चुदाई की कहानियाँ

दूध वाले को दुद्दू दिखा कर चुदवाया-3

(Doodh Wale Ko Duddu Dikha Kar Chudwaya-3)

वो बोला- जब भी औरतों के ब्रा उनके पतले कपड़ों में से झाँकते देखता था न, अक्सर सोचता था, ब्रा भी कितना खुशकिस्मत है, सारा दिन कितने खूबसूरत मम्मों से चिपकी रहती है। और चड्डी भी कितने सुंदर चूतड़ों और चूतों से चिपकी रहती है।
मैंने कहा- तो तू ये सब देखता है?
वो बोला- जवान हो गया हूँ, मैडम जी, क्यों न देखूँ? और न भी देखूँ तो भी ये चीज़ें मुझे अपनी तरफ खींचती हैं। जिस दिन पहली बार आपको दूध देने आया था, न उस दिन आपकी नाइटी में आपके झूलते मम्मे देखे मेरा तभी दिल किया उन्हें पकड़ के दबा के देखने का। फिर उस दिन आपकी चूत देखी टी शर्ट के नीचे से, मेरा दिल किया, आगे बढ़ कर इसे चूम लूँ!
कहते हुये उसने मेरे ब्रा की हुक खोल दी।

मैं भी पलट कर सीधी हो गई, और जैसे ही मैंने अपनी ब्रा उतारी उसने साथ की साथ मेरी पेंटी भी खींच कर उतार दी।
मैंने कहा- ले अब सब कुछ तेरे सामने खुला पड़ा है, जो करना है कर, इन्हें दबा कर देख, इसे चूम ले चूस ले चाट, जो चाहता है कर ले।

वो बहुत खुश हुआ और मेरे ऊपर आ कर लेट गया। पसीने की एक तेज़ गंध मेरी साँसों में समा गई, मगर इस वक़्त मैं खुद इतनी गर्म हो चुकी थी कि मुझे उसके पसीने में से भी जैसे खुशबू आ रही हो।
ऊपर लेटते ही उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया, मुझे ये बिल्कुल भी पसंद नहीं आया, क्योंकि मुझे उसका मुँह उतना साफ सुथरा नहीं लगा, जितना मैं खुद को रखती थी।

तो मैंने अपना मुँह घुमा लिया, तो उसने मेरे गाल और बाकी सारे चेहरे को चाट डाला, मेरे दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ पकड़ कर चूसे।
इस मामले वो बिल्कुल वहशी थी, उसे बिल्कुल भी नहीं पता था कि एक हाई क्लास औरत से सेक्स कैसे करते हैं, वो तो बस मुझे नोचने में लगा था। यहाँ मुँह मार… वहाँ मुँह मार! जैसे इतना खूबसूरत बदन देख कर वो पागल सा ही हो गया था।

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मैंने उसे मना नहीं किया, जहां उसका दिल किया उसने चूमा, जहां दिल किया काट खाया। मैंने भी बीच बीच कभी उसकी पीठ सहला दी, कभी उसका लंड सहला दिया, कभी उसके आँड या गांड को अपने कोमल हाथों से सहला दिया।
मेरा तो हल्का सा स्पर्श भी उसे रोमांचित कर जाता था।

फिर वो बोला- मैडम जी, अपनी टाँगें खोलो।
मुझे लगा शायद ये मेरी चूत चाटना चाहता है, मैंने अपनी दोनों टाँगें पूरी तरह से फैला दी।

मगर मेरी सोच के उलट वो मेरी टाँगों के बीच में आया और उसने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया। मुझे वैसे भी कोई ऐतराज नहीं था। उसने हल्का सा ज़ोर लगाया और उसके लंड का चमकदार गुलाबी टोपा मेरी नर्म गुलाबी चूत में घुस गया।
“मैडम जी, आज पहली बार मैंने किसी औरत की भोंसड़ी में लंड डाला है।”
“हाउ चीप!” मैंने सोचा- कितनी घटिया भाषा का इस्तेमाल करता है।

मगर वो था ही ऐसा, शायद उसके घर में आस पड़ोस में ऐसी ही भाषा का इस्तेमाल होता हो।

मैं चुपचाप लेटी रही, उसने बिना मेरी किसी भावना का खयाल रखे बस अपना सारा लंड मेरी चूत के अंदर पेल दिया। जब पूरा घुस गया तो वो लगा आगे पीछे हिलने।
मैंने पूछा- पहले कहाँ देखा था कि ऐसे सेक्स करते हैं।
वो बोला- मैडम जी, देखा तो बस ब्लू फिल्मों में और आस पड़ोस के घरों में ही है। एक बार अपने भैया और भाभी को देखा था।

