चुदाई की कहानियाँ

दोस्त की बहन प्रिया की चुदाई-2

Dost ki bahan priya ki chudai-2

फिर दोपहर के 1 बजे के लगभग में उसके घर गया और उसकी सहेली को आँख मारते हुए बेडरूम में चलने को कहा, अब हम तीनों ही बेडरूम में थे. वहां हम तीनों ही एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे. फिर मैंने उसकी सहेली को इशारा करके थोड़ी देर के लिए बाहर जाने को कहा और उसके जाने के बाद में प्रिया को लेकर बिस्तर पर गया और उसके कपड़े उतारने लगा. उसने शर्माते हुए कहा कि थोड़ा तो सब्र करो और पहले दरवाजा लॉक कर दो.

फिर में जल्दी से दरवाजा लॉक करके उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए चूसने लगा. उसके मुँह से काफ़ी तेज सिसकारी निकल रही थी. लेकिन मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता था. में उसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता था. मैंने जल्द ही उसके सारे कपड़े उतार दिए, आज में पहली बार उसे पूरी नंगी देख रहा था. उसने भी मस्ती को बढ़ाने के लिए अपनी चूत को पूरा साफ किया हुआ था. में चूत चाटने और चूसने के बारे में पहले से ही जानता था तो झुककर उसकी चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ को उसकी चूत में घुसाने लगा..

उसके मुँह से सिसकारी तेज तेज होती जा रही थी और उसका शरीर कांप सा रहा था. वो बहुत छटपटा रही थी और अपने हाथ से मेरे सिर को और अपनी चूत में दबा रही थी. मेरा लंड अब मुझे धक्के देने की मुद्रा में पूरा लाल मुँह करके खड़ा था, तो मैंने जल्दी से अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर लगाया और घुसाने लगा, लेकिन वो घुस ही नहीं रहा था. उसकी चूत का मुँह काफ़ी छोटा दिख रहा था मुझे मालूम था कि इस छेद में ये लंड घुसेगा, लेकिन छेद का आकार और लंड की मोटाई का कोई मुकाबला ही नहीं था, वो भी पागल सी होती हुई मुझे लंड को घुसाने को कह रही थी और फिर मैंने भी उसकी चूत के छेद पर लंड को एक हाथ से टिकाये रखा और उसके शरीर पर झुकते हुए दूसरे हाथ से उसकी एक चूची को दबाने लगा और अपने होंठो से उसके होंठो को चूमते हुए लंड के दबाव को बड़ाने लगा, वो बुरी तरह से छटपटाने लगी और अपने हाथों से मुझे ऊपर धकलने लगी, लेकिन अब मुझे रोक पाना उसके लिए मुश्किल था.

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में उसी तरह उसके होंठो को अपने होंठो में दबाये हुए था और जब लंड थोड़ा अन्दर घुस गया तो एक ऐसा जोरदार धक्का मारा कि एक ही पल में उसके हाथों के नाख़ून मेरी पीठ में घुस गये और वो बुरी तरह से मुझे धकलते हुए छटपटाने लगी. लेकिन अब मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ उसकी चूत में पूरी तरह से घुस चुका था मुझे भी दर्द हो रहा था, लेकिन पहली बार चोदने के सुख के आगे ये दर्द कुछ भी नहीं था.

में थोड़ी देर तक उसे किस करते हुए दोनों हाथों से उसके बूब्स को सहलाता रहा और जब उसकी हालत थोड़ी ठीक लगी तो में फिर से उसकी चूत की चुदाई में लग गया. अब मैंने उसके होंठो को आज़ाद कर दिया था, तो हर शॉट में उसके मुँह से, आहहह्ह्ह्ह सस्स्स्स्स्सस्स उउउहह की आवाजें आ रही थी, जिससे मेरा जोश और बड़ता जा रहा था और में चुदाई की स्पीड धीरे धीरे तेज कर रहा था. उसकी चूत से काफ़ी पानी भी निकल रहा था तो अब कमरे में फक फक की आवाज़ आ रही थी.

मैंने जब उसकी चूत की तरफ देखा तो यकीन ही नहीं हुआ कि ये वही चूत है जो थोड़ी देर पहले कितनी छोटी थी और अब ये इतने मोटे लंड से चौड़ी हो चुकी है. उसकी चूत की लगातार चुदाई करते हुए हम दोनों ही काफ़ी थकते जा रहा थे, फिर हमने अपनी पोज़िशन को चेंज किया और फिर से चुदाई जारी रखी.

करीब 35 मिनिट के बाद दरवाजे के बाहर से उसकी सहेली की आवाज़ आई कि अब तो ख़त्म करो और खाना खा लो, ये सुन कर प्रिया मुस्कुराई और मुझे देखने लगी. लेकिन में रुकने के मूड में बिल्कुल नहीं था और चुदाई जारी रखी. उसके मुँह से हर शॉट पर सिसकारियों का सिलसिला जारी था. अब हम पूरे पसीने पसीने हो चुके थे. फिर मुझे लगा कि अब मेरा लंड अपना पानी निकालने को तैयार है तो मैंने उससे कहा तो उसने कहा की ये मेरी पहली चुदाई है तो में तुम्हारे वीर्य को तो अपनी चूत में ही लेना चाहूँगी.

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फिर कुछ शॉट और उसकी चूत में मारते हुए मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही भर दिया और में निढाल होकर उसके उपर ही पड़ा रह गया. हमारी साँसे अब भी तेज थी और हम पूरे पसीने से भीगे हुए थे और बाहर से दरवाजा बार बार खटखटाया जा रहा था. फिर में उठकर बाथरूम गया और लंड को साफ करके, टावल में बेडरूम से बाहर आकर उसकी सहेली से बातें करने लगा, प्रिया अब भी उठने की स्थिती में नहीं थी.

फिर उसकी सहेली ने कहा कि अब जल्दी से ख़ाना खाकर इसे घर छोड़ कर वापस आओ और मेरा भी टेक्स दो तो मैंने उसकी चूचीयों को दबाते हुए कहा कि तुम तो रोज ही दिन में अकेली रहती हो, कल तुम्हारा ही नंबर रहेगा. तो उससे कल आने का वादा किया और फिर हम खाना खाकर अपने घर चले गये.