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दीदी की शादी में मिली शानदार चूत 1

Didi ki shadi me mili shandaar chut-1

मेरा नाम विक्की है।

मेरी उम्र 21 साल है और मेरी लंबाई 5″7′ है। मैं जयपुर का रहने वाला हूँ।

मैंने एम… एस… एस… पर कई कहानियाँ पढ़ी हैं और अब मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वैसे तो यह पाठकों पर निर्भर करता है कि वो कहानी को किस तरह ले रहे हैं।

अब मैं सीधे अपने कहानी पर आता हूँ…

बात उस समय की है, जब मैंने बारहवीं पास करके बि.टेक में दाखिला लिया था।

मेरे घर पर मेरी बड़ी बहन की शादी मई में होने वाली थी। मई तक मेरा दूसरा सेमेस्टर भी ख़त्म हो गया था, इसलिए मैं समान पैक करके घर चला गया।

मैंने शाम की ट्रेन पकड़ ली और सुबह तक मैं जयपुर पहुँच गया।

फिर मैंने रिक्शा पकड़ा और घर चल दिया। घर पर हर कोई शादी की तैयारी में लगा हुआ था।

मैं बहुत थका हुआ था, इसलिए फ्रेश हुआ और नाश्ता करके सोने के लिए अपने कमरे में चल दिया।

अभी आधा घंटा ही हुआ होगा कि बगल के कमरे में कुछ लड़कियों के हँसने की आवाज़ सुनाई दी।

मैंने उत्तेज़नावश बगल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया, कमरा पहले से ही खुला हुआ था।

वहाँ देखा कि एक लड़की मेरी दीदी से हँसी-मज़ाक कर रही थी। दीदी ने मुझे देखा तो बोला – तू कब आया?

मैंने बोला – बस अभी एक घंटे पहले।

दीदी – घंटे भर पहले आया और दीदी से मिलने भी नहीं आया।

मैं – बस आपसे मिलने के लिए ही आ रहा था।

तभी मेरी नज़र उस लड़की पर पड़ी, वो तो बिल्कुल कयामत ही थी। मैं तो बस उसको देखते ही रह गया।

कमाल थी उसकी फिगर। मैंने ऐसी लड़की तो अपने कॉलेज में भी नहीं देखी थी।

रंग बिल्कुल गोरा और दोस्तो, वो एकदम परी जैसी लग रही थी।

अचानक मेरा ध्यान दीदी की तरफ गया, जो बोल रहीं थी कि आ बैठ कर बातें करते हैं, मैं गया और दीदी के बगल में बैठ गया।

वो लड़की मेरे सामने बैठी थी, मैं कुछ बोलता उससे पहले दीदी ने उस लड़की की तरफ इशारा करके बोला – यह स्वप्निल है।

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मैंने उसको हाय बोला और हाथ मिलाने के लिए मैंने हाथ बढ़ा दिए, उसने भी जबाब में हाय कहा और मेरी तरफ हाथ बढ़ाए।

उसके स्पर्श मात्र से मेरे शरीर में कुछ होने लगा। आवाज़ में तो मानो उसकी कोई नशा सा था।

मैंने उसको पहले कभी नहीं देखा था।

फिर दीदी ने बोला – यह मेरी दोस्त है, अभी बी.ए. कर रही है, मेरी शादी तक यहीं रहेगी और हाँ तब तक तुम इसका ख्याल रखोगे।

मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा, नीचे मम्मी दीदी को किसी काम के लिए बुला रहीं थी। दीदी जाने के लिए उठ खड़ी हुई, और साथ में स्वप्निल भी।

दीदी बोलीं – तुम दोनों बातें करो, मैं अभी आती हूँ।

स्वप्निल बैठ गई।

मेरे पास तो बात करने के लिए बहुत कुछ था, लेकिन शुरुआत कहाँ से करूँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

मैं कुछ बोलने वाला था कि वो भी बोल पड़ी – आपका नाम क्या है?

मैंने अपना नाम बताया।

वो बोली – आप क्या कर रहे हो?

मैंने बोला – अभी बी. टेक. कर रहा हूँ।

मैंने बोला – मुझे प्लीज़, आप कहना छोड़ दो। तुम मुझे तुम कह कर बुला सकती हो।

मैंने उससे पूछा – तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है?

उसने बोला – नहीं।

मैं – तुम तो परियों सी खूबसूरत हो, और तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है?

स्वप्निल – अच्छा जी, वैसे तो मुझे कई लड़कों ने प्रपोज़ किया पर मैंने किसी को हाँ नहीं किया।

मैं – अच्छी बात है, तुम्हें क्या लड़कों में इंटेरेस्ट नहीं है?

स्वप्निल – है, पर…

मैं – पर, क्या?

स्वप्निल – मुझे अभी किसी बॉय फ्रेंड की ज़रूरत नहीं है।

तभी उसके पापा का फोन आ गया, वो खड़ी होकर मोबाइल पर बातें करने लगी।

इस दरम्यान मैं उसको गहरी नज़रों से निहारने लगा, वो टॉप और पटियाला पहने हुई थी।

दोस्तो, उसकी उम्र कोई लगभग बीस के आस पास रही होगी, उसका फिगर होगा लगभग 34-28-36।

क्या बताऊँ, मैं तो बस उसके चूतड़ देखता रह गया।

इसी बीच वो बात करके मेरे पास आकर बैठ गई और बोली – तुम क्या देख रहे थे?