“अच्छा?” मैंने पूछा- तो अपनी भाभी को नंगी देख कर उसके साथ करने को दिल नहीं किया।
वो बोला- ना जी, उसको तो नंगी देखा ही नहीं, वो तो बेड पे लेटी थी, बस भैया उसके ऊपर नंगे लेटे हिल रहे थे।

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उसने मेरी टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख ली, अब उसका लंड और मेरी चूत दोनों एक दूसरे के सामने आ गए, तो वो पूरी जान लगा के मुझे चोदने लगा। मुझे दर्द होने लगा और मैं तड़प उठी, मेरे मुँह से आनंद से नहीं बल्कि तकलीफ के कारण “आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ़्फ़” निकल रहे थे और वो सोच रहा था कि मुझे मज़ा आ रहा था।

मुझे उसके साथ सेक्स में कोई ज़्यादा मज़ा नहीं आ रहा था क्योंकि वो पीछे से लाकर लंड सीधा मेरी चूत के अंदर मारता जिससे मुझे चोट लगती और मैं तड़प उठती, पर वो और खुश होता।
मेरे मम्मों को भैंस के थन समझ कर ही ज़ोर ज़ोर से निचोड़ रहा था और मेरे मम्मों को दबा दबा कर उसने गुलाबी कर दिया था।

“मैडम जी, सच में आप बड़ी हॉट हो, आपकी भोंसड़ी मार के मज़ा आ गया, दिल करता है ऐसे चोदता रहूँ।”
मैंने उसे कहा- अच्छा, तो मज़े से चोदो, प्यार से!

मगर उसने मेरी बात सुनी ही नहीं और वैसे ही वहशियों की तरह चोदने में लगा रहा। लड़के में दम था, करीब 20 मिनट तक वो लगातार पूरी जान से मुझे चोदता रहा। मैं बेशक इस सेक्स को शुरू में इतना एंजॉय नहीं कर रही थी, मगर थोड़ी देर बाद मुझे उसका ये बर्बरता पूर्ण किया हुआ संभोग भी आनंदित करने लगा। मैं दो बार झड़ चुकी थी, मगर मैंने उसे नहीं बताया कि मेरा हो गया है।

20 मिनट बाद जब वो झड़ा, जैसे वो मुझे कच्चा चबा जाना चाहता था, गरम माल से मेरी चूत को भर के वो मेरे ऊपर ही गिर पड़ा। पसीने से लथपथ, कितनी देर मैं उसके चिपचिपे बदन से चिपकी पड़ी रही।
फिर मैंने उसे उठाया और अपने साथ बाथरूम में ले गई, खुद दोबारा नहाई, उसे भी नहलाया।

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नहा कर उसने अपने कपड़े पहने, मैंने सिर्फ ब्रा पेंटी पहनी।

जो भी था, पर उसका देसी चुदाई का तरीका मुझे अच्छा लगा।
तैयार होकर वो बोला- अच्छा मैडम जी, चलता हूँ, कल कब आऊँ?
मैंने कहा- इसी वक़्त आ जाना।
वो बोला- ठीक है मैडम जी, पर वो बिल के पैसे तो दे देती?
मैंने कहा- क्यों इतनी सुंदर औरत को चोद कर भी तुझे पैसे चाहिए?
वो बोला- वो जो पैसे तो पिता जी को देने ही पड़ेंगे।

मैंने अलमारी से पैसे निकाले और अपने ब्रा में फंसा लिए। उसकी तरफ घूम कर बोली- ले ले, पर पैसे को हाथ मत लगाना।
पहले तो वो समझा नहीं, फिर आगे बढ़ा और अपने मुँह से उसने नोट पकड़ कर मेरी ब्रा से खींच लिए।
“अरे वाह!” मैंने कहा- तू तो बड़ा चालाक है।

वो मुस्कुरा दिया और मुझे एक टाईट झप्पी देकर चला गया। मैं वैसे ही ब्रा पेंटी में ही किचन में गई, और अपने लिए नाश्ता नाश्ता बनाने लगी।

वो करीब 10-12 दिन हमारे घर दूध डालने आता रहा, हर रोज़ नौ साढ़े नौ बजे आता, हर रोज़ मुझे चोदता। मैंने उसे चुदाई के सारे तरीके बताए कि कैसे औरत को पहले गर्म करते हैं, फिर कैसे कैसे चोदते हैं। मगर चूत चाटने को कभी नहीं माना। हाँ अपना लंड खूब चुसवाता था मुझसे।

अब भी कभी कभी राम रत्न से मैं पूछ लेती हूँ- और राम रत्न, बेटा क्या कर रहा है?
वो सर झुकाये बोलता- जी बस शादी कर दी उसकी, अब तो बस लुगाई के चक्कर लगावे है।
मैं समझ जाती कि मेरा शागिर्द अपना काम बढ़िया से कर रहा है।