डॉक्टर मेरी गुरुआनी-1
वो मुझे कंसल्टिंग रूम में ले गई. बोली – हाँ बताइए क्या प्रॉब्लम है.
मेरे तो होश उड़ गए ये सुन कर. इन लेडी को मेरी प्रॉब्लम क्या बताऊँ. मैं पहली बार किसी औरत के सामने ऐसी बात कर रहा था. मैंने हिम्मत करके कहा कि डॉक्टर साब को दिखाना था. उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक एक गहरी नज़र से देखा और बोली कि वो तो है नही, उनका ट्रान्सफर इस समय जोधपुर है. और वो शनिवार और रविवार को यहीं होते है. लेकिन मैं भी डॉक्टर हूँ, बिना किसी दिक्कत के आप अपनी प्रॉब्लम मुझसे कह सकते हैं.
ये सुन कर मेरी हथेलियों और पगथलियों में पसीना चुह चुहा आया. बहुत हिम्मत करके मैं ने हिचकते अटकते हुए धीरे धीरे अपनी प्रॉब्लम उनको बतानी शुरू की कि सरसों के तेल कि मालिश के कारण मेरे लण्ड में कुछ परेशानी आ गई है, उन्होंने लैंस उठाया और मेरे सामने आकर बोली – दिखाओ.
ये सुन कर मेरे छक्के छूट गए. बहुत मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल किया, मेरे कान गरम हो कर लाल हो गए. धीरे धीरे भारी हाथों से अपनी पैंट के हुक और जिप खोला, ऐसा लग रहा था मानो युग युग बीत रहे हैं. किसी तरह से पैंट को थोड़ा नीचे करके अंडरवियर के साइड से लण्ड को बाहर किया तो वो बोली – ऐसे नही, अंडरवियर उतारो. मैं ने अंडरवियर का नाडा खोल कर अंडरवियर को जांघो पर कर लिया. और लण्ड के सुपाडे की खाल को पीछे करके उनको दिखाया.
उन्होंने मेरे हाथ को हटा कर अपने हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर लैंस से सुपाडे को देखा. उनका मेरे लण्ड पर हाथ लगना था कि मेरे पूरे शरीर में करेंट लग गया और लाखों चीटियाँ मेरे शरीर पर रेंगने लगी, लण्ड ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी. जिंदगी में पहली बार किसी स्त्री जात का हाथ लगा था वो भी किसी अप्सरा का.
डॉक्टर बोली- ये क्या हो रहा है?
तो मैंने कहा – इसमे मेरा क्या बस है।
वो बोली – हाँ ये तो है! उन्होंने मेरी झांटो के बाल में ऊँगली से चारों ओर दबा के देखा, पूछा कोई गांठ है?
मैंने कहा – नही.
डॉक्टर बोली – किसी औरत के पास गए थे?
मैंने कहा – नही! आज तक नही.
देख-दाख के उन्होंने बताया कि सरसों के तेल की तेज़ी ने खाल छील दी है. मैं दवा लिख देती हूँ, दिन में तीन बार लगाओगे दो चार दिन में ठीक हो जाएगा.
अब तक मेरा लण्ड अकड़ चुका था.
मैंने थोडी हिम्मत जुटाई और पूछा- डॉक्टर साब मैं साइंस का स्टुडेंट हूँ. क्या आप मेरी जिज्ञासा को शांत कर सकती हैं, मैं शरीर के विज्ञानं में बहुत रूचि रखता हूँ. ये कहते हुए मैंने अपना अंडरवियर और पैंट ऊपर सरकानी चाही तो डॉक्टर ने कहा – अभी रुको और पूछो क्या पूछना चाहते हो?
अब तक मेरी शर्म बहुत हद तक काबू में आ चुकी थी. कपड़े वैसे ही रहने दिए और मैं ने पूछा – ये होने का कारण क्या था?
डॉक्टर – सरसों के तेल में बहुत तेज़ केमीकल होते हैं और ये अंग ढके रहने और नमी के कारण यहाँ की खाल बहुत नाजुक होती है जो ये तेज़ सहन नही कर सकती. यदि यहाँ की मालिश करनी हो तो नारियल का तेल काम में लो और नीचे जड़ से ऊपर की ओर इस तरह से मालिश करो ये कह कर उन्होंने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड की जड़ से पकड़ कर हौले से ऊपर की ओर लाते हुए बताया इस तरह से मालिश करनी है और बहुत ज्यादा जोर से नही दबाना. लण्ड ब्लड के ज्यादा पम्पिंग होने से कठोर होता है, इस समय लण्ड से शरीर को जाने वाला ब्लड धीमे हो जाता है और पम्पिंग से आने वाला ब्लड बढ़ जाता है. बहुत जोर से दबा कर मालिश करने से लण्ड के ऊतकों को नुक्सान हो सकता है और लण्ड की कठोरता कम हो सकती है.