शायद उसने मुझे अपने आपको घूरते हुए देख लिया था।

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मैं बोला – कुछ नहीं, बस यूँ ही।

तभी दीदी आ गईं और बोलीं – कुछ बातचीत हुई या ऐसे ही दोनों बैठे हो, बस।

उसने दीदी को बोला – तुम्हारा भाई तो थोड़ा अलग टाइप का है।

दीदी बोली – वो तो है।

ऐसे ही करते-करते आठ बज गए, और नाश्ता करने का टाइम हो गया था, सो हम तीनों नीचे नाश्ता करने चले गए।

खाने के बाद मैं कमरे में जाकर मूठ मारने लगा और मूठ मारकर बेड पर लेट गया और सपनो में ही उसको चोदने लगा।

फिर मैं करीब शाम चार बजे उठा और दीदी के कमरे में चला गया। वहाँ मम्मी, दीदी, स्वप्निल और भी कई लोग थे।

मैं जाकर माँ से बातें करने लगा, बीच-बीच में मैं उसे तिरछी नज़रों से देखने लगा। वो भी मुझे ही देख रही थी।

मम्मी ने मुझसे कहा – बेटा, स्वप्निल को बाहर घूमने जाना था। अगर तू खाली है तो उसे शहर घुमा ला।

मैंने हल्के अंदाज़ में बोला – हाँ खाली तो हूँ, पर आप पापा से कह कर कार दिला दो।

मैं गया और तैयार होकर आ गया, इधर स्वप्निल भी सज-धज के तैयार थी।

दोस्तो, स्वप्निल को जब मैंने देखा, तो मेरे होश ही उड़ गए। वो सफेद शर्ट और टाइट जीन्स पहने हुए थी।

उफ़!!! मेरा तो बुरा हाल हुआ जा रहा था, वो कार के अंदर आकर बैठ गई।

मैंने कार स्टार्ट की और चल पड़ा।

फिर मैंने उसे मेन सिटी घुमाई, जयपुर का फेमस हवा महल भी दिखाया और उसके बाद हम लोग मैक… डी… चले गए।

हम लोग बिल्कुल कोने में बैठे थे। आस पास बहुत कम लोग बैठे थे। हमने फिंगर चिप्स और कोक ऑर्डर कर दिया।

वो मेरे बगल में मुझसे चिपक कर बैठी थी, मेरी कोहनी उसके चुचों से टकरा रही थी।

मैं जानबुझ कर किसी ना किसी बहाने से अपना हाथ उसके शरीर से रगड़ा रहा था, लेकिन उसने कुछ नहीं किया।

तभी अचानक उसने पूछा – क्या तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है?

मैंने उससे कहा – दोस्त तो बहुत हैं, लेकिन कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है।

तभी वेटर ने ऑर्डर लाकर टेबल पर रख दिया।

मैंने काफ़ी हिम्मत जुटाई और स्वप्निल को कहा – मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ, लेकिन डर लग रहा है।

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वो बोली – मुझसे कैसा डर।

मैंने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कह डाला – मुझे तुमसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था, और मैं तो तुम्हारा दीवाना सा हो गया हूँ… तुमसे सुंदर इस जहान में मैंने किसी को नहीं देखा… हर जगह मुझे तुम ही तुम दिखाई देती हो… अब तुम्हारे बिना मेरा कोई वज़ूद नहीं रहा… क… क… क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?

इतना सब कुछ मैंने एक सांस में कह दिया।

वो दो मिनट चुप रही और बोली – मुझे भी तुमको देखकर कुछ होने सा लगा है।

उसने इतना क्या बोला, मैंने अपना हाथ उसकी कमर में डाल दिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।

उसके होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी के समान थे, बिल्कुल मुलायम।

दोस्तो, वो भी फ़ौरन मेरा साथ देने लगी। मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डालकर उसके होंठो को बेतहाशा चूस रहा था।

इसी बीच मेरा हाथ उसकी पिछवाड़े पर चला गया और मैं उसको मसलने लगा। उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था।

काफ़ी देर तक हम लोग दुनिया से बेख़बर एक-दूसरे को चूमते-चाटते रहे।

फिर मैंने उससे पूछा – कैसा लगा?

वो बोली – बहुत मज़ा आ रहा था, मैंने पहले किसी के साथ ऐसा नहीं किया है।

अब हम लोग कार में जाकर पीछे वाली सीट पर बैठ गए।

मैंने उसको आइ लव यू बोला और उसने भी मुझको आइ लव यू बोला।

वो मेरे कंधे पर सर रखकर बैठ गई, फिर हमने लगभग 15 मिनट एक-दूसरे को किस किया।

मैं उसके शर्ट के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाए जा रहा था, उसने अंदर ब्रा पहन रखी थी।

पर दोस्तो, रात काफ़ी हो चुकी थी इसलिए हम फिर घर चल दिए।

कहानी अभी बाकी है दोस्तों, प्रतीक्षा कीजिये अगले भाग की…

पर हाँ मेरी कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज बताइये…