ था. फिर मैंने बड़े आराम से अपना हाथ उसके हाथ से मिलाया और उसके मुलायम हाथ को छूते ही मेरे अंदर का सेक्स और ज़्यादा बढ़ गया था. मुझे उस समय ऐसा लग रहा था कि कहीं में आज किसी का चुदाई ही ना कर डालूं.

फिर मैंने उससे हाथ मिलाया तो वो अपने हाथों को मुझसे मिलाते हुए थोड़ा सा मुस्कुराई और उसने अपनी मुलायम ज़ुल्फो को ठीक करते हुए उसने मुझसे कहा कि क्या हुआ मनीष तुमने तो अपने साथ मेरा हाथ ही चिपका लिया? क्यों तुम ऐसे कहाँ खो गए?

मैंने भी उन्हें बड़ी जल्दी जवाब दे दिया कि क्या करे आप हो ही ऐसी कयामत कि आपको एक बार देखकर तो कोई भी आपका पीछा ना छोड़े और इस समय मैंने तो बस आपका हाथ ही पकड़ा है. फिर वो और ज्यादा मुस्कुराई. तब दीदी ने मुझे बताया कि यह उनकी क्लास में पढ़ती थी और यह अभी दो फ्लेट नीचे रहते है, यह बहुत अच्छी दोस्त है और उनके माता पिता भी मेरे माता पिता की बहुत इज्जत करते है और हम सभी बहुत प्रेम से मिलकर रहते है.

अब वो बड़ी नज़ाकत से मुड़ी और मुझसे अपना हाथ छुड़ाते हुए दीदी के साथ अंदर चली गई और अब तो सभी काम गए भाड़ में और फिर में तो बस नीतू से बातें करने का कोई ना कोई अच्छा मौका ढूंढता रहता. मुझे उससे बातें हंसी मजाक करना उसके साथ अपना समय बिताना बहुत अच्छा लगता और मेरी यह सभी बातें और हरकतों पर मेरी दीदी ने भी गौर किया और फिर उन्होंने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि भाई इतनी जल्दी मत कर आराम से कर ले, वो मना नहीं करेगी, क्योंकि वो भी तुझे बहुत पसंद करती है, यहाँ पर सभी रिश्तेदार आए हुए है, तो इसलिए तू थोड़ा सा कंट्रोल कर और उन सभी का ध्यान भी रख.

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दोस्तों उनकी यह सभी बातें सुनकर में बड़ा खुश हुआ, मुझे अब आगे बढ़ने की हिम्मत मिलने लगी, लेकिन उसने भी मुझसे एक बात बिल्कुल सही कही थी कि सारे परिवार वाले बस हम दोनों को ही देखे जा रहे थे, इसलिए में वहां से चला गया और बस कभी कभी नीतू से मिलता और उससे बातें करता था, हम दोनों बस 5 मिनट या 15 मिनट बस ऐसे ही मिलते और बातें करते. दोस्तों ऐसे ही दो दिन बीत गए, नीतू और मेरी अब बहुत अच्छी दोस्ती हो गई, हमारे बीच अब छेड़छाड़ शरारत हंसी मजाक करना यह सब आम बातें हो गई थी.

अब तो मैंने नीतू को एक बार अकेले में छत पर भी बुला लिया था. दोस्तों जैसा कि मैंने पहले भी आप लोगों को बताया है कि वो सर्दियों का समय था तो हम जैसे आशिक़ो के लिए छत से अच्छी जगह कोई और हो ही नहीं सकती.

फिर मैंने उसे उस समय छत पर मिलने के लिए बुला लिया और आप सभी लड़कियां जो मेरी यह कहानी पढ़ रही है और जिन लड़को की गर्लफ्रेंड है, उन्हें तो पता ही होगा कि लड़कियाँ सब कुछ जानती है कौन उन्हें लाईन दे रहा है और कौन उनके जिस्म का भूखा है? किसे कब जवाब देना है, कैसा जवाब देना है? तो बस नीतू ने भी वही किया.

उसने मुझे बहुत अच्छी तरह से मुस्कुराते हुए ना कह दिया, इसलिए मैंने भी दोबारा उससे कुछ नहीं पूछा और फिर में वहां से चला गया. फिर कुछ समय बाद एक छोटी सी लड़की नीतू के पास आई और उसने उससे कहा कि दीदी आपको बड़ी मम्मी बुला रही है छत पर, उन्हें आपसे कुछ काम है. फिर नीतू उठी और छत पर आ गई, वो आंटी को आवाज़ लगाते हुए जैसे ही छत पर आई तो मैंने तुरंत छत का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया. वो अचानक से डर गई और बड़ी तेज चिल्लाई.

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फिर मैंने जैसे तैसे उसे मनाया कि यह में हूँ तो वो मुझसे बहुत नाराज़ हो गई. उसे अब पता चल गया था कि मैंने उसे धोके से छत पर बुला लिया है. दोस्तों वो मुझे हल्के हाथों से कंधो पर थप्पड़ मारने लगी और मैंने महसूस किया कि अब उसका गुस्सा थोड़ा सा कम हो गया था. दोस्तों मैंने उसे हाथों को पकड़ा और उसे अपनी बाहों में कसकर कभी उसकी गर्दन पर तो कभी उसको गालों पर चूमने लगा और में उस हसीन पल का पूरा पूरा फायदा उठाने लगा.

दोस्तों कई लड़कियां लड़कों की इस हरकत से बुरा मान जाती है, क्योंकि वो इन सभी कामों के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाती, लेकिन मैंने महसूस किया कि वो तैयार थी. फिर मैंने जैसे ही उसे चूमना शुरू किया तो वो भी मुझे चूमना शुरू हो गई और हम 20 मिनट तक एक दूसरे को ऐसे ही चूमते चाटते रहे और हमे जोश चड़ता रहा.

फिर करीब 20 मिनट के बाद मैंने उससे बोला कि मुझे और कुछ भी चाटना है. फिर वो मुझसे बोली कि पागल यहाँ नहीं, बहुत ठंड है और यहाँ पर किसी के आ जाने का भी ख़तरा है, तुम पहले सभी लोगों को सो जाने दो. फिर हम मिलेंगे और यह बात कहकर वो अपने बाल और सूट को सेट करती हुई वहां से चल दी, क्योंकि मैंने चूमते हुए उसे पूरा हिला दिया था सर से पैर तक.

अब रात के करीब 12 बज चुके थे और वो वापस छत पर मुझसे मिलने आई, में वहां पर नहीं था तो वो थोड़ा रुककर मेरा इंतजार करने लगी. में भी छत पर पहुंच गया और मैंने फिर से दरवाजा बंद किया और बड़ी बेरहमी से उसे चूमना शुरू कर दिया. मेरे होंठ उसके होंठो के ऊपर नीचे थे और हम फ्रेंच किस किये जा रहे थे.