वो बोली- रुको ! मैं आती हूँ ऐसे ही रहना. मैं हकबकाया सा खड़ा रहा, डॉक्टर जरा देर में वापस आई तो तीन चीजें उनके हाथ में थी – दवा की ट्यूब, नारियल तेल की बोतल और एक पारदर्शी छोटी बोतल जिसमे सुनहरे रंग का कुछ गाढा तरल था.
मेरे पास आकर उन्होंने ये सारा सामान मेज़ पर रखा और ट्यूब खोल के चने की दाल जितनी दवा अपनी ऊँगली पे लगाई और मेरे लण्ड के सुपाडे की खाल पीछे करके लण्ड के सुपाडे पर मलने लगी. मल मल कर दवा को उन्होंने पूरा सुखा दिया. नाम था फोरडेर्म. अब बोली गुप्ता जी तेल की मालिश देखिये ऐसे करनी है।
मैं ने कहा कि आप मेरा नाम नीरज बोलिए बहुत अच्छा लगेगा.
तो वो बोली आप भी मुझे अलका बोलिए. उन्होंने अपने हाथ पे नारियल का तेल उंडेला और मेरे लण्ड पर अपने बताये तरीके से जड़ की तरफ़ से सुपाडे की तरफ़ लाते हुए मालिश करनी शुरू की। अभी १०-१२ बार ही हुए कि मैं दांत भीचते हुए हलके से चिल्लाया – अलका ! और झपट कर एक हाथ से अपना अंडरवियर उठा कर लण्ड के आगे किया और दूसरे हाथ से अलका का कन्धा जकड लिया. अब तक जो कुछ किसी तरह से कंट्रोल किया हुआ था वो सब जोरदार पिचकारी मारकर बाहर आ गया.
वो मुस्कुराई बोली- नीरज तुम सच ही बोल रहे थे कि तुम किसी औरत के पास नही गए. घबराने की कोई बात नही है, पहली बार में उत्तेजना ज्यादा होने से जल्दी ओर्गास्म आ जाता है. अब अलका ने एक ऐसा काम किया जिसने मेरे शरीर में बिजली भर दी, वो मेरे साथ चिपक गई, उसके हाथ मेरी पीठ पर बंध गए और बोली मुझे जकड कर थोडी देर इसी पोजीशन में रहो और अपने ओर्गास्म का आनंद लो. मेरा लण्ड उनकी चूत के ऊपर अड़ रहा था. मुझे स्वर्ग का आनंद आ रहा था.
दो-तीन मिनिट बाद उनकी पकड़ ढीली पड़ी और अपने को छुड़ा कर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी, मुझसे बोली- माना कि नीरू ये तुम्हारा पहला अनुभव है लेकिन बुद्धू तो नहीं हो ना.
अब मेरी समझ में एकदम से ही बहुत कुछ आ गया मैंने उनके ब्लाउज़ के बटन खोल कर ब्लाउज़ अलग किया और उनके कंधे के पीछे देख कर ब्रा स्ट्रेप खोल कर ब्रा भी अलग कर दी. एकदम तने हुए सख्त गोरे बोबे देख कर मैं दंग रह गया. अलका ने मुझसे मेरी बनियान भी उतारने को बोला, ५ सेकंड में बनियान मेरे शरीर से अलग थी और मैं एकदम पैदाइशी अवस्था में डॉक्टर के सामने था.
अलका ने अपने हाथ मेरे बाजुओं पे गड़ा कर कहा- बहुत कसरती हो, अपनी इन बाजुओं का इस्तेमाल करो और मुझे मरीज देखने वाली टेबल पर लिटा दो !
मैंने कहा- अलका ! जरा रुको, एक गड़बड़ है सही कर दूँ. उसकी सवाली निगाहों ने मेरी हरकत नोट की, मैं ने उसकी साडी पकड़ के हौले हौले से खींच कर अलग कर दी. और अलका को पेटीकोट सहित उठा कर मरीज देखने वाली मेज पर हौले से लिटा दिया, उनके मुह के ऊपर अपना मुह लगाया और जिंदगी का पहला किस किया, अगले १५ सेकंड में दो काम एकसाथ हुए, मेरा बायाँ हाथ अलका के बोबे पर और दाहिना हाथ पेटीकोट के नाड़े पर था, ज़रा देर में नाड़ा खोल के मैं अलग हुआ और पेटीकोट के दोनों साइड में अपने दोनों हाथ रखते हुए सरसराते हुए पेटीकोट को अंडरवियर सहित अलका की टांगों से निकाल बाहर किया.